RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
वासू भी तैयार हे थी और वो भी निकलने ही वाली थी, दोनो चल दी कॉलेज.
वासू... रीति आश्चर्य है सुबह से इंदु गायब है.
रीति.... सैली भी नही है कमरे मे. दोनो सुबह-सुबह कहाँ गयी ?
वासू... ज़्यादा जल गया होगा, इसलिए बुझाने के लिए सुबह की ताजी हवा खाने गयी होगी.
दोनो इस बात पर हँसती हुई कॉलेज के जा रही थी. कॉलेज पहुँच कर सबसे पहला काम जो इन्हे करना था वो था कमरा चेंज करवाना. इसलिए दोनो सीधा पहुँची प्रिन्सिपल के चेंबर.
जब वो दोनो बाहर थी, तब अंदर से सैली और इंदु निकल रही थी, वासू और रीति उन दोनो को प्रिन्सिपल ऑफीस से निकलते देख सोच मे पड़ गयी कि ये दोनो प्रिन्सिपल ऑफीस मे क्या कर रही थी. वही हाल इंदु और सैली का था, जो सोच रही थी, ये दोनो यहाँ क्या करने आई है.
खैर इंदु और सैली एक गुस्से भरा एक्सप्रेशन लाती अपने चेहरे पर निकल गयी वहाँ से. इधर रीति और वासू भी उन दोनो को नज़रअंदाज़ करती प्रिन्सिपल ऑफीस गयी.
प्रिन्सिपल ने जब इंट्रो पुछा तो सबसे पहले रीति को कामयाबी की बधाई दिया, और आने का कारण पुच्छने लगा. रीति ने कमरा चेंज करने की मनसा जाहिर की.
प्रिन्सिपल... तुम किस कमरे से किस कमरे मे शिफ्ट होना चाहती हो, क्योंकि कमरा चेंज एक ही शर्त पर होता है, जब म्यूचुयल शिफ्टिंग की बात हो, हम ऐसे चेंज नही कर सकते.
रीति... सर मैं 201 से 202 मे शिफ्ट होना चाहती हूँ.
प्रिन्सिपल... ओह्ह्ह ! अभी अभी तो उसी कमरे की लड़कियाँ आई थी उन्हे भी शिफ्टिंग चाहिए. पर मैने तो उन्हे सॉफ मना कर दिया, क्योंकि म्यूचुयल नही था, अब हो गया है तो मैं अभी वॉर्डन से बोल कर करवा देता हूँ.
शाम को जब सब हॉस्टिल पहुँचे तो वॉर्डन का नोटीस टंगा था, रीति को वासू के रूम मे शिफ्ट का नोटीस और इंदु को सैली के कमरे मे शिफ्ट होने का नोटीस. रीति नोटीस देखते ही अपना समान पॅक करने चली आई, और उसका साथ देने वासू भी उसके साथ चली आई...
लेकिन वहाँ खड़ी सैली के मन मे सिर्फ़ यही विचार आया कि ... गयी तो मैं भी प्रिन्सिपल के पास थी, पर मेरा काम नही हुआ. और इस रीति के जाते ही कमरा चेंज. रीति तुम जो ये खेल शुरू की हो ये तुम पर कितना भारी पड़ेगा देख लेना. अब देख लेना सब का अटेंशन मुझ पर ही होगा.
इंदु, सैली को टोकती हुई.... क्या हुआ यहाँ खड़ी-खड़ी क्या सोच रही है.
सैली.... कुछ नही बस लोगों के रंग देख रही हूँ, यहाँ मेहनत की कोई कदर नही होती, सब जिस्म और पैसों का खेल है.
इंदु.... अभी शांत हो जा, अंदर बात करते हैं.
इतने मे रीति और वासू पूरी पॅकिंग ख़तम कर के चली कमरे मे, और अपना समान अड्जस्ट करने लगी. सैली और इंदु दोनो अंदर पहुँची....
सैली.... दिस ईज़ एनफ इंदु, हमारे कहने पर कमरा चेंज नही हुआ, और इनके कहने पर कमरा चेंज भी हो गया.
इंदु.... सब हुस्न का जादू है मेरी जान, वैसे तू क्यों रोती है, हुआ तो वही ना जो हम भी चाहते थे. चिल कर और कुछ पिएगी क्या.
सैली...... हां, उस रीति और वासू का खून, मुझे एक आँख नही भाती.
इंदु... मेरे पास कुच्छ है, देख इधर
सैली अपना मुँह आश्चर्य से खोलती हुई.... ये क्या है, और तुम इसे पीने वाली हो.
इंदु... चिल मार, वोड्का है वोड्का, इसे लॅडीस वाइन भी कहते हैं. दो पॅक मार और सारे गम भुला.
सैली.... ना बाबा, मुझे डर लग रहा है, और इस वक़्त.
इंदु.... आररीए दिन और रात कौन देखता है, फिर भी तू कहती है तो, रात मे ही सही, उस वक़्त कोई नखरा नही चलेगा.
सैली.... पर रात तक मैं यहाँ घुट जाउन्गी, आइ नीड चेंज, चल चलकर कहीं घूम आते हैं.
इंदु... नेकी और पुच्छ-पुच्छ, चल डिस्को चलते हैं.
इंदु फिर विक्की को फोन लगाती हुई कहती है, उसे डिस्को के दो पास चाहिए, विक्की मान जाता है, और हँसते हुए कहता है, "पहला काम मुबारक हो".
सैली नही भी जाती, तो भी इंदु आज वो डिस्को जाती ही. विक्की के साथ हुए उस दिन की गड़बड़ी, और बाद मे विक्की द्वारा दिए गये काम के प्रस्ताव को हंस कर स्वीकार किया था इंदु ने, और बदले मे मिलता उसे ब्रांड नेम. उसका अपना एक बोटीक जहाँ उसके नाम के टॅग के कपड़े बिकते.
इंदु भी सोची, चलो एक से भले दो, और वो सैली को बिठा कर विक्की के पास चली गयी. सैली अकेली कमरे बस गुम्सुम बैठी थी, उसके टॉप करने का सपना टूटा था, और जब सपने टूट'ते हैं तो बहुत दर्द होता है.
सैली के मोबाइल पर गौरव का फोन आया, रिंग को साइलेंट मोड़ पर डाल कर घंटी बजने दी. गौरव आधे घंटे तक फोन लगाता रहा पर सैली ने एक बार भी रेस्पॉंड नही किया. बेचारा गौरव, इतना बेचैन था सैली से बात करने के लिए, वो उदास थी तो उसके साथ घूमने जाने का विचार था गौरव का, पर सैली थी कि उसके कॉल को रेस्पॉंड ही नही कर रही थी.
इंदु भी अब तक वापस लौट चुकी थी, और सैली से रेडी होने के लिए कहने लगी. दोनो तैयार होकर नीचे जा रही थी और उधर गौरव, सैली से मिलने उसके ब्लॉक की ओर, दोनो की मुलाकात नीचे ही हो गयी.
गौरव का चेहरा पूरा उतरा हुआ था. सैली के इस तरह बेवजह ना बात करने के कारण उसे कुछ भी अच्छा नही लग रहा था, और इसी कारण से थोड़ा चिढ़ भी गया था.
गौरव थोड़ा चिढ़े लहजे मे सैली से कहता हुए.... तुम मेरा कॉल क्यों नही उठा रही थी.
सैली को गौरव की ये टोन पसंद नही आई और थोड़ी अकड़ से जबाव देती हुई... मेरा मन नही था.
गौरव... क्या !!!! तुम्हारा मन नही था सैली, मैं यहाँ परेशान हो रहा हूँ, आधे घंटे से कॉल लगा रहा हूँ और तुम हो कि ऐसा जबाव दे रही हो.
सैली थोड़े और गुस्से मे आती हुई.... तो कैसे जबाव दूं, एक बार नही उठाई फोन, दो बार नही उठाई, तो बार-बार कॉल करना ज़रूरी है क्या ?
गौरव, सैली के इस जबाव पर मौन रहकर सुन लिया, और बिना एक शब्द भी जबाव दिए चला गया. इन दोनो के बीच चल रहे झगड़े को उपर से वासू और रीति भी देख रही थी. दोनो खड़ी बस यही सोच रही थी इस पागल लड़की को हुआ क्या है.
इंदु और सैली , देल्ही घूमने निकलती हैं, इधर वासू और रीति बस यही चर्चा मे लगी रहती है कि, आख़िर एक असाइनमेंट के रिज़ल्ट से कौन सा ऐसा पहाड़ टूट पड़ा जो सैली ऐसा कर रही है.
रात को दोनो जब कॅंटीन खाने के लिए पहुँची, तो गौरव को मुरझाया देख वासू, रीति से कहने लगी.... चल रीति थोड़ा गौरव से मिल आए है, देख बेचारा कैसे मायूस बैठा है...
रीति भी हामी भरती दोनो उसके पास पहुँची....
"क्रेज़ीबॉय, अभी रूठा बेबी बॉय क्यों बना है, मुन्ने को क्या हो गया जो मुँह लटकाए है". मज़ाक के लहजे मे वासू, गौरव से कही...
रीति.... वासू आप को क्या लगता है, गौरव की आँखों से पहले पानी आएगा या नाक से.
गौरव, चेहरे पर एक फीकी मुस्कान लाता.... मुझे कुछ भी नही हुआ, आइ आम टू हॅपी.
वासू.... कहाँ से हॅपी हो गौरव, तुम तो ठीक से हंस भी नही पा रहे.
कुछ देर तीनो के बीच शांति रही, फिर गौरव एक लंबी सांस खींचता हुआ....
"थोड़ी कम अकल है, पर दिल की बुरी नही है सैली. मैं जानता हूँ उसने तुम दोनो को भी हर्ट किया है. मैं सैली की ओर से तुम दोनो से मँफी माँगता हूँ, और मेरी एक छोटी सी विनती है, प्लीज़ उसे माफ़ कर के एक बार अच्छे से बैठ कर बात कर लो, सारे गीले शिकवे दूर हो जाएँगे".
"उसे इस असाइनमेंट मे टॉप करना था, पर उसके सपने टूट गये, और पता नही उसके दिल मे कहाँ से ये बात आ गयी की रीति टॉप करने के लायक नही फिर भी कर गयी. और यही वजह है कि वो ऐसा बिहेव कर रही है. मैं मानता हूँ रीति, तुम्हे बहुत तकलीफ़ पहुँची है, सैली के बातों और उसके व्यवहार से, पर क्या तुम थोड़ी समझदारी दिखाती हुई, इस मामले को सुलझा नही सकती".
रीति.... ह्म्म्म !!!! चलो ठीक है, वैसे भी मेरे पापा कहते थे, जहाँ चार बर्तन होते हैं, टकराने की आवाज़ वहीं से आती है, अकेला क्या करेगा. आप उदास ना हो, पर ये मामला एक शर्त पर सुलझेगा.....
गौरव... क्या ????
रीति.... यही कि आप अपना पगले-आज़म के रूप को त्याग कर मुस्कुराते हुए खाना खाएए, तभी हम ये करेंगे.
गौरव, की हँसने की इच्छा तो नही थी, पर रीति के दिलासे के लिए वो खुल कर हंसा, पर अंदर मन से वो खुद को काफ़ी अकेला महसूस कर रहा था. रीति और वासू खाना ख़तम कर के निकली कॅंटीन से...
रीति... कहाँ चली उपर कमरे मे, याद नही क्या...
वासू.... क्या कुछ भूल रही हूँ, मुझे तो कुछ भी याद नही.
रीति.... भूल गयी ना, खाना खाने के बाद कल क्या डिसाइड हुआ था.
वासू... ओह्ह्ह वूऊ ! तुम हो आओ, वैसे भी मैं कहाँ कबाब मे हड्डी बन'ने जा रही हूँ.
रीति... प्लीज़ वासू चलो ना, वैसे भी अभी तो हम सिर्फ़ दोस्त है ना. और आप नही होती तो, मेरी अकल भी काम नही करती.
वासू.... जब दिल लगा ली तो अकल की क्या ज़रूरत है. ठीक है, चलो चलते हैं.
दोनो गेट के बाहर निकल ही रही थी कि पिछे से वॉचमन आ गया.... "मेडम इस वक़्त जा रही हो घूमने, मेरे तो 100 गये.
रीति.... आप के 100 कहीं नही गये, ये लीजिए, अब खुश...
वॉचमन मुस्कुराता हुआ चला गया, और इधर दोनो बाहर निकली.... दो कदम बाएँ पर की ओर चली ही होगी की पर के उपर से अभी दोनो के बिल्कुल सामने कूद गया. अचानक ही कुदा था, दोनो की साँसें अटक गयी, डर ही गयी की क्या हुआ.
रीति.... ऐसे कोई करता है क्या मुझे डरा ही दिए, हुहह.
अभी.... मैं तो बस सर्प्राइज़ दे रहा था.
रीति... सर्प्राइज़ क्या सिर पर कूद कर देते हैं, चलो वासू, हमे नही करनी किसी से बात.
अभी.... अज़ी ऐसे रूठ कर जो जएएगा, तो ध्यान हमारा ले जाएगा. ना चैन मिलेगा ना सुकून, बस आँसुओं मे डूबा रहूँगा, की वो रूठ कर चली गयी....
अभी की बातों से रीति का चेहरा खिल गया, एक बार फिर से दोनो आमने सामने खड़े थे, आँखों मे आँखें डाल और जैसे सारा समा थम गया हो. टुकूर-टुकूर, टुकूर-टुकूर ... एक दूसरे के आँखों मे निहारते हुए, इस जहाँ से परे कहीं और खो गये.....
चटककक - चटकककक ... रीति और अभी के गालों पर थप्पड़ पड़ता हुआ... दोनो अपने गाल को पकड़े वासू को घूर्ने लगे ...
वासू.... क्या ऐसे क्या घूर रहे हो दोनो, खा जाओगे क्या ?
अभी... ये थप्पड़ किसलिए था...
वासू.... नींद से जगाने के लिए, हम तीनो ही दोस्त हैं फिर तुम दोनो मुझे साइड क्यों कर देते हो, और ये टुकूर-टुकूर एक दूसरे की आँखों मे क्या घूरते रहते हो, किसकी कितनी आँखे खराब हुई वो चेक करने की कोई नयी तकनीक इज़ाद की है क्या ?
रीति, वासू को मन मे 100 बार कोस्ती हुई... पर मारा क्यों, कितनी ज़ोर से मार दी.
वासू... मारू नही तो क्या करूँ, इसे हम दूसरी बार मिल रहे हैं, और कुछ जानते भी नही इसके बारे मे, और तुम हो कि क्लोज़ ही हुई जा रही हो. सुनो ओ मिस्टर, अब तुम चलते बनो, हम दोनो को अब जाना है.
इस बात अभी, वासू को मन मे 100 बार कोसते हुए... पर आज तो मुँह मीठा करने का दिन था ना.
वासू.... ये तुम दोनो क्या मुझे अंदर ही अंदर गालियाँ दे रहो हो, जो जीभ दाँतों के बीच आ गया. बस बहुत हुआ, सुन ओ अभी के बच्चे....
अभी बीच मे ही टोकता... पर बच्चा कहाँ से आया, अभी तो मेरी शादी भी नही हुई है.
रीति..... मेरी भी नही हुई शादी अब तक.
वासू.... ये लड़की बावली हो गयी है. अब से कोई मिलना जुलना नही, सुन ली तुम रीति, और तुम भी सुन लो कान खोल कर ओ मजनू, ज़्यादा इर्द-गिर्द मंडराए तो आशिकों का जनाज़ा है, ज़रा धूम से निकलवाएँगे.
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