Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:41 PM,
#97
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
कल बरसात होने से थोड़ी ठण्ड हो गयी थी तो आज मैंने एक कम्बल ले लिया था घरवालो को दिखाने के लिए थोड़ी देर टीवी देखकर मैं खेत की और कट लिया , पर अपनी मंजिल तो ताई गीता का घर था तो सावधानी से इधर उधर देख कर मैं गीता के घर में घुस गया और दरवाजा लिया कर बंद , बस अब वो थी और मैं था ताई अपने कमरे में ही लेट रही थी मुझे देख कर उनको भी नशा चढ़ने लगा 

मैं तो जाते ही ताई पर टूट पडा और ताई के ऊपर लेट कर बेतहाशा चूमने लगा उनको , उनके गालो को खाने लगा तो ताई मदहोश होने लगी , मैंने उनकी कुर्ती को निकाल फेंका और ब्रा के ऊपर से ही बोबो को मसलने लगा ताई की बेल की तरह मुझसे लिपटने लगी , ब्रा और सलवार में ताई बड़ी सेक्सी लग रही थी मैंने ताई को अपनी गोद में बिठा लिया और बोबो को मसलना शुरू किया गीता की मस्त आवाज मेरे कानो से टकराने लगी मैंने ताई की पीठ पर किस किया तो ताई उत्तेजित होने लगी 


जल्दी ही ताई की ब्रा भी उतर गयी थी ताई के बोबे जो थोड़े से लटके हुए थे मेरे हाथो का स्पर्श पाकर फूलने लगे उनके निप्पलस तन गए ताई ने खुद अपनी सलवार को उतार दिया एक तंग कच्छी ही बस सेष थी मैं उनके गालो को खाते हुए कच्छी के ऊपर से ही चूत को सहलाने लगा , उस जगह पर से कच्छी बहुत गीली हो रही थी ताई का जिस्म मेरी गोद में मचलने लगा फिर ताई गोद से उतर गयी 


मैंने फटाफट से अपने कपड़ो को उतारा ताई ने अपनी मुट्ठी में लेके लंड को मसलना शुरू किया तो मेरे बदन में करंट दोड़ने लगा मैंने उसके चेहरे को तुरंत अपनी टांगो के बीच में झुका दिया ताई ने मुह खोला और मेरे लंड को मुह में भर लिया मैं हौले हौले से उनके सर को नीचे की और दबाने लगा , खुरदरी जीभ मेरे सुपाडे की खाल पर गुदगुदी सी कर रही थी करीब पांच मिनट बाद ताई ने मेरे लंड को मुह से बाहर कर दिया और खुद की कच्छी को उतार दिया 


आज ताई ने झांटो को एक दम सफाचट कर दिया था तो चूत बड़ी प्यारी लग रही थी मैंने ताई को 69 में लिया और उनकी चूत को अपने होंठो में दबा लिया ताई भी कहा पीछे रहने वाली थी अब दोनों और से चुसाई शुरू हो गयी थी , खारी चूत का टपकता रस चखने का भी एक अलग ही मजा था ताई मेरे ऊपर थी और अपनी चूत के घस्से मेरे मुह पर मार रही थी जैसे की मेरे मुह को चोद रही हो , साथ ही दूसरी तरफ से मेरे लंड पर भी उनका मुह पूरी फुर्ती से चल रहा हटा मैंने शरारत करते हुए अपनी ऊँगली को गीली किया और ताई की गांड के सुराख़ में देने लगा तो ताई मेरे लंड को निकाल कर बोली- क्या करते हो दर्द हो रहा है 


मैं- जानेमन आज तेरी गांड का नुम्बर भी तो लगाना है पहले ऊँगली डलवा ले फिर लंड तो जाना है की इधर मेरी चलती जीभ की वजह से ताई के चुतड बुरी तरह से हिल रही थे ऊपर से मेरी ऊँगली का एक पौरवा गांड में भी घुस गया था एक छेद से मजा मिल रहा था दुसरे से उसको दर्द हो रहा था पर मजा भी तो था उस दर्द में ताई अब मेरे टट्टे को चूस रही थी मैं तो पूरी तरह से जन्नत में पहूँच गया था काफ़ी देर तक ऐसे ही ताई की साथ चुसाई करते हुए मैं उनकी गांड से छेड़खानी करता रहा 


पर अब सख्त जरुरत थी चूत की तो मैंने ताई को घुमा कर घोड़ी बनाया और जोड़ दिया कनेक्शन एक बार जो लंड का चस्का लगा गीता ताई को ताई अपने कुलहो को खुद आगे पीछे करते हुए चूत मरवाने लगी ताई के चौड़े कुलहो के दोनों हाथो से सहलाते हुए लंड को अन्दर बाहर करने लगा मैं , गीता की आहे बढ़ने लगी थी ताई बोली थोडा तेज तेज चोद तो मैंने उनकी कमर में हाथ डाला और तेजी से अपनी कमर को आगे पीछे लगने लगा ताई के गोरे गोरे चुतड मेरे धक्को से हिल रहे थे, उनमे जो थिरकन हो रही थी वो वो ही मुझे और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी 


काफ़ी देर तक घोड़ी बनने से ताई बोर होने लगी थी तो मैंने ताई को औंधी लिटा दिया और वैसे ही उनपर चढ़ कर चोदने लगा ताई का मादक हूँस्न मेरे नीचे पिसने लगा था मेरे हर धक्के से लंड चूत की और गहराई में उतरने लगा था ताई मस्ती में इस कदर भर गयी थी की क्या बताऊ, मैं उनकी गालो पर दांत की निशान बनाने लगा ताई की मस्ती भरी मीठी मीठी सिस्कारियो से मैं तो पागल ही हो गया था , चिकनी चूत में मेरा केले जैसा मोटा लंड फंसा हुआ था , 


अब हम दोनों कुछ भी नहीं बोल रहे थे बस हमारी साँसों की ही आवाज गूंझ रही थी मैं लगातार चोदे जा रहा था ताई को ताई पल पल और अधिक जलवा बिखेर रही थी आधे घंटे तक दबा चोदा ताई ने इस दौरान ताई ने दो बार अपना पानी गिरा दिया था , पर अब ताई की चूत जो की पहले ही सूजी हुई थी वो मेरे प्रहारों को सह नहीं पा रही थी तो ताई ने मुझे अपने से उतार दिया 

मैं- क्या हुआ 

ताई- बहुत जलन हो रही है अब नहीं झेल पाऊँगी 

मैं – कोई बात नहीं अब गांड मार लेता हूँ 

ताई- चूत को तो सुजा क्या है अब क्या चूतडो को भी फाडेगा 

मैं- एक बार मरवा लो फिर गांड ही दोगी 

ताई- पर ये इतना मोटा कैसे जायेगा 

मैं- सब चला जायेगा आप दो तो सही 

मैं भाग कर रसोई से सरसों का तेल ले आया और ताई के चुतड ऊपर करके ताई को लिटा दिया और उनके छेद पर तेल टपकाने लगा फिर अपनी ऊँगली को चिकनी किया और गांड में घुसा दी ताई को तेज दर्द हुआ पर मैंने समझा बुझा दिया की एक बार तो दर्द हो गा ही , फिर मैंने ऊँगली को बाहर खीचा तो छेद जैसे ही खुला मैंने ताई की गांड को अच्छे से तेल से भर दिया और अपने लंड को भी एक दम चिकना कर लिया 
ताई की गांड अब तैयार थी , मैंने गीता की जांघो को अपनी टांगो में दबा लिया ताकि वो हिल ना सके और अपने लंड को तेल से भीगी गांड पर सटा दिया और हल्का सा धक्का मारा , चिकना लंड गांड के छल्ले को फैलाते हुए अन्दर सरकने लगा जैसे जैसे लंड सरकता जा रहा था ताई के जबड़े आपस में भींचने लगा ताई अपने दर्द को रोकने की पूरी कोशिश कर रही थी पर दर्द तो होना ही था , इस बार मुझसे भी थोडा तेज धक्का लग गया और गीता की रुलाई छुट पड़ी वो दर्द से छात्पटाने लगी पर मैंने पूरा जोर देते हुए झट से लंड को गांड के आखिरी छोर तक पंहूँचा दिया 



ताई जोर से रोने लगी पर मैं जानता था की गांड का ऐसा ही मामला होता है एक बार जो लन्ड बाहर खीच लिया तो ये फिर कभी नहीं डालने देगी वैसे भी मैं पूरा गीता परछा चूका था लंड जा चूका था बस अब थोड़ी देर की बात थी कुछ देर तक मैं ऐसे ही पड़ा रहा उनके ऊपर वो रोते हुए लंड को निकालने को बोलती रही , एक दम कोरी गांड में उलझा हुआ मेरा लंड अब कैसे निकाल लू तो मैं अब बिना उसकी परवाह किये धक्के मारने लगा पर गांड बहुत ही ज्यादा टाइट थी 

मेरा लंड ज्यादा देर तक उसकी कसावट को सह नहीं पाया और करीब दस मिनट बाद मैं गांड में ही झड़ गया , ताई को अब कुछ चैन आया गुस्सा करते हुए वो अपने चूतडो पर हाथ फिरा फिरा कर देखने लगी मैं उनको अपनी बाहों में भरते हुए बोला- बस मेरी जान एक बार ही दर्द होना था अब बस मजा ही मजा है पर थोड़ी देर तो उन्होंने भी नौटंकी की ही , गीता के रूप में एक ऐसा माल हाथ लग गया था जो आने वाले दिनों में मेरी प्यास को जी भरके बुझाने वाला था , 

उस रात दो बार और मैंने ताई की ली फिर इतनी हिम्मत बची नहीं थी की मैं खेत में जा सकू तो वाही पर सो गया

सुबह मेरी आँख खुली तो मैंने देखा की ताई मेरे पास ही नंगी सो रही है मैंने उसको जगाया अपनी स्तिथि को ठीक ठाक किया और घर आ गया और सोने का मन था पर पढने भी तो जाना था तो फिर तैयार होकर ली अपनी साइकिल और शहर की तरफ चल दिया , नोटिस बोर्ड देखा तो पता चला की अर्धवार्षिकी सत्र के पेपर शुरू होने वाले है मैंने अपनी डेट्स देखि तो करीब पंद्रह दिनों में ही मेरे पेपर ख़तम हो जाने थे , दोपहर को मैं और नीनू बैठे थे तो मैंने पूछा 

मैं- क्या तू सच में जा रही है 

वो- और नहीं तो क्या 

मैं- रुक नहीं सकती क्या 

वो तुझे सब पता है फिर भी तू कैसी बाते करता है यही तो सही टाइम है अपने कैरियर के बारे में सोचने का 

मैं- वो तो है 

वो- देख मैं डेल्ही जाते ही फ़ोन तो ले ही रही हूँ फिर हम बात किया करेंगे 

मैं- पर कमी तो लगे गी ना तेरी 

वो- तू न इन फिल्मी बातो को अब छोड़ दे और आने वाली ज़िदंगी के बारे में सोच सीरियस होके , अपने पैरो पर खड़े हो जायेंगे तभी सब सही होगा वर्ना तो तुझे पता है ही की लाइफ कैसी होती है 

मैं- यार पेपर होने के बाद मैं भी बात करूँगा घर वालो से डेल्ही आने को 

वो- तेरी मर्ज़ी है तुझे जो ठीक लगे तू कर चल अब चलते है वैसे भी देर हो रही है परसों से पेपर शुरू है तो थोडा ध्यान देना 

नीनू की हर बात सही थी पर मैं तो फस हुआ था घर के हालातो में, कभी कभी तो जी करता था की कही दूर भाग जाऊ यहाँ से पर कर भी तो क्या सकते है , शाम को घर आया छोटे मोटे काम किये फिर पढने बैठ गया , देर रात तक बस पढाई ही चलती रही , अगले दिन सुबह सुबह ही मुझे पता चला की गाँव में नया जिम खुला है तो मुझे भी कसरत का शौक हुआ , अब फिल्मो में हीरो की बॉडी देखते थे तो फीलिंग आती थी , वहा जाके पता चला की चाचा के महकमे की तरफ से गाँव में जिम खुला था किसी सरकारी योजना के तहत ,


तो उस बात से काफ़ी लडको पर मेरा थोडा प्रभाव पड़ा , मैं दोनों टाइम जाने लगा तो गाँव में और लडको से भी जान पहचान होने लगी ऊपर से अब सबको पता तो चल ही गया था की बिमला भाभी सरपंची में खड़ी हो रही है तो उसका भी प्रभाव था , दिन ऐसे ही गुजरते गए पिछले कुछ दिनों से बस मैं दो ही काम कर रहा था पढाई और वर्जिश , अपनी भी यारी- दोस्ती होने लगी थी , गाँव के यूथ के छोटे मसलो में में मैं भाग लेने लगा था , पर दिल में एक टीस थी की बिमला सरपंच नहीं बननी चाहिए पर अगर वो हार जाये तो कुनबे की इज्जत की बात भी तो थी 


मैं बस उलझा पड़ा था हर चीज़ में हर रास्ता खुलने से पहले ही बंद होता जा रहा था , सरकारी तौर पे तो प्रचार शुरू नहीं हुआ था पर फिर भी दारू बंटनी शुरू हो गयी थी हर शाम को देर रात तक मैं पढता बस अच्छे नंबर लाने थे हर हाल में , जिंदगी टुकडो में बाँट गयी थी मेरी, अब रहना मुझे भी घर में था और बिमला को भी तो नजरे तो आपस में टकराती ही रहती थी पर जब जब वो मुझे देख के व्यंग से हंसती थी मुझे बहुत गुस्सा आता था , न जाने क्या सोच कर पिताजी ने उसके सर पर हाथ रख दिया था 
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