RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
किसान खाली होकर वहीं बिस्तर पर ढेर हो गया, और इंदु अपना रुमाल निकालती, अपने चेहरे को सॉफ कर ली. थोड़ी देर लेटे रहने के बाद किसन ने स्कॉच के दो पेग बनाया, एक खुद पिया और दूसरी इंदु की ओर बढ़ा दिया.
इंदु.. मैं पीती नही.....
किसन... पी ले, बहुत कुच्छ पहली बार करना परता है, पर एक बार कर के देखो, मज़ा भी खूब आता है.
इतना कह कर किसन अपने छाती के बाल पर हाथ फिरने लगा. इंदु भी स्कॉच का पाक लेकर उसे पी गयी.... "यक्कक कड़वा है सर"
किसन ... तो अभी सब मीठा कर देते हैं.....
कहते हुए किसन उसके पास गया, और अपने हाथ उसके दोनो स्तनों पर रखता हुआ,उन्हे दबाने लगा. अपना मुँह इंदु के मुँह से लगा कर बेहताशा चूमने लगा. वेट किस, और बेतहाशा चूमते हुए अपना जीभ, इंदु के मुँह मे डाल दिया. इंदु भी लस्टी किस करती हुई, किसन के जीभ को चूस रही थी.
इंदु को भी इस खेल मे मज़ा आने लगा. उसे भी ज़्यादा मेहनत नही करनी पर रही थी, और किसन उसे नया समझ कर उसे पूरा मज़ा देने मे लगा था.
स्तनों को दबाना बंद कर के ... उसने उसके कुर्ते को निकाल दिया... और जो सामने का नज़ारा था, उसे देख कर किसन हिल गया.... गोरे बदन पर काली ब्रा.. और उसके अंदर एक परफ़ेक्ट उभार.... अब तो बर्दास्त कर पाना मुश्किल था.
पीछे ब्रा के हुक मे उंगलियाँ फसाया और उसे जल्द ही निकाल कर फेक दिया. खुले स्तनों को देख किसन की आँखें चमक गयी. बड़ी ताक़त से दोनो हाथों से उसके स्तनों को जकड कर दबा दिया...
"आआआआआअ, सर ये क्या कर रहे हो, पूरा निचोड़ दोगे क्या"
"क्या, मस्त-मुलायम दूध है तेरे, देख कर निचोड़ ही देने का मॅन करता है"
"ओह !!! आराम से सर, धीरे करो, ओह ! बहुत कड़क हाथ हैं"
कड़क सुन कर किसन खुश हो गया, वो बिना कोई नर्मी के लगातार अपने हाथ से इंदु के स्तनों की अच्छी सेवा करता रहा. कड़क हाथों की कड़क मिजाई से, इंदु भी फडक उठी, ... आहह .. आहह... करती वो भी किसन की पीठ पर हाथ फेरने लगी.
खड़े-खड़े सेवा के बाद इंदु को लिटा कर, अपना मुँह उसके स्तन पर लगा दिया. अपने मुँह से उसे पूरा गीला करते चूसने लगा, फिर दाँतों से उसे काट भी लेता. वो इतना हावी हुआ कि, इंदु के स्तनों पर किसन के दाँत के लाल-लाल निशान पर गये.
किसन नीचे आया, कमर को देखा और उसके लॅगी के अंदर हाथ डाल कर, इंदु के योनि को मसल दिया. हाथ का ज़ोर इतना था, कि इंदु मचल गयी.....
"काफ़ी रस निकल रहा है रे, तू तो काफ़ी गरम हो गयी, कभी किसी ने तेरे साथ पहले सेक्स किया है"
"अहह, हां एक बार बस"
किसान... मतलब खेल चुकी है ये खेल्ल्ल...
इंदु.... आहह, सर अच्छा लग रहा है.... ईश्ह्ह्ह ! हां एक बार बॉय फ्रेंड के साथ...
किसन.... कहाँ रहता है तेरा बाय्फ्रेंड...
इंदु.... उफफफफ्फ़... सिर्ररर वूऊ गाँव मे रहता है...
किसान... तो ये तेरा प्रोग्राम कब हुआ था.....
इंदु..... इष्ह ! सिर्र्र्र्र्र्ररर ... आहह डीटेल बाद मे ले लएनाअ... मुझहह से बाट्ट नही कियाअ जाएगाअ.... आहह .... ओह.... उफफफफफफफफफ्फ़.... करतीए राहूओ मज़ाअ आआ अराहा हाीइ...
किसन ने जोश मे इंदु के पाँव को उपर कर के, लॅगी को पैंटी सहित खींच कर निकाल दिया.... दोनो पाँव को जितना फैला सकता था फैला कर उसके योनि को देखने लगा.....
"तो तू ये करवा कर आई है.... साला बिना बालों की योनि कितनी खूबसूरत लगती है, ऐसा लग रहा है किसी विदेशी पॉर्न स्टार की योनि देख रहा हुन्न्ं"
किसन अपना बड़ा सा मुँह कर के, पूरी योनि को अपने मुँह से लगा कर चूसने लगा. योनि पर मुँह पड़ते ही इंदु उठ कर बैठ गयी, और अपने सिर को रोल करती, किसन के बालों को ज़ोर से पकड़ ली. किसन के बालों को पकड़ कर, ज़ोर-ज़ोर से अपने योनि मे दबाने लगी...... आहह ! सिर्र्र्र्र्ररर.... कहती इंदु का बदन अकड़ गया, और रस की फुहार योनि से छूटने लगी.
किसन, का भी लिंग अब दोबारा खड़ा हो चुका था. इंदु की जाँघो को अपनी जाँघो के उपर रख कर, लिंग को योनि पर सेट किया, और उसके नितंबों को हाथ से पकड़ कर पहला झटका दिया.
"आआअहह, ईश्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह" और इंदु ने पूरे ज़ोर से किसन के कंधों को जकड ली. बैठे बैठे किसन नीचे से इतना तेज झटका दे रहा था, कि इंदु मस्ती के सागर मे गोते खाती तेज-तेज सिसकारियाँ ले रही थी.
लगातार धक्के पड रहे थे, किसन तो इतना जोश अपनी सुहागरात मे भी नही था, जितने जोश मे वो आज लग रहा था. बैठे बैठे धक्के मारने मे परेशानी हुई तो लिटा दिया. दोनो पाँव को पूरा फैला कर. पूरी ताक़त से धक्का मारा.... पहले ही धक्के के ज़ोर ने, इंदु को पसीने-पसीने कर दिया.
दोनो सेक्स करते हुए काफ़ी उत्तेजित थे और हाँफ रहे थे, 15 मिनट के इस धुआँधार सेक्स के बाद... दोनो निढाल पड गये. इंदु वहीं लेटी रही. किसन कुच्छ देर बाद उठा, अपने कपड़े ले कर बाथरूम मे चला गया.
वापस आकर देखा, इंदु अब भी बिस्तर पर नंगी लेटी थी, किसन ने उसके पूरे बदन पर हाथ फिराया, इंदु को देख कर मॅन तो उसका कर रहा था कि एक बार और शुरू हो जाए, पर काम की चिंता, और लड़की कहाँ जाएगी, ये सोच कर वो निकल गया.
किसन के जाते ही, इंदु भी फटा-फट उठी, बाथरूम मे जाकर फ्रेश हो गयी, और अपने कपड़े पहन कर, सारे मोबाइल की शूटिंग चेक करने लगी.
अपने सेक्स की रेकॉर्डिंग खुद देख कर, इंदु को काफ़ी एक्सिटमेंट हुआ. अजीब सी फीलिंग अंदर आई. इंदु ने मोबाइल अपने पर्स मे डाला, और वो भी विक्की को कॉल लगाती हुई.. होटेल से निकल गयी.
"सर आप का शक़ सही था, किसन इन लोगों के साथ मिला है, वो विक्रम जिस लड़की को होटेल मे चोदा था, वो भी उसी कमरे से निकली जिसमे किसन था. कहो तो लड़की को इनटेरगेशन के लिए ले कर आउ".
"सादिक़, तुम इतने डफर क्यों हो, इनटेरगेशन मे क्या पुछोगे, तुम किसन के कमरे मे क्या कर रही थी. इस से क्या साबित होगा. एक काम करो, उस विक्की पर नज़र रखो, देखो कि किसन और विक्की को कोई आमने सामने की मुलाकात होती है की नही".
"ठीक है सर करता हूँ".... इतना कह कर, नारकॉटिक डेपारमेंट के ऑफीसर सादिक़ ने अपने सीनियर को सूचना दिया. शदिक़ को खास तौर पर विक्की के पिछे लगाया था, क्योंकि ये बंदा अगर फसा तो इस ड्रग्स के रॅकेट के जो मुखिया है जल्द ही गिरफ़्त मे होगा.
पोलीस के नज़रों मे अब इंदु भी आ गयी थी, हालाकी पोलीस अभी उसे एक कॉल गर्ल ही समझ रही थी, पर आख़िर कब तक बच पाएगी.
इंदु, विक्की के साथ सीधे अपना नया फ्लॅट देखने निकल गयी. विक्की आज के इंदु के द्वारा किए गये आक्ट से काफ़ी खुश था, किसन ने जाते-जाते कुच्छ ऐसी बातें बता कर गया, जो उसके आगे बढ़ने का रास्ता खोल गया था.
इधर कॉलेज मे ऋतु अपने कल के फ़ैसले के बारे मे हे सोच रही थी. यूँ तो अभी के जाने के बाद कोई खास बदलाव नही आया था उसके दैनिक जीवन पर, लेकिन पता नही क्यों वो कुच्छ तो मिस कर रही थी.
रीति.... वासू, दिल नही लग रहा है, क्या इस क्लास के बाद हम कहीं घूमने चले.
वासू ने रीति की हालत को समझती हुई, उसके साथ बाहर जाने के लिए हामी भर दी. दोनो वहाँ से निकली, देल्ही घूमती हुई रीति काफ़ी खुश थी, इस दौरान उसे ज़रा भी याद ना आई अभी की, हां जब अकेली होती तब ज़रूर उसकी याद सताती थी.
घूमते-घूमते रात के 9.30 बज गये. दोनो ने साथ बाहर ही डिन्नर करने का प्लान बनाया. दोनो एक रेस्टोरेंट मे गयी, अभी बैठी ही थी की अपनी बाएँ तरफ उसका ध्यान गया. बाएँ तरफ के टेबल पर अभी, और उसके साथ एक लड़की बैठी थी, जो अभी का हाथ थामे हंस-हंस कर बात कर रही थी.
रीति ने अपनी नज़रें हटा ली उस ओर से, पर रह-रह कर अपनी तिर्छि नज़रों से बाएँ ही देख रही थी. हाथों मे उसके मेनू कार्ड था और तिर्छि नज़रें अभी पर. गुस्से मे रीति उस मेनू कार्ड के कब छितरे कर दी, उसे होश ही नही रहा.
वासू, रीति को टोकती हुई उस से गुस्से का कारण पुच्छने लगी. वासू ने रीति को जैसे हे टोका, एक झटके मे गुस्से से अपनी जगह से उठी, और सीधे पहुँच गयी अभी के टेबल पर. अभी का हाथ वो लड़की अब भी पकड़ी थी, और हंस-हंस कर बातें कर रही थी. रीति को देख अभी हड़बड़ा गया.... उस लड़की का हाथ जल्दी से छोड़ा ... और खड़ा हो गया....... रीति घुरती नज़रों से बस अभी को ही देख रही थी....
अभी मज़किया अंदाज़ मे अपना आँखें मिजा... और आँखें बंद कर के गाने लगा....
"किसी शायर की ग़ज़ल, ड्रीम गर्ल, किसी झील का कंवल, ड्रीम गर्ल
कहीं तो मिलेगी, कभी तो मिलेगी, आज नहीं तो कल"
रीति ने गुस्से मे पानी से भरा ग्लास उसके मुँह पर दे मारी.... "नींद खुली या कुच्छ बाकी है, यू चीटर, लोफर".....
रीति ने जैसे ही अभी के मुँह पर पानी मारा... वैसे ही चार पाँच लोग आ गये... सब के सब 6 फिट से उपर के थे, देखने से ख़तरनाक और ख़ूँख़ार... उन मे से एक ने बोला....
"क्या हुआ सर... आए लड़की तू कौन है, और सर के उपर ऐसे पानी क्यों फेकि"
अभी..... "तुम लोग जाओ यहाँ से"..... और फिर जो लड़की साथ मे थी.. उसे कहते हुए... "मिस आप जाइए, मैं हूँ ना सब सॉल्व हो जाएगा"....
रीति.... तुम गुंडे मवाली, आज तो मैने खुद इन आँखों से देख ली, पूरा गॅंग पाल रखा है, और लड़की के साथ कैसे हंस-हंस कर बात कर रहे थे"....
अभी मुस्कुराता हुआ.... फिर तो ये भी देखी होगी ... यहाँ रेस्टोरेंट मे खाना ख़ाता हूँ....
रीति... तो ज़हर का भी ऑर्डर दे दो ना... मुझे इस से क्या....
अभी ... "तो पुच्छ रही हैं मेडम.... तो बात ये है कि...... ज़रूरत है ज़रूरत है... सख़्त ज़रूरत है... ज़रूरत है ज़रूरत.....है ज़रूरत है..... एक श्रीमती की कलावती..... की सेवा करे जो पति की"
रीति... गुंडा कहीं का ... किडनॅप कर लो किसी को भी, गन के डर से तो कोई भी तुम्हारा खाना पका देगी....
एक वेटर जो अभी उनके पास आया था, वो रीति की बात सुनकर चौुक्ते हुए कहने लगा..... मेडम आप कुच्छ कन्फ्यूज़ दिखती हैं, क्योंकि सर जो हैं, वो देल्ही के एसपी हैं...
रीति चौुक्ते हुए .... "क्या" उसके मुँह से निकल गया, और वो अभी की ओर हैरानी से देखने लगी... अभी भी चुप-चाप अपना आइ'डी कार्ड निकाल कर उसे दे दिया....
पोलीस एसपी की आइ'डी कार्ड देख कर रीति पहले तो खुश हुई... फिर अचानक ही गुस्से मे चेहरा उसका लाल हो गया... और वो कार्ड अभी की ओर फेंकती हुई, वहाँ से तेज़ी से निकली.... रीति को जाते देख, उसके पुछे-पिछे वासू भी निकली... और उन दोनो के पिछे एसपी साहब.
पीछे से आवाज़ देता हुआ.... "ओ' मेडम अब ऐसा क्या कह दिया, हद है, तुम्हे क्या पोलीस वाले पसंद नही, कौन सा जॉब कहोगी ... अभी कह दो, मैं वही कर दूँगा, पर यूँ रूठ के ना जाओ बेबी, दिल बैठ जाता है"
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