RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
मायूसी का आलम छाया था, दिल पर बोझ सा लग रहा था रीति को, इसलिए वो कॉलेज भी नही गयी, अपने कमरे मे बस रोती रही.
दिन के क्लास के वक़्त एक अननोन नंबर से वासू के मोबाइल पर कॉल आया.... वासू क्लास मे थी इसलिए पिक नही कर पाई, पर रिंग टोन पूरी क्लास के सामने बजा. पहली बार तो प्रोफ़ेसर ने भी छोड़ दिया, पर वासू फोन को साइलेंट ना कर पाई थी, तुरंत दूसरा रिंग भी हुआ...
प्रोफ़ेसर... दिस ईज़ नोट युवर रूम, स्विच ऑफ युवर सेल फोन
वासू पर गुस्सा कर उस प्रोफ़ेसर ने डाँट दिया, वासू जल्दी से अपने मोबाइल को साइलेंट मोड़ पर की, और चुप-चाप क्लास अटेंड करने लगी. रीति के ना होने से उसे भी कुच्छ सूना-सूना लग रहा था, आख़िरकार क्लास ख़तम कर . वो वापस रीति के पास जाने का सोची.
पर जैसे ही क्लास से बाहर आकर मोबाइल चेक की, 55 मिस कॉल्स, 40 एसएमएस. वासू चिंता मे पड़ गयी, ये इत्ते सारे कॉल, कहीं कोई एमर्जेन्सी मे तो नही फँसा... कहीं रीति.. को.....
वासू हड़बड़ा कर कॉल बॅक की... उधर से किसी लड़की का रिप्लाइ आया..... "पहचाना मुझे, बताओ तो मैं कौन"
वासू का पारा सातवे आसमान पर, "कामिनी जान पहचान के लिए फोन की क्या.... "पागल फोन रख, नही तो फोन मे घुस कर मारूँगी"
फिर जब रीति की चिंता हो ही गयी थी तो रीति को कॉल लगाई.... रीति पिक करते ही... "हां वासू, कहिए"
वासू... नही बस ऐसे ही फोन की थी, क्लास मे मन नही लग रहा था तो वापस आ रही हूँ.
रीति... मैं ठीक हूँ, आप क्लास अटेंड कर लीजिए....
वासू कुच्छ नही बोली, फोन कट कर दी, और मॅन मे चार गलियाँ देती, फिर उस लड़की को फोन लगा दी... क्योंकि रीति से बात करते वक़्त भी उसका फोन लगातार आ रहा था...
जैसे ही कॉल पिक हुआ... वासू चिल्लाती हुई .... कमीनी, पागल, कमकल, हरम्खोर, जाहिल, बद-दिमाग़, क्यों परेशान कर रही है, फोन रख.
उधर से... रुकिये-रुकिये, बसस्स भी कीजिए नही तो, कान से खून निकल आएगा, मैं सोना बोल रही हूँ.
वासू, चौुक्ति हुई... मेरा नंबर कहाँ से मिला..
सोना... अभी के मोबाइल मे था, उसने अपने कॉल की डीटेल सिम कंपनी वालों से मँगवाया और उसी से ये नंबर मिला.
वासू... ह्म्म्म , क्या कहना चाह रही हैं, और ऐसे फोन करने से जानती हैं, दिमाग़ मे कितनी बातें आती हैं.
सोना... आनी भी चाहिए, अभी मैं फोन रखती हूँ, अभी आ जाएगा, बात बहुत ही ज़्यादा सीरीयस है, मैं रात को आप के हॉस्टिल के बाहर मिलूंगी ठीक 9 बजे. प्लीज़ आ जाइएगा, नही तो अनर्थ हो जाएगा.
इतना कह कर सोना ने फोन कट कर दिया. वापस कॉल लगाई तो फोन स्विच ऑफ. वासू जब रीति को ये बात बताई, तो रीति और ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी....
वासू जब कारण पुछि तो, रीति रोती हुई अपने बीती जिंदगी के उस साइको की घटना को रो-रो कर वासू से कहने लगी. अपनी बीती जिंदगी का एक कड़वा सच बता दी, इस बात से अंजान कि गेट पर खड़ी इंदु सब सुन रही है. जब वासू परेशान घर आई तो पिछे-पिछे इंदु भी आ गयी, इनको परेशान देख कर मज़ा लेने.
हर पल चिंता से बिता, रात ठीक 9 बजे वासू और रीति हॉस्टिल के बाहर पहुँची, गेट के पास सोना पहले से खड़ी थी, सोना हड़बड़ी मे दोनो का हाथ पकड़ी, और कही... "चलो-चलो, अंदर जल्दी, नही तो अभी ने देखा लिया तो कयामत आ जाएगी.
तीनो घबराए कमरे मे पहुँचे...... सब अपनी-अपनी जगह पकड़ लिए. टिक-टिक, घड़ी की सुइयों की आवाज़, तेज चल रही सांसो की आवाज़, खामोसी ऐसी थी कि हवा की सरसरती आवाज़ भी कानो मे सुनी जा सकती थी.
रीति और वासू बस सोना पर ही नज़रें जमाई थी, और सोना थी कि आते ही, पानी के बोतल से पानी पी, और बिस्तर पर, सीधी होकर, अपने दोनो बाहें फैला कर लेट गयी थी. 15 मिनट बीत गये इसी खामोसी मे, रीति और वासू बस इंतज़ार कर रहे थे, सोना कब रिलॅक्स हो और पूरी बात बताए.
15 मिनट बीतने के बाद भी जब कोई हरकत नही हुई, तो रीति, वासू को इशारों मे सोना को देखने के लिए बोली, और सोना वो तो आँखें मुन्दे बस पड़ी थी. वासू उसे हिला कर देखी.... "रीति ये तो सो गयी"
रीति... हद है, दिन से हम इतने परेशान हैं और ये यहाँ सो गयी, जगाओ वासू इसे.
वासू, सोना को ज़ोर से हिलाओ.... रीति ये तो कुंभ करण के नींद मे है, ये ईति जल्दी इतनी गहरी नींद मे सो कैसे सकती है.
रीति.... जी तो करता है सोए मे इसका गला दबा दूं, रूको इसे मैं जगाती हूँ.
रीति भागती हुई बाथरूम गयी, आधा बाल्टी पानी उठा ले आई, और छपाक से उडेल दी सोना के उपर. चिहुक कर उठी सोना, और "बचाओ-बचाओ" चिल्लाती हुई लिपट गयी वासू से.....
वासू, सोना को खुद से दूर करती... हट भी जाओ, कोई नही है यहाँ पर, और तुम इतना घबराई क्यों हो.
सोना... वो... वूऊ... वू अभी...
रीति... हां अभी, क्या....
सोना.... अभी मुझ से तलाक़ चाहता है.
सोना की बात सुन कर, रीति और वासू अपना सिर खुजाने लगी.... दोनो एक दूसरे को देखती, इसकी शादी कब हो गयी, जो अब तलाक़ का मामला दर्ज हो गया, और तलाक़ ही चाहिए तो इसमे सीरीयस जैसा क्या है...
रीति गुस्से मे.... तुम पागल तो नही हुई, शादी कब की और तलाक़ चाहिए तो इसमे सीरीयस जैसा क्या है...
एक दम से सोना खड़ी हो गयी.... एक पल को तो रीति और वासू भी घबरा गयी, कि इसे हुआ क्या है... फिर सोना कहना शुरू की.....
"सीरीयस ही तो मामला है ना, अभी मेरी उम्र ही क्या है, उपर से बिना शादी के तलाक़, मैं तो बेचलर डाइवोर्स हो गयी"
वासू... निकल, निकल यहाँ से, उल्लू समझ रखी है क्या, और ये नाटक क्या लगा रखा है.....
सोना.... सच ही तो कही, अभी मुझ से शादी के लिए तैयार है, लेकिन शर्त ये है कि मैं पहले उसे तलाक़ दे दूं, फिर वो मुझ से शादी करेगा....
अभी इतनी ही बातें हुई थी, कि वॉचमन भागता हुआ आया उपर.... यहाँ अभी की बीवी कोई सोना है क्या..
सोना खुशी से उछ्लति हुई... हां-हां मैं हे हूँ अभी की बीवी, बताइए बात क्या है...
वासू... पर शादी कब हुई..
सोना... अर्रे शादी नही हुई तो क्या हुआ, सुहाग-रात तो हो गयी ना, तो हुई ना, मैं अभी की पत्नी.
वॉचमन... मतलब वो सही कह रहे थे, तीनो नीचे जाओ नही तो पोलीस आएगी तुम तीनो को अरेस्ट करने.
पोलीस का नाम सुन कर रीति और वासू के तो होश ही उड़ गये.... "पोलीस".......
तीनो नीचे गयी, जैसे ही पहुँची तो गेट के बाहर अभी था, साथ मे एक पोलीस वाला, जो इनलोगों के पहुँचते ही बोलने लगा.... "तुम तीनो मे सोना कौन है"
सोना अपना हाथ उपर करती.... मैं हूँ, मैं हूँ सोना...
पोलीस वाला... ये लो तलाक़ के पेपर साइन करो, और कल सुबह बजरंग बलि के मंदिर जा कर शादी कर लेना..
वासू पोलीस वाले को घुरती हुई.... सर, आप ये कैसे पोलीस वाले हो..
वो पोलीस वाला थोड़ा लाजाते हुए..... अब मुझे अच्छा नही लगेगा खुद की तारीफ करने मे, तुम्ही बता दो मैं कैसा हूँ....
वासू मॅन मे सोचती.... "किस पागल खाने से भाग कर आया है, आज मैं इन सब के चक्कर मे रही, तो मैं भी पागल ही हो जाउन्गी"... फिर उस पोलीस वाले को कहने लगी...
"सर ये आप क्या कह रहे हो, बजरंग बलि के मंदिर मे शादी, आप का दिमाग़ तो सही है ना.... और ये लड़का अभी, एक नंबर का लुच्चा, लफंगा लोफेर है, ये ज़बरदस्ती कर रहा है सोना के साथ. और आप को पोलीस मे किसने जाय्न करवा दिया, शादी से पहले भी कभी तलाक़ हुआ है क्या"...
पोलीस वाला.... मुझे कुच्छ नही पता है, पैसे दो अभी जिसको कहोगी उसे अरेस्ट कर लूँगा....
अभी... आप जा सकते हैं, ये लोग नीचे आ गये, यदि कोई ज़रूरत होगी तो कॉल कर दूँगा...
पोलीस वाला वहाँ से चला गया, और उसके जाते ही अभी... "रीति तुमने अच्छा नही किया, सोना के साथ... सोना जा अब तुम से शादी भी नही करूँगा, कर ले इस रीति से ही शादी... तू इसके पास आई है ना मदद माँगने, अब यही मदद करेगी."..
सोना... अभी, पर मुझे बच्चे के बाप का नाम चाहिए, ये तो बच्चे के दो-दो माँ हो जाएगी. मेरा बच्चा जब बड़ा होगा, और लोग उस से पुछेन्गे, कि तेरे बाप का नाम क्या है, तो क्या जबाव देगा...
अभी.... ओह्ह्ह ! ये तो मैने सोचा ही नही... तो ठीक है, पहले ये रीति मुझ से आइ लव यू कहेगी फिर मैं सोचूँगा....
रीति... बकवास बंद करो नही तो मैं तुम्हारा खून कर दूँगी... मैं नही बोलती तुम्हे कुच्छ भी, जो भी निपटाना है वो आपस मे निपटो, मेरा तुम्हारा कोई वास्ता नही.
सोना ज़ोर-ज़ोर से हँसती हुई...... सो सॉरी डियर..... मुझे माफ़ कर दो, कल जो हुआ वो सिर्फ़ मज़ाक था जो मैं कर रही थी, इतना तो झूट बोली थी, फिर भी तुम लोगों को मेरी बात पर यकीन हो गया....
वासू.... अब ये क्या नया नाटक है, सोना क्या पागल कर के ही छोड़ॉगी.
रीति.... वासू आप रहो यहीं, मेरा सिर फटा जा रहा है....
इतना कह कर रीति चल दी अपने कमरे की ओर, तभी पिछे से अभी ने हाथ पकड़ लिया, रीति अपनी कलाई छुड़ाने की कोशिस की, पर अभी के बल के आगे वो अ-समर्थ थी. अभी ने पहले सोना की ओर देखा, और वो वासू को लेकर साइड हो गयी.....
वासू, सोना से.... ये क्या नाटक, तुम दोनो ने लगा रखा है, अगर रीति के साथ कोई बदतमीज़ी की तो पूरा हॉस्टिल यहाँ होगा. अभी को बोलो उसके लिए यही अच्छा होगा कि, वो रीति को परेशान ना करे.
सोना.... कहाँ तुम भी महाजन की बात से अडेसन हो वासू.
वासू, सोना के मुँह से महाजन का नाम सुन कर चौक गयी..... "तुम्हे कैसे पता महाजन के बारे मे".
सोना.... अब भी नही समझी, हम लोग क्राइम ब्रांच से हैं, और वो जो अभी साब हैं वो हैं एसपी, और मेरी फूटी किस्मत, मेरी ड्यूटी उन्ही के साथ है.
वासू बुल्कुल शॉक्ड होती हुई.... क्या ???????
सोना.... हा हा हा हा... तुम कुच्छ ज़्यादा ही शॉक्ड लग रही हो.
फिर सोना ने अपनी आइ'डी निकाल कर वासू को दिखाई. वासू इनके कल के ड्रामा और ये लोग सही मे क्या है, जानकर काफ़ी हैरान थी, और उल्लू जो बनी उस पर हंस भी रही थी....
इधर... रीति ... और .... अभी....
अभी, रीति का हाथ थामे उसे रोक रहा था, और रीति काफ़ी गुस्से मे अपना हाथ छुड़ाने की कोशिस कर रही थी....
रीति, काफ़ी गुस्से मे चिल्ला उठी अभी पर.... "हाथ छोड़ी मेरा अभी"......
अभी.... हाथ छोड़ने के लिए नही थामा है रीति, अब तो ये उम्र भर का साथ है....
रीति.... मैं कहती हूँ हाथ छोड़ो मेरा अभी, नही तो देख लेना मैं कुच्छ कर जाउन्गी.
अभी, रीति के हाथ को झटका देकर, अपनी ओर मोड़ लिया, और उसके कमर मे हाथ डाल कर... गुस्से से भरे चेहरे पर उंगली फिराते हुए..... "हां तो आप क्या कुच्छ कर जाने का सोच रही हैं"...
रीति काफ़ी गुस्से मे...... अभी के अभी मेरे कमर से हाथ हटाओ, और मुझ से दूर रहो....
अभी..... ठीक है मैं तुम्हे छोड़ता हूँ, पर पहले तुम्हे ये बताना होगा कि इस नफ़रत की वजह क्या है, यदि वजह सही हुई, तो मैं अपनी शकल कभी नही दिखाउन्गा....
अभी इतना कह कर रीति को छोड़ दिया.... वो अभी भी काफ़ी गुस्से मे लग रही थी, दो कदम दूर हट'ती, अभी से कहने लगी..... "किसी से बात करने का ये मतलब नही, कि उस से प्यार हो, या जीवन के सफ़र मे उसे हम सफ़र बनाया जाए. सीधे एक लाइन की बात है, मुझे तुम पसंद नही...
अभी अपना छोटा सा मुँह बनाता हुआ, जैसे अब रो पड़ेगा...... "ठीक है रीति, जब पसंद हे नही तो बात ही ख्तम, सोना... सोनाआ.... चलो यहाँ से...
सोना, अभी की आवाज़ सुनकर वासू से कहने लगी, "कल के लिए मुझे माफ़ कर देना, और हो सके तो रीति को भी समझा देना.
इतना कह कर सोना, अभी के पास चली आई, और अभी अपनी रोनी सूरत लिए चल दिया वहाँ से. कल से लेकर आज तक मे पहली बार रीति अपने सारे ख्यालात, उसके साथ हुए सारी घटनाओ को भुला कर, वो बस अभी को मायूष जाते देख रही थी. दिल मे जैसे एक अजीब बेचैनी सी हो, गुस्सा कब उसके उदासी मे बदला पता ही नही चला.
वासू, रीति के कंधे पर हाथ रखती..... क्या हुआ रीति, यूँ गुम्सुम किस सोच मे डूबी हो...
रीति, अपने ध्यान मे ही कह उठी... वो मायूस चले गये, मैं रोकी तक नही...
वासू , उसे ज़ोर से हिलाती..... रीतीईईईईईईईई ... क्या हुआ है तुम्हे, उसके बारे मे इतना सब सच जान'ने के बाद भी उसी का फेवर कर रही हो.
रीति गहरी सांस छोड़ती हुई.... ह्म ! वासू क्या आप जानती हैं, कभी-कभी ये दिल, सच्चाई सुन'ने के बाद भी अपनी ज़िद पर अड़ा रहता है.
वासू.... मैं समझ सकती हूँ रीति, तुम्हारी हालत, भंवर मे फसे उस नाव की तरह है, जो ना तो पिछे किनारे पर जा सकता है, और ना ही आगे.... बस बीच मे फँसा, सही राह चुन'ने की कोशिस कर रहा है, और उसे कुच्छ समझ मे नही आ रहा....
रीति.... मुझे कुच्छ भी अच्छा नही लग रहा वासू, ये कल से मेरे साथ क्या हो रहा है, मेरा तो मरने-मारने जैसा दिल करता है.
वासू.... पागल कहीं की, और ये चेहरे पर टपकती मोतियों जैसे आँसू अच्छे नही लगते, अब चलो अच्छे बेबी की तरह स्माइल करो, या मैं यहाँ अनसन पर बैठू...
इतना कह कर, वासू वहीं सड़क पर आसन जमा कर बैठ गयी... तप की अवस्था मे बैठ कर.. आँख मूंद कर ज़ोर-ज़ोर से बड-बडाने लगी......
"मुस्कुराहट वापस आओ नम्ह्ह्ह"
"रीति खुश हो जाओ नमहह"
"रीति का दिमाग़ ठीक हो जाए नम्ह्ह्ह"
वासू का ये आक्ट देख कर रीति थोड़ी मुस्कुरा दी, वासू का हाथ पकड़ कर, उसे खड़ी की, और कान पकड़ कर कहने लगी... "इतनी नौटंकी आप कहाँ से सीखी"...
वासू.... तेरे प्यार मे जानेमन मुझे सब सिखा दिया. तू कहे तो मैं अपने अनु को छोड़ कर लस्बो बन जाउ तुम्हारे साथ. फिर मैं तुम और हमारी वो रंगीन रातें..
रीति.... यक्कक ! छ्हि-छि-च्चि, मंन भटक गया वासू, आप भी ना... चलें या हमे पूरी रात बाहर रहना है ....
वासू... हां हां चलो, वैसे भी कमरे मे ही तो आज रात का मज़ा है...
रीति.... आप ऐसे बातें करेंगी, तो मैं आप के साथ रूम शेयर नही करने वाली....
दोनो, नोक झोक के साथ बढ़ चली, अपनी-अपनी बात कहते हुए. बहस चलता ही जा रहा था.. और दोनो जैसे ही अंदर हुई ... रीति चौुक्ति हुई वासू के पिछे आ गयी... जैसे कोई भूत देख लिया हो ........
रीति, वासू के कंधे से छिप'ती हुई, उचक कर देखी, आँखें मिज़ी, और फिर एक बार देखी. वासू अपनी आँखें बड़ी करती हुई.... "निकलो यहाँ से अभिईीईई.... अकल नही है क्या तुम मे, इतनी रात को हमारे कमरे मे क्या कर रहे हो".?
अभी, वासू की बात का कोई जबाव नही दिया, वासू भी रीति को खुद से अलग कर के, जा कर कुर्सी पर बैठ गयी. इस महॉल को क्या कहें, रीति कुच्छ घंटे पहले अपने अतीत को अभी से ज़ोर कर हताश थी, गुस्सा इतना कि वो अभी का शकल तक देखना नही पसंद करती थी.
जब अभी मिला तो उसकी नफ़रत थोड़ी कम तो हुई, पर गुस्सा अपनी जगह कायम रहा. और जब अभी ये वादा कर के निकल रहा था, फिर कभी अपनी शकल नही दिखाएगा, तो रीति मायूस थी.
रीति अब भी अपनी जगह खड़ी, बस ये विडम्बना मे खड़ी थी, कि वो क्या करे. दिल कह रहा था अभी जाकर लिपट जाए अभी से. मॅन की विचारधारा ये थी, की वो धोकेबाज है.. सोना ने झूट बोला या मज़ाक किया उसका क्या, लेकिन उस महाजन की बात, वो तो सच थी.
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