RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
इधर वासू और रीति जब से वापस आई, बस सैली के बारे मे ही सोच रही थी, कि आख़िर उसे हो क्या गया था.... खैर कुच्छ देर की चिंता के बाद दोनो ने आख़िर कार सैली से मिलने का मॅन बना ही लिया.. और जैसे ही दोनो सैली के कमरे मे दाखिल हुई, क्या खूब व्यूह रच डाला इंदु ने.....
इंदु.... तुम दोनो इस कमरे मे, अब क्या करने आई हो.
वासू.... मैं तेरे कमरे मे नही आई, सैली से मिलने आई हूँ, ज़्यादा बढ़-चढ़ कर बातें ना कर.
इंदु.... तुम भी ज़्यादा अपनापन दिखाने का नाटक मत करो, ये सब जो सैली के साथ हुआ है वो तुम्हारी वजह से हुआ है...
वासू... तू क्या नशे मे बोल रही है इंदु, ज़्यादा बकवास की तो मुँह तोड़ दूँगी तेरा.
इंदु.... किस-किस का मुँह तोड़ेगी, सैली ने अपने प्रॉजेक्ट के लिए इतनी मेहनत की, पर इस रीति ने उस प्रोफ़ेसर को अपने ज़िस्म का ऑफर दे कर ये असाइनमेंट मे फर्स्ट प्राइज़ जीत ली. तुम लोगों की मक्कारी का नतीजा है, जो सैली उस दिन गुस्से मे निकली और ये सब हो गया. अर्रे अंदर से तो चाह रही होगी, कि ये मर क्यों नही गयी ?
रीति, इंदु की बात सुनकर बिल्कुल रो पड़ी, ऐसे इल्ज़ाम लगाए थे इंदु ने, उसे अपनी आत्मा पर दाग लग रहे थे. आख़िर कोई कैसे इतनी घटिया सोच सकती है.... रीति रोती हुई वापस अपने कमरे मे आ गयी, और तकिये से सिर छिपा कर फुट-फुट कर रोने लगी....
वासू भी रीति के पिछे-पिछे पहुँची, और उसके सिर पर हाथ फेरती उसे शांत करने की कोशिस करने लगी. लेकिन ये किसी चोट या मार का दर्द नही था, जो ठीक हो जाता. इंदु की बातों ने रीति के दिल पर आघात किया था, और ऐसे जब बेवजह घिनौने इल्ज़ाम लगते हैं, तो बस दिल को वो बातें चीर जाती है.
सम बहुत ही खामोश सी गुजर रही थी सबकी, जहाँ सैली नशे की आगोश मे थी, वहीं इंदु एक बार फिर अपने सपने पूरे करने विक्की की बताई राहों पर चल चुकी थी, और सैली को लेकर उसके दिमाग़ ने पहले ही कुच्छ सोच रखा था.
रीति की हालत को देखती वासू उसे अपने साथ बाहर ले आई, ताकि वो इंदु की बातों से भुला सके. रीति, बस इंदु के बातों पर घुट'ती हुई, वासू के साथ बाजार पहुँची. दोनो अभी घूम ही रही थी बाजार, कि एक बार फिर रीति की नज़रों ने अचानक ही करवट लिया, उसे लगा कि जैसे अभी दौड़ता हुआ वहाँ से निकला हो.
रीति, वासू का हाथ खिचती हुई अपने साथ ले जाने लगी....
वासू..... क्या हुआ रीति, ऐसे हाथ क्यों खींच रही है....
रीति.... वासू वो अभी यहाँ से दौड़ते हुए निकले..
वासू... वो कौन रीति...
रीति.... अर्रे अभी, और कौन चल ना जल्दी, वो निकल जाएँगे. चल ना चल ना प्लीज़.....
वासू खुद से ही कहती हुई...... "इसे भी ना पता नही ये अभी कहाँ से दिख जाता है, मना भी की थी 5 दिन रुक जा, फिर भी एक बार देख क्या ली, उस से मिलने को बेचैन, मरी जा रही है. इश्स वक़्त इसकी बात मान लेती हूँ, कम से कम इंदु की बातों को तो भुला देगी".
वासू यूँ तो अभी गुस्सा होती, क्योंकि 5 दिन का कही थी पर आज तो ये 4थ डे ही था. लेकिन रीति आज शाम से इतनी मायूस थी कि वासू ने सोचा चलो यदि अभी हुआ तो रीति का मॅन कुच्छ तो भुला रहेगा.
वासू, रीति के साथ चल दी उसी ओर, फिर से तकरीबन एक कीलोमेटेर का चक्कर लगाई होगी कि अभी दिख गया. ढूँढते, और पैदल चलते दोनो इतने थक गये थे कि साँसे चढ़ आई थी... अपनी साँसों को दोनो सामान्य ही कर रही थी, कि एक ज़ोर की आवाज़ आई.....
"छोड़ दो मुझे, मैं मर जाउन्गाआअ"
रीति और वासू आवाज़ सुनकर चौुक्ति हुई, अपनी नज़रें उठा कर देखी.... सामने अभी फिर आज किसी को मार रहा था....
रीति देखी तो उसका पारा चढ़ गया, एक तो इंदु ने आज उसके दिल को दुखाया उपर से अभी को फिर एक बार मार-पीट करते देख रीति पूरे गुस्से मे आ गयी.....
वो तेज़ी से पहुँची, अभी उसे मारने के लिए लोहे की सरिया उठाया ही था, कि उसका हाथ वो पकड़ कर, काफ़ी गुस्से मे देखने लगी.....
"अब ये यहाँ कैसे पहुँच गयी, इसे और कोई काम नही क्या. आँखों से तो लग रहा है बड़ी गुस्से मे है, चल बेटा कोई कहानी बना तो दे ज़रा"...
मॅन मे ख्याल बनाए, अभी बोलने के लिए मुँह खोला ही था, की रीति ज़ोर से डाँट दी अभी को.... "चुप... कुच्छ मत बोलना, कोई बात नही अभी"..... फिर उस आदमी को देखती हुई.... "अब क्या मार खाने के लिए रुके हो, भागो यहाँ से".
उस आदमी ने अजीब सी नज़र कर के रीति को देखा, रीति फिर तेज़ी से उसे कहती हुई.... "ऐसे आँखें फाड़ कर के क्या देख रहे हो, और मार खानी है क्या ? चलो भागो यहाँ से जल्दी".
रीति की बात सुनकर वो ऐसे भागा जैसे गधे के सिर से सीग. अभी भी उसके पिछे जाने ही लगा था, कि रीति उसका हाथ थाम'ती हुई .... "मॅन नही भरा क्या अभी भी, उसे इतना मार कर जो और पीटने के लिए उसके पिछे जा रहे हो"
अभी थोड़ा गुस्सा दिखाता हुआ.... पागल कितना मुश्किल से पकड़ा था, भगा दी....
वासू... लेकिन पकड़े ही क्यों थे, तुम नॉर्मल हो कि नही. जब देखो तब किसी ना किसी को पीट'ते रहते हो. कह दो ये भी तुम्हारे मोम के साथ बदतमीज़ी कर रहा था. लगता है जैसे पूरी देल्ही तुम्हारे और तुम्हारे मोम के पिछे पड़ा है.
बेचारा अभी, कोई सुन'ने वाला नही उसकी, एक तो उसके शिकार को भगा दिया उपर से दोनो लड़कियाँ पूरे गुस्से मे.
अभी.... बता तो देते दोनो, कि यहीं आ रहे हो, मैं ये कार्यक्रम कहीं और कर लेता.
रीति.... पर करते ज़रूर. चल वासू, गुंडे मवालियों की कोई बात नही सुन'नी
इतना कह कर दोनो तेज़ी से मूड गयी... अभी खड़ा सोचता रहा.... "भगवान, क्या चाहते हो, पहली बार कोई पसंद आई है, उसे भी तुम हाथ से निकाल दोगे. सुनी भी नही मेरी बात, आँधी की तरह आई और तूफान की तरह सुना कर चली गयी. आदमी भी गया लड़की भी गयी, मैं खड़ा बस हाथ मलता रह गया".
मॅन की कल्पना को तोड़ते हुए ... पीछे से दोनो को चिल्लाकर रोकने लगा.... "रूको तो सही, सुनो तो".....
रीति बिना मुड़े ही जबाव देती.... "झूठे, लायर, मुझे कोई बात नही सुन'नी"...
"तुम्हे सुन लेनी चाहिए उसकी बात" ...
सामने से एक खूबसूरत मोहतर्मा ने वासू और इंदु का रास्ता रोकते हुए अपनी बात कही, अभी ने जब उसको देखा तो सिर पीट लिया.... "भगवान, एक ही दिन इतने सर्प्राइज़ ज़रूरी थे क्या ? बेड़ा गर्क हो, इसे भी अभी ही आना था, सारे "राहु-केतु" मेरी ही कुंडली मे डेरा जमाए हैं, उपर से ये "सनी" भी आ टपकी".
अभी भागता हुआ सब के पास पहुँचा, अजीब सी हसी थी चेहरे पर मानो ज़बरदस्ती हँसने की कोशिस कर रहा है.... अपनी बड़ी आँखें करते, चेहरे पर अजीब हसी के साथ .. धीरे से उस लड़की से कहा.... "तुम यहाँ क्या कर रही हो"
वो लड़की दो कदम पिछे हट'ती.... "हेयययी राम" .... "ये अब मुझे अपने पास भी नही आने देना चाहते".....
रीति थोड़ी गंभीर होती पुछ्ने लगी... "पर आप है कौन, और कौन आप को दूर करना चाहते हैं" ?
लड़की... मैं दुखियारी सोना हूँ, अपने अभी की सोना ... पर अब मुझे है हमेशा के लिए सोना.. क्योंकि जिस से प्यार की उसे ही कदर नही मेरी. हयूओ रब्बा मैं क्या करूँ.
अभी घूरते हुए सोना को देखने लगा, मानो कहना चाह रहा हो गुस्से मे... "चुप हो जाओ नही तो अच्छा नही होगा".
वासू, अभी की नज़रों को भाँप गयी, जो सोना की ओर गुस्से से घूर रही थी.... "तुम उसे आँखें क्यों दिखा रहे हो, गर्दन नीचे करो, और कोई रियेक्शन नही आप बोलिए सोना जी, खुल कर कहिए"..
रीति जब सुनी... "अभी की सोना" ... वो तो बस गुस्से मे हुंकार भरते एक बार सोना की ओर देखी, और फिर अपनी भयानक नज़रों से अभी को देखने लगी, मानो कह रही हो... "अभिईीई... आज आप की खैर नही".
अभी मॅन मे सोचता ... खूब जमेगा रंग, मिल गयी दो पागल जो मेरी रीति को आज मुझ से दूर कर देगी.
वासू... हरकतें ऐसी होगी तो मिलना क्या इसका चेहरा भी नही देखेंगे...
अभी हैरानी से ... मेरे मॅन की बात इस वासू ने कैसे सुन ली, अंतर्यामी है या किसी बाबा की चेली....
पर बात दरअसल ये थी कि, वासू, रीति का चेहरा देख कर, वो उसे सांत्वना देने के लिए कह रही थी. तीनो के साथ होने से, अभी को महसूस होने लगा था, आज हो ना हो तीनो मिलकर उसकी तबीयत से क्लास लेने वाली है.
अभी बस अपना सिर झुकाए खड़ा था, वासू, रीति को थामे खड़ी बस सोना को देख रही थी, और उसके चेहरे के भावों को देख कर समझने की कोशिस कर रही थी, कि आख़िर अभी, और सोना के बीच ये दरार क्यों....
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