RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
हँसी मज़ाक और पढ़ाई के बीच सब का दिन गुजरने लगा. सब अपनी चाहत और काम मे व्यस्त हो गये. देखते-देखते इन सब का आधा साल यानी 6 महीना कैसे गुज़रे किसी को पता भी नही चला, सबकी दोस्ती गहरी होती चली गयी. ख़ासकर रीति और वासू की.
जहाँ भी होते ये दोनो साथ ही पाए जाते, शायद इसका कारण ये भी था कि वासू का बाय्फ्रेंड यहाँ नही था, और रीति का कोई बाय्फ्रेंड नही था. दोनो शाम को फ़ेसबुक पर पूरा महॉल भी बनाने लगी थी, और लाइफ को एंजाय भी कर रही थी.
रीति के जेहन से उस रात हुई एक छोटी सी मुलाकात भी अब धुंधली सी पड़ती जा रही थी, और वो अपनी पढ़ाई और दिनचर्या मे ज़्यादा व्यस्त थी.
बात यही कुछ 6 महीने बाद की होगी, सभी स्टूडेंट को पहला डिजाइन बनाने का आसज्नमेंट मिला था, और जीतने वाले पहले दो डिजाइन को प्राइज़ भी मिलता.
सैली को पक्का यकीन था कि प्राइज़ उसे ही मिलना है, क्योंकि सैली के डिजाइन मे दो लोगों का योगदान था, एक तो खुद सैली और दूसरा गौरव. उनका डिजाइन वाकई मे बहुत बढ़िया भी था. इधर विक्की से जान पहचान को लेकर इंदु को भी यकीन था कि डिजाइन तो उसी का पास होना है, क्योंकि उसका डिजाइन उसी कॉलेज का कोई टोपर बना रहा था.
वासू को कोई मतलब ही नही था, वो बस पार्टिसिपेट कर रही थी, और रीति वो भी पूरे दिल से इस कॉंपिटेशन को जीतने मे लगी थी.
कॉलेज मे प्रेज़ेंटेशन का दिन आया. सैली और इंदु ने एक दूसरे का डिजाइन देखा, और दोनो एक दूसरे को डिजाइन को देख कर काफ़ी करेज करने लगी. रीति और इंदु भी दोनो का डिजाइन देखी और उन्हे भी काफ़ी पसंद आया.
सबके इतने इंकोरगेमेंट मिल रहे थे इंदु और सैली को, कि वो रीति और वासू की मेहनत को ठीक से देखी भी नही और अच्छा है कहती हुई, भीड़ मे अपनी वाह-वाही लूटने चली गयी.
इंदु और सैली का इस तरह का रवईया देख रीति को थोड़ा बुरा लगा, उसे लगा अपने दोस्त ही नही ध्यान दे रहे हैं उनकी मेहनत पर. वासू ने जैसे दिल को आवाज़ समझ ली हो रीति की ... और वो उसके कंधे पर हाथ रखती हुई ....
"जाने दे ना, दोनो को इतनी तारीफे मिल रही है, इसलिए शायद भूल गयी ठीक से देखना. पर मैं जानती हूँ तेरा डिजाइन सुपर्ब् है. देखना जब तू प्राइज़ जीतेगी, तब इन दोनो को तुम्हारी क्वालिटी के बारे मे पता चलेगा, और इनको नाज़ होगा तुमपर".
रीति थोड़ी एमोशनल होती हुई.... यार दुख़्ता है, दोस्त थे मेरे. दो लाइन अच्छे से बोल देते, झूता हे सही तो क्या चला जाता. और आप ये सब मेरा दिल रखने के लिए मत बोलो. उन्होने तो देखा भी नही मेरा डिजाइन और आप कहती हो यही डिजाइन जीतेगी.
वासू.... चियर अप रीति, चल यहाँ से बाहर चलते हैं, जीत हो या हार हो, पर मैं जानती हूँ तुम दिल से मेहनत की हो, इसलिए मेरे लिए तो विन्नर तुम ही हो, भले तारीफें किसी को भी मिले.
रीति की आँखें नम हो गयी, वो थोड़ी भावुक होती हुई वासू के गले लग गयी और थॅंक्स कहने लगी. वासू भी उसके पीठ पर हाथ थप-थपाते... हट पगली, बचों की तरह रोती है, ऐसे गले लगी रहेगी तो लोग हमे लेज़्बीयन समझने लगें'गे. मेरा क्या मैं तो सेट्ल हूँ अपने बाय्फ्रेंड के साथ, नुकसान तेरा ही होगा.
रीति, वासू से अलग हट'ती हुई... कोई बात नही जिसे जो समझना है समझे, पर मेरे लिए तो आप वही रहेंगी, वैसे भी बाय्फ्रेंड का क्या करना है, वो तो पता नही कहाँ गुम गया पहली मुलाकात के बाद.
दोनो हस्ती हुई एग्ज़्बिशन हॉल के बाहर चली आई.....
वासू... तू अभी तक नही भूली उसे रीति.
रीति... लगभग ही समझो वासू, वो तो आज आप ने चर्चा की, इसलिए याद आ गया.
वासू... पगली, इसे यादों मे बसना कहते हैं, हां एक ख्वाब जैसा है वो तुम्हारे लिए, पर कोई है तो सही, चल अब मुस्कुरा.
रीति, वासू की बात पर थोड़ा मायूस होती हुई... वासू लेकिन मुझे कुछ भी नही पता ना उनके बारे मे. यदि वो मिल भी गये, और भगवान ना करे लेकिन कहीं वो कोई आवारा किस्म के इंसान निकले तो क्या करूँगी. दिल तो मेरा बैमान हो गया है. नही, नही मुझे भूलना ही होगा उन्हे.
वासू... आररी, मुस्कुरादे कहा तो मायूस हो गयी, तू सोच मत, प्यार डेस्टिनी होता है. किस्मत से मिलता है, उसे किस्मत के भरोसे छोड़ दे, और दिल की आवाज़ सुन. क्योंकि ये दिल का मामला है, दिमाग़ से नही सुलझेगा. वैसे तू अच्छी है तो वो ज़रूर लाखों मे एक होगा, ऐसा मेरा दिल कहता है.
रीति... एक बात पुछु वासू ?
वासू.... अर्रे पुछो ना, अब क्या इसके लिए इज़ाज़त लोगि.
रीति.... तुम अनु को मिस नही करती ?
रीति ने जैसे कोई दुखती रग छेड़ दी हो, वासू की आँखें आसुओं से भरी नज़र आने लगी, हल्का भारी गले से बोली.... असाइनमेंट सब्मिट करने चले.
रीति बस वासू की आँखों मे उस पानी को देख रही थी जो अनु के ख्याल से आए थे, खामोश हो गयी दोनो, और इसी खामोसी के बीच अचानक अनु का कॉल आ गया.....
अनु.... मुआहह माइ लव कैसी हो, दिल बेचैन हो गया तो सोचा याद कर लूँ.
वासू... कॉलेज मे हूँ बाद मे कॉल करती हूँ.
अनु, वासू की आवाज़ सुनकर थोड़ा घबराते हुए...... क्या हुआ माइ लव, तुम रो रही थी ?
अनु का इतना कहना था कि आँसू जो अब तक आँखों मे नज़र आ रहे थे वो थोड़े छलक गये...
वासू.... बहुत दिन से देखी नही, एक बार आ जाओ प्लीज़.
अनु.... वासू, दिल तो मेरा भी नही लग रहा, तुम्हारी यही मर्ज़ी है तो यही सही, 2 महीने का समय ले सकता हूँ क्या ?
वासू.... मुझे कुछ नही सुन'ना तुम बस जितनी जल्दी हो सके आओ.
अनु.... तुम्हे मेरी कसम जो रोई तो, चलो अच्छे बेबी की तरह आँसू पोछो और ज़रा मुस्कुराओ, वरना मैं भी यहाँ रोने लगूंगा.
वासू.... नही रोती मैं, वो तो आज रीति की चाहत देख कर मेरी चाहत तड़प गयी, और ये आँसू खुद-व-खुद आ गये.
अनु... कहाँ है मेरी साली साहिबा, ज़रा दो फोन, आज उन्ही के साथ थोड़ा चान्स मार लूँ.
वासू... थप्पड़ खाओगे क्या अनु ?
अनु.... अज़ी थप्पड़ भी मार लीजिएगा, ये गाल भी आप का और हम भी आप के. सोचा आप तो रोती रहेंगी, तो दो-चार प्यार भारी बातें उसी से कर लूँ.
अनु की बात सुनकर वासू के चेहरे पर एक हल्की मुस्कान आ गयी, अपनी आँसू पोछती वासू कहने लगी....... "बस-बस ओवर आक्टिंग बंद करो, नॉर्मल हूँ. अब थोड़ा अच्छा लग रहा है. वैसे कोई ज़रूरी नही काम छोड़ कर आने की आराम से 2 महीने बाद आना".
अनु... जो हुकुम आप का. लेकिन प्लीज़ रोया मत करो. बी माइ स्टोंग गर्ल. तुम से ही तो हिम्मत मिलती है. पता है, ज़रा भी दिल नही लगता यहाँ, ऐसे मे तुम यदि रोती हो, तो मैं सब छोड़ कर चला आउन्गा.
वासू... ठीक है बाबा नही रोती. अब मैं फोन रखूं, असाइन्मेन्त जमा करने जाना है.
अनु... ठीक है ख्याल रखना अपना.
वासू.... बाइ, लव यू माइ स्वीटहार्ट, मुआााआहह.
दोनो की बातें ख़तम होते ही रीति, वासू से कहती हुई.... क्यों मेडम, अभी तो मुझे कह रही थी मायूस ना हो, और खुद रोने लगी, उपर से अनु जब पुच्छ रहे थे तो रोने का कारण भी मुझे ही बना दी.
वासू.... सच ही तो कही. जब तुम मायूसी से कही, की लगभग भूल हे चुकी हूँ, तो अपने प्यार से दूर होने का दर्द च्चालक आया. मैं तुम्हे हसा कर, बात ख़तम करने वाली थी, लेकिन पता नही क्यों तुमने भी अनु की बात च्छेर दी. मुझे तो लगता है, अनु को म्स्ग भी सेंड तुम्ही की होगी, तभी उसका कॉल आया.
रीति... हहे, रोने का कारण भी मैं, और अनु के कॉल आने का भी कारण मैं. आज लगता है सारे इल्ज़ाम मुझ पर लगने वाले हैं. चले अब असाइनमेंट जमा करने, वरना एक इल्ज़ाम और लग जाएगा .. तुम्हारी वजह से असाइनमेंट नही जमा कर पाई.
दोनो हँसती हुई वापस हॉल मे आई, इंदु और सैली अब भी अपने डिजाइन को लेकर काफ़ी उत्साह मे लग रही थी, वासू और सैली भी उनका उत्साह बढ़ाती उनके करीब ही रही.
उसी रात रीति अपने ख्यालों मे गुम बस सुबह हुई वासू की बात को याद कर रही थी, और याद करते-करते उसे अचानक क्या सूझा उसने वासू को कॉल लगा दी....
"इतनी रात मे रीति, सब ठीक तो है ना"
रीति.... हां, सब ठीक है, सोचा थोड़ा बाहर घूम लूँ, क्या कहती हो.
वासू.... लेकिन इतनी रात को कहाँ जाएँगे, सो जाओ अभी कल चलते हैं.
रीति.... नही, अभी चलना है, चलो ना.
रीति की ज़िद के आगे वासू की एक ना चली, अंत मे हार कर उसे रीति के साथ आना ही पड़ा. वासू के चेहरे पर तब मुस्कान आ गयी, जब रीति उस से गेट 2 से बाहर घूमने को कहने लगी....
वासू.... हहे, रीति अपने साजन को ढूँढने निकली है.
रीति थोड़ा शरमाती हुई.... आप ही कही थी ना, वो लाखों मे एक होगा, तो सोची मेरे लाखों मे एक साजन से, कहीं वहीं फिर से मुलाकात हो जाए जहाँ हम पहली बार मिले. उफ़फ्फ़ लेकिन ये परेशानी, एक तो वो इतने दिनो से कहीं मिले नही उपर से इतनी रात मे वो गेट कैसे खुलेगा, उस वॉचमेन को क्या कहेंगे?
वासू.... अर्रे तुम्हारी इस दिल-ए-ख्वाइश के बीच उस गेट और गेटकीपर को थोड़े ना आने दूँगी. चल...
वासू और रीति पहुँचे वॉचमन के पास, वासू ने वॉचमन को 100 की एक हरियाली दिखाई, और गेट खुल गया. दोनो गेट से 200 मीटर लेफ्ट और राइट टहलती हुई बात करने लगी, काफ़ी इंतज़ार के बाद भी कुच्छ हासिल नही हुआ.... उस लड़के का कोई अता-पता नही था.
वासू... चले क्या अब रीति, रात बहुत हो गयी है.
रीति के चेहरे पर मायूसी सॉफ देखी जा सकती थी, बुझे मॅन से हामी भर दी, और धीमे-धीमे अपने कदम गेट की ओर बढ़ती, और मूड-मूड कर पिछे देखती हुई रीति चल दी.
अगले रात को ठीक उल्टा हुआ... वासू का कॉल रीति के पास आया...
"वासू, आप इतनी रात गये कॉल, सब ठीक तो है ना"
वासू.... ख़ैरियत बाद मे पहले चलते हैं बाहर, थोड़ा घूम आया जाए.
रीति... रहने दीजिए शायद हमारी किस्मत बस उस एक मुलाकात तक ही थी, क्या पता उसके लाइफ मे कोई और हो.
वासू... हिम्मत क्यों हारती है, वैसे भी हम तो केवल घूमने जाएँगे, वैसे भी हमारी प्यारी रीति किसी लड़के को मिले ये उसकी किस्मत की बात है, अब चले रीति मैं.
प्यारी सी मुस्कान के साथ रीति अपने कमरे से बाहर निकली, और आज भी ठीक वैसे ही वॉक करती हुई बात करते उस अंजाने सख्स की राह देखने लगी. लेकिन आज भी मायूसी ही हाथ लगी. तकरीबन एक हफ्ते तक यही सिलसिला चला, और दोनो रोज रात को बाहर घूमने जाती, बात करती उसका राह तकती, पर कुछ हासिल नही हुआ. अंत मे हार कर दोनो ने रात मे निकलना बंद कर दिया.
रीति लगभग खुद को समझा चुकी थी, कि वो बस एक अचानक सी हुई मुलाकात थी, उस से ज़्यादा कुछ नही, पर रीति का दिल रह-रह कर, उस अंजान सख्स को एक बार और देखने की माँग कर रहा था.
तकरीबन एक हफ्ते बाद ही असाइनमेंट का रिज़ल्ट भी आ गया. पर ये रिज़ल्ट किसी की ख़ुसी तो किसी के गम के लिए जैसे निकला हो. सैली और इंदु को उम्मीद थी कि उनके डिजाइन टॉप रॅंकिंग मे होंगे, पर इंदु का डिजाइन अंडर 25 मे भी नही था.
उसका सबसे बड़ा कारण ये था कि, जिसने उसका डिजाइन बनाया था, वो लड़का पहले ही उस डिजाइन के लिए फर्स्ट प्राइज़ ले चुका था कॉलेज से. इधर सैली का डिजाइन भी, उतनी बढ़िया छाप नही छोड़ पाया मार्किंग करने वालों को.
दोनो खुद को तसल्ली भी दे देती अगर इस कॉंपिटेशन मे रीति का डिजाइन टॉप नही किया होता. बीते कुछ साल अपनी बहन काव्या के साथ बूटिक़ मे काम करते-करते सैली को फैशन और उस से जुड़ी तकनीकी चीज़ों का बखूबी ज्ञान हो गया था, साथ मे कपड़ों के डिजाइन को लेकर उसकी अलग मनसा, और अपने काम को दिल से करने की लगन ने रीति को आज टॉप करवा दिया.
रीति के डिजाइन को पहला स्थाअन मिलते ही इंदु और सैली के चेहरे पर जैसे कितने सवाल उमर पड़े हो... "ये लड़की, जो गँवार तरीके से रहती है, ये कैसे जीत सकती है". दोनो को ये बात कतई नही पच रही थी, कि रीति को टॉप पोज़िशन मिला है.
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