non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्रेम कहानी )
12-27-2018, 01:49 AM,
#44
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
इनस्पेक्टर के जेहन मे जब नैन का ख्याल आया तो उसके माथे से पसीना और चेहरे से सिकन सॉफ झलकने लगा, वो बिना कुच्छ कहे ही बाहर चला आया....


गौरव काफ़ी जिग्यासा से इनस्पेक्टर की ओर देखने लगा, वहाँ के लोगों के हालत को भाँपते हुए, इनस्पेक्टर कहने लगा.... 


"देखिए आप सब बेवजह परेशान हैं. फिर भी, यदि आप को लगता है कि कुच्छ ग़लत हो रहा है तो मैं कंप्लेन दर्ज कर लेता हूँ, पर हम तबतक कुच्छ नही कर सकते जबतक सैली को होश ना आ जाए. मेरी सलाह मानिए, और उनके होश मे आने तक थोड़ा धैर्या रखिए". 

"यदि कोई ग़लत है तो उसे सज़ा ज़रूर मिलेगी, ये मेरा वादा है आप सभी से, पर तबतक प्लीज़ डॉक्टर को अपना काम करने दीजिए और हॉस्पिटल मे शांति बनाए रखिए. आप सब के हंगामा करने से कुच्छ भी हासिल नही होगा".....


सभी गौरव को समझाने लगे. इनस्पेक्टर की बात सुनकर, गौरव भी सहमत हो गया, और कुच्छ देर हॉस्पिटल मे रुकने के बाद, सभी वापस चले आए. 


रास्ते भर, सभी सैली की हालत के बारे मे चिंता करते रहे, पर गौरव हताश चुप-चाप ही रहा. गौरव की इस हालत को, वासू भली-भाती समझ सकती थी, अपने प्यार को कोई कैसे बुरी हालत मे देख सकता है.... 


वासू ने रीति को आँखों से गौरव की ओर इशारा की, रीति भी गौरव की मायूस देख समझ गयी, की गौरव के दिल ने क्या चल रहा होगा. पर दिल की तारप को कोई क्या जाने, की बिना दिलबर के, हर पल दिल मे आग लगी रहती है.


वासू, गौरव के कंधे पर हाथ रखती.... यार, ये रोना लड़कियों का काम है, तुम क्यों गंगा-जमुना बहा रहे हो....


गौरव, थोड़ा गंभीर आवाज़ मे बोला..... 


"नही वासू, थोड़ा सा उदास हूँ बस. देख ना कल मैने उसे गुस्सा दिला दिया और वो गुस्से मे मुझ से रूठ कर चली गयी. और फिर ये सब हो गया. मैं बस अंदर से गिल्टी फील कर रहा हूँ".

"बहुत प्यार करता हूँ ना उस से, इसलिए कल मेरे फोन को रेस्पॉंड ना करने से चिढ़ गया, मैं भी पागल ही हूँ, थोड़ा शांत रह जाता, और प्यार से मना लेता कल, तो आज ये सब ना होता. वासू अंदर से इतना गिल्टी फील हो रहा है कि मुझे कुच्छ भी अच्छा नही लग रहा".

"लेकिन कोई बात न्ही, जब तीन दिन बाद होश मे आएगी, तो उसे बस मैं प्यार से सॉरी ही कहूँगा, और कुच्छ नही. वैसे भी वो रूठी रहती है, तो मुझे मनाने मे बहुत मज़ा आता है, पर मनाऊ तब ना जब वो बात करेगी, और जबतक बात नही करेगी, मरने-मारने जैसा फील होता रहेगा. मुझ से तो ठीक से सांस भी नही लिया जा रहा है, लगता है दम घुट जाएगा".


गौरव का बेपनाह प्यार सबको नज़र आ रहा था, सब बस गौरव की बातें सुनते हुए भावनाओ मे बह गये. बस यही दुआ थी उपर वाले से सबकी, सैली और गौरव की बात जल्द से जल्द करा दे, वरना ये अफ़सोस मे रोज तिल-तिल मरता रहेगा.


सब लोग हॉस्टिल पहुँचे, आज किसी का भी मॅन नही लग रहा था, किसी काम छोटे-बड़े झगड़े सब अपनी जगह थे, पर साथ का कोई ऐसी हालत मे हो तो दिल मे थोड़ी तो तड़प रहती ही है.

तीन दिन बाद, सैली को होश आ गया. अंदर से काफ़ी कमजोर महसूस कर रही थी सैली, नज़र घुमा कर जब चारों ओर देखी तो, खुद को हॉस्पिटल मे देख चकित हो गयी. बैठ कर बस वो टुकूर-टुकूर हॉस्पिटल को ही देख रही थी. 

"कैसी है तबीयत तुम्हारी".... डॉक्टर ने सैली से पुछा...

सैली.... मेडम मैं यहाँ कैसे पहुँची...

डॉक्टर.... तुम्हारा एक्सीडेंट हो गया था, रास्ते पर पड़ी थी तो किसी ने तुम्हे अड्मिट कर दिया. तीन दिन से यहीं हो....


सैली चौुक्ति हुई .... क्या तीन दिन.......

डॉक्टर.... हां तीन दिन, वैसे हुआ क्या था तुम्हे, कुच्छ याद है ?


सैली... नही मेडम, बस ये ध्यान है कि एक लड़का बदतमीज़ी कर रहा था, फिर उसने मेरे नाक के पास पाउडर जैसा कुच्छ उड़ाया, और फिर उसके बाद का याद नही. डॉक्टर मैं यहाँ कैसे पहुँची, और क्या हुआ था मेरे साथ ?


डॉक्टर.... पता नही, पर तुम्हे कोई बाहर का आदमी ले कर आया था, ड्रग ओवरडोस के कारण तुम्हे तीन दिन तक बेहोश रखना पड़ा, मैने तुम्हारे दोस्तों को तुम्हारे ड्रग ओवरडोज का अभी तक नही बताई, सिर्फ़ आक्सिडेंट का कही थी, बेहतर जैसा तुम समझो बता देना.


सैली.... डॉक्टर, फिलहाल तो बहुत कमज़ोरी फील हो रही है, अभी तो इस से ज़्यादा बात करने की हालत मे नही हूँ.


डॉक्टर.... ठीक है तुम आराम करो, मैं तुम्हारे दोस्तों को फोन कर देता हूँ, वो आकर तुम्हे ले जाएँगे.


डॉक्टर ने पहले लोकल पोलीस को फोन लगाया, फिर उसके बाद सैली के दोस्तों को फोन कर के सैली के होश मे आने की सूचना दे दी.


सारे दोस्त हॉस्पिटल पहुँचे, पोलीस वहाँ पहले से पहुँच चुकी थी, और वो सैली का बयान दर्ज कर रही थी.


गौरव.... क्या हुआ सैली, ये सब कैसे हुआ.


सैली.... सो सॉरी मेरे क्रेज़ीबॉय, मैं उस दिन कुच्छ ज़्यादा ही अपसेट थी. मैं जानती हूँ तुम काफ़ी चिंता मे रहे होगे, देखो मैं गिल्टी फील कर रही हूँ अब माफ़ भी कर दो.


गौरव.... पागल हो क्या, जो हो गया उसे हटाओ, अभी तो हमारा हॅपी मोमेंट है. बीती बातों पर से ध्यान हटाओ, हां पर ये सब हुआ कैसे, मुझे बस नाम बता दो यदि ये किसी की हरकत है, मैं उसका जीना हराम कर दूँगा.


सैली... कुच्छ नही हुआ, ये एक मात्र आक्सिडेंट था, अचानक हुआ मुझे कुच्छ भी याद नही.


इंदु... पर तुम उस दिन अचानक डिस्को से गायब कहाँ हो गयी थी, और कहाँ गयी थी.


सैली.... कही ना, मुझे कुच्छ याद नही, तो तुमलोग मेरा विस्वास क्यों नही करते.


इंदु... ह्म्म्मि, ठीक है सैली.... 


इंदु अपने मन मे विचार करती हुई.... "ये सैली कुच्छ तो मुझ से छिपा रही, खैर डिस्को की बात है, मुझे आज ना कल तो पता चल ही जाएगी".


वैसवी.... डॉक्टर क्या अब ये हमारे साथ जा सकती है.


डॉक्टर.... हां, मेरे तरफ से तो ओके है, इनस्पेक्टर साब से पुच्छ लो उनकी करवाही पूरी हो गयी हो तो, ले जा सकती हो.


इनस्पेक्टर... नही मैने भी बयान दर्ज कर लिया है, आप सब इन्हे ले जा सकते हैं.


सैली, अपने दोस्तों के साथ वापस हॉस्टिल आ गयी. काफ़ी कमजोर फील कर रही थी, इसलिए वो आते ही डॉक्टर की दी हुई कुच्छ गोलियाँ ली, और सो गयी. इधर बाकी सब अपने कामो मे लगे रहे.


साम को जब इंदु, वापस अपने कमरे मे आई तो सैली बिस्तर पर बैठी, तेज-तेज साँसे ले रही थी, और उसका पूरा बदन पसीने-पसीने था...


इंदु.... तेरी तबीयत तो ठीक है ना सैली, तू बैठे-बैठे इतना हाँफ क्यों रही है.


सैली अपने बदहवास आवाज़ मे बोली.... इनदुऊऊउ, मुझे कुच्छ तलब सी लगी है, सिर भारी हो रहा है, अंदर से ऐसा लग रहा है कुच्छ नोच रहा है.


इंदु, सैली की हालत देख कर, और उसकी बातें सुन कर थोड़े सकते मे आ गयी..... "सैली मैं जानती हूँ उस दिन डिस्को मे कुच्छ हुआ था, क्या तुम मुझे बताउन्गी. हो सकता है तुम्हारी ये हालत उसी वजह से हो रही हो.


सैली.... इंदु, मुझे अंदर से अजीब फील हो रहा है, मुझे कुच्छ दो नही तो मैं मर जाउन्गी.


इंदु.... सैली, पर क्या दूं. तुम्हे क्या चाहिए. उस दिन ऐसा क्या हुआ था, कुच्छ तो बताओ, शायद मैं तुम्हारी मदद कर सकूँ.


सैली, थोड़ी असहजता के साथ, उस दिन उस लड़के के साथ हुए वाक़या को इंदु के पास बयान कर दी. सैली की बात सुन'ने के बाद इंदु समझ गयी कि इसके साथ क्या हुआ था. इंदु के ख्यालों ने ये भी तार जोड़ना शुरू कर दिए थे, कि हो ना हो कोई जिस्मानी रिस्ता ज़रूर कायम हुआ था उस रात. 


इंदु के दिमाग़ ने एक चाल चल दी, और अपने पास से रखे अफिम के पाउडर का पॅकेट खोल कर सैली के सामने कर दी...


सैली..... ईीई क्या है इंदु


इंदु.... तुम्हारी बीमारी का इलाज़, बस इसे सूंघ ले, और अपनी बेचैनी को राहत दे...
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