RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
शोभा के कहने पर प्राची ने शरमाते हुए अपनी ब्रा निकाल दी. अब उसका ऊपरी गोरा शरीर नग्न था. उसके गोल मुलायम स्तन शोभा से काफ़ी छोटे थे पर सुडौल थे. अब तक उनमे ज़्यादा ढिलाई नही आई थी, बस ज़रा से लटक रहे थे. पर उसके गहरे भूरे रंग के निप्पल एकदम लंबे थे. करीब करीब एक छोटि मूँगफली जितने. निपलों के चारों बाजू के गोल भी काफ़ी बड़े थे, टी कोस्टर जैसे.
शोभा भी अब बहुत उत्तेजित थी पर किसी तरह से अपने मन की भावना दबा कर रखी थी. उसकी योनि एकदम गीली हो गयी थी. जांघों पर बह आए पानी का गीलापन उसे महसूस हो रह था. कितने दिनों से शोभा को इस क्षण की प्रतीक्षा थी. आज शायद मन की मुराद पूरी होने वाली थी!
असल मे उसने जब से प्राची को तीन महने पहले देखा था तभी से प्राची उसे बहुत भा गयी थी. उन ढीले ढाले कपड़ों और बहनजी जैसे पहनावे के नीचे छुपी प्राची की सुंदरता उसने कब से परख ली थी. प्राची को बाहों मे लेकर उससे रति करने की उसकी प्रबल इच्छा थी. जब वह कल्पना करती कि प्राची उसकी बाहों मे है तब उसकी बुर गीली होने लगती. कब से वह इसी ताक मे थी कि कैसे अपनी इस आकर्षक पड़ोसन को फँसाया जाए.
अब जब शिकार हाथ मे आने को था वह बहुत उत्तेजित थी. उसका पूरा प्लान था कि क्या करना है. पर जल्दबाजी मे कही हाथ आया यह खजाना ना छूट जाए, यह सोच कर उसने अपना चेहरा निर्विकार रखा और टेप प्राची के स्तनागरों पर लगाकर फिर से नाप लिया. नाप लेते लेते उसकी उंगलियाँ प्राची के निपालों को छू रही थी. प्राची की उत्तेजना और बढ़ने लगी.
"सैंतीस. याने चौंतीस से तीन इंच ज़्यादा. याने तेरा कप हुआ सी. पैंतीस कप सी. मेरी मान तो इस हिसाब से तुझे एक साइज़ छोटि, चौंतीस कप ब़ी ब्रा पहनना चाहिए, एकदम टाइट बैठेगि और बहुत सुंदर दिखेगी. पर प्राची एक बात पूछूँ, पर्सनल, बुरा तो नही मानेगी?"
"नही दीदी, तुम्हारी किसी बात का मैं बुरा नही मानूँगी, तुम तो मेरी दोस्त हो" प्राची बोली.
"तेरे निपल बहुत लंबे हैं. खूबसूरत दिखते हैं. लगता है तेरे पतिदेव की ख़ास मेहरबानी है इनपर, खूब खींचते होंगे. या चूसते होंगे? है ना? देख मज़ाक कर रही हूँ, बुरा मत मानना" शोभा ने हँसते हुए कहा. वह प्राची के सामने बिलकुल पास खड़ी थी, प्राची की निगाहें अब भी बार बार उसके उरोजो पर जा रही थी.
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