Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:44 PM,
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
पर बिमला ने जिस अंदाज से ये बात कही थी मैं थोडा टेंशन में आ गया था वैसे तो अभी करीब बीस दिन पड़े थे चुनावों के पर कुछ तो खुराफात चल रही थी उस साली के दिमाग में पर अभी अपने को हॉस्पिटल जाना था तो खाना खाया काकी का खाना लिया और बिस्तर गाडी में पटका , और चल पड़ा सहर की और करीब आधे घंटे में मैं वहा पहुच गया काकी मुझे देख कर बोली- राहुल और मंजू नहीं आये 

मैं उनको खाने का डिब्बा देते हुए- वो मम्मी ने कहा की वो लगातार हॉस्पिटल में ही थे तो आज घर रुक जायेंगे नींद भी पूरी हो जाएगी और आराम भी मिलेगा 

काकी को जैसे मेरी बात पर विश्वाश हुआ ही नहीं 

मैं- काका कैसे है 

वो- दवाई दी है तो उसके असर से सोये है , दर्द सहन नहीं होता तो नींद की दवाई देते है अब १०-१२ घंटे आराम रहेगा

मैं- जल्दी ही ठीक हो जायेंगे 

वो- देखो 

फिर काकी ने खाना खाया मैं थोडा घुमने चला गया अब हॉस्पिटल में टाइम पास भी तो नहीं होता है कुछ देर बाद मैं आया तो काकी ने बिस्तर काका वाले कमरे में ही निचे साइड में बिछाया हुआ था 

वो- इधर ही सोते है 

मैं- कोई बात नहीं 

फिर कुछ देर बाद डॉक्टर देख कर गया , उसके जाने के बाद काकी ने दरवाजा बंद कर दिया और नाईट बल्ब जला दिया हम लेट गए काकी गाँव में वोटो की बात पूछने लगी कुछ देर बाद वो बोली सो जाते है , काकी ने करवट ली और सोने की कोशिश करने लगी मैं उनसे चिपक गया और पेट को सहलाने लगा तो वो बोली- क्या कर रहा है मरवाएगा क्या 

मैं- आपसे मिलने को तो मंजू को घर छोडके आया हु 

काकी- मैं तो पहले ही समझ गयी थी की तेरी ही खुराफात होगी 

मैं- तो करे कार्यवाही शुरू 

काकी- पागल है क्या इधर कैसे 

मैं- क्यों नही काका तो सुबह ही उठेंगे पर्दा खीच देता हु और फिर अभी कौन आएगा 

काकी-समझा कर 

मैं- चूत को मसलते हुए , आप समझा करो 

मैंने उठके काका के बेड का पर्दा खीच दिया और फिर काकी को अपनी बाहों में भर लिया काकी बोली- कही कोई आ ना जाये 

मैं- कोई नहीं आयेगा आप कपडे उतारो 

काकी- नहीं नंगी नहीं होउंगी, सलवार उतार ले 

मैं- ठीक है 

काकी ने अपनी सलवार और कच्छी उतार दी , मैंने भी पेंट को निचे खिसका लिया और अपने लंड को काकी के हाथो में दे दिया , 

काकी- बेशर्म कर दिया तूने मुझे 

मैं- तभी तो मजा आएगा 

काकी मेरे लंड को हिलाने लगी मैंने भी एक ऊँगली उसकी चूत में डाल दी हम दोनों एक दुसरे के अंगो से खेलने लगे काकी की चूत जल्दी ही पानी छोड़ने लगी तो मैंने उसकी टांगो को फैलाया और चूत को चखने लगा काकी की तो बोलती बंद हो गयी जब मेरी जीभ उसकी चूत पर चलने लगी , बड़ी मुश्किल से वो अपनी आहो को रोक पा रही थी उसकी चूत से मस्त खुशबू आ रही थी मैं नमकीन पानी को पूरी शिद्दत से चाट रहा था काकी के कुल्हे जल्दी ही ऊपर को हो गए वो मचलने लगी 

कुछ देर चूसने के बाद मैं हट गया और अपने लंड को चूत पर रगड़ने लगा काकी तो फुल गरम हुई पड़ी थी अपने हाथ में मेरे लंड को पकड़ कर वो अन्दर करने लगी तो मैंने पेल मारी और दो तीन धक्को में लंड को अन्दर तक सरका दिया काकी इस बार अपनी आह को नहीं रोक पायी और हमारे जिस्म एक होते चले गए काकी मेरे कान में फुसफुसाते हुए बोली- आराम आराम से करना जल्दबाजी मत दिखाना पूरी रात बस मेरे अन्दर ही रखना अपने हथियार को 

मैं- चिंता मत करो बस मेरे साथ बनी रहना 

काकी ने प्यार से मेरे होंठो पर चुम्बन दिया और मैं चुदाई करने लगा हौले हौले से उसकी काकी ने अपना सब कुछ मेरे लिए खोल दिया हुमच हुमच कर मेरा लंड काकी की चूत में अन्दर बाहर होने लगा चुदास इतनी सर चढ़ रही थी की क्या बताऊ , काकी ने अपनी टांगो को मेरी कमर पर लपेट दिया और मेरे चेहरे को चूमते हुए चुदने लगी मेरा जोश उसकी जवानी की रवानी बस और क्या चाहए था , ना वो कम थी ना मैं चूत की मुलायम पंखुड़िया मेरे लंड को अपने में कसे हुई थी 

मैं अपने मन में तुलना करने लगा की बेटी की चूत ज्यादा मस्त है या माँ की ,काकी के नितम्बो में थिरकन बढती जा रही थी मेरे गले में अपनी बाहों का हार डाले हुए काकी दीन दुनिया से बेखबर सम्भोग के सुख को प्राप्त करने की दिशा में पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध थी मैंने अब उसको पलट दिया और उसको औंधी करके चोदने लगा काकी ने अपने हाथो से चूतडो ओ चौड़ा कर लिया ताकि लंड को कोई रूकावट ना हो , चिकनी चूत में मस्ताना लंड पूरी रफ़्तार से अपना फ़र्ज़ निभा रहा था 

जब जब मेरी गोलिया काकी के नरम चूतडो पर रगड़ खाती तो मस्त अहसास होता काकी ने अब अपनी टांगो को कस लिया जिस से चूत पर रगड़ बड़ी मस्त लग रही थी , चुदाई के खेल में डिप्लोमा धारी काकी को इशारा देने की भी जरुरत नहीं थी , वो खुदबखुद ही समझ जाती थी की क्या करना है क्या नहीं , मैं काकी पर झुके हुए पुरे मजे से चूत मार रहा था काकी ने अपनी उंगलिया मेरी उंगलियों में फंसा ली थी और मेरी उंगलियों को दबाते हुए बता रही थी की मस्ती किस तरह उनके सर चढ़ रही थी 


मैं काकी की गर्दन के निचले हिस्से को चूमने लगा काकी अपनी गांड को उचकाने लगी थी जोर जोर से तो मैं भी तेजी से घर्षण करने लगा , और फिर काकी ने अपनी चूत को भींच लिया और कुछ देर वैसे ही रहने के बाद चूतडो को ढीला छोड़ दिया चूत में एकाएक गर्मी बहुत बढ़ गयी थी तो मेरा लंड भी ज्यादा देर सह नहीं पाया और काकी के झड़ने के कुछ मिनट बाद मेरा काम भी निपट गया , अपनी साँसों को संभालते हुए मैं काकी के साइड में लेट गया कुछ देर हमारे बीच ख़ामोशी छाई रही

अपनी साँसों को संभालते हुए मैं काकी के साइड में लेट गया कुछ देर हमारे बीच ख़ामोशी छाई रही 
काकी ने अपना हाथ मेरे पेट पर रख दिया और सहलाने लगी 

काकी- जान ही निकाल देता है तू तो 

मैं- मजा भी तो आप ही लेती हो 

काकी- हां, पर उम्र का तकाजा भी है अब मुझमे पहले वाली बात कहा रही 

मैं- अब इसमें उम्र कहा से आ गयी , आप तो आज भी नोजवानो का पानी चलते चलते निकाल दो 

काकी- सच में 

मैं उसके बोबो को सहलाते हुए- और नहीं तो क्या देखो, मैं खुद को रोक ही नहीं पाया देखो अभी अभी ली है और मेरा लंड फिर से तैयार है आपकी चूत में घमासान मचाने को 


काकी – ना बाबा ना, अब मुझमे इतनी हिम्मत नहीं है की दुबारा इसको झेल सकू वैसे भी मैं कहा जाने वाली हु जब फिर कभी मौका लगे तो कर लेना अभी तो सो जा 

मैं- काकी एक बार और कितनी देर लगनी है भला 

काकी- तू समझा कर , एक और राउंड होगा तो फिर सुबह मैं उठ नहीं पाऊँगी अब घर होता तो अलग बात थी 
मैं- चलो कोई नहीं 

फिर हम दोनों सो गए, रात को एक दो बार मेरी नींद उचटी पर कुछ ख़ास नहीं था सुबह मंजू और राहुल टाइम से आ गए थे तो मैं वहा से फिर गाँव आ गया , घर जा रहा था तो रस्ते में गीता मिल गयी 

गीता- सुन, अवंतिका ने जवाब भेजा है 

मैं- बताओ 

वो- तू जहा चाहेगा वो वहा मिलने के लिए तैयार है पर तू अकेला मिलेगा क्योंकि वो भी अकेली ही आ रही है और उसने ये जोर देकर कहा है की जो भी बात तुम्हारे बीच होगी वो बस तुम तक ही सीमित रहे 

मैं- पर वो मुझसे क्यों मिलना चाहती है 

ताई- एक बार मिल ले, कोई जाल नहीं है इस बात की मेरी गारंटी है 

मैं- आपने कह ही दिया तो मिल लूँगा 

ताई- बता फिर कब का बोलू 

मैं- एक काम करो कल शाम को सरकारी स्कूल में पर बस वो और मैं ही होने चाहिए 

ताई- उसकी टेंशन ना ले तू 

मैं- तो फिर ठीक है , पर आप कब मिलोगी दिल तडपा जा रहा है आपको नंगा देखने को 

ताई- जल्दी ही कोई मौका निकालती हु 

मैं- ठीक है पर जल्दी ही 

फिर मैं घर के लिए चल पड़ा पर एक सवाल था की अवंतिका क्यों मिलना चाहती है क्या वो मुझ पर फ़िदा हो गयी नहीं यार ऐसा नहीं होगा पर कोई ना जब मुलाकात होगी पता चल ही जाना है , 

घर जाके सबसे पहले तो मैं नहाया कई जोड़ी कपडे मैले पड़े थे तो उनको धोया इसी में काफी वक़्त चला गया कपडे धोके सुखा ही रहा था की मैंने देखा चाचा उसी छप्पर की तरफ जा रहा था जिसमे मैंने मंजू को चोदा था तो मेरे कान खड़े हो गए मैंने कपडे छोड़े और दबे पाँव उधर चल पड़ा , एक मोख्ली सी थी उसमे से मैं चुप के देखने लगा तो मैंने देखा की बिमला और चाचा एक दुसरे को चूम रहे थे 
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