RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
नैन बदन की खुसबु लेते हुए नीचे कमर तक आया और अपने होंठो की छुअन को नाभि पर देते हुए उपर की ओर बढ़ा. रीति हल्की मादक आवाज़ मे कहने लगी .... "अहह ! ये क्या कर रहे हैं"....
नैन बिना कुछ बोले उपर तक आया और फिर से होठ चूमने लगा. रीति भी नैन का साथ देती उसके होंठो को चूमने लगी. धीरे से होठ को चूमते हुए, उसके गर्दन तक होंठो को लेकर आया, गर्दन से सीने तक....
वक्ष के उपर के हिस्से को नज़र भर देखते हुए नैन ने हाथों की हल्की छुअन उसपर दिया, और बाएँ से दाएँ और दाएँ से बाएँ फिरान लगा.... अंदर एक मस्ती की सिहरन दौड़ गयी रीति के तन बदन मे, और वो हल्की मचलती ... सांसो से भी धीमी आवाज़ मे ....."इष्ह... आहह" की सिसकारियाँ लेने लगी.....
नैन प्यार से अपने हाथ उसके वक्षों की गोलाईयों पर फिराने लगा.... हल्के छुने से मस्ती की सिहरन के दाने रीति के बदन पर उठ रहे थे जो उसके मस्ती मे होने का का प्रमाण दे रहे थे.... नैन के अंदर भी काफ़ी हलचल सी मची हुई थी.... धीर-धीरे हाथ फिराते उसके वक्षो को हौले-हौले दबाने लगा....
अपने बदन को मचलाती रीति सिसकारियाँ लेती हुई.... अपने जीवन के पहले क़ाम-रति मे खोती चली गयी... आँखें अब ऐसी बोझिल हुई कि खुलने का नाम हे नही ले रही थी... और मधुर मिलन की प्यास धीरे-धीरे बढ़'ती ही जा रही थी.
नैन होठों को वक्षों से लगाते हुए अब उसे लगातार बड़े प्यार से चूस रहा था और एक हाथ को नीचे ले जाकर उसकी कमर के पास फिराने लगा.....
उंगलियाँ सरकती हुई पाजामे के अंदर जाने लगी और रीति को हल्की गुदगदी सी होने लगी.... धीरे-धीरे हाथ अंदर और अंदर की ओर गया.... योनि के पास हाथ पहुँचते ही हल्की गर्मी सी महसूस हुई... इस मादक उत्तेजित भरे महॉल मे ... योनि से भी रस वर्षा हो रही थी और उसकी तपन हल्की दूरी से भी महसूस हो रही थी....
जैसे ही हाथ का पहला स्पर्श योनि पर हुआ, रीति छटपटा उठी, लंबी सी सांस लेती उपर उठी और छोड़ती हुई नीचे आई... नैन भी वक्षों का रस-पान करने के बाद अपने होंठो को उसके बदन पर फिराते हुए धीरे-धीरे नीचे ले आया....
रीति लगातार सिसकती हुई बस अपने हाथों से चादर को भींच रही थी और बदन को उपर नीचे लहरा कर इस पल का आनंद उठा रही थी....
कमर के दोनो ओर हाथ रख कर नैन ने उसके पाजामे को धीरे-धीरे नीचे सरकाना शुरू कर दिया... हर एक स्टेप पर जब गोरी जांघे नज़र आ रही थी, नैन के आँखों मे वासना की अजीब सी चमक ला रही थी...
स्लो मोशन मे पाजामे को उतारने के बाद ... पैंटी पर हाथ फिरना शुरू हो गया.... अहह क्या एहसास था दोनो के लिए.... सब कुछ भूल कर बस मस्ती मे डूब गये थे....
टाँगों से सरकती पैंटी भी बाहर आ गयी.... उत्तेजना मे जल रही योनि जब नग्न हुई और हल्की ठंडी हवा का जब उसपर अहसास हुआ तो रीति का बदन सिहर उठा .... काम की आग को और भड़काते हुए ... नैन ने तलवो से चूमना शुरू किया... अपने होठ धीरे धीरे उपर करता जांघों तक लाया....
गोरी चिकनी जांघों पर जैसे विराम लग गया हो... अपने होठ और जीभ जांघों पर फिराते हुए अपने नाक भी रगड़ने लगा... रीति की योनि के अंदर तो जैसे हलचल मची हो .... उसे अपने अंदर काफ़ी बेचैनी और अजीब ही प्यास फील होने लगी थी... उत्तेजना ऐसी बढ़ी थी कि अब और बर्दास्त कर पाना मुश्किल था....
अपने बदन को मचलाती रीति, अपने हाथो से बिस्तर को ज़ोर-ज़ोर से बस भिंचे ही जा रही थी..... "आहह.... इसस्स्शह...... नाइनुउऊउउ..... ओह"
रीति बिल्कुल मचलती अब तो और तेज-तेज सिसकारियाँ लेने लगी थी... अंदर की आग अब बिल्कुल सम्भल नही रही थी... नैन, रीति की जांघों को छोड़ अब ... अपने नाक को योनि के पास लाया और उसपर बड़ी तेज़ी से फिराने लगा....
|