RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
अगले आधे घन्टे तक दोनो औरतों मे प्रखर रति हुई पर वह सिर्फ़ सूखी रति थी. एक दूसरे के चुंबन लिए गये, एक दूसरे की चून्चियो को ब्रा के ऊपर से सहलाया और दबाया गया, कभी ब्रा के ऊपर से ही घून्डिया चूसी गयीं. एक दूसरे की बुर को पैंटी के ऊपर से रगड़ने की क्रिया तो निरंतर चालू थी. अपूर्व असहनीय सुख प्राची के अंग अंग मे भर गया था.
शोभा भी आख़िर अपनी इस पड़ोसन को अपने बेडरूम मे लाने मे सफल हुई थी, इसलिए अच्छि मस्त थी पर वह अनुभवी खिलाड़ी थी, अपनी वासना पर उसका अच्छ कंट्रोल था. प्राची अब कामोत्तेजना से रोने को आ गयी थी. उसकी आँखों मे वासना की वह पीड़ा देखकर आख़िर शोभा ने समझ लिया कि इसे अब और तरसाना ठीक नही है. उसने प्राची की गीली पैंटी उतारी और खुद उठ कर प्राची के सामने फर्श पर बैठ गयी. उसे प्राची की चूत पास से ठीक से देखने और उसे प्यार करने की बहुत इच्छा थी पर प्राची की महकती चूत की सुगंध ने उसका मन भी डाँवाडोल कर दिया. इसलिए बिना कुछ समय नष्ट किए उसने प्राची की टांगे फैलाई और अपना मूह प्राची की चूत मे डाल दिया. चूत से बहते छिपचिपे रस को वह चाटने लगी.
उसकी जीभ मे वह जादू था कि इतनी देर तरसति हुई प्राची बस दो मिनिट मे झाड़ गयी. "उई माआआआआआअ मा उईईईईईईईईई ओह ओह्हीईईईईईईईईई " की एक किलकारी के साथ उसने अपने हाथों से शोभा का मूह अपनी चूत पर दबा लिया और अपनी जांघों मे शोभा के सिर को जाकड़ कर आगे पीछे होती हुई कमर हिला हिला कर धक्के मारने लगी. उसकी योनि से अब रस की धार बह रही थी. शोभा ने पूरा फ़ायदा उठाया और मन भर कर उस कामरस का स्वाद लिया.
प्राची का स्खलन इतना तीव्र था कि वह रोने को आ गयी. शोभा ने उसे चुप कराया. सिसकती हुई प्राची बोली "कितना सुख है शोभा तेरी इस जीभ मे, मैं मर जाऊंगी ऐसा लग रह था. आई लव यू शोभा दीदी, अब मुझे अलग मत करना" शोभा ने उसे पुचकार कर चुप कराया और जब वह शांत हुई तो फिर से नीचे बैठकर उसकी चूत देखने लगी. "अब ज़रा ठीक से बैठ प्राची, मुझे देखने दे, आख़िर जिस चीज़ का स्वाद इतना मस्त है वह दिखने मे कैसी है"
शोभा ने उंगलियों से प्राची की चूत के भागोष्ठों को सहलाया और फिर उन्हे खोल कर बड़े गौर से देखा. चूत पर के बाल ठीक से कटे हुए और छोटे थे. भगोष्ठ छोटे थे और उनके ऊपर बीच का क्लिट भी ज़रा सा था, अनार के दाने से छोटा. शोभा बार बार प्राची की बुर को चूम लेती और प्राची के मन मे एक सुख और प्रेम की लहर दौड़ जाती. कितना प्यार करती है शोभा मुझे!
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