RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
पहले उसने अपनी साड़ी निकाली और ठीक से फोल्ड की. उसे अलमारी मे रखा. ऐसा करते करते वह बार बार इधर उधर घूम रही थी और झुक रही थी जिससे लो कट ब्लाउस मे से उसकी सफेद ब्रा की झलक दिख रही थी. ब्लाउस के आगे
के कट मे से उफान कर निकलते हुए स्तनों और उनके बीच की खाई को देख देख कर प्राची के मन की बेचैनी धीरे धीरे और बढ़ रही थी. पेटीकोट के नाडे के नीचे की छोटि स्लिट मे से शोभा की पैंटी दिख रही थी और पैंटी के अंदर की फूली हुई बुर का उभार बीच बीच मे दिखता था.
फिर उसने अपना ब्लाउस निकाला. प्राची उसके स्तन एक बार देख चुकी थी पर फिर भी सफेद ब्रा मे कस के बँधे उन उरोजो को देखकर उसकी उत्तेजना फिर तेज हो गयी. शोभा की इस ब्रा के कप गोलाकार नही बल्कि शंकु जैसे थे जिससे उसकी तो बड़ी बड़ी चून्चिया दो भॉम्पुओं जैसी तन कर खड़ी थी. ब्रा की नोक एकदम नुकीली थी. प्राची सोचने लगी कि कैसा लगेगा अगर वे नोकें उसके स्तनों मे गड़ें!
अंत मे शोभा ने अपना पेटीकोट निकाला. अपने पैर उठाकर उसने पेटीकोट अलग किया और रख दिया. केले के तने जैसी मोटि मोटि मजबूत और चिकनी जांघों को देखकर प्राची का मन हुआ कि अभी जा कर उनके बीच मे अपना सिर फँसा ले या उन्हे चूम ले. पैंटी एकदम तंग थी, जरी सी थी. उसके बीच की पट्टि से बस शोभा की बुर की लकीर और पीछे उसके उन विशाल नितंबों के बीच की लकीर भर छुपा पा रही थी, आधे चूतड़ नंगे थे. सामने से बुर पर की काली घनी झांतें पैंटी के पाते के दोनो ओर से झाँक रही थी.
उस मतवाली नारी का वह रूप, सिर्फ़ एक सफेद ब्रा और पैंटी मे ढके उस साँवले मासल शरीर को देखकर प्राची के मूह से एक सिसकी निकल पड़ी. उसकी वासना अब चरमा सीमा पर थी. उससे नही रह गया और अनजाने मे उसका हाथ अपनी चूत पर चला गया, कि अपनी चूत को रगाडकर किसी तरह से इस मीठी अगन से वह छुटकार पा ले. शोभा ने वह देख लिया और उसे आँखे दिखा कर मना किया कि क्या कर रही है, खबरदार! प्राची की लाज लज्जा अब पूरी तरह से खतम हो चुकी थी. शोभि के उस मतवाले शरीर का उपभोग करने को वह मरी जा रही थी. "शोभा दीदी, ऐसे मुझे मत तरसाओ,
निकालो ना ये ब्रा और पैंटी, मुझे अपने शरीर का कुछ तो रस चखने दो"
शोभा आकर उसके पास बैठ गयी और उसे बाहों मे ले लिया. प्राची को चूमते हुए बोली "मेरी रानी यही तो मज़ा है सेक्स का. अर्धनग्न नारी शरीर कितना लुभावना होता है, यह मैं तुझे समझाना चाहती थी. ब्रेसियर और लिंगरी का बिज्निस फालतू मे ही नही चलता, उसका कारण है. चाकलेट खाने का आधा मज़ा तो उसके उस लुभावने रैपर मे होता है. इसका मज़ा लेना सीख. सारी रात पड़ी है. इन लम्हों का लुत्फ़ प्यार से आराम से लो मेरी प्यारी बहना"
|