Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:44 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
अवंतिका मुस्कुराते हुए चली गयी मेरी निगाह उसकी मटकती गांड पर रुक गयी थी जिसे वो कुछ ज्यादा ही मटका कर चल रही थी , अब देखने वाली बात ये थी की इस बात का आगे चल कर क्या प्रभाव पड़ना था , मैं दिल से नहीं चाहता था की बिमला चुनाव जीते पर साथ में मेरे इस कदम से कुनबे की प्रतिष्ठा पर भी आंच आनी थी अपने स्वार्थ के लिए मैंने परिवार की इज्जत को दांव पर लगा दिया था , दरअसल ये मैंने एक ऐसी आग को तीली लगा दी थी जिसमे आने वाले समय में सब जल जाना था सब बर्बाद हो जाना था और तड़पना था मुझे बस मुझे 

उस रात मुझे नींद नहीं आ रही थी ऐसा लग रहा था की जैसे कोई चोरी कर ली हो मैंने काम तो कुछ ऐसा ही कर दिया था अपने परिवार को नीचा दिखाने का , पर अब अवंतिका को जबान दे आया था तो सोचा अब जो होगा देखा जाएगा वैसे भी बिमला साली क्या करेगी सरपंच बन कर , पर पंगा इस बात का था की बाप से नजर कैसे मिलाऊंगा , दिमाग ख़राब होने लगा बुरी तरह से , मैं खुद के बारे में सोचने लगा क्या इज्जत थी मेरी एक चूत की प्यास में सब दांव पर लगा दिया था , क्या मेरा और बिमला का जो भी मैटर तथा वो परिवार से बड़ा था, शायद बड़ा था तभी तो मैंने ऐसा कर दिया था पर अब पीछे भी नहीं हट सकता था रात थी जैसे तैसे कट ही गयी सुबह हुई तैयार होकर मैं चाची के साथ उनके गाँव की तरफ चल पड़ा 


लम्बा सफ़र चाची के साथ हस्ते बोलते कैसे कट गया पता नहीं चला सांझ ढले हम उनके गाँव पहुचे आज मोसम भी बरसात का हो रहा था बादलो के कारण अँधेरा सा हो रहा था लग रहा था की तेज बरसात आएगी , नाना-नानी तो कल ही चले गए थे हमने पड़ोसियों से चाबी ली और ताला खोलकर अन्दर आये सामान रखा मैं हाथ मुह धोने चला गया , फिर फ्रेश होकर मैं और चाची बैठे हुए थे , चाची का खिला हुआ ताजा रूप बड़ा सुन्दर लग रहा था 

मैं- चाची कल दोपहर में नदी पर चलेंगे 

वो- तुझे बड़ी पड़ी है नदी की 

मैं- जो काम उस दिन अधुरा रह गया था वो भी तो पूरा करना है ना 

चाची- पगले, तुझे क्या लगता है तुझे यहाँ क्यों लायी हु, 

मैं- क्यों लायी हो 

वो- ताकि जी भर कर तुझसे प्यार कर सकू 

मैं- सची में 

वो- सच , आज से तू ही मेरा एकलोता हकदार होगा 

मैंने चाची को अपनी बाहों में भर लिया और बोला- चाची , आपने तो मेरा दिन बना दिया पर मेरी भी एक गुजारिश है 

वो- क्या 

मैं- की मैं आज आपको दुल्हन की तरह प्यार करना चाहता हु 

वो- मैं कुछ समझी नहीं 

मैं- मैं आपको आज अपनी दुल्हन बनाना चाहता हु 

वो- तो बनालो 

मैं – तो फिर तैयार हो जाओ सुहागरात मनाने के लिए 

चाची शर्मा गयी और बोली- ठीक है तुम इंतज़ार करो मैं दुल्हन की तरह ही श्रृंगार करके, उसी तरह से सजधज से आती हु पर उस से पहले खाना खा लेते है भूख लगी है मुझे 

मैं- ठीक है मेरी जान 

मैं जल्दी जल्दी खाना खाने लगा तो चाची बोली- आराम से खाओ मैं इधर ही हु 

पर आज मुझसे कहा कण्ट्रोल होने वाला था आज की रात को मैं यादगार बनाना चाहता था जब मेरी चाची मेरी दुल्हन बन कर मेरे साथ सुहागरात मनाएगी , खाने के बाद चाची बाथरूम में चली गयी , मैं छत पर चला गया मोसम ने करवट ले ली थी हलकी हलकी बूंदे गिरने लगी थी , मोसम भी आज रोमांटिक होकर हमारे काम में सहयोग कर रहा था करीब एक घंटे तक चाची बाथरूम में ही रही उफ्फ्फ यार आज कितना टाइम लगाएगी तैयार होने में 


तब तक मैंने कमरे में बिस्तर सही कर लिया था मुझसे तो रुका नही जा रहा था बस दिल कर रहा था आज अपना बना लू चाची को , मैं कमरे में बैठे बैठे चाची का इंतज़ार करने लगा पर वो भी देर करके मुझे तडपा रही थी पर जब वो आई तो कसम से दिल की धडकनों की रफ़्तार इतनी बढ़ गयी की कोई मीटर उसकी स्पीड को नाप नहीं पता , 

लाल साड़ी, लाल ब्लाउज में क्या खूब लग रही थी उनकी पर्वतो की तरह उठी हुई छातिया , , बलखाती कमर, गीले बाल जो खुले हुए थे क्या मदहोश करने वाली भीनि भीनी खुशबु आ रही थी उनके तन-बदन से मेरा लंड पेंट में झटके मारने लगा चाची के ऐसे रूप की तो मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी

वो- क्या देख रहे हो ऐसे घूर घूर के 

मैं- अपनी दुल्हन को निहार रहा था 

वो- कैसी लग रही हु 

मैं- एक दम मस्त, मेरा तो हाल बुरा हुआ अब मत तडपाओ मुझे मेरी जान समा जाओ मेरी बाहो में 
चाची ने शर्मा के अपनी नजरे निचे को झुका ली 

मैंने बड़े प्यार से उनके मुखड़े को ऊपर किया और गालो को चूम लिया चाची के बदन में सिरहन दौड़ गयी उनका बदन कांपने लगा 

मैंने चाची को अपनी बाहो में भर लिया और उनके तपते बदन को सहलाने लगा चाची ने अपने आपको मेरे हवाले कर दिया मेरा लंड तो बाहर आने को बुरी तरह से मचल रहा था , आज चाची के बदन में एक अलग सी गर्मी को मैं महसूश कर रहा था मैंने धीरे से उनकी साडी के पल्लू को हटाया तो 37 “ के पुष्ट उभार बिलकुल तने हुए जैसे की अभी ब्लाउज की कैद को तहस नहस कर डालेंगे, मेरी नजरो के सामने थे मुझे निमंत्रण दे रहे थे की आओ खेलो हमसे, मुझे अब रुकना नहीं था 

मैंने धीरे से अपने होंठो को चाची के लाल लिपस्टिक लगे होंठो पर रखा चाची का समूचा बदन सुलग उठा उस चुम्बन से मेरी बाहों में सिमटने लगी वो उनकी गरम साँसों में भाप को मैं अपने मुह में फील कर रहा था मेरे हाथ अपने आप निचे उनकी गांड तक पहुच गए और मैं चूतडो को दबाने लगा चाची ने खुद को एड़ी के बल उठा लिया और और समूच करने लगी बहुत देर तक हम दोनों एक दुसरे के होंठो को ही खाते रहे

मुझे ऐसा लग रहा था की जैसे ढेर सारी मलाई मेरे मुह में भर गयी हो कितनी चिकने होंठ थे चाची के मैंने उनका हाथ अपने लंड पर रख दिया वो पेंट के ऊपर से ही उसको मसलने लगी मैंने ब्लाउज के बटन खोले और उसको उतार दिया , आज तो क़यामत ही हो जानी थी मुझ पर लाल ब्रा में कैद गोरे गोरे उभार मेरे जी को ललचा रहे थे उफ्फ्फ आज चाची अपने हुस्न के हथियार से मेरा शिकार करने वाली थी मैंने उनके उभारो को अपने हाथो में थामा और ब्रा के ऊपर से ही मसलने लगा 

चाची- सीईईई , ईईई आराम से मेरे राजा आराम से 

मैंने फिर ब्रा भी खोल दी और टूट पड़ा दोनों चूचियो पर बारी बारी से चूसने लगा उनको चाची कामाग्नि से वशीभूत होकर आहे भरने लगी मैंने दोनों उभारो को तब तक चूसा जब तक की वो दोनों बिलकुल लाल नहीं हो गए, कितनी गदर माल थी चाची आज जाना था मैंने , फिर मैंने उनकी साड़ी को उतरना शुरू किया फिर पेटीकोट को अब उनके जिस्म पर बस लाल चड्डी ही थी गोरी गोरी ठोस मांस से भरी हुई जांघे उसकी मैंने फिर जल्दी से अपने कपडे उतारे और नंगा हो गया मेरा लंड हवा में झूलने लगा चाची ने उसे अपनी मुट्ठी में भर लिया एक दो बार उसको हिलाया फिर मेरे पांवो में बैठ कर उसको चूसने लगी

चाची की लिपस्टिक मेरे लंड पर अपना रंग छोड़ने लगी मैं बड़ा ही कामुक हो रहा था चाची का पूरा मुह थूक से भरा हुआ था जिसे वो बड़ी अदा के साथ मेरे लंड पर टपका रही थी , बड़ी तल्लीनता से वो मेरे लंड को चूसे जा रही थी , अब मेरा पूरा लंड उनके मुह में था जैसे की उनके गले में ही उतर गया हो वो घु घु करते हुए बार बार उसको गले तक ले जा रही थी मैं उनके सर को सहलाते हुए बड़े प्यार से अपने लंड को चुसवा रहा था 

काफी देर तक लंड चूसने के बाद वो मुझसे अलग हो गयी उनकी आँखों में एक आग मैंने साफ़ साफ़ देखि 
मैंने चाची की कच्छी को उतार दिया और चाची के चूतडो को दबाने लगा चाची बहुत ज्यादा गरम हो चुकी थी उनकी पूरी योनी काम रस से चिप चिप कर रही थी चाची- ने अपनी टाँगे फैलाई और बोली- अब देर मत कर बहुत दिनों से प्यासी हु, आज मेरी प्यास बुझा दे, अब मुझसे कण्ट्रोल नहीं होता , 
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RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - by sexstories - 12-29-2018, 02:44 PM

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