RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
प्राची शरमा कर बोली "इसमे बुरा क्या मानना! वैसे लंबे हैं ये मुझे मालूम है. असल मे पहले से ही थोड़े बड़े थे, फिर दर्शन जब छोटा था तो दो साल का होने तक दूध पीता था, मानता ही नही था. और उसकी आदत थी दूध पीने के बाद भी नही छोड़ता था, चूसता रहता था. बड़ी मुश्किल से उसकी यह आदत छुड़ाई, तब से लंबे हो गये हैं."
"खड़े भी हैं तन के देख! मैं अगर तेरे पति की जगह होती तो चूस चूस कर और डबल कर देती" शोभा ने तीर छोड़ा और सहज भाव से अपना हाथ बढ़ाकर प्राची का एक निपल अपनी उंगलियों मे पकड़कर दबा दिया. यह निर्णायक क्षण था इसलिए शोभा धड़कते दिल से देख रही थी कि प्राची की क्या प्रतिक्रिया होती है. अगर वह बिचक गयी तो सारी मेहनत पर पानी फिर जाएगा. पर उसकी शंका निराधार थी, क्योंकि अब तक प्राची उत्तेजित हो चुकी थी. अब तक उसे कभी स्त्रियों के प्रति आकर्षण नही हुआ था. पर पिछले कई सालों से वह बहुत प्यासी थी. उसके पति की अब उसमे ज़्यादा रूचि नही थी, ऊपर से वे बाहर कानपुर मे रहते थे. प्राची का स्वाभाव काफ़ी कामुक था जैसा अक्सर सीधे सादे दब कर रहने वाले लोगों का होता है, बस उसे वे खुल कर प्रकट नही कर पाते हैं.
आज शोभा के स्पर्ष से मानों उसके सब्र का बाँध टूट गया. शोभा की उंगली से निपल दबाते ही उसने आँखे बंद कर ली और एक सिसकारी उसके होंठों से निकल पड़ी.
प्राची का रियेक्शन देखकर शोभा आनंद से झूम उठि. कब से वह इस लम्हे की राह देख रही थी. उसने प्राची का दूसरा निपल भी पकड़ लिया और हल्के हल्के दोनो निपलों को अपनी उंगलियों मे मसलते हुए बोली. "अच्छ लग रह है क्या प्राची? तेरे निपल कितने कड़े हो गये हैं देख! वैसे ऐसा होना एक्साइट होने की निशानी है. देख प्राची, सम्भल जा नही तो मुझे लगेगा कि मेरे छूने से तू गरम हो गयी है! या ये मेरी इन भारी भरकम चून्चियो को देख कर हुआ है! आगे मैं नही जानती बाबा!"
प्राची चुप रही. लज्जा से उसका चेहरा गुलाबी हो गया. पर उसने शोभा की उंगलियों से अपने निपल छुड़ाने की कोई कोशिश नही की. बस सिर झुकाए आँखे बंद करके खड़ी रही और लंबी लंबी सिसकारियाँ लेने लगी. शोभा ने आगे कदम उठाया. शिकार उसके चंगुल मे था. झुक कर उसने प्राची के गाल को चूम लिया.
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