Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:54 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
मैंने तभी ata को फ़ोन लगाया और अपना परिचय देते हुए पासपोर्ट के जानकारी मांगी तो जल्दी ही पता चल गया की डुप्लीकेट नहीं लिया गया और उस पासपोर्ट से लास्ट यात्रा दुबई से इंडिया की ही थी उसके बाद उसका उपयोग नहीं किया गया , तो मतलब साफ था की कंवर आया था पर वापिस गया नहीं अब दो ही बाते थी या तो उसको कैद करके रखा गया है या फिर उसको मार दिया गया है
दिमाग का दही हो गया था मैं गाँव आया था की अपनी उलझने सुलझा सकू पर यहा तो कहानी ही अलग थी अब करे तो क्या करे कुछ समझ आये न सवाल पे सवाल थे पर जवाब कुछ नहीं मिल रहा था गाँव वालो से भी कुछ मदद नहीं मिल रही थी बल्कि उनकी नाराजगी झेलनी पड़ रही थी क्योंकि पिस्ता मेरी पत्नी बनके रह रही थी और गाँव की लड़की को बस बहन-बेटी ही समझा जाता है तो कई लोगो ने ऐतराज़ किया था और इस बात को लेके पंचायत करने की बात कही थी अब सामने तो कोई बोलता नहीं था पर पीछे से लोग चर्चा करते थे पर उन को कौन समझाता की हम किन हालातो से गुजर रहे है 


ये और एक मुसीबत आन पड़ी थी खैर भाड़ में जाये पंचायत पर ये कहना आसान था गावं के भी अपने कायदे कानून थे तो इंतजार था कब सरपंच आये और पंचायत लगे पर मेरे लिए उस से ज्यादा जरुरी था की उस बात का पता करू की आखिर ऐसी कौन सी वजह थी जिसकी वजह से मेरे पुरे परिवार को तबाह कर दिया गया आखिर कौन था मेरा वो दुश्मन खैर इनसब के बीच एक दिन पटवारी का फ़ोन आया तो उसने बताया की मेरा काम हो गया है एक बार मिल लू उस से तो मैं मिलने चला गया उसने पूरी जमीं का नक्शा दिया मुझे और बारीकी से हर बात बताई 



कितनी मेरी पुश्तैनी जमीन थी कितनी हमने खरीदी थी हर एक बात की डिटेल थी अब मेरे पास हां एक बात और साफ हो गयी थी की जो जमीन रतिया काका अपनी फर्म बनाके यूज़ कर रहे थे वो हमारी ही थी , तो बिमला उनसे जायज ही मांग कर रही थी उसके आलावा जंगल की परली तरफ करीब 100 एकड़ बंजर जमीन थी जिसे पिताजी ने इसलिए ख़रीदा था की उसे खेती लायक बना लिया जाये तो वो खूब फलती मैं और पिस्ता उन जमीनों के बारे में ही चर्चा कर रहे थे 


मैं- पिस्ता, एक बात तो पक्की है की ये जो भी जमीन खरीदी गयी उतना पैसा हमारे पास कभी भी नहीं था मतलब की अमीर थे पर इतने भी नहीं पिताजी और चाचा सरकारी नौकरी में थे ताऊ फ़ौज से रिटायर ऊपर से कितनी ही पीढियों से सरपंची हमारे पास थी पैसा था पर मैं फिर से कहता हु की इतना नहीं था पिताजी हमेशा सादगी पसंद थे सोच समझ कर चलते थे 


पिस्ता- देव, देखो मैं ये नहीं कह रही की ऐसा ही है पर सरपंची में गाँव का जो पैसा आता है उसमे थोडा बहुत तो सब सरपंच खाते है तो क्या पता .........


मैं- पिस्ता, हो सकता है पर उस ज़माने में सरपंचो को मिलता ही कितना होगा 


पिस्ता- यही भूल कर रहे हो देव, तुम आज भी कई रईस है जो बस ऐसे ही पुराने पैसे को दबाये हुए है कई बार होता कुछ और है और दीखता कुछ और है 


मैं- तो फिर ठीक है कल एक काम करते है तुम ग्राम पंचायत के कार्यालय जाओ और पिछले 20 साल का गाँव में जो जो काम हुए कितना पैसा लगा गाँव में रिकॉर्ड लाओ और हां, साथ ही कितना रुपया अलोट हुआ था सब की डिटेल लाओ कोई चु चा करे तो मेरा परिचय देना मैं कल कचेहरी जाता हु जब जमीं खरीदी है घर वालो ने तो कोई बेचने वाला भी होगा उसको रकम कैसे दी गयी वो भी पता चल जायेगा 


पिसता- ठीक है कल जाती हु वैसे देव एक बात पे गौर की तुमने जब कागजों में इतनी जमीं है तो उनकी रजिस्ट्री कहा है मेरे ख्याल से हमने पुरे घर को चेक किया है कुछ डोक्युमेंट मिले है पर रजिस्ट्री नहीं मिली 


पिस्ता की इस बात ने मेरे दिमाग में धमाका कर दिया था क्या बात पकड़ी थी अब कागज कहा गए चलो खेतो के और घर के कागज़ बिमला और गीता ताई के पास थे पर ये जो जमीन खरीदी गयी थी इनके कागज़ कहा थे दिमाग घूम गया खैर कल कुछ तो पता चल ही जाना था इस बीच नीनू का फ़ोन आ गया था वो कल आ रही थी चलो ये भी अच्छी बात थी उसके आने से मुझे सहारा ही मिलना था खैर, कुछ सोच के मैंने बिमला के घर जाने का सोचा क्या पता आ गयी हो तो मिल लूँगा आज नहीं तो कल मिलना ही 


मैं कोठी पे पंहुचा तो पता चला की वो नहीं आई है तो चला वहां से , मैंने गौर किया कोठी नहीं वो तो एक आलीशान बंगला था साला दुनिया ने ही तरक्की कर ली थी हम ही थे जो आज भी लकीर के फ़क़ीर बन के रह गए थे , सोचा की थोडा पैक शेक लगा लू तो गाडी को ठेके की तरफ मोड़ दिया , मैंने अपना सामान लिया और चलने लगा तो मुझे वहा पर राहुल मिल गया फिर हम वही बैठ गए बातो बातो में उसने मेरी ज़मीनों का जिक्र कर दिया की भाई अगर बेचनी है तो हमे दे दो 


मैं- सोचता हु यार, 


वो- भाई इसमें सोचना क्या है जब अपने सोच लिया है की बेचना है तो किसी और को क्यों हम तो घर के ही है और वैसे भी आप्के न होने पर हम ही तो देख रहे थे 


मैं- तू टेंशन ना ले मैं पहले तेरा ही ध्यान रखूँगा 


वो- भाई एक बात और बतानी थी आपको 

मैं- बता 


वो- वो उस गीता को ज्यादा सर चढ़ा रखा है आपने 


मैं- क्या किया उसने 


वो-भाई आप तो जानते ही हो की वो अपने दुश्मनों की ज्यादा करीबी है आपने उसे जमीन भी दे दी वो विश्वाश के लायक नहीं है 


मैं- तुझे ऐसा क्यों लगता है 


वो- भाई उसकी अवंतिका के परिवार से ज्यादा पट टी है वोटो में भी वो अपने से खिलाफ रहती है अपने भाईचारे में भी नहीं मिलके रहती वो पिछली बार जब बिमला सरपंच बनी जब वोटो में भी गीता ने खूब पंगा किया था 


मैं- बता ज़रा 


वो- पता नहीं वोटो से करीब महीने पहले की बात है गाँव में किसी के यहाँ शादी थी तो वहा पर दोनों का पंगा हो गया था बिमला ने उसको धमकी दी थी उसके करीब हफ्ते भर बाद ही हरिया काका की मौत हो गयी थी तो गीता ने बिमला पे आरोप लगाया पुलिस तक बात गयी पर कोई सबूत नहीं मिला 


मैं- उसके बाद 


वो-फिर वोटो में गीता ने किसी और के वोट डाल दिए फर्जी तरीके से तो बिमला ने धर दिए उसके दो तीन तब से कुछ ज्यादा ही पंगा चल रहा है 


मैं- कोई ना वोटो में ऐसा तो होता रहता है और फिर उसकी मर्ज़ी वो अपना वोट किसे भी दे कोई जबरदस्ती तो है नहीं 


वो- वो तो है भाई , पर मैं कह रहा हु वो ठीक औरत नहीं है उसे इतना मुह मत लगाओ 


मैं- ध्यान रखूँगा आगे से , कल तू फ्री हो तो मेरे साथ चलना 


वो- भाई कल कही नहीं चल सकता कल के लिए माफ़ी दो 


मैं- क्या हुआ कल 


वो- मंजू को लेने उसके ससुराल जाना है कल 


मैं- कोई बात नहीं 


उसके बाद कई देर तक यहाँ वहा की बाते करते हुए हम दारू पीते रहे उसके बाद मैं चलने ही वाला था की मुझे ध्यान आया की कल घरवाले आने वाले है तो क्यों न कुछ मिठाई और दूसरा सामान ले लिया जाए तो मैंने गाड़ी शहर की तरफ मोड़ दी बाज़ार बंद होने को ही था पर कुछ दुकाने मिल ही गयी खरीदारी करके मैं गाँव की तरफ आ रहा था , बस कोई २ किलोमीटर का ही फासला रहा होगा की अचानक से दो गाड़िया मेरी गाड़ी के आगे लग गयी

और अगले ही पल मेरे हाथ में मेरी गन थी बस इसका ही तो इंतज़ार था मुझे दो पल के लिए मैं शांत बैठा रहा वो लोग भी उतरे मैंने दरवाजे को हल्का सा खोला और उसकी आड़ लेते हुए उतर ही रहा था की उन लोगो ने फायरिंग शुरू कर दी तो मज़बूरी में मुझे अन्दर होना पड़ा वो लोग अंधाधुंध गोलिया बरसा रहे थे गाड़ी का शीशा टूट गया अब ऐसे तो कोई न कोई गोली लग ही जानी थी तो मैंने काउन्टर फायरिंग शुरू की बात बस यही थी की या तो खुद मरो या दुश्मन को मार दो 


और यही करना था मुझे अब देव ऐसे हमलो की चपेट में नहीं आने वाला था और जल्दी ही कुछ लोग धरती पर पड़े थे मेरा दारू का नशा कब का गायब हो गया था कुछ लोग घायल थे और कुछ निकल लिए थे ऊपर को मैंने सबसे पहले पुलिस को फ़ोन किया और एक एम्बुलेंस के लिए भी कहा क्योंकि अब ये लोग ही बताने वाले थे की मुझपर हमला क्यों किया , तभी मुझे ख्याल आया मैंने पिस्ता को फ़ोन लगाया और बोला की घर के हर दरवाजे खिड़की को बंद कर ले ,


और पूरी तरह मुस्तैद हो जाये वो भी तो अकेली थी मैंने फिर अवंतिका को फ़ोन किया पिस्ता की हिफाज़त के लिए बोला तो उसने कहा की दस मिनट में वो और उसके आदमी घर पहुच जायेंगे , पुलिस मेरी उम्मीद से ज्यादा जल्दी आ पहुची थी मैंने बाकि की कार्यवाई की उसके बाद गाँव के लिए चल पड़ा पिस्ता को सकुशल देख के मुझे चैन की साँस आई अवंतिका ने पुछा तो मैंने तसली से पूरी बात बताई वो भी तेनिओं में आ गयी थी हाँ पर एक बात तो पक्का थी की हमला सुनियोजित था किसी ने मुझे फॉलो किया था अब मैं उस टाइम शहर जा रहा हु ये बात मैंने ठेके पे राहुल को बताई थी 


तो शक की सुई उसकी तरफ घूम गयी थी अब दो बाते थी या तो राहुल ने ये काण्ड किया था या फिर कोई सच में ही मेरी पल पल की जानकारी ले रहा था मुझे हद से ज्यादा निगरानी में रख रहा था , पिस्ता का दिमाग घुमा हुआ था उसने उसी टाइम राहुल को धरने का कहा पर मैंने उसको रोका ,अवंतिका ने भी राहुल से पूछने का कहा पर मेरे दिमाग में कुछ और चल रहा था अब समय था दुश्मन से दो कदम आगे रहने का , मैंने अवंतिका से कहा की कुछ आदमियों का इंतजाम करो जो हर समय मेरे घर की सुरख्षा करे क्योंकि परिवार आने वाला था और मैं हर समय उनके साथ रह नहीं सकता था 



मैंने अपनी योजना बना ली थी बस अब इस शतरंज के खेल में मुझे अपनी चाल चलनी थी हमारी बातो बातो में रात बहुत हो गयी थी अवंतिका को घर जाना जरुरी था तो मैंने उसे कहा की कल उसे मेरे साथ चलना होगा कही तो उसने मना कर दिया दरअसल उसको किसी काम से कही जाना था दो तीन दिन बाद के लिए उसने हां कहा , अवंतिका के जाने के बाद मैं और पिस्ता बाते करते करते सो गए थे , सुबह ही मुझे पुलिस स्टेशन से फ़ोन आ गया था तो मुझे जाना पड़ा कुछ कार्यवाई थी उन्होंने पुछा किसपे शक है तो मैं किसका नाम लेता पर उन्होंने मुझे आश्वस्त किया की हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होते ही उन गुंडों को रिमांड पे लिया जायेगा 


मुझे अपने दुश्मन से मिलने की बड़ी बेकरारी हो रही थी मैं बस ख़तम करना चाहता था सब कुछ पर साला कुछ पता ही नहीं चल रहा था की ये हो क्या रहा है , तो मैंने मामी को एक बार फिर से टटोलने की सोची , मैंने फ़ोन मिलाया तीन चार घंटी के बाद उन्होंने फ़ोन उठाया 


मैं- मामी, मिलना चाहता हु 

वो- ठीक है बताओ कब 

मैं- अभी 

वो- ठीक है बताओ कहा मैं आ रही हु 

मैं- गाँव की परली पार जो खेत और जमीन चाचा की है वहा पर 


वो- ठीक है घंटे भर में पहुच जाउंगी 


उसके बाद मैंने पिस्ता को फ़ोन किया की मैं एक जरुरी काम से जा रहा हु आने में थोड़ी देर हो जाएगी तुम सुरक्षा का ध्यान रखना मेरा जी तो नहीं चाहता तुम्हे अकेले छोड़ने का पर मज़बूरी है 


पिस्ता- तुम अपना काम करो मेरी फिकर मत करो 


मैं- खयाल रखना 


शाम घिरने लगी थी , मैं भी अब ठिकाने की तरफ चल पड़ा था पता नहीं क्यों मामी ही मुझे उस भवर से पार लगाये गी ऐसा लग रहा था मुझे मैं वहा पंहुचा तो मैंने देखा की खेत खलिहान अब बंजर हो रखे थे ऐसा लगता था की जैसे पता नहीं कबसे खेती नहीं की गयी सब उजाड़ सा पड़ा था जगह जगह झाडिया उग आई थी कुछ पेड़ थे कुल मिला की अब कुछ नहीं बचा था यहाँ पे , मैंने आस पास का पूरा जायजा लिया फिर कुवे पर गया यहाँ पर दो कमरे बने हुए थे पर देखने से ही पता चलता था की बीते बरसो में शायद ही यहाँ किसी के कदम पड़े हो 


मैं कुवे की तरफ गया और झाँक कर देखा पानी झिलमिला रहा था अन्दर कुछ कबूतरों ने अपना आशियाना बना लिया था मेरे दिमाग में सवाल आने शुरू हो गए खेती से हमारी खूब कमाई होती थी मान लो की चाचा का इंटरेस्ट नहीं था तो भी जमीन किसी को किराये पर दे सकता था अब आदमी आमदनी को क्यों ठुकराए गा वो नोकरी भी छोड़ चूका था ठीक है बिजनेस था पर उसके लिए कौन सा कुबेर का खजाना ढूंढ लिया था उसने ये सवाल किसी दीमक की तरह मुझे खोखला कर रहा था की आखिर मेरे परिवार के पास छप्पर फाड़ के धन कहा से आ गया था जो उन्होंने हद से ज्यादा जमीन खरीद ली थी 



चाचा ने जमीन का एक इंच का टुकड़ा भी नहीं बेचा था फिर भी उसने गहनों का व्यापर शुरू किया मैं अपने सवालों मे गुम था की दूर से धुल उडाती एक कार आती दिखी जो जल्दी ही मेरी तरफ आके रुक गयी मामी उतरी और मेरी तरफ बढ़ने लगी काली साडी में गजब लग रही थी एक पल को मेरे मन में चोदने का विचार आ गया , वो आके मेरे गले लग गयी उनकी छातियो ने मेरे सीने पर दवाब बनाया 


वो- देव, यहाँ क्यों बुलाया हम कही और भी तो मिल सकते थे 


मैं- इसी बहाने खेतो को भी देख लिया , मुद्दतो बाद इस तरफ आना हुआ 


वो- सब तुम्हारा ही तो है 

मैं- वो तो है 

वो- किसलिए बुलाया 

मैं-मिलने के लिए कुछ बात भी करनी थी 

वो- बताओ 

मैं- मुझे लगता है की इस सब के पीछे चाचा का हाथ है 

वो-ऐसा नहीं है देव, इस बात को अपने दिमाग से निकाल दो तुम्हारे जाने की खबर जब उनको मिली तब से ही टूट के बिखर गए है वो नोकरी छोड़ दी , बिमला से अलग हो गए जी तो रहे है पर मर मर के जब मैंने उनको बताया की तुम वापिस आ गए हो तो कितने दिनों बाद मैंने उन्हें मुस्कुराते देखा, खुश देखा, जानते हो जिस दिन से मैंने उन्हें बताया है की तुम वापिस घर आ गए हो शराब को टच भी नहीं किया उन्होंने 


मैं- तो फिर मुझसे मिलने क्यों नहीं आये वो 


वो- शर्मिंदी के कारण
मैं- शर्मिंदी कैसी अपने बच्चो से मिलने की 


वो- वो अपराध बोध से ग्रस्त है उनको लगता है की अगर वो बिमला से अनैतिक रिश्ता ना जोड़ते तो शायद कुछ गलत नहीं होता 


मैं- ऐसा भी तो हो सकता है की बिमला ने उनकी गांड पे भी लात दी हो जिस से उन्हें सदमा लग गया 


वो- देव, तुम जो चाहे समझ सकते हो सबकी अपनी अपनी सोच होती है वो तुम्हारे चाचा है उनका और तुम्हारा एक ही खून है वो तुम्हरा बुरा कभी नहीं सोचते हम सब इंसान है गलतियों के पुतले अतीत में हम सबने कुछ ऐसी गलति की है जिनकी भरपाई करना मुश्किल है पर हम मिलके एक दुसरे के ज़ख्मो पर मरहम भी तो लगा सकते है 


मैं- मरहम, जख्म भी तो अपनों ने ही दिए है 


वो- देव, मैं माफ़ी के लायक नहीं जानती हु पर मुझसे नफरत ना करो 


मैं- तो अब क्या कहू चाची या मामी 


वो- जो मर्ज़ी आये 


मैं- कभी तो दिलरुबा भी बनी थी 


वो- तो दिलरुबा मान लो मुझे अपना लो देव 


मैं- वो छोड़ो मैंने किसी और काम के लिए बुलाया था आपको 


वो- मुझे ख़ुशी होगी अगर मैं तुम्हारे काम आ सकी तो 


मैं- मुझे मेरे दुश्मन का नाम चाइये 


वो- बस तुम्हारे इस सवाल का जवाब नहीं है मेरे पास 


मैं-पता है कल रात भी हमला हुआ मुझ पर 


मामी हैरत से भर गयी , उनकी आँखों में डर की झलक देखि मैंने 


मामी- देव, तुम यहाँ से चले जाओ, दूर रहोगे तो सेफ रहोगे आखिर कब तक् यु मौत से आँख मिचोली चलेगी हमने तो सब्र किये हुए था और कर लेंगे कम से कम तुम जिंदा तो रहोगे 


मैं- अब नहीं जाना कही, और कब तक भागूँगा मैं, पंछी भी शाम को अपने बसेरे में लौट आता है फिर ये तो मेरा अपना गाँव है मेरा घर है मेरे लोग है मैं कहा जाऊ बताओ, भागना इस समस्या का हल नहीं है , और आप है की मेरी मदद कर रही नहीं है 


मामी- देव, अब मैं कैसे विश्वास दिलाऊ तुम्हे मैं सच में उन लोगो के बारे में नहीं जानती जो काम उन्होंने करवाया वो मुझे ब्लैकमेल करके करवाया अँधेरा होने लगा था अँधेरे में सब कुछ अजीब सा लग रहा था मुझे प्यास लग आई थी गाड़ी में देखा पानी की बोतल नहीं थी तभी मुझे बाल्टी और रस्सी दिखी मैंने उसे कुवे में डाला और थोडा पानी निकाला पानी पीके जान में जान आई , 


मामी- मिटटी से आज भी लगाव है तुम्हे 


मैं- ये मिटटी ही मेरा अस्तित्व है ये तो आप सब लोग है जो बदल गए है देव का तो आज भी दो रोटी से गुजारा हो जाता है 


मामी में मुझे अपने गले से लगा लिया और मैंने भी मामी को अपनी बाँहों में कस लिया मेरे हाथ अपने आप उनके मदमस्त कुलहो पर पहुच गए थी मामी की गांड को दबाते हुए मैं मामी की गर्दन को चूमने लगा 


मामी- ओह देव! 
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