RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
अपार्टमेंट से निकलने से पहले, उस आदमी ने पोलीस को कॉल कर दिया, और उसे सूचना दी कि .. रूपहला अपरमेंट के फाल्ट नंबर. 405 मे ड्रग्स का अबैध कारोबार हो रहा है.
पोलीस को फोन करने के बाद, उस आदमी ने सैली को एक झलक देखा... और मन मे सोचने लगा.... "तुम तो ऐसी ना थी, फिर कैसे इनके चंगुल मे फसि"
मॅन मे सोचते हुए उस आदमी ने गाड़ी आगे बढ़ा दी और सिटी हॉस्पिटल ले कर पहुँच गया सैली को. सिटी हॉस्पिटल मे जब डॉक्टर ने सैली का चेक अप किया तो ड्रग ओवर डोज और फिज़िकल रीलेशन सामने आए.
वो आदमी डॉक्टर से कहते हुए... मेरी आप से विनती है मेडम, ड्रग्स ओवर डोज के कारण आक्सिडेंट हुआ ऐसा लगना चाहिए, क्योंकि बेचारी के साथ नशे का कोई फ़ायदा उठा लिया है, वरना ये ऐसी नही थी.
डॉक्टर.... मैं समझ सकती हूँ, पर जब ये सुबह होश मे आएगी, तो इसके साथ क्या हुआ है ये समझ जाएगी.
आदमी... तो इसे कल सुबह नही, तीन दिन बाद होश आए, कुच्छ ऐसा कीजिए. क्योंकि मैं नही चाहता कि होश मे आने के बाद ये खुद से नफ़रत करने लगे, और एक ग़लत कदम तो उठा ही चुकी है, और कोई दूसरा ग़लत फ़ैसला ना कर ले.
डॉक्टर... लेकिन सर, आप एक अंजान लड़की के लिए इतना सब क्यों कर रहे हैं.
आदमी... मेडम क्राइम अगेन्स्ट दा विमन मुझे पसंद नही, और किसी की हालत का नाजायज़ फ़ायदा उठाया जाना, आप बताएए किस हद तक सही है. मेरा आप से एक सवाल है... पुच्छ सकता हूँ क्या?
डॉक्टर... हां हां क्यों नही, पुछिये...
आदमी.... आप भी एक औरत हैं, ज़रा सोचिए कि कैसा लगता है, उस किए के लिए अफ़सोस करना जो आप ने ग़लती मे भी ना की हो, बल्कि आप की हालत का नाजायज़ फ़ायदा उठा कर किया गया हो. करता कोई और है, और ग़लत खुद को मान'ना .. कहाँ तक जायज़ है.
डॉक्टर... ह्म्म्म्म , रेस्पेक्ट युवर क्न्सर्न, आंड मस्ट अप्रीश्षेट ... काश सब आप जैसा सोचते. ठीक है, आप बेफ़िक्र रहिए, इसे क्या, किसी को पता नही चलेगा कि इसके साथ क्या हुआ था. ये महज बस एक एक्सीडेंट लगेगा.
वो आदमी डॉक्टर के शांति मिलते ही वहाँ से चला गया, जाते जाते उसने सैली का मोबाइल उसे दे दिया, और डॉक्टर से कहने लगा .. "जो भी देल्ही के नंबर हों केवल उन-पर कॉल कीजिएगा, दूसरे नंबर्स पर नही"
इतना कह कर वो निकल गया. इधर इंदु को सैली ना मिल पाने की वजह से वो परेशान होकर, हॉस्टिल वापस चली आई. थोड़ी सी नाराज़ और डरी भी लग रही थी. नाराज़ इसलिए कि सैली बता कर भी जा सकती थी, और डरी इस वजह से, कि देल्ही मे कहीं कोई हादसा ना हो गया हो.......
अगले दिन सुबह-सुबह, रीति, गौरव, और इंदु के मोबाइल पर डॉक्टर का फोन आया. डॉक्टर ने उन्हे सैली की तत्काल हालत के बारे मे बताया और, उन्हे हॉस्पिटल आने के लिए कहा.
सारे दोस्त भागते हुए पहुँचे हॉस्पिटल. गौरव, रोता हुआ डॉक्टर के कदमों मे गिर गया और सैली कैसी है पुच्छने लगा.
डॉक्टर ने सभी को भरोसा दिलाया कि सैली को मामूली आक्सिडेंट हुई थी, जिस कारण से वो शॉक मे चली गयी है. मजबूरन उसे 48 घंटे तक बेहोश रखना होगा, फिर वो यहाँ से जा सकती है.
डॉक्टर के भरोसे ने सबकी धड़कनो की गति तो नॉर्मल कर दी, पर गौरव को अब भी चिंता सताए जा रही थी सैली की, और वो सैली की इस हालत का कारण जान'ने के लिए डॉक्टर के पास पहुँच गया....
गौरव... डॉक्टर, वैसे ये सब हुआ कैसे..
डॉक्टर.... शायद कोई आक्सिडेंट था, जब आई तो बेहोश थी, जब उसे होश आ जाए तो खुद पुच्छ लेना.
गौरव.... ह्म्म्मद ! पर डॉक्टर उसे ले कर कौन आया था ?
डॉक्टर.... जी मैं नही जानती उसके बारे मे.
गौरव, थोड़ा आश्चर्य से देखता हुआ.... कैसे नही जानती आप, इतना बड़ा हॉस्पिटल है, और आप अड्मिट करवाने वाले का नाम पता भी नही पूछती, यहाँ हो क्या रहा है ये सब. आप क्या छिपाने की कोशिस कर रही हैं ?
गौरव को शंका हुआ, कि जो आदमी अड्मिट करवाने लाया था, उसने ज़रूर कुछ ऐसा किया है जो ड्र्स इन लोगों से छिपाना चाहते है, नही तो इतने बड़े हॉस्पिटल मे बिना नाम पते के कैसे अड्मिट कर लेते.
फिर गौरव के दिमाग़ मे ये बात भी घूमने लगी, कि यदि चोट मामूली थी तो क्यों अगले 48 घंटे तक उसे और बेहोश किया गया है, ज़रूर इन डॉक्टर्स को बात दबाने के पैसे मिले हैं, और ये लोग मुझ से कुछ छिपा रहे हैं.
सैली की चिंताओं ने ऐसा गौरव का दिमाग़ खराब किया, कि फिर वो भूल ही गया, कि क्या डॉक्टर, और क्या हॉस्पिटल ... फिर जो हुआ वो कोई हंगामे से कम नही था... पर वो आदमी गौरव की सारे कोशिसों के बाद भी एक रहस्य ही बना हुआ था....
गौरव गुस्से मे आँखें लाल करता डॉक्टर से कहने लगा.... देखिए, ये आप सब की मिली भगत है, ज़रूर सैली के साथ कुछ हुआ है, जो आप सब छिपा रही हैं, सीधे-सीधे बता दीजिए, वरना अच्छा नही होगा....
गौरव की तेज आवाज़ सुन कर, वहाँ लोग इकट्ठा हो गये, गौरव का गुस्सा पूरे उफ्फान पर था, और गुस्से की हुंकार भरी साँसें लेते हुए डॉक्टर को देख रहा था.
डॉक्टर..... देखिए, आप के चिल्लाने या हंगामा करने से कुच्छ नही होगा, यदि आप को ऐसा ही लगता है कि मैने या हमारे हॉस्पिटल के किसी भी डॉक्टर ने कोई ग़लती की है, तो बुला लीजिए पोलीस, वही इस बात को तय कर लेगी कौन ग़लत है कौन सही. खा-म-खा चिल्लाकर यहाँ हंगामा मत खड़ा कीजिए, वरना मजबूरन आप सबको यहाँ से मुझे निकालना पड़ेगा...
"सॉरी मेडम, सैली की हालत देख कर, गौरव थोड़े गुस्से मे है, इसलिए भड़क गये. मैं इनकी ओर से माफी मांगती हूँ, आप प्लीज़ गुस्सा ना कीजिए".... रीति, बड़ी मासूमियत से गौरव का बचाव करती डॉक्टर से विनती करने लगी.
गौरव.... कोई ज़रूरत नही इनसे ऐसे प्यार से बात करने की. अब तो इनका फ़ैसला पोलीस ही आकर करेगी.
जितने दोस्त थे सब समझते रह गये, "पोलीस को कॉल करना बेकार है, सैली को जब होश आएगा तो वो खुद बता देगी"... पर गौरव था कि नही माना, और पोलीस को बुला ही लिया...
पोलीस आते ही सारे मामले की जानकारी लेता हुआ, सीधे डॉक्टर के चेंबर मे चला गया, और डॉक्टर से तफ्तीस करने लगा....
डॉक्टर... सर, इस लड़की के साथ क्या हुआ वो मैं नही बता सकती, मैने किसी से वादा किया है. और ना ही ये लड़की को पता चलेगा कि इसके साथ क्या हुआ है. माफ़ कीजिए मैं असमर्थ हूँ.
इनस्पेक्टर... मेडम, क्या आप जानती हैं, आप का ये बयान आप को जैल भिजवा सकता है. एक पेशेंट्स की सही हालत ना बताना, और उसके साथ क्या हुआ ये छिपाना, दोनो ही बातें, कयि सवाल पिछे छोड़ती हैं.
डॉक्टर.... हां पता है, पर क्या आप को पता है कि ये केस किसका है, और कौन इसे यहाँ ले कर आया, और साथ ही मुझे मना भी किया कि उस लड़की की हालत का पता किसी को नही चलना चाहिए...
इंसेक्टर.... क्या कोई मिनिस्टर का केस है मेडम....
इस्पेक्टोर बहुत ही उत्सुकता से पुछ्ता हुआ, शायद ये किसी मिनिस्टर का केस हो, तो आज तो लंबा हाथ लगेगा....
डॉक्टर... जी नही, कोई मिनिस्टर का केस नही है, बल्कि मिस्टर. नैन का केस है. कहिए तो मैं बात करा दूं.....
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