RE: Kamukta Story पड़ोसन का प्यार
प्राची इसलिए जब शोभा के नपे तुले शरीर को देखती तो उसके मन मे आता कि मैं ऐसी क्यों नही हूँ! शोभा उससे सात आठ साल बड़ी होगी, रंग भी सांवला था, काफ़ी गहरा सांवला. बदन मोटा नही था फिर भी अच्छ ख़ासा बड़ा और ऊँचा पूरा था, फिर भी शोभा दिखने मे एकदम आकर्षक लगती थी.
उस दिन दोनो मे यही चर्चा हो रही थी. टिप टॉप कपड़ों के महत्व के बारे मे जब शोभा बोली तो प्राची को बात जच गयी. उसकी निगाह फिर से शोभा के पूरे बदन पर घूमने लगी. शोभा हमेशा बड़े अच्छे कपड़े पहनती थी और खुद का बहुत ख़याल
रखती थी. एकदम सलीकेसे बाँधी हुई नाभि दर्शन साड़ी, बहुत करके स्लीवलेस ब्लाउस जिसमे से मरमरि बाँहें सॉफ दिखें और पल्लू के पतले कपड़े मे से दिखता हुआ उन्नत उरोजो का उभार, ऐसा रूप था शोभा का.
इसलिए वह हमेशा अच्छि लगती थी. उसके ब्लाउस आगे और पीछे से लो कट होते थे जिसमे से उसकी चिकनी पीठ और उरोजो के ऊपरी भाग का उभार दिखता था. ब्लाउस के बारीक कपड़े मे से शोभा की कस कर बाँधी हुई ब्रा के स्ट्रैप दिखते थे, जो उसकी पीठ के मास मे गढ़े होते थे. शोभा हल्की लिपस्टिक लगाती थी और बाल अक्सर एक जूडे मे बाँधती थी जिसमे वह मोगरे की वेणि भी लगा लेती. उसके साँवले रंग के कारण उसकी लाल लिप्स्टिक अक्सर जामुनी दिखती थी पर सब मिलाकर शोभा का रूप ऐसा मादक होता था कि काफ़ी मर्द उसे नज़र गढ़ाकर देखते थे, यह प्राची ने अक्सर गौर किया था. शोभा के उस रूप पर उसे बड़ी ईर्ष्य होती थी.
ठीक इसके विपरीत प्राची अपने रहन सहन और पहनावे पर ज़रा भी ध्यान नही देती थी. ढीली ढाली लपेटी हुई साड़ी, एकदम ढीला और बिना नाप का ब्लाउस और बहनजी जैसी दो चोटियाँ! इनमे वह कितनी अनाकर्षक दिखती थी इसका उसे एहसास हो चला था. मन मे एक न्यूनता की भावना, इन्फीरियारिटी कॉंप्लेक्स, आ गया था. एक अजीब उदासी उसके मन मे घर कर गयी थी.
प्राची की आँखों मे झलकती उदासी देखकर शोभा उसे प्यार से बोली "सुन प्राची, तू असल मे दिखने मे बहुत सुंदर है. गोरी है, तेरी त्वचा पर अब भी जवानी की चमक है. बुरा मत मानना अगर मैं सॉफ सॉफ बताऊं तो. कितने ढीले ढाले कपड़े पहनती है तू, वह ब्लाउस देख, कैसा अजीब सा है, बिना नाप का. और तेरी ब्रेसियार भी बहुत ढीली है, पीछे से स्ट्रप लटक रहे हैं. मेरी मानो तो अच्छि मॅचिंग ब्लाउस सिला लो, साड़ियाँ एक दो बहुत अच्छि हैं तेरे पास, जैसे कल पहनी थी. ब्लाउस मेरे दर्जी से सिला लो चाहिए तो. और नयी ब्रेसियार खरीद लो, नाप की. ज़रा अच्छे नये फॅशन की. बालों की स्टाइल बदल लो. फिर देखना कैसे रूप खिल उठता है तेरा. अगर तू चाहे तो मैं चलूंगी तेरे साथ शॉपिंग को."
प्राची को बात जच गयी. मन मे अच्छ भी लगा कि शोभा कितनी आत्मीयता से बात कर रही है. उसके स्वर मे अब थोड़ा उत्साह था "आज ही जाती हूँ, सच मे तुम चलोगि शोभा? याने मेरे साथ चलने को टाइम है ना तुम्हारे पास?"
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