RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
दोनो औरते इतनी गरम चुकी थी कि वे कुछ मिनिटो मे स्खलित हो गयीं. प्राची का स्खलन तो इतना तीव्र था कि उसकी एक हल्की चीख निकल पड़ी जो शोभा के मूह मे दब कर रह गयी. शोभा का शरीर भी अचानक तन गया और उसने झड़ते झड़ते प्राची को और ज़ोर से बाहों मे भींच लिया.
दोनो सहेलियाँ कुछ देर तक इस सुख का आनंद उठाति हुई एक दूसरे को प्यार से . हुए पड़ी रहीं. शोभा पहले उठि और अपने कपड़े ठीक करने लगी. उसने ब्रा पहनी और ब्लाउस चढ़ा लिया. वासना शांत होने के बाद जब प्राची ने अपने आप को अर्धनग्न अवस्था मे पलंग पर पाया तो शरम से वह पानी पानी हो गयी. अपने स्तनों को अपने पल्लू मे छुपा कर वह चुप चाप बैठी रही. उस बेचारी को यह कल्पना भी नही थी कि शोभा ने बड़ी चालाकी से उसके कपड़ों पर हुई बातचीत का फ़ायदा उठाकर उसे आज फँसाया था.
कपड़े पहनते पहनते शोभा ने पूछा "क्यों री प्राची, ऐसे मूह लटकाए क्यों बैठी हो? हमने जो किया वह अच्छा नही लगा? अपनी यह सहेली, अपनी दीदी नही पसंद आई तुझे?"
प्राची सिहर कर बोली "शोभा, आज जो सुख तुमने दिया है, वैसा सुख मुझे कभी नही मिला, अपने पति के साथ भी. पर थोड़ा अटपटा लग रह है, हमने जो किया वह ठीक है ना? ग़लत तो नही है? किसी को पता चल गया तो?"
शोभा प्राची के पास आई और उसकी ठुड्डि पकड़कर उसका चेहरा ऊपर किया. उसे प्यार से चूम कर उसकी आँखों मे आँखे डाल कर बोली "किसी को पता नही चलेगा. यहाँ है ही कौन? हम दिन भर अकेली रहती हैं. और हमने जो किया है अपने सुख के लिए है. कुदरत ने हमे यह शरीर दिया है और इच्छाएँ दी हैं, अगर बिना किसी को नुकसान पहूंचाए हम अपने
शरीर की भूख को शांत करते हैं तो इसमे कोई बुराई नही है, यह बात अपने दिमाग़ मे से निकाल दे कि हम ग़लत कर रहे हैं. अब भी अगर तुझे लगता है कि यह ग़लत है तो हम इस बात को यही खतम कर देंगे"
|