RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
शोभा ने उसकी चूत खोल कर एक उंगली अंदर डाली और अंदर बाहर करते हुए बोली "प्राची डार्लिंग, बड़ी टाइट है तेरी ये चूत, मुझे लगा था कि तेरे पति ने पूरी ढीली कर दी होगी"
प्राची ने अपनी चूत को सिकोड़कर शोभा की उंगली पकड़ ली. उसे मज़ा आ रहा था. "दीदी, ये यहाँ है ही कहाँ, साल मे दो तीन बार आते हैं. पहले भी जब यहाँ थे, इनका ज़्यादा इंटरेस्ट नही था. सो जाते थे थक कर, मुझे तो बरसों हो गये ठीक से चुदवाये हुए. उई ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह माआआआअ अच्छा लगता है! और करो ना शोभा"
शोभा ने एक दो मिनिट उंगली की और जब प्राची फिर से उत्तेजित होने लगी तो उंगली निकाल कर चाट ली. "मस्त शहद है रानी. एकदम प्योर्, कितना गाढ़ा है!"
प्राची बोली "शोभा, अब ज़रा मुझे भी चखा अपना शहद, बस खुद ही मज़े लेगी क्या?"
शोभा उठकर प्राची की ब्रेसियर निकालने लगी. "अब ज़रा अपने मम्मे दिखा फिर से. छोटे हैं पर बड़े प्यारे हैं, कश्मीरी सेब जैसे. और ये घून्डिया, ये मूँगफली, उन्हे चूसे बिना मैं तुझे अपना शहद नही चखाने वाली"
प्राची के स्तनों को उसने दबा कर इकठ्ठ किया और बारी बारी से उसके लंबे लंबे स्तनाग्र चूसने लगी. बीच मे ही वह उन्हे दाँतों मे दबा लेती और हल्के से काट लेती. मचल कर प्राची ने शोभा का सिर अपनी छाती पर दबा लिया और अपने स्तन उसके मूह मे घुसेड़ने की कोशिश करने लगी. शोभा का हाथ अब भी प्राची की चूत पर था, उसे वह प्यार से सहला रही थी.
प्राची को फिर कामुकता के शिखर पर लाकर शोभा उठ खड़ी हुई. "चल, अब तुझे अपने रस का खजाना दिखाती हूँ. तेरी प्यास बुझाती हूँ, तैयार है ना मेरा सोमरस पीने को?"
प्राची की आँखे चमक रही थी. उसने सिर हिला कर हां कहा. शोभा ने धीरे धीरे अपनी ब्रा और पैंटी उतारी. उसकी वे बड़ी बड़ी चून्चिया प्राची दोपहर को देख चुकी थी फिर भी उन लटके हुए पपीतों को देखकर उसका मन डोलने लगा. और जब शोभा ने पैंटी नीचे की तो जांघों के ऊपर के घने काले रेशमी बालों के त्रिकोण को वह देखती रह गयी. इतनी घनी झान्ट!
"
मेरे बड़े बाल देख रही है ना? अरे मेरी झान्ट बहुत ज़्यादा घनी हैं. पर मुझे अच्छ लगता है इन्हें ऐसा ही रखना. और इनका दीवाना और भी कोई है, मैं बहुत प्यार करती हूँ उससे, उसीके कहने पर मैने इन्हें नही काटा" आकर शोभा सोफे पर बैठ गयी और प्राची को एक बार चूम कर उसे हौले से सोफे के नीचे उतारती हुई बोली "अब बैठ यहाँ मेरे सामने, मेरी
टाँगों के बीच और ताव मार ले मेरे खजाने पर, जितना मान चाहे. जितना देखना है, छूना है, मन भर के सब कर ले. कोई जल्दी नही है. मैं खुद मियाँ मिठ्ठु नही बनती पर मुझे मालूम है कि मेरा खजाना एकदम रसीला और स्वादिष्ट है. टेस्ट करके देख, जितना पीना है पी, खाली नही होगा"
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