RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
भीड़ जमा हो गयी. आसिड देख कर इंदु तो थर्रा ही गयी, क्षण मे ही उसने भयानक दृश्य का अनुभव कर लिया, और डर के मारे काप रही थी. इधर भीड़ जबतक कुछ समझ पाती कि हो क्या रहा है, और कोई एक्शन लेती, उस से पहले ही.... अमर ने वो सीसी इंदु के बाल पर पूरी उडेल डाली........
आसिड पड़ते ही बाल के उपर से धुआँ उठता सब ने देखा. "यस आइ डिड इट" कहता हुआ अमर हँसने लगा. इंदु शॉक के मारे काँपती हुई ज़मीन पर गिर गयी.
भीड़ जमा हो चुकी थी, जो अमर को पकड़ कर पीटना चाहती थी, पर इस से पहले की भीड़ कुछ करती, अमर ने दूसरी आसिड की सीसी बाहर निकाल लिया, और चारो ओर घूम-घूम कर वो सीसी भीड़ को दिखाता हुआ....
"कोई आगे नही बढ़ेगा, नही तो ये आसिड मैं किसी के उपर भी फेक दूँगा. इस लड़की ने कल मेरे साथ एक भद्दा मज़ाक किया था, ये उसका ही नतीजा है, वरना मुझे किसी से कोई लेना देना नही".
उतने मे उसके गालों पर एक तमाचा पड़ा, और आसिड की सीसी नीचे गिर गयी. अपने बालों मे हाथ फेरती इंदु, अमर को खा जाने वाली नज़रों से घूर रही थी. अमर भी किसी उल्लू की तरह अपने गाल पर हाथ धरे, बस इंदु को ही देख रहा था.
इंदु.... जाहिल, गँवार, तुमने मुझे घूरा, मैने तुम्हरे साथ मज़ाक किया. उल्लू, हो क्या जो इतना नही समझ पाए कि आसिड डालने से क्या होगा. पता नही आसिड की जगह क्या था, पर शुक्र है आसिड नही था.
अमर.... साला आज कल आसिड भी नकली आने लगा. तेरे बाल नही गये रुक उस्तरे से तेरा बाल सॉफ कर दूँगा.
तभी फिर एक ज़ोर का तमाचा पड़ा, ये तमाचा गौरव का था, इस बार होश उड़ गये अमर के. गेट पर अफ़रा-तफ़री देख कर, कॉलेज प्रशासन भी वहाँ पहुँच गया. भीड़ को हटाया गया और मुख्य लोगों को ऑफीस ले जाया गया...
प्रिन्सिपल.... ये मेरे कॉलेज मे क्या नाटक हो रहा है. जब से कॉलेज खुला आज तक एक भी केस नही हुआ, ये तुम लोगों ने समझ क्या रखा है.
रीति.... कुछ नही सर थोड़ी सी ग़लतफहमी हो गयी थी.
प्रिन्सिपल.... कैसी ग़लतफहमी ?
वासू.... सर, वो हम सब बस देल्ही मे हो रहे आसिड की वारदातों पर एक डॉक्युमेंट्री बना रहे थे, और आस-पास के लोगों को लगा सच मे अमर आसिड फेंक रहा है.
प्रिन्सिपल..... फिर भी, कॉलेज मे ऐसे सीरीयस इश्यूस, आज के बाद कुछ ऐसा करना हो तो पहले मेरी परमिशन लेना, फिर बाद मे करना. अभी वॉर्निंग दे कर छोड़ रहा हूँ, नेक्स्ट टाइम ऐसा बेहूदा मज़ाक हम ज़रा भी बर्दास्त नही करेंगे.
वासू और रीति ने मिलकर प्रिन्सिपल ऑफीस का मामला बखूबी संभाल ली थी. प्रिन्सिपल ने जाने के लिए क्या बोला, सब ऐसे भागे जैसे पिछे से कोई कुत्ता दौड़ा दिया हो. प्रिन्सिपल ऑफीस से कुछ दूर आगे आने के बाद....
अमर.... ये तू किस चक्की का आटा खाती है, जो तुझ पर आसिड भी असर नही किया. तू इंसान है या शैतान.
गौरव.... चुप, मुँह खोला तो बत्तीसी बाहर कर दूँगा, तू ये बता कहीं ये सच का आसिड होता तो जानता है क्या होता.
अमर..... साची, कहता हूँ आसिड ही था, और क्या होता मेरा कॅरियर खराब हो जाता, पर फिर कोई ऐसा मज़ाक तो नही करता. पर ये साला आसिड को क्या हुआ जो काम नही किया.
पीछे से एक लड़का अमर के कंधे पर हाथ रखते हुए.... से थॅंक्स टू मी गर्ल्स, मैने आसिड के बदले बस एक ऐसा केमिकल दिया जो हवा के कॉंटॅक्ट के आते ही धुआँ देता है, पर कुछ करता नही.
अमर.... नीरज कमीने तो ये तेरा किया धरा है. साले तूने ऐसा क्यों किया. देखा नही इसने मेरा क्या हाल किया.
इंदु गुस्से मे.... बहुत बेहूदा लड़के हो, तुम्हे अकल है कि नही, मैं बस मज़ाक कर रही थी.
अमर.... ऐसे, होंठ पर दाँत काट कर, इतनी सेक्सी बातें की थी, और कहती है मज़ाक कर रही थी. तुझे तो मैं छोड़ूँगा नही, देख लियो तू.
रीति.... चुप-चुप, चुप हो जाओ दोनो, अब और तमाशा नही. इंदु आप इसे सॉरी बोलो, मैने देखा था आप के उस झूट के कारण इसका पागलपन, और आप अमर, आप को ज़रा भी ख्याल नही आया, कि सच मे आसिड होता तो, इसका क्या होता. जाकर गूगल पर सर्च कीजिए'गा, आसिड फेकने के बाद बॉडी के उस पार्ट का क्या होता है. बी आ गुड फ्रेंड, और आप दोनो एक दूसरे को सॉरी कहोगे.
अमर... ह्म्म्म्म ! सॉरी मिस, कहाँ बायो-डेटा की बात हुई थी, और अब तक नाम भी नही पता.
थोड़ी देर शांति बनी रही, और सब इंदु की ओर देखने लगे....
अमर.... देखा सबने इसकी अकड़, क्या, घूर क्या रही हो, अब तुम भी सॉरी कहो.
इंदु... हुहह ! मैं क्यों सॉरी कहूँ, नही कहूँगी, मैं भला क्यों बोलूं.
गौरव.... ये तो ग़लत बात है ना, इसने कहा ना सॉरी, अब तुम भी कहो.
इंदु..... मॅनर लेस लड़के. मैं एक खूबसूरत लड़की हूँ, सॉरी कहना मेरे पर्सनल्टी को शोभा नही देता. वैसे भी मैं दोस्तों को सॉरी नही कहती.
अमर..... क्याअ ? दोस्त, कोई बात नही दोस्त, दोस्ती मे इतना चलता है.
अमर की बात सुनते ही, सब ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे. अभी कुछ देर पहले बदला-बदला कर रहा था और अभी......
नीरज..... साला पागल, कल ही मीठी बातों पर टकला हुआ, रात भर कहता रहा खून कर दूँगा, और अभी...... थू है तुझ पर.
वासू.... ऑड मॅनर, नीरज सर. कल एक मज़ाक था जो हादसा होते-होते बचा, पर अभी सब ख़तम होकर नयी शुरुआत है. नही ऐसा नही कहते.
नीरज.... हा हा हा, मैं कौन सा सीरीयस था.
इंदु..... अमर तुम्हारी बेवकूफी को देखते हुए, जो कि मेरे एक मज़ाक से शुरू हुआ था, अब हम दोस्त हैं. और मेरे दोस्त, मैं आज अपनी बेज़्जती करवाते हुए भी, एक टकलू के साथ देल्ही घूमूंगी. क्या रेडी हो, पर अब कोई चर्चा नही कल की बात की.
अमर... दोस्त तो हो गये लेकिन कहीं कल वाला हाल ना कर देना, नही तो इस बार क्लोरॉफॉर्म लौंगा. वो इन्होने कहा ना आसिड का असर, वो दिमाग़ मे छप गया, इसलिय बेहोश कर के बाल सॉफ कर दूँगा.
इंदु.... ही ही, नही ऐसा करने की ज़रूरत नही, कॉंटॅक्ट नंबर अपना मेरे मोबाइल मे सेव कर दो, और मैं निकलने से पहले कॉल कर लूँगी.
सब लोग हँसते हुए निकले वहाँ से. वैसे कुछ देर के लिए तो अमर ने सबकी जान ही निकाल दी थी, पर भला हो उसके दोस्त नीरज का जिसने ऐसा नही होने दिया. चारों अपने कमरे पहुँची.
इंदु फ्रेश होकर सबके पास थोड़ी देर रुकी, फिर मुस्कुराते हुए कहने लगी, आउ ज़रा अपने टकलू आशिक़ को देल्ही घुमा कर.
वासू.... इंदु प्लीज़ अब कोई ऐसा मज़ाक मत करना जिस से दोनो की ज़िंदगियों पर असर हो.
इंदु.... डॉन'ट वरी, मेरी भी अकल खुल गयी है, अब ऐसा नही होगा.
इतना कह कर इंदु, अमर को कॉल करती हॉस्टिल से निकल गयी. अमर भी जैसे पहले से तैयार होकर बैठा था, इंदु के कॉल आते ही वो भी बिना कोई देरी किए निकल गया... दोनो रास्ते पर... चलते हुए..
अमर.... इंदु हम कहाँ जा रहे हैं...
इंदु.... अच्छा बताओ हम क्या हैं
अमर.... मतलब
इंदु.... मतलब हमारा रीलेशन क्या है ?
अमर..... दोस्त हैं
इंदु.... ह्म्म्म ! तो दोस्त कहाँ जाएँगे.
अमर.... और यदि बाय्फ्रेंड होता तो कहाँ जाती. हुहह ! इतना तो मुझ मे भी अकल है, सीधा बोलो ना कहाँ जाना है.
इंदु मन मे सोचती हुई... "कम अकल नही है ये भी, बहुत चालू चीज़ लगता है".... फिर अमर से कहने लगी.... मैं ये कहना चाहती हूँ कि हम कोई मूवी चलें.
अमर.... अभी फ्रेंड्स वित बेनिफिट लगी है, चले क्या वो मूवी.
इंदु.... अच्छा, फ्रेंड्स वित बेनिफिट
अमर अपने चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान लाते हुए... हां बाबा वही मूवी.
इंदु.... ह्म ! ये वही मूवी है ना जिसके पहले सीन मे.. दोनो हीरो और हेरोइन का अपने-अपने गर्लफ्रेंड-गर्लफ्रेंड के साथ ब्रेक-अप हो जाता है. हीरो और हेरोइन काम के सिलसिले मे मिलते हैं, और दोनो की दोस्ती हो जाती है. फिर एक दिन जब दोनो एक मूवी देख रहे होते हैं तो अपने-अपने काउंटरपार्ट को मिस करते हैं, फिर एक डील होती है.. नो एमोशन, नो रिलेशन्षिप, ओन्ली इंटिमेसी, आंड एंजाय दा लाइफ. फिर दोनो अलग हो जाते हैं, अलग होने के बाद एक दूसरे को मिस करते हैं और अंत मे एक अवेसम प्रपोज़ल जैसा लड़की के ख्वाब मे था. क्योँन्न ?
अमर... हां-हां, तो तुम ये मूवी देख चुकी हो. वैसे हम दोनो दोस्त हैं तो सोचा दोस्ती की इस मूवी को देख लिया जाए.
इंदु.... अच्छा जी, मैं खूब समझती हूँ. टू स्मार्ट अमर, मेरे साथ चान्स मार रहा है.
अमर.... मैने कब चान्स मारा, अच्छा तुम पर छोड़ा, जहाँ चलना है चलो.. टॅक्सी-टॅक्सी
एक टॅक्सी आकर उनके पास रुकी. दोनो टॅक्सी मे बैठे.....
इंदु... आप कनाट प्लेस की तरफ ले चलिए.
अमर.... वहाँ क्यों जा रहे हैं ?
इंदु.... पहले चलो, फिर सब पता चल जाएगा.
अमर.... कोई सस्पेंस जैसा मालूम परता है, घायल शेरनी का बदला टाइप वाली.
इंदु.... घायल शेरनी सामने से शिकार करेगी, ना कि कहीं ले जाकर शिकार करवाएगी. ये सब जाने दो कल रात हुआ क्या था ?
अमर.... हुहह ! ऐसा भी कोई मज़ाक करता है क्या ? देखो मेरे सारे बाल चले गये, एक तो लाइफ मे कोई छोरी नही, और जो छोरी आई उसने लाइफ मे अगले तीन-चार महीने तक कोई चोरी ना आए ऐसा बंदोबस्त कर गयी.
इंदु.... हीए हीए, वैसे और कहाँ कहाँ के बाल सॉफ करवा लिए ?
अमर.... दिखाऊ क्या, पूरे 4000 खर्च कर के पूरी वॅक्सिंग करवा लिए. सारे अवांछित (बेकार) बाल और साथ मे फेन्सिंग (सिर के बाल) वाले बाल भी गये, सब तुम्हारे कारण.
इंदु... यक्कक गंदे इतने बाल रखते क्यों हो, सफाई किया करो.
अमर.... तुम्हे मज़ाक सूझ रहा है, मुझे अब भी गुस्सा आ रहा है उस बात के लिए.
इंदु.... उल्लू हो तो मैं क्या कहूँ. कोई मज़ाक भी करेगा तो क्या तुम ऐसा करोगे.
अमर.... झूठी कहीं की, तुमने मज़ाक किया था, पता नही कल क्या-क्या अरमान सज़ा लिए मैने एक पल मे, और सबको तुमने इंतज़ार के भट्टी मे झोंक दी.
इंदु.... च्छछूंदर, पहली मुलाकात मे ही तुमने इतने सपने सज़ा लिए, मैं यदि मिलने आती तो मेरे कपड़े ही फाड़ देते, सब नियत जानती थी, इसलिए नही आई.
अमर.... चुप-कर झूठी. नियत कराब करने वाली कौन है, अब क्या कोई तुम्हे देखे, तो उसे सिड्यूस कर के ऐसा बदला लोगि.
इंदु.... रात गयी बात गयी, और उसी वक़्त कही था, कि अब कल की कोई चर्चा नही होगी.
अमर.... ले खुद कल की बात छेड़ी और मुझे कह रही है.
टॅक्सी रुक गयी, दोनो उतरे, टॅक्सी वाला... 600 रुपये हुए
इंदु.... अमर खड़े क्यों हो, दे दो ना पैसे.
अमर.... मैं क्यों दूं पैसे, मैं थोड़े ना आया हूँ यहाँ, वैसे भी मैं कोई बाय्फ्रेंड नही तुम्हारा जो नखरे उठाऊ, अभी ताज़ा-ताज़ा दोस्ती ही हुई है बस वो भी एक खरनाक हादसे के बाद.
इंदु.... हाउ रूड अमर. मेरी ऐसे ही केयर करते रहो तो गर्लफ्रेंड भी हो ही जाउन्गी ना तुम्हारी.
अमर.... पहले गर्लफ्रेंड बन जाओ, फिर केयर करता रहूँगा.
इंदु.... ठीक है हो गयी गर्लफ्रेंड, अब मेरे प्यारे अमर पैसे दे दो.
अमर.... मामू समझी है क्या, मैं नही देता पैसे, वैसे भी मैं पर्स भूल आया हूँ घर पर.
टॅक्सी वाला.... ओये, दोनो आपस की बातें बाद मे करना, जल्दी मेरे पैसे दो.
इंदु ने अपने पर्स से पैसे निकाल कर उसे दे दिए. "कमीना ज़्यादा ओवर स्मार्ट बनता है, रुक अभी पता चल जाएगा कि मैं तुम्हे यहाँ क्यों लेकर आई हूँ"
इधर हॉस्टिल मे.... इंदु के जाने के बाद...
वासू.... कल रात को इतना बड़ा ड्रामा कर दी, और आज देख उसके साथ फिर गयी है. मुझे तो इसके लक्षण कुछ ठीक नही लगते, देखना किसी दिन अपने साथ-साथ ये हम सब को ना फसा दे.
सैली.... हां सच कही, पहले दिन नही देखी, पूरी रात हॉस्टिल से गायब रही, रीति कहाँ खोई हो.
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