RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
जैसे ही योनि के अंदर हल्का दबाव बना ... रीति ने नैन के सिर पर अपनी जांघों की पकड़ मजबूत कर दी .... और उसके बालों को अपने हाथों मे लेकर भिचने लगी, ज़ोर-ज़ोर से बदन मचलाने लगी.
पहली बार दोनो सेक्स की क्रिया मे लीन हो रहे थे... नैन से भी अब रुका नही जा रहा था... लिंग मे उसके भी हलचल सी होने लगी थी.... नैन बड़ी तेज़ी से अपने कपड़े उतारते दोनो पाँव के बीच मे आ गया...
रीति की कमर के नीचे तकिये को डाला और योनि से लिंग को टिकाते हुए पहला धक्का दिया... जोश ज़्यादा था और होश का कोई काम नही .... इस अन्तर्मयि अती प्यारे खेल मे पहली बार हल्के दर्द का अनुभव हुआ रीति को ... पर वो शायद इसके लिए पहले से तैयार थी...
अपने होंठो को दाँतों तले दबा कर इस धक्के को झेला रीति ... दर्द की एक आहह निकली थी पर अंदर ही सिमट कर रह गयी.... दो तीन धक्कों तक उसे हल्के दर्द का अनुभव होता रहा पर उत्तेजना की फुहार जैसे ही योनि से बरसी ... रीति भी नैन का साथ देती अपनी कमर हिलाने लगी....
काम की ऐसी खुमारी थी कि सब कुछ भूल कर दोनो सेक्स का आनंद उठा रहे थे. मस्ती की लहर मे पड़ते हर धक्कों पर मन की मस्ती तरंगे उठ जाती थी .....
दोनो काम मे जलते बदन को प्युरे तृप्ति देते हुए, निढाल एक दूसरे के उपर ही लेट गये.... खिली सी सुबह की शुरुआत थी रीति के लिए... अपने आप मे वो पूर्ण महसूस करती रात को उस प्यारे से खेल को याद करती अपना काम कर रही थी और मुस्कुरा रही थी.....
हर किसी को जहाँ अपने प्यारे से साथी का साथ मिला वहीं एक इंदु थी जो हर साथी का इस्तेमाल करती अपने आगे बढ़ने का ज़रिया बना लेती.... अब तो बस बात उसके एक आखरी दाँव की थी... और फिर वो उन बुलंदियों पर होती जहाँ पर कयि पहुचने तक का ख्वाब भी नही देखते.....
इंदु और अमोल को अब तक भनक हो चुकी थी नैन किस मकसद मे लगा है.... कुछ उनका भी अपना मकसद था.... सब को सॉफ कर के खुद सबसे उपर की जगह पर बैठ'ना.... सारी प्लॅनिंग हो चुकी थी ... अब बस एक आख़िरी दाँव खेलना बाकी था.....
इधर अगले दिन जब नैन ऑफीस पहुँचा तो सारी फाइल ले कर वो सीधा आइजी के ऑफीस गया... 2 घंटे की मीटिंग के बाद सब रोड मॅप तय हो गया..... कब कहाँ कैसे ... किसकी गिरफ्तारी करनी है और किस का इनकाउंटर करना है....
शाम तक सारे स्क्वाड को सूचित कर दिया गया... देल्ही के अलावा देश भर मे जहाँ-जहाँ उनके लोग और अड्डों का पता था... हर जगह की पोलीस को इत्तला कर दी गयी थी... बस किसी को ये नही पता था कि कहाँ और किसके यहाँ रेड करनी है.....
नैन अपने ऑफीस से निकल ही रहा था, कि तभी इंदु और अमोल उसके पास पहुँचे..... नैन दोनो को देखते हुए थोड़ा सा हैरान हुआ.....
नैन.... हां जी फरमाएए...
इंदु.... सर, हमे आप से अकेले मे बात करनी है, क्या आप के पास हमारे लिए थोड़ा समय है...
नैन.... आओ, दोनो अंदर आओ....
दोनो के अंदर बैठ'ते ही.... "क्या काम था".....
अमोल.... मैं जानता हूँ बहुत ही जल्द आप हमारे खिलाफ आक्षन लेने वाले हैं...
इंदु.... और ये भी जानते हैं कि जल्द ही गिरफ़्तारियाँ शुरू हो जाएगी...
नैन.... ओह्ह्ह ! ऐसी बात है क्या. तो क्या तुम दोनो सरेंडर करने आए हो या कोई ऑफर ले कर आए हो....
अमोल.... कैसी ऑफर चाहिए आप को सर जी, एक बार सेवा का मौका तो दो....
नैन.... एक गोली तेरे भेजे मे... प्रपोज़ल आक्सेप्ट है क्या रे...
अमोल.... एसपी, इतना ना इतराओ, हमारी पहुँच के आगे तुम्हारा डिपार्टमेंट कुछ नही कर सकता...
नैन.... हो गया तेरा तो अब निकल यहाँ से या जुते मार निकालु... बाकी पूरी हॉस्पिटालिटी हम बाद मे पूरी कर देंगे ये वादा है...
इंदु..... देखिए सर, हमारे पास एक कमाल का ऑफर है, बस हमे जाने दो बदले मे हम ऐसे एविडेन्स देंगे जिस से अबोध पूरी और उसके पूरे गॅंग का सफ़ाया हो जाएगा.
नैन.... वो तो वैसे भी मैं सॉफ कर दूँगा और साथ मे तुम दोनो को भी. अब निकलो यहाँ से और बचे खुचे दिन गिन लो...
अमोल.... एक बार फिर सोच लो सर जी, चाह कर भी तुम अबोध पुरी तक नही पहुँच सकते, क्योंकि ना तो उसे आज तक किसी ने देखा है और ना ही पोलीस रेकॉर्ड मे उसकी कोई तस्वीर. यदि वो तुम्हारे सामने भी हो तो पहचान नही पाओगे.....
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