RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
रीति और वासू दोनो इंदु को देख कर बस एक ही सवाल की.... कल पूरी रात कहाँ गायब हो गयी थी.
इंदु.... सो सॉरी, ये देखो चोट के निशान, कल आक्सिडेंट हो गया था, हॉस्पिटल मे थी.
रीति.... क्या हुआ था ?
इंदु.... कुछ नही मैं सड़क तक गयी थी, की पिछे से कार ने टक्कर मार दी.
वासू... कार से टक्कर, पर चोट तो मामूली है.
इंदु.... एक्चूली चोट तो कुछ भी नही लगी. उनकी गाड़ी पूरी कंट्रोल मे ही थी, पर मेरा ध्यान कहीं और था और मैं टकरा गयी, सदमे के कारण मैं बेहोश हो गयी थी और आँखें खुली तो हॉस्पिटल मे थी.
वासू... सुक्र है भगवान का, चोट नही लगी.....
तीन लाड़िया जब मिली, तो बात चीत का दौर चलता हे रहा.... ये लड़कियाँ भी ना, जब बैठी बात करने फिर समय का कहाँ पता चलता है.
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इधर गौरव और सैली हाथों मे हाथ डाले, अपना सारा समान रीति और वासू को थामते हुए निकल गये थे कॉलेज से, अपने कल के अधूरे रोमॅन्स की चाहत को पूरा करने के लिए.
चलते हुए गौरव, सैली के गालों पर हाथ फेरते...... "कितनी सॉफ्ट है, बिल्कुल मखमली"
सैली.... ओह्ह्ह हूओ हूऊ ! मेरा क्रेज़ीबॉय, आज कुछ ज़्यादा ही मूड मे है, ज़रा चूम के बताना कैसा लगता है.
गौरव.... यहाँ ! सड़क पर ...
सैली.... इसमे चौकने वाली कौन सी बात है, कोई मैं किसी दूसरी लड़की से रॅंडम किस की बात कर रही हूँ. बी आ मॅन क्रेज़ी बॉय
गौरव..... तुम भी ना, ये मुझ से नही हो पाएगा.
गौरव इतना बोलते हुए एक कदम आगे ही बढ़ा था की सैली ने गौरव के गाल पर एक किस कर ली.
गौरव हँसते हुए.... तुम भी ना सैली, पागल हो बिल्कुल, पागल
सैली... अच्छा खाली मैं ही पागल हूँ ना जाने दो. कभी-कभी तो लगता है सिर्फ़ मैं ही तुम से प्यार करती हूँ. हां क्यों नही, मैं ही आई थी ना तुम्हारे पास तो तुम क्यों प्यार करने लगे.
इतना कहने के बाद, सैली मुँह फूला कर चुप चाप आगे चलने लगी, पिछे गौरव अपने सिर पर हाथ मारते.... "सारे दर्द पाल लो प्यार का दर्द मत पालो, पता नही अभी कुछ किया भी नही, फिर भी रूठ गयी है. और नाराज़ है तो वापस जाए ना हॉस्टिल, आगे आगे क्यों चल रही".
"इनका मन भी रहता है कि साथ घुमा फिरा जाए, पर रूठना तो जैसे एक टॉनिक हो, दो चार बार किसी बात पर जबतक रूठ ना जाए लगता है खाना ना पचे. चल बेटा क्रेज़ीबॉय, कुछ क्रेज़ी कर के मना ले. अब इतनी प्यारी है तो नखरे तो उठाना पड़ता है ना बॉस"
इतना कहते कहते सैली बिल्कुल शांत हो गयी, शब्द जैसे हलक मे अटक गये हो, टेबल पर रखे हाथ की कंपन बता रही थी कि वो कितनी घबराई हुई है... गौरव ने जब अचानक ही उसके बदले हाव-भाव को देखा तो वो शॉक्ड हो गया.... "क्या हुआ सैली, बताओ ना. तुम इतना डरी हुई क्यों हो"
सैली अपने काँपते हाथों को उठा कर बस सामने की ओर इशारा करने लगी............
गौरव.... क्या हुआ सैली, तुम घबरा क्यों रही हो
सैली.... उूओ, उूओ दिखा मुझे
गौरव "वो कौन" कहता हुआ पिछे मूड कर देखने लगा.... देखता हुआ फिर कहा ... "कोई भी तो नही है वहाँ सैली, क्या हो गया तुम्हे अचानक"
सैली..... मैं कहती हूँ ना वो था अभी यहीं....
चिल्लाति हुई सैली होटेल के बाहर निकल गयी, गौरव को कुछ भी समझ मे नही आ रहा था कि सैली को अचानक हुआ क्या है. फिर भी सैली की तसल्ली के लिए वो एक राउंड पूरा घुमा, ये देखने कि आख़िर क्या देख लिया सैली ने.
थोड़ी देर बाद गौरव भी वापस आया, और सैली से पुच्छने लगा... सैली थोड़ा गंभीर होती हुई जबाव दी... मैने नेनू को देखा वहाँ
गौरव उसे गले लगाते शांत करने लगा.... कोई नही था, कोई नही था वहाँ. और वो होता भी तो तुम्हे डरने की कोई ज़रूरत नही है सैली, उसका साया भी तुम पर पड़ने नही दूँगा.
सैली थोड़ी घबराई थी, समय भी हो गया था, गौरव ने सोचा "हमे अब चलना चाहिए" और दोनो वहाँ से वापस आ गये.
सैली अपने रूम की ही ओर जा रही थी, पर रूम मे लॉक लगा था, पड़ोस के रूम मे देखी तो तीनो की हँसी की आवाज़ आ रही थी. सैली भी वहाँ उसँके पास पहुँची... तीनो ने जब सैली को देखा तो देख कर घूर्ने लगे.....
इंदु.... रोमटिक शाम पर ड्रेस भी चेंज हो गये मेडम के राज क्या है.
सैली एक फीकी मुस्कान देती कहने लगी... नही हम वो होटेल रॉयल प्लेस गये थे, वहीं रॉयल डिन्नर का ऑर्डर दिया था, तो होटेल वालों का ये ड्रेस कोड था, ग़लती से इसे पहने चली आई.
रीति.... सैली आप कुछ घबराई सी लग रही हैं, बात क्या है. कुछ हुआ है क्या ?
सैली... नही रीति थोड़ी टेंड्स हूँ
रीति... बात क्या है..
सैली.... नही कुछ नही, थोड़ा घर से फोन था वहीं घर पर पापा की तबीयत ठीक नही.
वासू... क्या हुआ अंकल को ?
सैली... नही कोई विसेस बात नही, उनका बीपी हाइ हो गया था अब कंट्रोल मे हैं. मैं उनसे ज़्यादा क्लोज़ थी इसलिए कुछ अच्छा नही लग रहा. रीति चाबी तुम्हारे पास है क्या ?
रीति ने उसे चाबी दे दी, सैली भी चाबी लेकर चली गयी... जब से नेनू को देखने का आभाष हुआ था सैली बस डरी हुई थी, जैसे उसकी चोरी की खबर अब सबको पता चल जाएगी.
वासू.... ये लड़की आज कुछ अजीब नही कर रही थी.
इंदु.... मुझे तो इसकी चाल भी अजीब लग रही थी, कुछ लड़खड़ाई हुई सी. ही ही ही.
रीति.... क्या बकवास कर रही हो
इंदु... हाय्ी ये बकवास कहाँ, सोचो दोनो होटेल मे ड्रेस चेंज कर रहे हैं साथ मे, और फिर...
रीति.... हॅट.. आप भी ना कुछ भी कहती हो. वो सच मे परेशान थी.
वासू... हां परेशान तो थी, पर कहीं ये परेशानी गौरव की तो नही दी हुई है.
रीति... वासू आप भी ना, गौरव ऐसा लड़का नही है.
वासू... तो फिर कैसा लड़का है मेरी जान, कहे तो पुच्छ कर बता दूं
रीति.... अब आप सब प्लीज़ इस टॉपिक को बंद करेंगे.
वासू.... टॉपिक क्लोज्ड. चलो चल कर खाना खा लिया जाए, नही तो पता चला कॅंटीन भी बंद हो जाएगा.
तीनो कॅंटीन निकली खाने के लिए. एक ही टेबल पर तीनो बैठी थी, तभी वासू ने इंदु और रीति को एक लड़के की ओर इशारा करती हुई.... देख-देख इंदु तुझे कैसे घुरे जा रहा है.
इंदु.... बेचारा, लगता है अब तक गर्लफ्रेंड नही इसकी. ही ही ही
वासू.... अच्छा जी, तुझे बहुत दया आ रही है बेचारे पर.
इंदु.... अपना तो दिल ही कुछ ऐसा है, देख लगता है उसे भी ये बात पता चल गयी, दिल को ही देख रहा है, ठर्कि कहीं का...
वासू.... हा हा हा... देख-देख इंदु, कैसे घूर रहा है, उसकी फेशियल एक्सप्रेशन से ऐसा लग रहा है जैसे अपने सपनो की दुनिया मे तेरे साथ सुहागरात मना रहा हो.
इंदु.... ऐसा क्या वासू, तो चलो इसकी सुहागरात को इसकी बलात्कार मे बदल देते हैं.
वासू.... गो अहेड इंदु, मैं और रीति यहीं से तुम्हे बॅक-अप सपोर्ट दे रहे हैं. छोड़ना मत इस आवारा को. बेस्ट ऑफ लक.
इंदु, "ठीक है" कहती हुई अपने खाने का प्लेट उठा कर उस लड़के के टेबल की ओर चल दी. जैसे जैसे इंदु उस लड़के के टेबल की ओर बढ़ रही थी, मानो उस लड़के का कॉन्फिडेन्स लेवेल हाइ होता चला जा रहा हो.
अपने चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान लिए वो लड़का बिना प्लकें झपकाए बस इंदु को ही देख रहा था, इंदु खाने का प्लेट उसके टेबल रखती हुई .... क्यों महाशय, आप के साथ बैठ कर खाना खाऊ तो आप को कोई ऐतराज़ तो नही.
लड़का.... बिल्कुल शौक से ये मेरी ख़ुसनसीबी होगी. बाइ दा वे मुझे अमर कहते हैं.
इंदु..... ओह्ह्ह ! अमर यू आर सो क्यूट.
वो लड़का तो जैसे मानो हवा मे उड़ रहा हो, उसे लगा, एक ही झलक देखा और लड़की बिल्कुल लट्टू उस पर....
अमर.... खूबसूरत आप भी कम नही, नाम क्या है आप का मिस.
इंदु.... अज़ी नाम मे क्या रखा है, आज रात मिलकर पूरी बायो-डेटा आराम से लेते रहेंगे.
अमर..... क्या ? मेरे कानो पर यकीन नही हो रहा...
इंदु एक नाटकिया गुस्से का भाव अपने चेहरे पर लाती हुई..... ओके ! फाइन, यकीन नही तो मैं चली. सॉरी तुम्हे डिस्ट्रब किया.
अमर, बिल्कुल हड़बड़ी मे इंदु का हाथ पकड़ते हुए... सॉरी, सॉरी, मुझे लगता था कि एक नज़र का प्यार सिर्फ़ लड़कों को ही होता है, पर मैं ग़लत था, आज पता चला दोनो को हो सकता है. प्लीज़, अब माफ़ भी कर दो. जिस घड़ी से तुम्हारी झलक देखी है, बस ... दिल मे उतरती जा रही हो.
इंदु मन मे अपने सोचती... "हां बेटा मैं सब समझती हूँ, कहाँ से चढ़ कर कहाँ उतर रही हूँ"
अमर की बातें सुन'ने के बाद इंदु थोड़ी गंभीर होती हुई .... सच मे, ओ' मेरे अमर. आज रात मुझ से मिलने आओ गे ना, मैं तुम्हारा इंतज़ार करूँगी.
अमर.... आज तूफान, बारिश, बिजली आग, दुनिया की कोई ताक़त मुझे तुमसे मिलने से रोक नही सकती, बताओ कहाँ आना है.
इंदु.... हम हॉस्टिल के सेकेंड गेट के बाहर मिलेंगे, ठीक रात 12 बजे. लेकिन.....
अमर.... लेकिन क्या ?
इंदु.... मुझे ना सपाट मैदान पसंद है, बदन पर बाल बिल्कुल अच्छे नही लगते, वादा करो तुम बिना बाल के आओगे.
अमर.... अजीब सी बात है, क्या सिर के भी बाल अच्छे नही लगते.
इंदु छोटा सा मुँह बना कर.... मुझे पता था कि तुम भी मुझ से पिछा छुड़ा कर भाग लोगे, जो भी मुझे अच्छा लगा, जब भी उसे ये बात कही, सब मुझ से पीछा छुड़ा कर भाग गये. हमेशा अकेली ही रह जाती हूँ. ओके सॉरी अमर, शायद हमारा तुम्हारा यहीं तक का साथ था......
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