RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
आज तो जैसे फ़ुर्सत मे हो .... वासू अपनी जीभ को सीने के नीचे से उपर तक फिराती हुई उसे चूम रही थी और काट रही थी.... अनु पर जैसे खुमारी सी छा गयी... अपना हाथ वासू के जिस्म पर ले गया और उसके जिस्म पर फिराने लगा...
अनु को अब देरी बर्दास्त नही हुई... उसने वासू के उपर के कपड़े मिनिट भर से भी कम समय मे खींच कर निकाल दिए और वासू के नंगे जिस्म से खेलने लगा....
पानी की बूँदें वासू के जिस्म पर टपक रही थी, और अनु उसके पेट पर अपने होठ लगाए उन बूँदों को समेट'ते हुए, अपने होठ नीचे से उपर ले जाता और मस्त हो कर चाट रहा था....
"वासू आज तो मसाज बनती है" ... और इतना कह कर अनु अपने दोनो हाथ पानी से गीले हुए बूब्स पर लगाते हुए अपने मजबूत हाथों की मसाज देने लगा....
"आअहह अनुउऊउ .... थोड़े सॉफ्ट हण्द्द्द्द्ड प्लज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़्ज़.... ओह ! हां बाबयययी .... आईसीए हीए इस्शह"
अनु थोड़े सॉफ्ट हॅंड से उसके बूब्स को दबाने लगा.... बूब्स पूरी तरह एरेक्ट हो चुकी थी... उत्तेजना अंदर की आग भड़का रही थी जिसे उपर से गिरता पानी भी नही बुझा पा रहा था.... अपने होठ दाँतों तले दबाए वासू मस्त होकर सिसकारियाँ ले रही थी... और अनु पूरे जोश से से बूब्स को दबा रहा था... अपने दाँतों से काट रह था....
वासू, अनु को बात टब मे धकेल्ति हुई... उसके बदन के दोनो ओर पाँव फैला कर खड़ी हो गयी. अनु बाथ टब मे बैठ कर हाथों को उसकी कमर तक लाया.... लोवर को पैंटी के साथ खींचता हुआ नीचे पाँव तक ले आया....
वासू दीवाल मे लगे हॅंडेल को पकड़े बस जो हो रहा था उसके मज़े के रही थी.... अनु अपना हाथ वासू की योनि पर टीकाया और उस पर फिराने लगा.... क्या ठंडा गरम का अहसास था... शवर का पानी... जब तपते बदन से गुज़रता तो वो भी गरम हो कर नीचे गिर रहा था.
वासू अपने हाथों को हॅंडेल से हटा कर अनु के सिर पर डाली, और अपनी कमर थोड़ी झुका कर अपनी योनि को अनु के सिर के सामने कर दी, और उसके बाल को पकड़ कर उसका चेहरा योनि से टिकाई और अपने कमर गोल-गोल हिलाने लगी.....
कितनी उत्तेजित थी... वासू अपनी कमर लगातार हिला रही थी और "आआहह-इष्ह" कर रही थी ..... कुछ ही देर बाद उसका बदन अकड़ गया और अनु के बाल को ज़ोर से पकड़ती भींच ली और तेज-तेज साँसों से हाँफने लगी....
कुछ देर साँसों को समेटने के बाद कतल करने वाली अदा से अनु के उपर लेट गयी और उसके नीचे चली गयी... अनु भी वासू की तरह ही अपने पाँव उसके बदन के दोनो ओर फैला कर खड़ा हो गया...
वासू भी बड़ी तेज़ी दिखाती हुई.... अनु के लोवर को खींच कर नीचे कर दी... आधे जागे आधे सोए लिंग पर जैसे ही अपने ठंडे हाथ लगाई.... अनु के बदन मे सन-सनी दौड़ गयी..... वासू उसे प्युरे मुट्ठी मे ज़ोर से पकड़ती आगे पीछे करने लगी.... अनु भी तेज-तेज साँसें लेता .... "हााआ... आहह.... वासूउउउ" करने लगा....
साँसे तब थम गयी जब काम उत्तेजना मे आज वासू ने अनु का लिंग अपने होठों से लगा कर अपने मुँह मे ले ली..... "ओह वासूउुुुुुुुउउ" करता उसका सिर पकड़ लिया और ज़ोर ज़ोर से उसके सिर को आगे पिछे करता अनु अपनी कमर हिलाने लगा.....
कुछ देर मे ही जोश उफान पर था और अंदर से तूफान इतना बढ़ा था कि उसने वासू को उठाया और हॅंडेल पकड़ने का इशारा किया...
वासू खड़ी होकर दीवाल मे लगे हॅंडेल को पकड़ती हुई अपनी कमर झुका ली.... अनु उसके एक पाँव को अपने हाथो मे उठा कर अपने लिंग को योनि से टिकाया ... और "आआहह" करता धक्का दिया...
"इष्ह अनुउऊुुुुुउउ" करती वासू भी मज़े लेने लगी.... धक्कों पर धक्का लग रहे थे और दोनो अपनी मस्ती मे अपने शिमला ट्रिप को एंजाय कर रहे थे.....
कुछ देर बाथरूम मे धामसान मचाने के बाद दोनो पहुँचे होटेल के मखमली बिस्तर पर ... और आज तो जैसे पूरा बिस्तर भी इनकी मस्ती मे हिचकोले खा रहा हो.... दोनो अपने अकेलेपन का पूरा लुफ्त उठाते अपने चरम पर पहुँचे और वहीं पड़े निढाल हो गये.....
सुबह वासू के लिए काफ़ी खिली हुई थी.... अनु का हाथ हटाते वासू तैयार होने जाने लगी. अनु, वासू का हाथ पकड़ते उसे अपने सीने पर गिरा लिया और कहने लगा....
"उनह ऐसे ही आज रहो हम पूरा दिन यूँ ही एंजाय करेंगे"...... वासू, अनु को झटकी और बिना कुछ कहे बाथरूम मे चली गयी तैयार होने....
तकरीबन एक घंटे बाद सभी नाश्ते पर इकट्ठा हुए.... सैली को देख कर सबने खुशी जताते हुए कहा.... "ऐसे मुस्कुराती अच्छी लग रही हो"....
सैली गौरव का गाल चूमती कहने लगी.... "ये सब तुम लोगो और मेरे क्रेजी बॉय का विस्वास था, वरना मैं तो हार ही चुकी थी, अब बस एक ही बात रह गयी है... उस कामिनी इंदु से बदला"
गौरव.... तुम चिंता मत करो सैली, नेनू हमे ज़रूर मौका देगा इसका भी .....
गौरव को पूरा यकीन था नैन पर हालाँकि यकीन तो सब को ही था, उन सब के ज़िंदगियों मे ज़हर घोलने वाली को नैन ज़रूर सबक सिखाएगा....
नैन लगा भी था पूरे ज़ोर से अपने कामो मे... जब से परवानो के इन्वेस्टिगेशन मे नैन को वो बॅग से सबूत मिला था ... वो अपने केस के पूरा करीब पहुँच चुका था....
सारे सबूत इकट्ठा थे अब बस गिरफ़्तारियाँ बाकी थी..... अबोधि पूरी और ड्रग डीलिंग मे कयि नये खुलासे हो चुके थे, पर पोलीस भी अपनी ताक मे थी, और गिरफ्तारी से पहले कागज़ी कार्यवाही को आखरी रूप दे रही थी.....
आज लेकिन काम मे ज़रा भी मन नही लग रहा था नैन का, उसके आँखों के सामने बार-बार रीति का मुस्कुराता चेहरा घूमने लगता था....... ऑफीस के सारे स्टाफ भी ये नोटीस कर रहे थे, आज नैन सर कहीं खोए-खोए हैं....
नैन खुद को बहुत रोका पर शाम होते-होते धड़कने कुछ ज़्यादा ही बेकाबू हो गयी, मिलने की तड़प ऐसी थी कि एक पल भी दूर रहना गवारा नही था.... नैन ने ईव्निंग शो की दो टिकेट बुक करवाई और घर चला आया.....
घर मे चुपके से घुसा.... चारो ओर नज़रें घुमा कर देखने लगा... दिल से जो आवाज़ आई वो था "वॉववववव". पूरा घर चका चक. नये पर्दे चादर, कालीन फ़्लास्क... ना जाने क्या-क्या खरीददारी की रीति ने लेकिन पूरा घर को बिल्कुल नया बना कर रखी थी....
सभी कमरों मे देख लिया पर रीति कहीं नही थी, तभी जब नैन आखरी के कमरे से निकल रहा था, तब उसे बाथरूम से पानी के गिरने की आवाज़ सुनाई दिया.... "लगता है अभी ही फ़ुर्सत हुई है काम से इसलिए नहा रही है"
नैन भी अपनी दोनो बाहें फैलाए बिस्तर पर लेट गया....
|