RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
अमर, इंदु की हथेलियों को अपनी मुट्ठी मे भरते हुए.... मैं सड़ा आप के साथ हूँ, बस बाल ही ना, मैं वादा करता हूँ ... नही मिलेंगे बाल, और कुछ...
इंदु.... ओह्ह्ह्ह ! आइ आम सो हॅपी . वूऊ हूऊ, अब मेरा भी एक बाय्फ्रेंड है.... और वो भी मेरी ख्वाइश सुन कर खुश है, मुझे छोड़ कर गया नही. ठीक है अमर, बस तुम को देखी तो खुद को रोक ही नही पाई तुम से मिलने से. अब चलती हूँ मेरे दोस्त मेरा इंतज़ार कर रहे हैं. रात को आना, मैं इंतज़ार करूँगी.
इतना कह कर इंदु एक दूरियों वाला हग की अमर को, उसके गालों पर हाथ फेरती, वहाँ से चली आई वापस......
इधर अमर के दिल मे गुदगुदी हो रही थी, इंदु द्वारा किया गया ये हमला, और उधर इंदु खुद मे ही हँसे जा रही थी और सोच रही थी... अब तो ये अपने बाप के लिए भी नही रुकेगा सीधा अपनी हजामत के लिए जाएगा.... दोनो रात के बारे मे अपने-अपने ख्यालों मे खो कर हँसे जा रहे थे.
वासू.... तू ऐसा क्या बोल दी जो वो अंदर ही अंदर मुस्कुरा रहा है.
इंदु...... मैने बोल दिया मुझे बाल पसंद नही, रात मे मिलना बिना बाल के.
वासू.... हीई हीई हीईए, कहाँ के बाल पसंद नही इंदु.
रीति.... छ्हि, ऐसे कोई बात करता क्या ?
इंदु.... हां सच ही तो कहीं, बाल पसंद नही. हीए ही ही. तुम्हे क्या बाल पसंद है.
रीति.... इंदु, आप ऐसे मज़ाक मत करो, मुझे बिल्कुल पसंद नही ऐसे मज़ाक.
वासू.... रीति, भोली, चल बाबा मैं माफी मांगती हूँ. थोड़ा चिल कर बाबा, चिढ़ने के बदले उल्टे जबाव दे दिया कर, नही तो जितना चिढ़ेगी उतना हम चिढ़ाए गे.
इंदु.... रीति, चल बाबा गुस्सा थूक दे, नही करती मज़ाक मैं.
रीति..... अर्ररे नही, मज़ाक के लिए कोई मना थोड़े ना की. पर उस तरह के मज़ाक पसंद नही. मी टू सॉरी, शायद मैं आप सब के साथ अड्जस्ट नही हो पाउन्गी.
वासू.... अब ये क्या है रीति. ऐसे बोल कर मुँह क्यों लटकाई. यू आर सूऊऊ स्वीएटतत्त. फिर अड्जस्ट वाली बात की ना तो देख लेना. चल अब हंस दे, रोनी जैसी सूरत है तुम्हारी. और ओ' सीरीयस लोगों, अब बात बंद करो और खाना खाओ. वैसे इंदु वो मुस्कुरा तो ऐसे रहा है जैसे पूरा नंगा होकर वॅक्स करवाने की प्लॅनिंग चल रही है. हीए हीए हीए.
इंदु.... डफर ही होगा जो इतना ना समझेगा कि मैं मज़ाक कर रही थी.
तीनो जल्दी से खाना खा कर निकली, रास्ते मे जब इंदु ने बाल की कहानी बताई, तो वासू सोच कर ही हँसने लगी. रीति को अच्छा नही लगा इस तरह का मज़ाक, क्योंकि सच मे यदि वो ऐसा करेगा, तो लोग कितना मज़ाक उड़ाएंगे.
पर रीति की चिंता पर वासू और इंदु दोनो ने अपनी हँसी का पूर्ण विराम लगते हुए, बस इस मज़ाक को एंजाय करने का सजेशन दी. रात को सूभ रात्रि कहते हुए सब सोने चले गये, पर रीति को रह-रह कर उस लड़के का ही ख़याल आ रहा था, और उसकी हालत के बारे मे सोच कर थोड़ी चिंतित हो रही थी.
रात को सभी लड़कियाँ अपने अपने रूम मे थी, पर रीति से ना रहा गया और वो रात के करीब 1.30 बजे खुद मे थोड़ी हिम्मत करती अपने फ्लोर से दूसरे गेट पर नज़र डाली. देख कर जो पहली झलक मिली उसे देख हंस दी.
अमर सच मे बाल मुंडवाकर वहाँ कुछ कर रहा था. तभी रीति ने देखा अपने हाथों से दो बार पागलों की तरह अपना सिर पिटा, और पत्थर लेकर स्ट्रीट लाइट पर मारने लगा.
रीति को उसकी हालत पर दया आ गयी, और वो उसे समझाने नीचे गयी. नीचे आते ही रीति सबसे पहले वाचमेन के पास गयी, जो आधा जगा और आधा सोया था....
वॉचमन.... रात को हॉस्टिल से बाहर निकलना अलाउड नही है, फिर क्यों घूम रही हो ऐसे.
रीति.... सुनिए भैया, वहाँ दूसरे गेट पर लगता है कोई परेशान है, चलिए ना.
वॉचमन.... यहाँ तो पूरी दुनिया परेशान है, वो कोई अकेला नही. जाओ सो जाओ.
रीति.... सुनिए आप प्लीज़ चलिए, मुझे लगता है हॉस्टिल का ही कोई परेशान है. अब यदि उसे रात मे कुछ हो गया तो, कल को पोलीस आप को और ज़्यादा परेशान करेगी.
रीति की बात सुनकर वो वॉचमन हड़बड़ा कर उठा और साथ चलने के लिए राज़ी हो गया. दूसरे गेट पर जैसे ही पहुँचे दोनो, एक काँच की बॉटल गेट पर अमर ने गुस्से मे फेंक दिया. बेचारा पूरे बाल मुड़वाए पागलों की तरह 12 बजे से इंतज़ार कर रहा था, और वासू का 1.30 बजे तक कोई पता नही था.
सुक्र है बॉटल किसी को लगी नही. वाचमेन ने अमर को दौड़ा दिया. रीति भी तेज कदमों से दो कदम ही आगे चली होगी की, एक टक्कर.
फूटपाथ पर चल रहे एक लड़के से टकरा गई. अचानक इस टक्कर के कारण रीति अनबल्न्स हो गयी, और उसे, उस लड़के ने अपने बाहों मे थाम लिया....
रीति का पूरा भर थामे वो लड़का खड़ा रहा. हाथो मे रीति को थामे वो लड़का रीति के चेहरे को देखने लगा. अपने चेहरे पर बिखरे हुए बाल को थोड़ा साइड करती रीति ने भी पहली झलक उसकी देखी. दोनो की नज़रें मिली, और पता नही, जैसे पहली झलक मे ही कोई दिल मे उतर सा गया हो.
जिंदगी मे यूँ तो बहुत लोग मिलते हैं और मिल कर खो जाते हैं, पर कभी कभी इस भीड़ मे कोई ऐसा भी मिल जाता है, जो पहली ही झलक मे दिल मे उतर जाता है. दोनो खामोसी से जिस तरह से देख रहे थे, ऐसा लगा जैसे आँखों के रास्ते कोई दिल मे उतर रहा हो.
दोनो के बीच खामोशी सी ही रही, और एक दूसरे को देखते रहे......
वॉचमन..... क्या दोनो पुतले बन गये हो, जो ऐसे खड़े हो.
दोनो का ध्यान टूटा और उस लड़के का हाथ ग़लती से हट गया और रीति अब भी झूल रही थी, वो धम्म से गिरी नीचे.....
"आप्प्प्प, छोड़ दिया, खड़े तो हो जाने देते मुझे"
लड़का हडबडाता हुआ.... एक्सट्रीमली सॉरी मिस, आप को कहीं चोट तो नही लगी.
वॉचमन... चलो, मुझे गेट भी बंद करना है.
रीति वॉचमन की बात सुन कर खड़ी हुई, वो लड़का अब भी थोड़ा शर्मिंदा नज़र आ रहा था. रीति एक प्यारी सी स्माइल दी, और उसे एक बार देखती हुई चल दी. रीति जब अपने फ्लोर पर पहुँची तब एक नज़र बाहर डाली, बाहर वो लड़का अब भी खड़ा था, और रीति के फ्लोर को ही देख रहा था.
रीति ने जैसे ही देखा वो लड़का उसे ही देख रहा है, वो तेज़ी से पलट गयी और अपने रूम मे चली गयी............ "क्या सोच रहे होंगे, मैं उन्हे देख रही थी और उन्होने पकड़ लिया. वैसे था तो काफ़ी प्यारा".
रीति बस उसी के ख़यालों के साथ नींद के आगोश मे चली गयी. पहली बार उसे, किसी लड़के को देख कर दिल धड़का था. सुबह जब उठी तो उसे लगा जैसे कोई प्यार सपना देखी हो रात को, और उसे सपना ही मन कर, मुस्कुराती वो कॉलेज के लिए तैयार होने लगी.
चारों लड़कियाँ साथ मे ही निकली ........
रीति.... इंदु आप ने अच्छा नही किया.
इंदु... मैने क्या कर दिया.
रीति... भूल भी गयी आप, रात को किसी के साथ मज़ाक की थी.
इंदु... हां मज़ाक ही तो था, किसी को भी समझ मे आ जाता. भला कोई बाल मुड़वाने और बाल सॉफ करवाने की भी शर्त होती है क्या ? तुम अब भी वहीं अटकी हो.
रीति.... शायद आप को पता नही, उसने सच मे अपने बाल मुड़वा लिए, और रत मे पागलों की तरह अपना सिर पीट रहा था.
वासू..... झूट बोल कर हमे डरा रही है रीति.
सैली.... पर बात क्या है, कई मुझे कुछ बताएगा. मैं नही थी तो, कोई मुझे कुछ बताता भी नही.
इंदु.... अच्छा, और अपने क्रेज़ीबॉय के साथ कौन रोमॅंटिक साम पर गया था. बताओ बताओ.
सैली.... पर मैं अकेली कहाँ गयी थी. मैने तो सबको कहा था, कोई नही आया.
वासू ने सैली की बात मे हामी भरती हुई, कल रात की हुई घटना को सुना दी. सुन कर सैली खूब हसी, और कहने लगी ...... "यार कहीं सच मे ना सिर मुड़वा लिया हो, काश रीति की बात सच हो"
रीति.... हद है आप सब भी, कोई यकीन मत करो मेरी बात पर, जाने दो.
सब अपने क्लास पहुँच गये. पूरा दिन सब अपने-अपने क्लास मे लगे रहे, पर जब आखरी क्लास ओवर हुआ और चारों बाहर गेट से निकल रही थी..... अमर उन सब के सामने आ गया.
अमर को सामने देख कोई भी नही पहचान पाया.... लेकिन अमर काफ़ी गुस्से मे था. अपने साथ हुए मज़ाक को लेकर कल रात से ही वो इंदु को ढूंड रहा था, कब इंदु उसे मिले और और वो अपना बदला ले.
गुस्से मे अमर ने बिना कोई अपनी बात कहे सीधा इंदु का गला पकड़ लिया...... "कमीनी तुझे बाल पसंद नही ना, देख आज तेरी ख्वाइश पूरी कर देता हूँ. ये देख रही है, इसे आसिड कहते हैं, बाल पर डालूँगा, फिर कभी नही आएँगे.
इतना बोल कर अपनी अपने हाथों मे पकड़े एक सीसे की बॉटल को हिलाने लगा जिसके उपर से हल्का धुआँ भी निकल रहा था, लड़कियाँ बड़ी ज़ोर से चिल्लाने लगी, "छोड़ो इसे", "कोई है क्या", "हेल्प, हेल्प"....
क्षण भर मे ही तमाशा हो गया. सभी लड़कियों को चिल्लाते देख गेट से निकलने वाले स्टूडेंट जमा हो गये. गौरव भी सैली को ही ढूंड रहा था, कल रात को अपसेट थी, और सुबह मिली भी नही, इसलिए वो भी उसी ऑर दौड़ा, सैली का शोर सुन कर.
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