RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
रीति मायूसी भरे शब्दों मे सोना से पूछती हुई... क्या हुआ था सोना आप दोनो के बीच....
सोना........ क्या बताऊ मैं किस निर्मोही से दिल लगा बैठी. मैं तो कितनी खुश थी अपनी लाइफ मे, तीन चार टाइम पास मेरे बाय्फ्रेंड थे, 8/10 सहेलियाँ थी, 40/50 फॅन थे जो मेरे घर के चारो ओर चक्कर काटा करते थे, 3000/4000 फ़ेसबुक फ्रेंड्स थे, लाइफ तो जैसे ख़ुसीयों के झूले मे झूल रही थी....
जैसे-जैसे सोना डीटेल अपनी बता'ती गयी, वैसे-वैसे रीति और वासू की निगाहें बड़ी होती चली गयी.... एक दम शॉक्ड थी, पर कहानी तो अभी वो बताना शुरू ही की थी....
सोना आगे अपनी बात कहती हुई..... हुआ ये, कि एक दिन अभी मुझ से रात मे टकराया, आक्च्युयली ना ग़लती मेरी ही थी, मेरा ध्यान कहीं और था, और मैं ही अभी से टकरा गयी. मुझे अभी ने अपने बाहों मे बॅलेन्स कर लिया.... सच बताऊ तो मेरे लिए वो अनमोल पल था, एक मीठी याद की तरह... मुझे पहली बार मे ही ऐसा लगा जैसे यही है मेरा मिस्टर. परफ़ेक्ट.
रीति और वासू को तो लगा जैसे सोना, रीति और अभी की पहली मुलाकात सुना रही हो... सोना की बात सुनकर, अभी अपना सिर उठा कर उसे खा जाने वाली नज़रों से घूरते हुए, कुच्छ कहना ही चाह रहा था, कि रीति ज़ोर से चिल्लाई..... "अभिईीई, ख़ैरियत चाहते हैं तो जैसे थे वैसे ही रहिए नही तो मुझ से बुरा कोई नही होगा".
अभी... वो रीति, सिर झुकाए-झुकाए मेरे गरदन मे अकड़न सी होने लगी है, थोड़ी देर ऐसे ही रह लेने दो...
वासू.... गर्दन कड़ी ही है ना, ज़्यादा होशियारी किए तो गर्दन कट भी जाएगी, चुप-चाप गर्दन नीचे..... ना तो सिर उठा चाहिए, ना चू-शब्द आवाज़. आप कंटिन्यू करो सोना.....
सोना.... कंटिन्यू क्या करना है, 19 साल की उमर मे ....
जैसे ही सोना ने 19 साल अपनी उमर बताई, दोनो के मुख से अनायास ही निकल पड़ा.... "क्या 19 साल"
सोना... देखने से और कम की लगती हूँ ना, किसी को बताना मत मैं 19 साल की हूँ, लोग मुझे तो अभी स्कूल गर्ल हे समझते हैं....
सोना की बात पर रीति और वासू एक दूसरे का मुँह तकने लगी... दोनो जैसे इशारो मे आश्चर्य दिखा रही हों... "कितना फेक्ति है, देखने से तो 24/25 साल की लगती है, और शो ऐसे कर रही है, जैसे अभी दूध पीती बच्ची हो.
सोना.... देखा ना, आप दोनो भी सोचने लगी ना, कि मैने खुद को कितना मेनटेन किया है, जो मैं इतनी छोटी दिखने के बावजूद 19 की हूँ...
वासू और रीति दोनो एक साथ... हां वो दिख रहा है... आप आगे बताइए फिर क्या हुआ....
सोना.... हां हां, मैने कब मना किया, वो तो आप लोग हे ज़्यादा उत्सुक थी, मेरे इस कम उम्र के राज को लेकर. हां तो उस पहली मुलाकात के बाद... मेरे सारे बाय्फ्रेंड मुझ से छूट गये, सारी सहेलियाँ बोरिंग हो गयी, 40/50 फॅन को फॅन से लटका कर झाड़ू मार कर भगा दी, और फेसबुक अकाउंट क्लोज़.
"दिल दिमाग़ के सारे चॅनेल्स पर, बस अभी ही अभी छाया रहा. मैं तो इतनी बावरी थी कि दूसरी मुलाकात मे फोन नंबर और तीसरी मुलाकात मे अपना सब कुच्छ एक झाड़ियों के नीचे अभी को दे दी".
वासू और रीति का मुँह खुला का खुला रह गया, अभी, सोना की बात सुनकर अंदर ही अंदर सोच रहा था... "तू तो आज गयी सोना.. तेरे सोना होने पर आज तो टोना ना लगा दिया फिर तू कहना"....
सोना अपनी बात आगे कहती हुई... "मैने सब कुच्छ उसे दे दिया. तन, मन और धन. तीनो के साथ इसने खूब खेला. मैं झूठ बोल-बोल कर इस गुंडे-मवाली के लिए अपने बाबू का एटीम और क्रेडिट कार्ड तक चोरी कर चुकी हूँ".
"बदले मे क्या मिला मुझे, मेरी कोख मे एक बच्चा, जो इस शैतान अभी का है. मैने जब इस से शादी की बात की, तो कहता है, "कलमुंही पता नही तेरा टांका किस-किस से भिड़ा है और इस हराम की औलाद को मेरा बच्चा कह रही है".
"हायो रब्बा, मैं मर क्यों नही गयी, ये सुन'ने से पहले"... फिर रीति और वासू के कान के पास धीरे से बोली.... "बाय्फ्रेंड की बात से ये मत सोचना कि मैं ऐसी-वैसी लड़की हूँ, मुझे आज तक किसी ने छुआ भी नही था. और पहली बार जब इसने मेरे साथ किया, तो ना तो बिस्तर था, ना हे कोई घर, कमीने ने झाइयों मे ही मेरे कुंवारेपन को मसल कर रख दिया, खून भी निकला था, फिर भी विस्वास नही".
फिर सोना दोनो से एक कदम दूर हटकर.... "और तब से ये मेरे मोबाइल से सारे बाय्फ्रेंड के कॉंटॅक्ट निकाल-निकाल कर उस से ज़बरदस्ती कबूल करवाना चाहता है, कि ये बच्चा उसी का है. आज से कुच्छ दिन पहले भी रात मे एक बार किसी को मार कर कबूल करवा रहा था, अब भी जो गया है, उस से भी यही कबूल करवा रहा था, मैं कह-कह के थक गयी, पर ये कुच्छ भी सुन'ने को तैयार नही...
रीति तो गुस्से मे पागल थी, पर वासू कुच्छ सोचती हुई... सोना, जिन दो लोगों को अभी मार रहा था, वो तो काफ़ी एज के थे, यानी कि 45/50 साल के लग रहे थे, ये सब तुम्हारे बाय्फ्रेंड.....
सोना, थोड़ी मुस्कुराती, थोड़ी शरमाती और थोड़े हिलती-डुलती... उम्र मे क्या रखा है, अभी हम इस उमर मे है कि, 4/5 साल छोटे और 20/30 साल बड़े बाय्फ्रेंड भी बना सकते हैं.
वासू और सोना इधर आपस की आखरी लाइन कह रही थी, और तबतक गुस्से मे आग-बाबूला होकर रीति पहुँच चुकी थी अभी के पास.. दोनो की बातें ख़तम हे हुई थी कि जोरदार चाँटे... चटक-चटक... की आवाज़ उस महॉल मे गूँज गयी...
अभी अपने दोनो गालों पर हाथ रख कर, बस रीति को बगुला-भगत की तरह देखे जा रहा था, रीति थप्पड़ मार कर, गुस्से मे वहाँ से निकली, और वासू से कहती चली.... "आप को और कहानी सुन'नी है तो सुनिए मैं चली"
वासू भी ... "रुक तो-सुन तो" कहती दौड़ती हुई रीति के पिछे-पिछे निकली, और दोनो के जाते ही सोना ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगी. अभी गुस्से मे सोना का गला दबाते हुए.... "तुझे आज मार कर सोच रहा हूँ जैल चला ही जाऊ. तू प्रेगनेंट है, रुक तेरे बाय्फ्रेंड को सारी करतूत बताता हूँ, होशियार सब रेकॉर्ड कर लिया है".
सोना... अक्खहिईीईई-आखिईीईई ... गला छोड़ो डफर सच मे दम घुट रहा है.. मार ही दोगे क्या..
अभी गला छोड़ते हुए, "हां सच मे मार ही दूँगा, रुक अभी सारा तेरा काला-चिट्ठा तेरे बाय्फ्रेंड को भेजता हूँ.
सोना, अपनी साँसे नॉर्मल करती... प्ल्ज़ अभी, प्ल्ज़, प्ल्ज़, प्ल्ज़ ... रहने दे, मेरा प्यारा दोस्त है, तुझे कितनी बार बिरयानी खिलाई है मैने, कितने एहसान है मेरा तेरे उपर, थोड़ा सा मज़ाक ही तो की थी.
अभी... तेरे मज़ाक के चक्कर मे जाहिल, वो ना जाने मेरे बारे मे क्या-क्या सोच कर चली गयी. दो चिपका कर के भी गयी. नही तेरी करतूत तो तेरे बाय्फ्रेंड को दिखाउन्गी ही, फिर तू पापड बेलना उसे समझाने के लिए, और पता ना मेरा क्या होगा.
सोना... प्ल्ज़ सुन'ना, जाने दे ना, मैं नॉमिन से बहुत दिल से सच्चा वाला प्यार करती हूँ. प्लीज़ ऐसा मत कर, वैसे भी पेट भर झूट बोली हूँ, जल्दी सेटेल करवा दूँगी तेरा मामला भी...
अभी... ना ना, तू ऐसे नही मानेगी, उस दिन भी मज़ाक के नाम पर बॉस के पास मेरी इज़्ज़त का कचरा कर दी, कि लड़की के चक्कर मे मैने उस आदमी को छोड़ दिया. और जाहिल, तुझे जो मैने उस से पहली मुलाकात के बारे मे बताया, वही तूने अपनी मुलाकात बना दी. ना ना, तेरे किए की सज़ा तो ज़रूर दूँगा..
सोना ठीक है... कर दे एमएमएस, मुझे क्या....
कुच्छ देर जेब मे इधर-उधर हाथ डाला, और फिर सोना की ओर दौड़ लगा दिया चिल्लाते हुए.... तू मेरा मोबाइल वापस कर....
दोनो के थोड़ी देर आपसी बात के बाद, अभी, सोना के द्वारा किए गये मज़ाक पर खूब हँसने लगा, और सोचने लगा, "जब ये झूट का पता चलेगा, तो वासू और रीति का रियेक्शन देखने लायक होगा". कल पाचवाँ दिन था, और रीति से अफीशियली मिलने का दिन भी था, अभी जानता था इतना होने के बाद तो वो आने से रही, इसलिए उसने उसके हॉस्टिल के बाहर ही ड्रामा करने का ठान लिया था.
इधर रीति अपनी किस्मत पर रोए ही जा रही थी... वासू कहाँ उसे इंदु की बात भुलाने के लिए अभी से मिलवाने ले आई, और कहाँ उल्टा वो और गम मे डूब गयी....
वासू.... रीति एक-तरफ़ा बात सुन कर कोई भी फ़ैसला मत किया कर, देखा नही उस सोना के कैसे-कैसे बाय्फ्रेंड थे. और अभी को देख, एक बार बोली चुप-चाप से गर्दन नीचे किए रहो, तो वो बेचारा कुच्छ बोला भी नही, और शांत खड़ा रहा. मेरे ख्याल से उसे एक बार सफाई देने का मौका देना चाहिए.
रीति... हां तो ! ग़लती किया था तभी तो चुप था, सच होता तो क्या खून ना खौलता झूठ पर. मेरी तो किस्मत ही खराब है. एक ने सुबह करेक्टर पर कीचड़ उछाल दिया, तो एक जिसे हमदर्द माने बैठी थी, वो करेक्टरलेस निकला. माना कि लड़की के उतने बाय्फ्रेंड और ना जाने क्या-क्या हो सकते हैं. पर कोई भी लड़की भला इस तरह से क्यों अपनी प्रेसोनल बातें बताएगी. मेरा तो नसीब ही खराब है....
वासू... "तू ठंडे दिमाग़ से सोच रीति, रुक मैं उसे फोन करती हूँ जिसे मैने अभी के बारे मे पता लगाने बोला था".... इतना कह कर वासू ने एजेंट को कॉल लगा दी...
उधर से.... हेल्लूऊ, हां जी कौन बोल रहा है
वासू... रहा नही, रही हूँ. मैं वासू बोल रही हूँ महाजन जी.
महाजन... हां वासू जी, आप का काम हो गया है ...
रीति अपना सिर उपर उठा'ती... वासू फोन स्पीकर पर डालिए...
वासू ने फोन स्पीकर पर डाल कर, अभी की डीटेल पुच्छने लगी...
महाजन.... वासू जी लड़का निहायत ही आवारा किस्म का है, उत्तम नगर देल्ही का रहने वाला है. यहाँ अकेले रहता है, और पड़ोसियों का कहना है, कि केयी-केयी दिनो तक घर नही आता.
वासू ने "जी ठीक है" कह कर फोन काट दी, और खुद को कोसने लगी..... "ये तो जले पर नमक छिड़कने का काम हो गया"
रीति अपने पनपे प्यार का गला घोंट'ते हुए बिल्कुल रोती हुई बिस्तर मे दुबक गयी, वासू के पास तो कुच्छ था ही नही कहने को, वो बस शांत करने मे लगी थी रीति को. इधर अभी मॅन ही मॅन ये सोच कर उच्छल रहा था, कि कल के उसके प्यार का इज़हार मे कितने नाटक होने वाले हैं.
रात बहुत भारी गुज़री थी रीति पर. एक दिन के हुए अलग-अलग दो घटनाओ ने, रीति को झकझोर कर रख दिया था. ये कैसा समय था जो पूर्ण विरहा और तन्हा सा था, जिसमे समा बिल्कुल रोया-रोया सा था. खामोश तनहाईयाँ.
आज दो लोगों पर सितम हुआ, जहाँ सैली को नशे की लत नही लगनी चाहिए थी, एक तलब जिसे सुधारा जा सकता था .. उसे आदत मे तब्दील कर दिया इंदु ने. वहीं जो बात बस एक मॅन मे थी उसी को इंदु ने पहले हथियार की तरह रीति से कह दिया, "उसके और प्रोफेसर के बीच की मनघड़ंत कहानी", वहीं दूसरी ओर जब परेशान होकर रीति निकली तो एक और कांड हो गया.
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