RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
वासू मुँह बनाते कहने लगी.... घूम रहे थे शिमला, हमे तो वहीं से उठवा लिया कमिनो ने....
सैली.... ये ज़रूर उस कमिनि इंदु का काम होगा, नेनू कहाँ है वो मैं उसका खून पी जाउन्गी...
नैन... कम डाउन गर्ल्स, हर काम का अपना एक वक़्त होता है.... चलो तुम सब कहीं बाहर के खाने का प्रोग्राम बनाए हो या हम यहीं घर पर खाए...
सैली.... कोई बाहर नही जाएगा, बहुत दिनो बाद हम सब साथ मे हैं, यहीं घर पर बैठ कर गप्पे लड़ाएंगे और यहीं तुम सब हमारे लिए खाना खाएँगे.....
सैली की बात पर रीति और वासू की सहमति बन गयी ... बेचारे सारे लड़के बावरची बने थे.... हालाँकि रीति बीच-बीच मे कभी-कभी किचन चली जाती .... लेकिन वासू और सैली उसे आँखें दिखाती तो वापस लौट आती.
उस शाम से लेकर रात तक सारे दोस्तों की जो महफ़िल सजी काफ़ी लेट नाइट तक थी. अगली सुबह सब के सोए मे ही नैन निकल गया.
सारी टीम तैयार थी... कंट्रोल रूम मे बैठ कर नैन हर नामो और अड्डों की जानकारी देता रहा... देश भर से ड्रग की डील करने वाले कुल 78 लोगों की गिरफ्तारी हुई... लेकिन एक नाम जो था अबोध पूरी वो अब तक छिपा हुआ था, लाख कोशिसों के बाद भी उसकी गिरफ्तारी नही हो पाई.
अमोल और इंदु का कहना सही था, वैसे भी अमोल ने मदद करने का वादा किया था बदले मे पोलीस उसे और इंदु को क्लीन चिट देती. तय ये हुआ अमोल उन 78 गिरफ्तार लोग और अबोध पूरी के खिलाफ और पुख़्ते सबूत देगा उपर से उनकी सिनाख्त कर के सब के खिलाफ गवाही भी.....
गिरफ्तारी के बाद महॉल पूरा शांत हो गया था...... अमोल अपने कहे अनुसार सारे सबूत दे चुका था, उन 78 लोगों के खिलाफ और अबोध पूरी के खिलाफ भी, बस एक उसकी ग्रिफ्तारी बाकी रह गयी थी.
तीसरे दिन वादे अनुसार अमोल का कॉल आया नैन के पास.... अबोध पूरी के ठिकाने को लेकर... पोलीस की एक टुकड़ी को लीड करते हुए नैन अमोल के साथ उसके बताए ठिकाने पर चल दिया.....
मुंबई-नासिक एक्सप्रेस हाइवे के 30किमी दूर चलने के बाद उत्तर की दिशा मे जंगल के अंदर पूरी टीम पहुँची. जैसे ही आधा किमी अंदर चले होंगे पोलीस की टीम को गुण्डों ने घेर लिया, और सबको और अंदर ले कर गये.... उन सब को एक गॉडाउन मे ले कर पहुँचे..
नैन.... तो कमिने जाल बिच्छाया था तू हमारे लिए और मैं तुझ पर भरोसा कर गया....
अमोल.... नही, मैं तो इतनी दूर की सोचा भी नही था, ये तो इंदु का दिमाग़ था, जिसने सारे दोस्त और दुश्मन को सॉफ कर दिया....
नैन.... हरामज़ादे अब भी वो अबोध पूरी बचा है, ये क्यों भूल गया..
अमोल.... हा हा हा हा.... कौन अबोध पूरी, कहा था ना तुम्हारे सामने होगा तो भी पहचान नही पाओगे... मैं ही हूँ अबोध पूरी, और अब मेरा कोई दुश्मन नही बचा.... जल्द ही हम यहाँ से निकल जाएँगे... और हां चिंता मत करो... तुम्हारी गिनती सिर्फ़ सहीदों मे की जाएगी... क्योंकि मुझे जान'ने वाले मेरे दुश्मन ज़्यादा देर तक जिंदा रहे वो मैं बर्दास्त नही कर सकता....
अमोल ने गॉडाउन का सेफ खोला... और वहाँ से अपने सारे ज़रूरी कागजात और कॉंटॅक्ट निकाल लिए.... बाहर आते ही फोन करने लगा.... "किशोर सब रेडी है ना"....
किशोर..... हां सब रेडी है अमोल... चलो निकला जाए ये देश छोड़ कर...
अमोल... ठीक है हम अभी आए..... बाय्स किल देम... और आज से तुम सब किशोर के साथ काम करना...
पर ये क्या कहानी उल्टी हो गयी... तकरीबन 20 लोग थे वहाँ अमोल के, लेकिन सभी ने उल्टा गन उसी पर तान दिया... तभी गोडाउन के अंदर किशोर आकर नैन के पास खड़ा हो गया....
नैन.... क्यों पूरी साहब पसीने क्यों छूटने लगे, ये दाँव उल्टा कैसे पर गया वही सोच रहे हो ना....
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