Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 03:03 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
“अब हटो भी किती देर से ऊपर पड़े हो ”

मैं साइड में लेट गया वो उठी और नंगी ही कमरे से बाहर चली गयी करीब पन्द्रह मिनट बाद आई शायद फ्रेश होने गयी थी वापिस मेरी बगल में लेट गयी मैंने अपना हाथ उसके थोड़े फुले हुए पेट पर रख दिया वो मुझसे चिपक गयी खेलने लगी मेरे लंड से , उसके हाथो का कामुक स्पर्श पाकर मैं फिर से मचलने लगा 


“जानते हो देव, करीब दो साल बाद आज मैंने सेक्स किया है ”

मैं- अच्छा लगा 


वो- बहुत 


मैं- जानती हो जब पहली बार तुम्हे देखा था तभी मर मिटा था तुम पर 


वो- गीता ने बताया था मुझे की कितना पेला है तुमने उसको पिस्ता तो हमेशा मेरे साथ रहती थी पर मजे अकले ले गयी वो 


मैं- उसकी बात सबसे अलग है पता नहीं कब मैं उस से इतना जुड़ गया 


अवंतिका ने एक बार फिर से खिलोने को मुह में ले लिया था और चूसने लगी थी उसकी हरकतों की वजह से मैं फिर से उत्तेजित हो रहा था जल्दी ही हम दोनों 69 में आके एक दुसरे के अंगो का रसपान कर रहे थे उसकी गांड को सहलाते हुए मैं उसकी चूत का पानी पी रहा था बार बार उसके चुतड हिलते धीरे धीरे मैं उसकी गांड के छेद से खेल रहा था जल्दी ही उसके थूक में सना मेरा लंड एक बार इर से तैयार था उसकी भोसड़ी से टक्कर लेने को 


मैंने उसको घोड़ी बनने को कहा और उसके पीछे आ गया वास्तव में ही उसकी गांड गीता की 44 इंची गांड के बराबर ही थी कम बिलकुल ही नही थी शायद ताई की फिटनेस जबर्दस्त थी इसलिए उनका बदन ज्यादा सुडौल था मैंने अपने लंड को चूत पे टिकाया और फिर शुरू हो गए हम दोनों अवंतिका जब मैं रुक जाता तो अपनी गांड को आगे पीछे करती मैं उसके कुलहो को थामे इत्मिनान से उसको चोद रहा था कभी कभी मैं ब्द्र्दी से तेज तेज झटके लगा तो कभी बिलकुल आराम से 


पूरी मजबूती से उसकी कमर को थामे मैं उसको पूरा मजा दे रहा था उसकी सांस फूल आई थी पर वो लगी हुई थी उसने अपने धड को नीच कर लिया और चूतडो को खूब ऊपर कर लिया जिस इ मैं अब आसानी से उसकी चूत मार रहा था चूत के आस पास वाला पूरा हिस्स लाल हुआ पड़ा था बड़ा सुंदर लग रहा था करीब दस मिनट बाद मैं वहा से हट गया अब मैं निचे था वो मेरे लंड पर बैठी थी और अपनी गांड हिला रही थी उसके दोनों हाथ मेरे सीने पर थे ऐसा लग रहा था अब वो मुझे चोद रही थी 


मैंने उसकी चूची पीना शुरू किया तो अवंतिका और मस्त गयी और जोर जोर से अपनी गांड को पटकने लगी जैसे जैसे मैं उसकी चूची पी रहा था वो और मस्त रही थी और उसकी रफ्तार भी बढ़ रही थी करीब पांच मिनट बाद उसने मुझे ऊपर आने को कहा और फिर से वो चुदने लगी उसकी पकड़ टाइट होते जा रही थी मेर जिस्म पर अवंतिका की सांस काफी फूल गयी थी और फिर लगभग चीखते हुए ही वो झड़ने लगी इस बार थोडा ज्यादा झड़ी थी वो रुक रुक कर वो झड़ रही थी और मैं तेज धक्के मारते हुए उसके इस सुख को कई गुना बढ़ा रहा था 


झड़ने के साथ ही उसने मुझे इस तरह अपनी बाहों में कस लिया की मैं ज्यादा देर बर्दाश्त नहीं कर पाया एक बार फिर से मेरे गर्म वीर्य ने उसकी योंनि को भर दिया मिलन का एक दुआर और संपन्न हुआ बुरी तरह से थके हुए हम लोग एक दुसरे की बाहों में पड़े रहे गला सुख गया था मैंने उस से कुछ पीने को कहा तो वो बोली अभी लाती हु 
मैंने तकिये को एडजस्ट किया और बेड के सिराहने से अपना सर टिका दिया अवंतिका को भी पा लिया था मैंने सची ही तो कहती थी नीनू साला सारा कुनबा ही थर्कियो का है घर में दो दो लुगाई थी तब भी बाहर मुह मार रहा था था पर मेरे ये रिश्ते भी अजीब थी हर कोई मेरा अपना ही था कम से कम मैं तो ऐसा ही मानता था कुछ देर बाद अवंतिका आई मैंने थोडा पानी पिया 


“कुछ खाओगे ”

मैं- तुम्हे 


वो- हाँ वो तो खा लेना इतनी मेहनत की है थोड़े थक गए हो 


मैं- कहा ना अभी बस तुम्हे ही खाना है 


मैंने उसको इशारा किया तो वो मेरी गोद में आके बैठ गयी मेरा लंड उसकी गांड की दरार पर सेट हुआ पड़ा था मैं उसके बॉब को फिर से मसलने लगा 


वो- तुम कभी थकते नहीं हो ना 


मै- अपना ऐसा ही है और वैसे भी तुम जब साथ हो बस एक रात के लिए तो फिर तुम्ही बताओ मैं कैसे रुकू 
मैंने उसकी गर्दन को चूमना शुरू किया वो मचलने लगी जल्दी ही उसकी चूचियो के निप्पल फिर से कडक होने लगे थे पर इस बार मेरा इरादा कुछ और था मेरा दिल आ गया था उसकी गांड पर जैसे ही मेरा लंड तना वो मेरी गोद से उठ गयी मैंने उसे उल्टा लिटा दिया बिस्तर पर और उसकी गांड के भूरे छेद से खेलने लगा 


“तुम मर्दों, को ये इतना क्यों भाति है ”

मैं- बस अच्छी लगती है तुम्हारे इतने मोटे चुतड देख कर मैं खोद को रोक नहीं पा रहा हु 


वो- ड्रावर म वसेलीन पड़ी है निकाल लो वर्ना कल चालला भी नहीं जायेगा मुझसे 


मैंने वेसलीन ली और खूब सारी उसके छेद पर लगाई इर अपनी ऊँगली को गांड ममे डाल के अंदर बाहर करने आगा अवंतिका अपने चुत्डो को कसने लगी 


“इतना जोर से मत घुमाओ ऊँगली को देव दर्द होता है मैं तुम्हे करने को मना नहीं कर रही पर प्यार से ”

मैं कुछ देर तक ऐसे ही ऊँगली से उसकी गांड स्से खेलता रहा फिर मैंने कुछ जेल अपने लंड पर भी लगाई और उसको अवंतिका की गांड पर रख दिया उसने अपने हाथो से अपने कुलहो को फैलाया और मैंने दवाब डालना शुरू किया 


“तुम्हारा बहुत मोटा है आराम से डालो आःह्ह्ह्ह धीरे ”

“बस हो गया हो गया ”

जैसे ही मेरा सुपाडा गांड को फैलाते हुए अंदर घुसा अवंतिका दर्द के मरे ज्यादा परेशान हो गयी पर उसको भी पता था दो मिनट की बाद है धीरे धीरे बड़े प्यार से मैंने पूरा अन्दर डाल दिया और बस उसके ऊपर लेट गया और उस से बाते करने लगा उसके गालो को चूमने लगा करीब पांच मिनत बाद मैंने अपनी कमर उच्कानी शुरू की और उसने दर्द भरी सिस्कारिया लेना चालू किया 


जल्दी ही अवंतिका भी मजे लेने लगी और मैं अब तेज तेज धक्के लगते हुए उसके पिछवाड़े का मजा ले रहा था बस अगर कुछ था तो हवस जो हमारे जिस्मो को नचा रही थी अपनी ताल पे मेरी गोलिया हर धक्के पे उसके मुलायम कुलहो पर टकराती अवंतिका की गांड बहुत ही टाइट थी मुझे लगा की कही मेरा लंड छिल ना जाए पर ऐसी गांड पर ही तो लंड की मजबूती नाप जा सकती थी करीब बीस बाईस मिनट तक उसकी गांड जम के मारी और फिर मैंने अपना पानी वही छोड़ दिया

उस पूरी रात हम दोनों ने एक पल के लिए भी आँखे नहीं मीची बस चुदाई ही चुदाई चलती रही जब मैं जाने लगा तो उसने कहा की नाश्ता करके जाओ वो भी अकेली है थोडा अच्छा लगेगा और जल्दी ही हम नाश्ता कर रहे थे तभी मेरी नजर वहा लगी एक पेंटिंग पर पड़ी शायद कोई राजस्थानी पेंटिंग थी जिसमे तीन राजा लग रहे थे 



मैं- अवन्तिका, ये पेंटिंग किस की है 



वो- ये त्रिदेव है ससुर जी लाये थे इस पेंटिंग को तीन भाइयो की तस्वीर है बस इतना ही पता है मुझे वैसे अच्छी है ना 
मैं- हाँ ऐसा लग था है की अभी बोल पड़ेंगे पुराने ज़माने की शान ही और होती थी त्रिदेव वाह क्या बात है 



फिर ऐसे ही हलकी फुलकी बाते करते हुए हम नाश्ता करते रहे और तभी चाय का कप मेरे हाथो से छुट गया ओह तेरी त्रिदेव तो ये बात थी मैं भी कितना बुद्धू था मुझे ये बात पहले ही समझ जानी चाहिए थे ओह मेरे रब्बा हद है यार, अगर वहा वो सब हुआ तो मान ग

या पिताजी ने बहुत सोचकर वहा पर छुपाया होगा मैं जैसे ख़ुशी से नाच ही था था मैंने अवंतिका के होंठ चूम लिए 
“क्या हुआ देव ऐसा क्या मिल गया बताओ तो सही ”


मैं- अवंतिका तुम नहीं जानती तुमने अनजाने में मेरी मदद कर दी है अगर सचमुच वैसा हुआ जैसा मैं सोच रहा हु तो गजब हो जायेगा ओह मेरी जान अवंतिका तुम सस्च में गजब हो यार कल मेरा यहाँ आना और इस तस्वीर को देखना त्रिदेव, कसम से जान अभी जाना होगा शाम को इंतज़ार करना मेरे फ़ोन का भी मुझे जाना होगा मिलते है 
उसको वहा छोड़कर मैं सीधा घर आया और सबको मेरे साथ आने को कहा साथ ही कहा की खुदाई का सामान भी ले ले 



पिस्ता- कुछ बताओ तो सही कहा जाना है 



मैं- चुप रहो बस चलो मेरे साथ 



मैंने सबको गाडी में बिठाया और गाड़ी को भगा दी करीब आधे घंटे बाद हम लोग उसी जमीन पर थे जहा ये सब खेल शुरू हुआ था गाडी तो आगे जा सकती नहीं थी उसको वही खड़ी किया और अब करीब दो कोस पैदल चलते हुए जा रहे थे 



नीनू- देव, हम वापिस इस जगह क्यों 



मैं- खुद ही देख लेना अगर मेरा अंदाजा सही है तो मैंने अपना हिस्सा ढूंढ लिया है 



“क्या ”वो तीनो एक साथ चिल्लाई 



मैं- क्या हुआ चुप नहीं रह सकती क्या अभी मेरा अंदाजा ही है बस पर तीर लग गया तो पार ही है 



नेनू- पर कैसे 



मैं- चलो तो सही पहले 



सबलोग एकदम से रोमांचित हो गए थे थे जोश जोश में हम वहा पहुचे पूरा बदन पसीने से भीगा पड़ा था पर अब किसे गर्मी लगनी थी और फिर हम वहा आये जहा पर वो तीन पेड़ थे , त्रिदेव ही तो थे वो तीन बरगद के पेड़ एक जड से निकले हुए जैसे तीन भाई एक माँ की कोख से पैदा होते है 



मैं- देखो मैंने कहा था ना की इन पेड़ो में कुछ तो अजीब बात है और वो अजीब बात ये है की ये त्रिदेव है 



पिस्ता- पहेलियाँ क्यों बुझा रहे हो साफ साफ क्यों नहीं बताते 



मैं – खजाने का आधा हिस्सा इनमे इ किसी एक पेड़ के निचे या अस पास है 



नीनू- देव, हम चबूतरे के पास खोद चुके है और जानते हो ना हमे क्या मिला था 



मैं- एक चीज़ होती है किस्मत नीनू पर ये सारी बाते खोखली हो जाएँगी अगर वो चीज़ हमे नहीं मिली जिसकी हमे तलाश है तो इस चबूतरे को बिलकुल मत छेड़ना और बाकी जगहों पर खोदना शुरू करो अब थोड़ी मेहनत तो कर ही सकते है तो चलो शुरू हो जाओ 
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