non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्रेम कहानी )
12-27-2018, 01:53 AM,
#61
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
गौरव ने सैली को अपने बदन से अलग किया... उसके आँसू पोछे और कहने लगा... "सैली क्या प्यार के केवल इतने ही मायने है. क्या जिस्मानी संबंधों से ही रिस्ता बनता है और बिगड़ता है. धोका तब होता जब सब कुछ तुम जान कर करती, इसमे ज़रा भी तुम्हारी ग़लती नही. समझी तुम.

"और सैली ग़लतियाँ किस से नही होती.... हर इंसान ग़लतियाँ करता है, इसका मतलब ये थोड़े ना होता है कि हर कोई यूँ टूट जाए. जीना छोड़ कर बस दिन भर खामोश रहे और उन्हे भी दर्द देता रहे जो उनसे प्यार करते हैं".


गौरव की प्यार भारी बातें उसे और रुला रही थी. चाह कर भी सैली अपने आँसू रोक नही पा रही थी. आँसुओं की धारा उसकी दोनो आँखों से बह रही थी.


गौरव थोड़ा आगे बढ़ता हुआ, उसकी आँखो को चूम लिया. अपने दोनो हाथों से उसके बिखरे बालों को पिछे समेट कर दोनो हाथों से गालो को थाम लिया. गौरव की आँखों मे अपने लिए इतना प्यार और विस्वास देख कर सैली को अंदर से काफ़ी अच्छा लग रहा था. फिर से रोती हुई वो ज़ोर कहने लगी...


"आइ लव यू क्रेज़ी बॉय, आइ लव यू. मुझे छोड़ कभी मत जाना नही तो कसम से मैं मर जाउन्गी"


गौरव, सैली को गले लगाते हुए कहने लगा... "सैली, तुम्हे सिर्फ़ खोने के ख्याल से मैं रोज मरा हूँ... पागल तुम्हे छोड़ना मतलब ज़िंदगी छोड़ना है"


सैली, गौरव के होंठो पर अपनी उंगली टिकाटी कहने लगी...... "अभी तो हम मिले हैं, अभी तो हमें साथ जीना है. मुझे जीना है, तुम्हारे प्यार के साथ... तुम्हारे विस्वास के साथ".


दोनो एक दूसरे की आँखों मे अपने लिए उमड़ते प्यार को देखने लगे. ऐसा लग रहा था, जैसे अरसा बीत गया हो इस प्यार को महसूस किए. बस नज़रें एक दूसरे पर टिकी हुई सी थी. 


गौरव को लगातार यूँ देखते सैली को फिर से वो दर्द सताने लगा, उसे रह-रह कर बस अपना नंगा जिस्म और अमोल के साथ बनाए संबंध याद आ रहे थे. नज़रें मिली तो वो सब याद आने लगा और सामने गौरव का ये प्यार भरा चेहरा....


मुश्किल से उबर पाई थी, पर आज गौरव का प्यार उसे बार-बार मजबूर कर रहा था. दिल उसे खोना नही चाहता था, पर जमीर धिक्कार रहा था. सैली के आँसू एक बार फिर खुद-व-खुद निकल आए. 


इस बार गौरव शायद उसके दिल के अंदर चल रही हलचल को भाँप गया हो. गौरव बहते आँसू की धारा के आगे अपना होठ लगा दिया. और बारी-बारी से दोनो आँखों से बहते आँसू को, अपने होंठो से सॉफ कर दिया.


मुरझाई सी सैली पर ये गौरव का प्यार, जैसे नयी उर्जा डाल रहा हो. जितने उसके आँसू गिरे उस से ज़्यादा गौरव उसे प्यार दिखा रहा था, जो सैली के दिल को काफ़ी सुकून दे रहा था.


गौरव, सैली के मुरझाए मासूम से चेहरे को नज़र भर कर देखा और प्यार मे उसके खोते हुए कब गौरव के लब सैली के लबों से मिल गये उसे पता ही नही चला. गौरव पूरा खो कर उसके होंठो को चूमने लगा.


सैली भी इन अहसासों को समेट'ती उसे चूमने लगी. चूमते हुए गौरव उसके बदन पर हाथ फेरने लगा और सैली भी उसके बालो को सहलाने लगी. गौरव का ध्यान जैसे टूटा हो, उसे लगा कि अभी तो सैली अपने दर्द से उबर नही पाई है और मैं उसके साथ ये क्या कर रहा हूँ.


गौरव झटके के साथ सैली को छोडा और उस से दूर अलग हो गया..... गौरव ने सैली को सॉरी कहा, और बिस्तर से नीचे उतरते खड़ा हो गया...


गौरव अचानक से सॉरी बोल कर उस से अलग हो गया, पर सैली के मन के अंदर क्या चल रहा है वो भाँप नही पाया. सैली जल्दी से उतर कर गौरव को पिछे से पकड़ कर सिमट गयी. 


"क्रेज़ी बॉय, आज मुझ से प्लीज़ दूर मत रहो, तुम से ये दूरी मैं बर्दास्त नही कर पाउन्गी. तुम ने मुझे छोड़ा तो मुझे ऐसा लग रहा है जैसे मेरा बहिस्कार कर रहे हो. तुम अब ये सोच रहे हो कि ना जाने किस-किस से संबंध बना कर आई है, इसके साथ संबंध रखना चाहिए या नही".


खड़े-खड़े पैरो तले से ज़मीन खिसक गयी गौरव की. आख़िर सैली ऐसा सोच भी कैसे सकती है. वो तुरंत पलटा. देखा तो फिर से सैली के आँखों मे आँसू थे. पलट कर उसने अपने होठ सीधा शैली को होंठो से लगा दिया और बड़ी शिद्दत से उसके होठ चूमता रहा.


"नही सैली, यू आर माइ लव, तुम सोच भी ऐसा कैसे सकती हो"... इतना कहा और फिर चूमने लगा...


"क्रेज़ी बॉय मैं अधूरी हूँ तुम्हारे बिना... मुझे पूरी कर दो".. सैली भी चूमना छोड़ कर अपनी बात कही और फिर से दोनो एक दूसरे को चूमने लगे.


ऐसे चूम रहे थे जैसे आज बरसों बाद मिले हो. लगातार बेतहासा चूमे ही जा रहे थे. होंठ, गला, कान.... हर जगह दोनो ऐसे चूम रहे थे जैसे एक लंबी जुदाई के बाद मिलन हो रहा हो. 


चूमते हुए गौरव ने अपने हाथों से सैली की टी-शर्ट को निकाल दिया. सैली भी तेज़ी दिखाती हुई गौरव की टी-शर्ट को उतार दी.


गौरव की टी-शर्ट को उतारती उसके नंगे बदन को एक बार गौर से देखी और उस पर हाथ फेरती हुई वो बेहतासा चूमने लगी. गौरव खड़ा होकर बस सैली को चूमते हुए देख रहा था. बरी तेज़ी से सैली के होंठ गौरव के बदन पर चल रहे थे.


वो तो जैसे बरसों की प्यासी हो इस मिलन के लिए. गौरव के सीने पर कभी अपनी नाक फिराती तो कभी उसकी छाती के निप्पल को अपने होंठो तले दबाती... तो कभी उसके छाती के बालों को अपनी उंगलियों मे फसा कर उस से खेलने लगती.


गौरव भी प्यार के इस खेल मे डूब कर आनंद ले रहा था, और सैली की खुली पीठ पर हाथ फेर रहा था. गौरव ने अपनी उंगलियाँ ब्रा की स्ट्रीप मे फसा कर उसे थोड़ा उपर किया और उसे खोल कर सैली के बदन से अलग कर दिया.


सैली अपने बदन से ब्रा हट'ते ही वो गराव के सीने से चिपक गयी. सैली के बूब्स पूरे गौरव की छाती मे दबे हुए थे और वो चिपकी उस से एक बार फिर गौरव के होठों को चूमने लगी.


होठ चूमते हुए गौरब उसे अपनी गोद मे उठाया और ले जा कर बिस्तर पर लिटा दिया. सैली बिस्तर पर लेटी तेज-तेज साँसे ले रही थी जिसकी गवाही उसकी उपर-नीचे होती चुचियाँ दे रही थी. वो तेज-तेज साँसें लेती बस गौरव को ही देख रही थी.


गौरव अपना पैंट उतारते हुए बिस्तर पर चढ़ गया और सैली की गर्दन पर अपने होठ लगा कर उसे चूमने लगा और उसपर अपने जीभ फिराने लगा.


सैली, गौरव की पीठ पर हाथ फिराती हुई उसकी कमर तक ले गयी, उत्तेजना मे अपने हाथ पिछे से गौरव के अंडरवेअर मे डाल कर उसके नितंबों पर फिराने लगी.


सैली का हाथ अपने पिछे महसूस करते ही गौरव मस्ती मे आ गया... उसने भी गर्दन से जीभ फिराते हुए सैली के बूब्स तक ले आया और उसे अपने होटो मे भर कर उसे चूसने लगा....


प्यारी सी मादक सिसक सैली के होटो से निकल गयी, और सैली गौरव के नितंबों पर अपने पंजों की पकड़ मजबूत करती.... "आहह" करने लगी.


एक हाथ से लगातार उसके बूस को दबाते हुए, वो दूसरे बूब्स को बड़ी तेज़ी से चूस रहा था. दोनो एक दूसरे के सरीर से लगातार खेल रहे थे. उत्तेजना दोनो के अंदर बढ़ती ही जा रही थी. गौरव नीचे की ओर बढ़'ता हुआ आया और सैली की जीन्स की जिप को खोलते हुए धीरे से उसके पाँव से सरकाता हुआ निकाल दिया.


गोरी जाँघो पर अपने होठ फिराते वो नीचे से उपर उसे चूमते हुए गया.... सिर उठा कर कर एक बार उपर देखा.... तेज-तेज साँसे लेती सैली की आँखों मे वासना सॉफ दिख रही थी, जो गौरव को आगे बढ़'ने की सहमति दे रही थी. 


गौरव दोनो जांघों के बीच अपना होठ रखता, उसकी योनि पर जीभ फिराने लगा.... सैली का पूरा बदन तिलमिला उठा और वो गौरव के बालों पर अपने हाथ तेज़ी से फिराने लगी.


गौरव दाँतों से उसकी पैंटी पकड़ कर नीचे थोड़ा सरकाया और योनि के उपर उस सपाट पैरो के हिस्से मे अपने होठ लगा कर चूमने लगा.


अलग ही नशा सा सैली पर छाने लगा. वो इतनी उत्तेजित हुई की गौरव के सिर को खिसकाती हुई योनि तक ले आई और क़पने हाथों से दबाव बनाए लगी....

उखड़ी साँसों के साथ ... तेज-तेज आहे भरती सैली की सांस तब उपर की उपर रह गयी, जब एकदम से गौरव ने अपनी जीभ योनि मे डाल कर उसे वाइब्रटर की तरह हिलाने लगा. चिहुक सी गयी .... लंबी आहें.... "आआहह क्राज़ययययययी बोययय्ययययी, इसस्स्शह" और तेज तेज साँसे.


क्रेज़ी बॉय ने अपनी भी चड्डी उतार दिया. जोश मे तो पहले से था, अब होश खोने की बारी थी.... सैली के एक पाँव को अपने कंधे पर रखा... और योनि से अपना लिंग टिकाते हुए उसे धक्का दिया... सैली का पूरा बदन काँप गया...


हाथों से चादर भींचती तेज से सिसकारी ली, और मस्ती मे सैली भी अपनी कमर हिला कर गौरव का साथ देने लगी .... दोनो अपने काम की क्रिया मे लीन रहे और मस्ती का लुफ्त उठा'ते रहे.


सेक्स का नशा ऐसा मज़ा दे रहा था, कि इस उत्तेजना मे बीते दिन के विकार भी नज़र नही आए .... बस तेज सिसकारियों की आवाज़ मे दो जिस्मों का मिलन हो रहा था.


पूरा मज़ा लेने के बाद दोनो निढाल हो कर बिस्तर पर लेट गये...... दिन के दो बजे तक वासू और अनु भी घूम कर वापस आ गये... और आते ही वासू, सैली से मिलने जाने लगी....


अनु..... रहने दो वासू, क्या कर रही हो... दोनो साथ मे अकेले हैं...


वासू.... अकेले हैं तो...


अनु..... ओह ! पागल चलो मेरे साथ कमरे, हम दोनो अकेले होंगे तो क्या होता है बताता हूँ...


वासू.... छ्हि गंदे कहीं के. हर वक़्त दिमाग़ मे सेक्स ही भरा रहता है... उसकी हालत देखी नही कितनी उदास थी, और तुम्हारा गंदा दिमाग़ इस सिचुयेशन मे भी.... हद है अनु...


अनु.... पागल सुनो थियरी..... उदासी टर्न इंटो सॅड कॉन्वर्सेशन आंड कॉन्वर्सेशन कॉनवर्ट ऑंटू सेडक्षन लीड टू सेक्स...


वासू घुरती आँखों से अनु को देखती हुई कहने लगी.... "बंद करो अपनी ये बकवास थियरी नही तो मुझ से बुरा कोई ना होगा". अनु अपना हाथ के इशारे से उसे आगे बढ़ने कहा.... वासू बेल बजाई....


गौरव और सैली अब भी बिस्तर पर एक दूसरे से लिपटे सोए हुए थे, बेल बजते ही दोनो प्यार भरी एक सुकून की नींद से जागे..... सैली, गौरव को हिलाती हुई जगाने लगी.....


"क्रेज़ी बॉय देखो बाहर कोई आया है".... इतने मे वासू को आवाज़ भी आ गयी..... "गौरव... सैली"... सैली हड़बड़ा कर उठी और बाथरूम मे घुस गयी, वहीं गौरव ने जल्दी से लोवर और टी-शर्ट डाला और दरवाजे तक पहुँचा....


गौरव की पहली झलक जैसे ही अनु ने देखा, उसकी हँसी छूट गयी, वासू को भी समझ मे आ गया कि अनु क्यों हंस रहा है, पर वो अनु के रिक्षन को इग्नोर करती गौरव से कहने लगी....


"एक घंटे मे फिर घूमने निकलेंगे, इस बार कोई बहाना नही चलेगा"... इतना कह कर वासू वहाँ से वापस आ गयी.....


अनु..... क्या हुआ वासू, नही मेरे दिमाग़ मे तो कचरा भरा है ना.... मैं तो कुछ भी सोचता हूँ ना. 


वासू.... बस-बस... रहने दो ज़्यादा एक्सप्लेन करने की ज़रूरत नही है.... 


अनु.... हां मैं क्यों एक्सप्लेन करने लगा, तुम खुद समझदार हो अंदर का सीन बना सकती हो...


वासू.... अनु बस भी करो, वैसे भी मुझे खुशी है, चलो कम से कम उस दर्द से बाहर तो आई सैली.


अनु.... हां ये सही कही तुम. अच्छा किया जो बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाया.... कुछ बदलाव तो आएगा.... साथ मे गौरव का प्यार उसे फिर से पहले के जैसा कर देगा...


कुछ देर के बात-चीत के बाद उसके कमरे की बेल बजी.... गेट खुला, बाहर गौरव और सैली खड़ी थी....


सैली.... ये तुम लोग घूमने आई हो या यहाँ होटेल मे गुटार-गु करने.....


वासू हँसती हुई उसे देखने लगी..... 10 मिनट रुकने का कह कर कही.... "आती हूँ मैं चेंज कर के"...


सैली..... बाथरूम मे चेंज करने का कष्ट क्यों कर रही है. वैसे भी मेरा क्रेज़ी बॉय तुम्हे देखेगा नही, जो देखेगा वो तो तुझे कई बार देख चुका होगा, और मेरे देखने से क्या फ़र्क पड़ने वाला है, जो तेरे पास है वो मेरे पास है...


वासू.... "अच्छा ऐसा क्या, ले ठीक है मैं यहीं पर चेंज कर लेती हूँ, गौरव ज़रा दूसरी ओर मुड़ना"


गौरव बिल्कुल वासू के सामने ही घूम कर बैठ गया और कहने लगा..... "बिलीव मे मेरी आँखें खुली भी होगी तो भी मैं कुछ नही देखूँगा"


वासू.... सैली संभाल अपने क्रेज़ी बॉय को, मैं चली बाथरूम.


थोड़ी देर बाद फिर से सब शिमला की वादियों का लुफ्त उठाने निकले. इस बार सब ग्रूप मे थे और सैली का खुल कर सब के साथ बात करना, हसना, बोलना... सबको काफ़ी सुकून दे रहा था.....


शिमला की वादियों ने कमाल कर दिया, सब घूम कर रात को पहुँचे.... आज बहुत दिनो बाद सैली काफ़ी खुश नज़र आ रही थी... सबने इस बात को महसूस किया और सैली के लिए सभी खुश थे.


वापस आते ही ... सैली फिर से गौरव के आगोश मे एक सुकून की नींद सो गयी... अनु और वासू अपने कमरे मे पहुँचते ही बस सैली के बारे मे ही बात करने लगे...


अनु.... वासू, आज सैली काफ़ी खुश नज़र आ रही थी ना....


वासू... हां, खुश तो नज़र आ रही थी, मैं ज़रा ये बात रीति को भी बता दूं...


अनु.... हां कर दो अब उस बेचारी को भी डिस्ट्रब...


वासू.... अनुउऊउ... तुम भी ना, और डिस्ट्रब होती हो तो होये, मेरा हक़ बनता है....


वासू, अनु की बात काट'ती रीति को कॉल लगा दी... 3-4 रिंग के बाद रीति कॉल पिक-अप करती "हेलो" कही...


वासू.... कैसी हैं मेडम, आज कुछ मस्ती की या पूरा सूखा ही रहा....


रीति.... वासू, आप फोन करते ही ये क्या पुच्छ ने लग गयी... वो सब छोड़िए.. कैसा रहा आप का दिन.


वासू.... अवेसम रीति, बिल्कुल माइंड-ब्लोयिंग.... "आऊ क्या कर रहे हो अनु"


जब वासू इधर बात करने मे लगी थी, और अनु ने उसके कंधे पर होंठो से काट लिया....


रीति.... कल बात कर लेना वासू, अभी अनु को समय दे दो... हहे


वासू.... अच्छा जी, अब कौन क्या बातें कर रहा है....


रीति.... हहे, मैं तो बस समय देने के लिए कह रही थी, वैसे सैली कैसी है. वहाँ भी वही आलम था, खुद मे खोई हुई या कुछ सुधार था...


वासू... इसी बात के लिए फोन की थी, सोची तुम्हे बता दूं. सैली काफ़ी नॉर्मल है और चीज़ों को एंजाय कर रही है...


रीति.... ये तो बड़ी ही खुशी की बात है वासू. बेचारी ने बहुत कुछ झेला था, उसके बारे मे सोच कर काफ़ी दुख होता था.


वासू.... और मुझे तुम्हारे बारे मे सोच-सोच काफ़ी दुख होता है...


रीति.... मैने ऐसा क्या कर दिया...


वासू.... नेनू को तडपा रही हो.... पूरा समय मिला है, इस समय को बर्बाद मत करना... समझ गयी ना...


रीति.... ह्म्म्म्म !


वासू.... चल मैं फोन रखती हूँ.... मिल कर बातें करते हैं....


वासू के फोन रखते ही अनु कहने लगा...... "उसे समझा दिया, और खुद क्या कर रही हो, मुझे तडपा रही हो"


वासू.... मुझे शवर लेनी है, जिसे आना है आ सकता है...


आईयी हाय्यी क्या आँखें चमकी अनु की.... भागता हुआ वही सबसे पहले बाथरूम पहुँच गया... जैसे ही वासू अंदर आई... उसे अपने बाहों मे समेट'ते शवर चालू कर दिया...

वासू.... सोच भी कैसे लिया अनु मैं ये समय बर्बाद कर दूँगी, आज तैयार हो जाओ कच्चा चबा जाउन्गी...


अनु.... तैयार ही हूँ कब से...


इतना कहते ही अनु ने अपने होठ वासू के होंठो पर रखते हुए उसे ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा... वासू भी अनु का साथ देती उसके होंठो को चूसने लगी......


अनु ने हाथ पिछे ले जा कर वासू के बँधे बालों को खोल दिया..... वासू, अनु की पीठ पर हाथ फेरती काफ़ी तेज़ी मे उसकी टी-शर्ट को उसके बदन से अलग कर दी, और उसके सीने पर अपने होठ लगा कर चूमने लगी.....
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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�... - by sexstories - 12-27-2018, 01:53 AM

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