RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
दोनो रात को दस बजे घर लौटीं. शाम कैसे निकल गयी प्राची को पता ही नही चला. उसके मन मे एक अजीब सी उत्सुकता, मादकता और डर भरी हुई थी. घर वापस आकर जब वह कपड़े बदलने को अपने घर का दरवाजा खोलने
लगी तो शोभा बोली "प्राची, अब घर क्यों खोल रही है? मेरे यहाँ ही सोने वाली है ना? फिर कपड़े बदलने की क्या ज़रूरत है. चाहिए तो मैं एक गाउन देती हूँ तुझे. पर तुझे उसकी ज़रूरत नही पड़ेगी." और प्राची की ओर देखकर मुस्करा दी.
शोभा ने अपने फ्लॅट का दरवाजा खोला. धड़कते दिल से प्राची शोभा के पीछे पीछे गयी. अंदर से दरवाजा बंद करके लाक करके शोभा उसे हाथ पकड़कर अंदर ले गयी. शोभा के गरम हाथ के स्पर्ष से और शोभा की ज़ोर से चलती साँसों से उसने अंदाज़ा लगाया कि उसकी सहेली कितनी उतावली हो रही थी. चुपचाप सुहागरात मे दूल्हे द्वारा किसी दुल्हन जैसी खिंचीखिंची वह शोभा का हाथ पकड़कर उसके बेडरूम मे दाखिल हुई. दो नारियों के उत्कट प्रेम का खेल अब शुरू होने वाला था.
बेडरूम मे जाकर शोभा ने अंदर से दरवाजा लगा लिया. फिर घूम कर उसने प्राची को बाहों मे भर लिया और उसका एक दीर्घ चुंबन लिया. प्राची ने भी शरमाते शरमाते चुंबन का जवाब दिया और फिर अपनी जीभ शोभा के होंठों पर लगा दी.
शोभा ने मूह खोल कर प्राची की जीभ अपने मूह मे खींच ली और चूसने लगी. उसके हाथ अब प्राची के लो कट ब्लाउस मे से दिखती चिकनी पीठ को सहला रहे थे. चुंबन खतम होने पर शोभा धीरे धीरे प्राची के कपड़े उतारने लगी. शरमाती हुई प्राची आँखे बंद करके चुपचाप खड़ी रही. जल्द ही उसके बदन पर सिर्फ़ ब्रा और पैंटी भर बचे थे. शोभा ने उन्हे हाथ नही
लगाया, वैसे ही रहने दिया. फिर दो कदम पीछे होकर शोभा प्राची के उस अर्धनग्न रूप को देखने लगी.
"क्या दिखती है तू मेरी रानी, वारी जाऊं तुझपर! ये गोरा गोरा बदन और उसपर ये काली ब्रा और पैंटी. देख, टाइट ब्रेसियर की वजह से तेरी चून्चिया कैसी मस्त तन कर खड़ी हैं. आगे उभर आई हैं. अब कोई इन्हें कहेगा क्या कि छोटि हैं? मेरी जान, अब ज़रा गोल गोल घूम, फैशन माडल की तरह और मुझे अपना पूरा बदन दिखा. अगर मैं मर्द होती तो अब तक तुझे पटककर कब की तुझ पर चढ़ गयी होती. पर मुझे तेरे इस कुंदन से बदन का भोग लेना है आराम से, मज़े ले लेकर"
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