RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
रीति बड़े से टवल मे बदन को ढके गीत गुनगुनाते.... बाहर निकली....
आजा पिया तोहे प्यार दूं, गोरी बैंया तोपे वार दूं
किस लिए तू इतना उदास, सूखे सूखे होंठ अँखियो मे प्यास
किस लिए किस लिए हो.....
आजा पिया तोहे प्यार दूं, गोरी बैंया तोपे वार दूं
जल चुके हैं बदन कयि पिया इसी आग मे
थके हुए इन हाथो को देदे मेरे हाथ मे
हो, सुख मेरा ले ले, मैं दुख तेरे ले लूँ
मैं भी जियु तू भी जिए हो..........
अपनी ही धुन मे गीत गुन-गुना रही थी, आँखे मुन्दे दोनो बाहें फैलाए.. इधर से उधर, उधर से इधर करती बस गीत गाये जा रही थी..... आखरी लाइन गाते वक़्त अपने कपड़े निकाल कर बिस्तर पर रख कर "हूऊ" कर रही थी और उसका गाना "हूऊ" पर ही अटक गया.....
नैन बिस्तर पर बैठ उसकी मासूम सी अदा को बस देखे जा रहा था..... एक पूरा नज़र उसके बदन पर डाला, रीति खुद मे सिमट सी गयी.... क्या लग रही थी अभी ... गीले बालों से हल्की टपकते पानी की बूंदे जो चेहरे और गर्दन को चूमती नीचे जा रही थी....
रूप जैसे दिल मे उतर रहा हो नैन के, और रीति खुद मे सिमट'ती चली जा रही थी.... एक नज़र नैन की उसके कपड़ों पर गयी.... रीति ने भी देखा ... एक खूबसूरत सा टॉप और उसके उपर उसके अंत वस्त्र रखे थे... रीति झट से अपनी ब्रा और पैंटी उठाई और पिछे मूड गयी.....
नैन बिस्तर से उतरता ठीक उसके पिछे जा खड़ा हुआ और उसके बालों को साइड करता रीति के गले पर अपने होठ टिका दिए.... गरम साँसे जब गर्दन से टकराई तो एक नशा सा अनुभव करती रीति अपने गर्दन को हल्की मोड़ ली....
"उफफफ्फ़ ये भींगी ज़ुल्फो से टपकता पानी..... खुदा खैर करे कम्बख़्त दिल ये सीने से निकला जा रहा है. बेबी ऐसी कातिल अदा से रहोगी तो आज तो मेरा मरना तय है"
मरने का नाम सुनते ही रीति अपने हाथों से कपड़े छोड़ती हुई सामने मूड गयी और नैन के होटो पर हाथ रखती धीमे से कहने लगी.... "ये रूप कातिल हो जाए तो नही चाहिए ये रूप, मुझे बस आप चाहिए"
नैन मुस्कुराता हुआ रीति के चेहरे को उपर किया और उसकी आँखों मे देखने लगा... रीति शर्म से अपनी पलकें झुकाती कहने लगी..... "ऐसे नही देखिए, मुझे शर्म आती है"
नैन.... साची ... पर आज इस चेहरे से नज़र ही नही हट रही....
रीति.... जाइय भी, मैं थोड़ा चेंज कर लूँ...
नैन.... एक दिल की तमन्ना है कह दूं क्या...
रीति.... क्या...
नैन.... मैं चाहता हूँ ये कपड़े मैं तुम्हे पहनाऊ.....
रीति, नैन की इस शरारती अर्जी पर कुछ कह नही पाई, वो ना तो "हां" कह पा रही थी और ना "ना"... बस द्विविधा मे फँस चुकी थी...
नैन मुस्कुराता ज़मीन पर पड़ी रीति की ब्रा और पैंटी को अपने हाथों मे लिया ... और पिछे से टवल की गाँठ खोलते उसे नीचे जाने दिया....
रीति शर्म से अपने दोनो हाथ अपनी छातीयों से लगा ली, और अपने पाँव को और ज़्यादा समेट ली. नैन बिल्कुल रीति की आँखों मे झाँकते हुए... उसे अपने पास खींच लिया... सीने से लगी नैन के रीति बस शर्म से पानी-पानी हुई जा रही थी...
उसने पिछे हाथ ले जा कर ब्रा के हुक को लगाया और अपने हाथों से उसे आगे तक फिट किया. नैन के हाथ लगते ही रीति उसके बदन से चिपकती चली गयी..... रीति के बदन पर हाथ फिराते हुए नैन नीचे बैठा और उसके खूबसूरत पेट पर एक हल्की चींटी काट लिया. रीति के पाँव अपने हाथों मे उठाया....
पाँव पर किस किया... और दोनो पाँव मे बारी-बारी पैंटी डाल... उपर तक सरकाता हुआ खुद भी खड़ा हो गया.... आखरी बचे टॉप को भी वो उसके बदन मे डाल कर रीति को गले लगाते हुए पिछे से उसकी जिप बंद कर दिया....
उखड़ी सी साँसों के साथ रीति कहने लगी... "अब बस ... मुझे थोड़ा तैयार हो जाने दीजिए... आप भी तैयार हो जाइए, हम घूमने चलेंगे"....
नैन, रीति की बात मान कर तैयार होने चला गया.... नैन के जाते ही रीति वहीं बिस्तर पर बैठ कर अभी हुई घटना पर मुस्कुरा रही थी, अब भी नैन का हाथ उसे अपने बदन पर महसूस हो रहा था.
कुछ देर बाद दोनो तैयार होकर निकले. आज तो नैन की नज़रें बस रीति पर ही थी, और रीति भी नैन को बड़े प्यार से देख रही थी. दोनो सबसे पहले मूवी गये... फिर देल्ही की सड़कों पर कुछ दूर बाहों मे बाहें थामे पैदल चले... और अंत मे डिन्नर कर के घर वापस चले आए....
घर जैसे ही आए रीति के फोन की रिंग बजने लगी.... वासू का कॉल था... रीति फोन पिक करती "हेलो" कहने लगी....
वासू.... कैसी हैं मेडम, आज कुछ मस्ती की या पूरा सूखा ही रहा....
रीति.... वासू, आप फोन करते ही ये क्या पुच्छ ने लग गयी... वो सब छोड़िए.. कैसा रहा आप का दिन
वासू.... अवेसम रीति, बिल्कुल माइंड-ब्लोयिंग.... "आऊ क्या कर रहे हो अनु"
वासू को ऐसा रिएक्ट करते ही रीति बस इतना ही सोची ... ये अनु और वासू भी ना...
रीति.... कल बात कर लेना वासू, अभी अनु को समय दे दो... हहे
वासू.... अच्छा जी, अब कौन क्या बातें कर रहा है....
रीति.... हहे, मैं तो बस समय देने के लिए कह रही थी, वैसे सैली कैसी है. वहाँ भी वही आलम था, खुद मे खोई हुई या कुछ सुधार था...
वासू... इसी बात के लिए फोन की थी, सोची तुम्हे बता दूं. सैली काफ़ी नॉर्मल थी और चीज़ों को एंजाय कर रही थी.
रीति.... ये तो बड़ी ही खुशी की बात है वासू. बेचारी ने बहुत कुछ झेला था, उसके बारे मे सोच-सोच काफ़ी दुख होता था.
वासू.... और मुझे तुम्हारे बारे मे सोच-सोच काफ़ी दुख होता है...
रीति.... मैने ऐसा क्या कर दिया...
वासू.... नेनू को तडपा रही हो.... पूरा समय मिला है, इस समय को बर्बाद मत करना... समझ गयी ना...
रीति.... ह्म्म्म्म !
वासू.... चल मैं फोन रखती हूँ.... मिल कर बातें करते हैं....
वासू की बात सुन कर रीति थोड़ा शर्मा गयी.... रीति अपने कपड़े बदल कर नाइट ड्रेस पहन ली, और बस बैठ कर नैन के बारे मे ही सोचने लगी....
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