RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
नैन एक बार फिर रीति के गले लगते हुए अपनी बात कहने लगा... रीति फिर से उसे खुद से दूर करती.... "हटो, चलो दूर हटो, अभी ज़्यादा रोमॅंटिक होने की ज़रूरत नही है"
"हुहह.. निष्ठुर कहीं की, मेरे अरमानो पर पानी फेरने के लिए शुक्रिया" और इतना कह कर अपने कपड़े समेटा और नैन चला गया तैयार होने. ऑफीस के लिए जब निकल रहा था तब रीति उसे पिछे से टोकती हुई रुकने के लिए कही....
नैन.... हां बेबी, कहो ना क्या हुआ. क्या आज मैं काम पर नही जाऊ, ऐसा कहना चाह रही हो...
रीति.... उफफफ्फ़ ओ' ... काम पर तो आप जाओ ही लेकिन पैसे देते जाओ मुझे आज घर के लिए शॉपिंग करनी है...
नैन.... अकेली शॉपिंग पर कैसे जाओगी, फोन कर देना मैं चला आउन्गा....
रीति.... जितना कही बस उतना ही, कोई ज़रूरत नही है काम चोरी करने की.
नैन छोटा सा मुँह बनाते हुए सोचने लगा.... "इसकी तो, आज तो हिटलर भी कम तानाशाह लग रहा है इसके सामने"
रीति.... मन मे क्या चल रहा है हां.....
नैन.... कुछ नही बेबी, बस यही सोच रहा था, तुम अकेली कैसे शॉपिंग करोगी.
रीति.... पैसे प्लीज़..
नैन अपना डेबिट कार्ड और क्रेडिट कार्ड दोनो निकाल कर रीति को दे दिया.... जब रीति पासवर्ड पुछि तो नैन ने कहा... अपने नाम के वर्ड्स पर प्रेस कर देना वही पासवर्ड है. इतना कह कर नैन जाने लगा..
रीति... "रुकिये एक मिनट" ... नैन फिर से खड़ा हो गया, और पुच्छने लगा .... "अब क्या"
रीति नैन के करीब आई और उसके होंठो पर एक छोटा सा गुड बाइ किस करती हुई कहने लगी... "अब ठीक है, अब आप जाओ"
नैन.... ये तो तुम्हारा हुआ, मेरा....
रीति... वो जब आप काम से लौट कर शाम को आओगे तब....
इतना कह कर रीति अंदर चली आई और नैन हँसता हुआ अपने काम पर निकल गया.
इधर कुछ ही देर मे फ्लाइट लॅंड कर चुकी थी शिमला. मौसम काफ़ी सुहाना था शिमला का. चारों पहुचे अपने होटेल मे. हमेशा की तरह दो सबसे क्यूट कपल वासू और अनु... इनके आशिकाना मिज़ाज हर मौसम का लुफ्त उठाने को बेकरार रहता है.
अनु और वासू जैसे ही पहुँचे, वासू अपने कपड़े निकाल कर सीधे बाथरूम मे जाने लगी.
अनु.... वासू अकेली कहाँ चल दी, रूको मैं भी आया.....
वासू.... हनीमून पर आए हो क्या अनु, जो साथ नहाना है... चुप-चाप जाकर टीवी देखो.
अनु.... प्लीज़ ना वासू, मेरी इक्षा हो रही है, हम साथ नहाए.
वासू.... मार डालो अपनी इक्षाओ को अनु वरना यदि इक्षा तुम्हारी ज़्यादा ज़ोर मारी तो ना ये इक्षा पूरी होगी ना कोई और.
अनु.... उफ़फ्फ़ ये ज़ुल्म ओ सितम, मर तो वैसे ही गये हैं जान.
वासू, अनु की बात ना सुनते हुए, चली गयी बाथरूम मे और कुछ देर बाद तैयार हो कर बाहर आई. अनु बेचारा, बिस्तर पर बैठा मुँह लटकाए टीवी देख रहा था. वासू उसके पास आकर उसके बालों पर अपने हाथ फिराती.... "क्या हुआ मेरे बेबी को रूठा है क्या" ?
अनु.... "मुझे थोड़े हक़ है रूठने का, ये डिपार्टमेंट तो तुम्हारा है"..... अनु थोड़ा चिढ़'ते हुए कहा....
वासू, अनु के गालों को दोनो हाथों से खिचने लगी... एक छोटा पर लस्टी सा किस करती हुई कही...... सॉली बेबी, नाराज़ क्यों होते हो. आज रात तुम्हारा, पर दिन को कोई नॉटी ख़यालात नही... क्योंकि अभी मुझे शिमला घूमना है...
अनु मुस्कुराता हुआ उसको अपने सीने से चिपका लिया और चला गया वो भी तैयार होने. दोनो तैयार हो कर पहुँचे सैली और गौरव के कमरे. नॉक करते हुए अंदर पहुँचे. पर ये क्या दोनो दूर-दूर बस बैठे थे कोई तैयार नही हुआ था.
वासू, सैली के पास बैठ'ती हुई कहने लगी.... "क्या हुआ तुम्हे सैली, तुम तैयार क्यों नही हुई"..
सैली... मन नही कर रहा है वासू कहीं जाने का.
अनु.... सैली ऐसे कैसे मन नही कर रहा है, साथ आए हैं तो साथ घूमने जाएँगे.....
गौरव.... सही तो सब कह रहे हैं सैली, अब देखो हम नही जाएँगे तो इन्हे भी बुरा लगेगा...
सैली.... सॉरी.... आप सब मुझे यहाँ लाए ही क्यों. मेरी वजह से आप सब का टूर बोरिंग हो गया...
वासू, सब को चुप रहने का इशारा की, और तीनो बाहर आ गये..
वासू..... गौरव अभी उसे तुम्हारे साथ और प्यार की ज़रूरत है. ज़बरदस्ती मत करो, उसे गहरा सदमा लगा है... तुम आज उसको पूरा समय दो अकेले. मुझे विस्वास है तुम प्यार से उसे हॅंडल करोगे तो खुशियाँ लौट आएगी उसके जीवन मे.
इतना कह कर वासू, अनु को लेकर घूमने चली गयी और गौरव कमरे मे वापस चला आया.
सैली... क्या हुआ, तुम सब क्या बातें कर रहे थे बाहर.
गौरव... वो ज़िद कर रहे थे बाहर जाने की इसलिए मैने उन्हे समझा कर भेज दिया, कहा कल हम सब साथ जाएँगे. ठीक कहा ना मैने सैली.
सैली.... ह्म !
सैली कोई जबाव नही दी, बस अपनी सहमति जता कर खामोश हो गयी. हमेशा बोलते रहने वाली जिस लड़की को गौरव चाहता आया था, वो आज खामोश थी. सैली का इस तरह से खामोश रहना गौरव के दिल पर ये बार-बार चोट कर रहा था.
सैली के पास वो भी खामोश बैठ गया. दोनो बस खामोश, सामने की ओर देख रहे थे.... गौरव, सैली के हाथ को अपने हाथों मे थामते हुए उसे प्यार से पुच्छ ने लगा.... "क्या हुआ मेरी चुल-बूली सैली को इतनी खामोश क्यों है".
सैली बस कमोशी वाला ही जबाव दी "कुछ नही". सैली की इतनी हिम्मत नही हुई कि वो नज़रें मिला कर गौरव से बात कर सके. गौरव अपना सिर सैली के गोद मे रख कर लेट गया... और कहने लगा.... "क्या मैं अपने सैली को जानता नही, देखो तो तुम्हारा क्रेज़ी-बॉय तुम्हे खामोश देख कर क्रेज़ी होना छोड़ चुका है"
कोई भी बात सैली को खुल कर नही बुलवा सकी वो फिर भी खामोश रही.... गौरव भी खामोश उसकी गोद मे लेटा रहा... गौरव के दिल मे जैसे चिहुक सी उठ रही हो, सैली का चुप रहना उसे खाए जा रहा था.
तभी मोतियों से, दो बूँद आंशु टपकता हुआ गौरव के गाल पर गिरा. सैली के आंशु क्या गिरे गौरव के दिल मे दर्द सा हो ने लगा... वो उठ कर बैठ गया और सैली के चेहरे को उपर उठा'ते हुए कहने लगा..... "ये सब क्या है सैली, तुम रो क्यों रही हो. मत रो तुम प्लीज़, तुम्हे रोता देख कर मेरे दिल मे दर्द हो रहा है".
सैली, गौरव की बात ख़तम होने से पहले ही उस से लिपट कर और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी..... "क्रेज़ी बॉय मैने अपने अहंकार वश सबका दिल तोड़ा है, मैं साथ रहने के काबिल भी नही"
गौरव उसके पीठ पर हाथ फिराते हुए.... नही सैली, किसी के दिल मे भी उस बात के लिए कोई मलाल नही, और देखो नेनू ने तो कभी माइंड ही नही किया इस बात का.
सैली, गौरव से लिपटी ही रही, रोती-रोती कहने लगी.... नही गौरव मेरे दिल मुझे अंदर से धिक्कार रहा है. सब ने मेरा कितना ख्याल रखा और मैने क्या किया... हर वक़्त सबके दिल को दुखाया...
गौरव... दिल तो मेरा दुख रहा है अभी. प्लीज़ वापस आ जाओ सैली. मुझे अपनी पहले वाली सैली चाहिए... चुल बूली सी और ढेर सारा गुस्सा करने वाली.
सैली.... क्रेज़ी बॉय वो सैली तो कब का मर गयी. तुम सब का शुक्रिया इतना साथ निभाने के लिए पर मैं अब तुम सब के साथ रहने के काबिल भी नही. और जिस पर तुम्हारा हक़ था, उसे मेरी ही सहमति से सब ने भोगा... अब तो मैं तुम्हारे प्यार के भी काबिल नही रही गौरव... मैं तुम्हारे प्यार के भी काबिल नही.
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