Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:34 PM,
#54
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
चलते चलते हम लोग सोच रहे थे मैंने सोचा की इसको लेकर खेत पर चला जाऊ पर क्या पता चाचा हो उधर तो 

बात गड़बड़ा सकती थी , मैंने घडी की तरफ देखा ३ बजने को आये थे बस ५-६ का टाइम हो जाता तो बोल सकते 

थे की रात की बस थी बस सुबह ही पहूँचे , पर ये दो घंटे एडजस्ट करने मुशिकल हो रहे थे एक तो सफ़र की 

थकन ऊपर से पैदल गांड घिस रही हुआ हाल बुरा मेरा तो , धोबी का कुत्ता न घर का घाट का वो बात हो 

गयी 

जिस सड़क पर दिन में हजार साधन गुजरते हो वो सुनसान पड़ी थी 

घिसटते घिसटते हम लोग आखिर मेरे गाँव तक आ गए नीनू को मैंने फिर से कहा की मेरे घर चल पर उसकी 

बात भी जायज थी तो गाँव के अड्डे पर बनी टंकी से पानी पिया और फिर से सामान लाद कर नीनू के गाँव 

की तरफ चल पड़े, गाँव का तो नाम ही था घर तो उसका खेतो पर था , शॉर्टकट ले लिया था पर सुनसान 

होने से डर भी लग रहा था पर वो कहते हैं ना की एक बार चलो तो सही देर सवेर पहूँच ही जाना होता है , जब

करीब दो- तीन खेत उसका घर दूर रह गया तो वो बोली- बस अब मैं चली जाउंगी 


मैं- बड़ी जल्दी है तुम्हे जाने की 

वो- अब घर आ गया है तो जाना ही होगा न 

मैं- दो पल भी न ठहरो गी 

वो- क्या बात है 


मैं- कुछ भी नहीं 


वो- तो फिर जाने दो 

मैं उसके पास आ गया बिलकुल पास , उसके चेहरे के बिलकुल करीब इतना करीब की इंच भर भी जगह 

बाकी न रही नीनू थोडा पीछे होते हुए- क्या कर रहे हो 

मैंने उसकी कमर में हाथ डाला और उसको अपनी और खीच लिया उस अँधेरी रात में हम दोनों एक दुसरे के 

इतने करीब थे की बस, 

नीनू कांपते हुए- छोड़ो मुझे, जाने दो ना 

मैं- दो पल रुको जरा देख लू तुम्हे जे भर के


वो- इतनी देर से नहीं देखा था क्या 

मैं- चुप रहो तुम कुछ मत बोलो

मुझे उसके दिल की धड़कने साफ़ साफ़ सुनाई दे रही थी मेरे दिल में आया की किस तो बनता है पर मैंने 

किया नहीं थोड़ी देर बाद उसको अपनी बाहों से आजाद कर दिया और बोला फिर कब मिलोगी 

वो- जल्दी ही , 

वो जाने लगी तो मैंने फिर से उसके हाथ को पकड़ लिया तो वो बोली- फाइनल बताओ जाऊ के नहीं जाऊ 


मैं- रोक भी त नहीं सकता तुम्हे , चलो जाओ 

नीनू तो घर पहूँच गयी थी मुझे वापिस जाना था जब तो दो थे अब मैं एक तो डर सा लगने लगा
जैसे तैसे करके घर पहूँच ही गया मैं अँधेरा अभी भी था ही मैंने दो तीन बार किवाड़ खडकाया आवाज लगायी

किसी ने ना खोला सब नींद में मगन पड़े थे मुझे गुस्सा सा आने लगा बदन दर्द कर रहा था वो अलग सफ़र

में टूट कर आया था पर घरवाले अब किवाड़ न खोले तो क्या करू हार कर दरवाजे के पास ही बैठ गया बैठे 

बैठे ही नींद का लटका आ गया , नींद थोड़ी गहरी हुई ही थी की किसी ने दरवाजा खोल दिया तो मेरी आँख

खुली मैंने देखा चाची दरवाजे पर खड़ी थी 


मुझे देख कर बोली – तू कब आया 

मैं- सुबह ४ बजे 

वो- तो इधर क्यों सो गया घंटी बजानी थी ना 

मैं- घंटी कब लगी अपने घर 

वो- ओह! मैं तो भूल ही गयी थी तेरे पीछे से लगवाई है घर में फिटिंग का काम करवाया था तो , चल अन्दर आजा कब से पड़ा है इधर 

मैंने अपना सामान लिया और घर के अंदर घुस गया पहली बार जिंदगी में लगा की घर तो घर ही होता है बड़ा 

अच्छा लगा चाची बोली हाथ मुह धो ले फिर चाय के साथ कुछ खा पीके सो जाना , वैसे सुबह सुबह कैसे आ

गया तू 

मैं- जी, रात की बस से आया हूँ 

वो- हम्म्म, तो कैसा रहा तुम्हारा टूर 

मैं- एक दम मजेदार बहुत मजा आया 

वो- चल ठीक रहा वर्ना फिर हमे ही दोष देता 

मैंने बिना उनकी बात पे ध्यान दिए चाय के साथ रात की बची रोटियों को डकारा और खाट पर लम्बा हो 

गया सफ़र की थकन ऊपर से भरा हुआ पेट तो फिर आँख सीधे दोपहर को ही खुली जब मैं जगा तो घर पर 

कोई नहीं था , उबासी लेते हुए मैं घर से बाहर आया तो देखा की बिमला गेहू साफ़ कर रही है मैं उसके पास 

चला गया और पुछा- घरवाले कहा गए है पता चला की खेत में 



बिमला- कहा घुमने चले गए थे , बड़े दिन लगा दिए आते आते 

मैं- बस भाभी ऐसे ही 

वो- ऐसे ही , पता है मैंने कितना याद किया तुम्हे 

मैं- क्यों याद किया 

वो- तुमने मेरी आदत जो बिगाड़ दी है 

मैं- वो भला कैसे 

वो- ओह! देखो तो सही कितना भोला बन रहा है , जैसे कुछ पता है ही नहीं 

मैं- कोई ना भाभी मैं अब आ गया हूँ, आपकी हर तम्मान्ना पूरी कर दूंगा 

वो- जाओ, बड़े आये तमन्ना पूरी करने वाले 

मैं- तो क्या इरादा है 

वो- कुछ नहीं 

मैं- करे क्या 

वो- आते ही शुरू हो गए 

मैं- अब भाभी , आप चीज़ ही ऐसी हो , आओ करलेते है फटाफट से घर पे कोई नहीं है मैं जाता हूँ आप जल्दी से आ जाना 

वो- देखती हूँ 

मुझे पता था की बिमला पक्का आएगी उसकी चूत को लंड जो चाहिए था और मैं तो हमेशा चूत मारने को 

तैयार कोई भी चूत हो कैसी ही चूत हो बस मिलनी चाइये अपने को , तो करीब दस मिनट बाद बिमला घर में 

दाखिल हुई मैंने उसको बरामदे में ही पकड़ लिया और किस करने लगा , बिमला का बदन मेरी बाहों में झुमने

लगा उसके होंठो को काटते हुए मैं उसकी चोली खोलने लगा तो उसने मन कर दिया वो बोली- ना कपडे नहीं

उतरूंगी, दिन का समय है कोई भी आ निकलेगा इतनी जल्दी पहने ना जायेंगे ऊपर ऊपर से ही कर लो 
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