non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्रेम कहानी )
12-27-2018, 01:46 AM,
#32
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
विक्की खाने हुए इंदु से कहने लगा..... इंदु तुम मुझ से भाग क्यों रही थी.


इंदु.... तुम्हारा गुस्सा था विक्की, मैं तो डर ही गयी थी, मैं क्या करती, जबकि बात तो सिर्फ़ इतनी थी कि तुम्हे आज वाइल्ड सेक्स करना था.


विक्की.... इंदु मुझे क्या चाहिए था, ये तुम्हे कैसे पता.


इंदु..... जब मैं बाथरूम से बाहर आई और तुमने किस के बाद धीरे से थप्पड़ मारे तब.


विक्की.... और उस से पहले तुम्हे क्या हो गया था


इंदु.... तब तो डर गयी थी.


विक्की.... अब समझ मे आया इंदु, जब जान फँसी होती है तो लोग को डाइलॉग नही सूझता, उसके पास डरने, भागने और सुन'ने के सिवा कोई चारा नही होता. तुम ने कोई लॉजिक नही लगाई, ना कोई तर्क दी कि मुझे क्या करना चाहिए, बस थोड़ी हिम्मत की ... दिमाग़ लगाई ... और परेशानी सॉल्व की.


"अब तुम्हे समझ मे आया कि मैं वहाँ क्यों चुप था, मेरी भी जान अटकी थी.... वैसे तो तुम्हे देख कर बर्दास्त नही होता, पर हेयी रे तुम से बड़ी जंगली आज तक नही देखा". नीचे अपने लिंग की ओर इशारा कर दिखाते हुए.... "कितनी बेरहमी से छिलि है, तीन चार दिन तक कुछ करने की हालत मे नही रहूँगा".


इंदु हस्ती हुई... यहाँ भी तुमने कुछ कम नही किया है, पर मैं दिखाने लगी तो तुम फिर ना कहीं कूद पडो... और मेरी भी हिम्मत नही बची अब.


विक्की हस्ता हुआ कहने लगा ... "तुम मे कुछ तो बात है इंदु, सो जाओ अब तुम. बस कल बैठ कर हम कुछ प्लान करते हैं, यदि मेरा ये काम हो गया तो तुम्हे कोई कॉलेज जाकर पढ़ाई करने की ज़रूरत नही होगी, तुम्हारा कॉलेज के काम की सारी रिस्पोन्सबिलिटी मेरी ... और यदि मॉडेल बन ने का मन हो तो बता देना ... टॉप क्लास तक पहुँचा दूँगा" .....


इंदु को सपने दिखा गया विक्की, मुस्कुराती सो गयी इंदु और फिर से उसे अपना काम बनते नज़र आने लगा ........
अगले दिन सुबह सुबह विक्की निकल गया इंदु के लिए एक नोट छोड़ कर.... इंदु रात को इतना पी ली थी कि वो देर तक सोती रही, और जब जागी तब विक्की की नोट पर नज़र गयी....


"शाम तक मिलता हूँ, चेहरे पर चोट के निशान है, आज कॉलेज मत जाना. ड्रॉयर मे कुछ कपड़े हैं, पहन लेना, और किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो टेबल पर रखे फोन से 109 पर कॉल कर देना. और हां किसी भी नौकर से बात मत करना". इंदु वो नोट को कचरे मे डालती हुई, बाथरूम मे शावेर लेने चली गयी. 


इधर हॉस्टिल मैं.......
सुबह के वक़्त हॉस्टिल मे फर्स्ट एअर वालों के दिल मे अफ़रा-तफ़री मची थी, अपने फर्स्ट डे कॉलेज अटेंड करने के लिए. सभी जल्दी-जल्दी तैयार होकर कॉलेज के लिए निकल रहे थे.


सारे फर्स्ट एअर स्टूडेंट का जमावड़ा प्रिन्सिपल ऑफीस मे था, सब अपने-अपने सेक्षन और क्लासेज ढूंड रहे थे. रीति, सैली, इंदु, वासू, और गौरव सब एक हे क्लास मे थे. नोटीस बोर्ड देखने के बाद सब अपने अपने क्लास की ओर चल दिए.


सैली.... मेरे लिए अच्छी बात है रीति, मेरा क्रेज़ीबॉय मेरे ही सेक्षन मे है, अब मुझे ज़्यादा मेहनत करने की ज़रूरत नही होगी.


रीति, सैली को छेड़ती हुई कल क्रेज़ी बॉय के साथ वाला रोमांटिक हॉरर सफ़ारी याद दिला कर हस्ती हुई वो भी सैली के साथ चल दी क्लास की ओर ... तभी पिछे से वासू आवाज़ देती हुई ....


"हे, कब से आवाज़ दे रही हूँ, तुम दोनो रुक क्यों नही रही"


रीति.... वो सैली ने बात ही ऐसी की, बाकी बातों को ध्यान नही दे पाई. सॉरी वासू


वासू..... ऐसा क्या कह दिया सैली ने


रीति मुस्कुराती हुई... मैं, इसका वो क्रेज़ीबॉय और सैली तीनो सी सेक्षन मे ही है. सैली का कहना है कि क्रेज़ीबॉय के उसके सेक्षन मे होने से उसे ज़यादा मेहनत नही करनी पड़ेगी. और मैं ये सोच कर हंस रही हूँ, दोनो एक दूसरे को क्लास मे देख कर रोमॅंटिक होते रहेंगे और इनका क्रेज़ी रोमॅन्स रोज हॉरर सफ़ारी मे चलेगा.


वासू.... ग़लत बात है रीति, किसी का ऐसे मज़ाक बही उड़ाते, पर उसने किया ही ऐसा है कि मुझे अब तक हँसी आ रही है.


सैली.... हे, तुम दोनो को ज़्यादा ओवर स्मार्ट बन ने की ज़रूरत नही है, हसी आ रही है तो मुँह फाड़ कर हसो, मैं चली. हुहह !


वासू.... इसमे ओवर रिक्ट करने की क्या बात है, मज़ाक ही तो कर रहे थे, इतना आटिट्यूड अच्छा नही.


सैली.... आटिट्यूड माइ फुट ......


रीति महॉल को गरम होते देख सैली की बात पूरी होने से पहले हे बोल पड़ी .... अननह ! शांत हो जाओ दोनो .... और वासू शायद तुम कुछ कहने आई थी.


वासू अपने चेहरे पर एक बनती नॉर्मल मोड देती हुई ....... तुम मे से किसी ने मेरी रूम मेट इंदु को देखा ?


रीति... नही तो, क्यों क्या हुआ ?


वासू.... पागल लड़की है, कल से रूम मे ही नही आई.


"क्या"..... रीति और सैली के मुँह से अचानक यही निकला. अभी इस रिक्षन के बाद का प्रतिक्रिया देती दोनो उस से पहले गौरव सामने से "ही" करता हुआ पहुँच गया.


सैली, गौरव को देखते हे गुस्से मे आँखें बड़ी करती हुई वासू से कहने लगी.... नये सहर मे पहले दिन ही रात भर गायब, कहीं कुछ हो तो नही गया.


वासू.... इसी बात की फिकर तो मुझे भू हो रही है.


गौरव..... कोई मेरी भी फिकर कर लो.


रीति अपनी भावें चढ़ाती हुई... भला हम क्यों फिकर कर लें आप की.


गौरव.... मेरी गर्लफ्रेंड आंड अपकमिंग वाइफ मुझ से रूठी है कल से, किसी बात के लिए, इसी की फिकर. वैसे रीति जी आप भी सच ही कही, मेरे लव को मेरी फिकर नही तो आप सब क्यों करने लगे.


वासू.... हम दोनो तो साइड हैं आप दोनो के मॅटर से. अभी ही थोड़ी देर पहले इसी बात को लेकर बहुत कुछ सुनाया आप के लव ने.


गौरव..... सूऊओ सॉरी, ये लीजिए कान पकड़ कर माफी माँगता हूँ. वो क्या है ना थोड़ी सी नकचाढ़ी है, कोई मज़ाक भी नही कर सके ऐसी है. पर दिल की बुरी नही. सो प्लीज़....


वासू.... ह्म्‍म्म ! कोई बात नही, मैं समझ गयी थी, वैसे एक सजेशन देती हूँ, जल्दी से मना लो सैली को अब. या ये नही मानती तो मुझे प्रपोज कर दो. हे हे हे हे


गौरव.... ऊप्स ! एक ही बात के लिए कब तक रूठी रहोगी, देखो सब के सामने तुम से भी कान पकड़े, अब तो माफ़ कर दो.


सैली.... मैं कहाँ रूठी हूँ, देखना तो वासू, रीति, क्या मैं गुस्से मे लग रही हूँ.


रीति.... नही, मुझे तो लग रहा है, आप अभी भी हॉरर प्लेस पर हो, और आप को डर लग रहा है... हे, हे, हे ...


सैली.... नोट सो फन्नी रीति, इसका तो मैं खून ही कर दूँगी.


गौरव.... माताओं आप दोनो क्या यहाँ आग लगाने आई हैं. भूलने तो दो इस बात को. थोड़ी देर हुई नही कि आप दोनो वही बात छेड़ देती हो, और इसे देखो ये तो मेरा खून करने को तैयार है ....

"मेडम खून कर दिया फिर भी आप की ही यादों मे बसेंगे, कहीं ना कहीं वो दिल भी धड़ाकेगा मेरे नाम से. माइ हार्ट, वैसे भी यदि ज़्यादा रूठी रही तो, मैं साची मे मर जाउन्गा, बर्दास्त नही होता तुम्हारा उखड़ा रहना, मानो कोई सूनापन छा गया हो. प्लीज़ अब मुस्कुराती हुई, ज़रा प्यार भरी एक नज़र इधर भी डाल दो"

"वैसे एक बात तय है सैली, मेरी बेइन्तिहा मोहब्बत, तुम्हे तब तक मानती रहेगी, जबतक इस सरीर मे आखरी सांस है, एक ही तो चाहत है मेरी, और उसे भी नही मना पाया तो किसे मनाउन्गा"


गौरव अपनी बात बोल कर शांत हो गया, महॉल कभी ही खुशनुमा हो जैसे, ऐसी हसरत भरी नज़रों से गौरव, सैली की ओर देख रहा था, यदि किसी का दिल पत्थर का भी होता तो पिघल जाता. रीति और वासू दोनो तालियाँ बजाने लगी गौरव की बात पर....


सैली.... ओ' मेरा क्रेज़ीबॉय. सॉली, मिस यू आ लॉट. लेकिन अब दोबारा ये मरने-वरने की बात मत करना. हमे तो साथ जीना है, मरेंगे भी लेकिन उस से पहले थोड़ा जी लें साथ मे खुलकर. वैसे कल की बात से मैं बहुत खफा थी. और ये दोनो कितना मज़ाक उड़ाई, और गुस्सा भड़कता था. माफ़ किया पर एक शर्त पर...


गौरव.... कौन सी शर्त है सब मंजूर बिना जाने


सैली... तो ठीक है, आज हम डिस्को चलेंगे.


गौरव खुद मे सोचते हुए "शायद आ बैल मुझे मार इसी को कहते हैं. पता नही आज डिस्को मे मेरे साथ ये क्या करेगी, अच्छा होता कह देता पहले शर्त बताओ फिर करने लायक होगा तो करूँगा" ... थोड़ा शांत रहने के बाद गौरव फिर बोलने लगा....


"तीनो यहीं रहोगी या क्लास भी चलना है, वैसे आइ म हॅपी, मेरे सेक्षन मे मेरे साथ सैली भी है".


वासू.... क्लास तो चल दे, पर हम सब मेरी रूम मेट को लेकर परेशान हैं.


गौरव.... क्यों क्या किया उसने जो परेशान हो आप.


रीति.... कल रात से हॉस्टिल हे नही पहुँची.


गौरव.... देल्ही आते ही यहाँ की हवा लग गयी, नही मैने नही देखा उसे. वैसे इसमे टेन्षन लेने वाली जैसी कोई बात नही है... सब यहाँ अपने रिस्क पर हैं, कोई नही आता है या आता है, इसमे उसकी अपनी मर्ज़ी है. आख़िर वो कोई बच्ची तो नही.


वासू... ह्म्‍म्म बात तो सही है, फिर भी प्रिन्सिपल ऑफीस चल कर बता दें, नही तो पता चला बाद मे कोई लफडा हुआ तो


गौरव.... ओक, चलिए चलते हैं.


चारो प्रिन्सिपल ऑफीस इन्फर्मेशन देने पहुँचे. प्रिन्सिपल ने इसे पहले दिन को लेजर अनकंफर्टबल और अपने किसी रिलेटिव के पास गयी होगी, ऐसा कह कर प्रिंसीपल ने. सबको क्लास अटेंड करने के लिए भेज दिया.


पहले दिन का क्लास था, सब ने बड़ी उत्साह के साथ अटेंड किया. सब कुछ एक आम क्लास की तरह ही था, जहाँ पहले दिन सिलबस, कॅरियर & ओपपार्टूनिटी और इंट्रो का सेशन होता है.


पूरा दिन सब का मन लगा रहा ... इधर 3पीएम बजे के करीब, इंदु के पास विक्की पहुँचा और मुस्कुराते हुए उसका हाल पुछ्ने लगा...


इंदु भी हंस कर बस इतना ही जबाव दी.... "जो हाल तुम्हारा है विक्की वही हाल मेरा भी"


विक्की .... सुनो इंदु, तुम्हारा कॉन्फिडेन्स देख कर मैं तुम्हे अपने साथ शामिल करने की मनसा रखता हूँ... ध्यान से सुन ना मेरी बात.....


तकरीबन आधे घंटे तक विक्की उसे अपना और अमोल के कामो के बारे मे समझाता रहा, और साथ मे ये भी कि, कैसे विक्की से चूक हो गयी और अमोल उसके जान का दुश्मन बना है ..... बस आखरी मे जाते जाते एक लाइन कह गया ..... "तुम आराम से सोचो मेरी बातों पर, यदि नही कर पाओगी तो बता देना. ये एक मौका है हमारे साथ आने का, हां या ना मे कल अपना जबाव दे देना. अभी पूरा मौका है और पूरी छूट खुद की इच्छा जाहिर करने की.....


कुछ आसान से रास्ते होते हैं, जिस पर चलने वालों को देख मन मे हज़ार इच्छाए जाग जाती है... और दिल से बस एक ही बात निकलती है .... काश !!!! ......
कॉलेज से निकलने के बाद सैली और गौरव वहीं से आज अपने एक एग्ज़ोटिक शाम के लिए निकले, उन दोनो ने रीति और वासू को भी साथ चलने के लिए कहा, पर दोनो ने मना कर दिया. वो दोनो डिस्को के लिए निकले, इधर वासू और रीति वापस हॉस्टिल आ गयी.


रीति.... वासू आज पहले दिन, कॉलेज जैसा कोई महॉल नही लगा.


वासू.... क्यों क्या हुआ रीति


रीति.... नही, वहाँ तो पढ़ने वाले कम और फैशन एग्ज़िबीशन वाले ज़्यादा नज़र आए.


वासू.... ही ही ही, और तुम्हे ये कैसे लगा.


रीति.... अर्ररे, तुम देखी नही, वो पिंक कलर ड्रेस वाली लड़की को, छि-छी, लग रहा था जल्दी मे नीचे का पहन'ना भूल ही गयी थी, और उपर से भी उसका पूरा खुला. सब कुछ तो दिख रहा था. पागल लड़की.


वासू.... हीए ही ही, इसी को तो फैशन कहते हैं.


रीति.... यक्क ऐसा फैशन, ऐसे ड्रेस पहन कर तो फिल्म की हेरोइन भी किसी पार्टी फंक्षन मे नही जाती, देखती नही क्या, हमएसा सारी, या सलवार सूट या कोई ढंग की ड्रेस होती है.


वासू.... जाने दे ना, कोई क्या पहन कर आती है हमे क्या. और शायद बेचारी के पास कपड़े कम थे, ग़रीब लड़की होगी. एक काम करना कल अपनी कोई ड्रेस गिफ्ट कर देना.


रीति.... हुहह ! मेरा ड्रेस, अर्रे ये लोग तो हमे बहन जी बहन जी बुलाती हैं. 


वासू.... क्यों लोड ले रही हो, जाने दे कॉलेज की बातें और ये बताओ अभी ईव्निंग का क्या प्रोग्राम है.


रीति.... क्या प्रोग्राम रहेगा, पढ़ूंगी और क्या करूँगी.


वासू.... कभी-कभी बॉक्स से बाहर भी निकलो रीति डार्लिंग, अभी तो हमारे एंजाय करने के दिन है.


रीति सवालिया नज़रों से देखती हुई.... मतलब क्या है वासू..


वासू.... तुम घूर क्यों रही हो, पागल कुछ भी मतलब निकली, तो मुझ से बुरा कोई ना होगा. वैसे भी मेरी शादी पहले से तय है, और मैं कोँम्मिटेड हूँ.


रीति...... तो मज़े करने से क्या मतलब था तुम्हारा...


वासू, रुक एक मिनिट ..... दिखती हूँ .......

वासू अपने लॅपटॉप ऑन की और रश्मि की प्रोफाइल से ऑनलाइन हुई .....


रीति... ये रामी कौन है


वासू..... मेरी फेक आइडी है


रीति.... पर ये फेक आइडी क्यों


वासू..... कुछ चीज़ें फेक से ही मज़ा आती है, ओरिजनल तो हम पूरे दिन रहते हैं, कभी कभी अपनी ख़ुसी के लिए फेक भी जीते हैं.


रीति..... आप क्या बोल रही हैं, मुझे समझ मे नही आ रहा.


वासू..... बस देखती जाओ, सब समझ जाओगी.


वासू, ऑनलाइन होकर जबतक बात कर रही थी, तबतक उधर से जीत का मेसेज आ गया...


"हाई सेक्सी, कैसी हो. आज बहुत दिन बाद ऑनलाइन आई". 


रीति.... ये कैसी बातें कर रहा है, तुम्हारा बाय्फ्रेंड है क्या ?


वासू... नही, बाय्फ्रेंड नही है, हम वर्चुयल फ्रेंड है. अब चुप चाप देखो थोड़ा.


इतना कह कर वासू ने रिप्लाइ शुरू किया ..... "कुछ नही, तबीयत खराब थी "


जीत.... क्या हुआ, प्यार मे धोका तो नही हो गया


वासू.... बाय्फ्रेंड और मेरा, नोट पासिबल. फ़ेसबुक पर तो छिप कर आती हूँ, बाय्फ्रेंड के नाम पर तो काट देगी मेरी फॅमिली.


जीत.... एक काम करना, काटने से पहले जिंदगी के मज़े ले लेना :


वासू.... कैसा मज़ा, मेरी किस्मत मे तो तन्हा रातें ही लिखी है, अब तो बस शादी का इंतज़ार है.


जीत.... अच्छा, और शादी के बाद मज़े, वैसे ये शादी के बाद कैसा मज़ा होता है 


वासू.... मुझे क्या पता सब सहेलियाँ कहती है, शादी के बाद खूब मज़े किए.


जीत.... किसी से पुछि नही, भला कैसा मज़ा. जीते हैं, सोते हैं, खाते-पीते हैं, घूमते हैं, हँसते है, भला शादी के बाद ऐसा क्या अलग मज़ा.


रीति, वासू को टोकती हुई.... ये क्या कर रही है, और शादी के बाद का मज़ा, कितना नौटंकी कर रहे हो दोनो. ओपन बातें... हुन्न्ं !


वासू... हट झल्ली, थोड़ा तो मज़े ले ... ओपन कुछ नही होता पर इनडाइरेक्ट सब कुछ होता है, रुक एक मिनट.


इतना कह कर फिर वासू ने जीत को रिप्लाइ किया.... ओके जीत, जाना होगा मोम आ गयी है.


जीत.... हां तुम्हारी हिटलर मोम.


वासू.... ओये ज़ुबान संभाल के, जो मेरी माँ के बारे मे कहा तो.


जीत.... ऊपस्स !!! सूओ सॉली... पर कुछ देर तो रूको, बात को अधूरी छोड़ कर जा रही हो.


वासू.... ओके, मैं अपनी सहेलियों से पुच्छ लूँगी, फिर बता दूँगी. अब बाइ बाद मे मिलती हूँ.


रीति.... वासू, ऐसे बात करना क्या सही है ?


वासू... मर्ज़ी है तुम्हारी रीति. देख बिना जाने कुछ खुल कर बातें हो जाती है, और शराफ़त के पिछे जो एक जो बेशर्म अरमान है वो भी पूरे होते हैं बिना अपनी पहचान बताए, क्या ग़लत है.


रीति..... आप ऐसे बोल रही है, मेरा मन भी भटक रहा है.


वासू.... बकने दे रीति, थोड़ा कभी अपनी खुशी के लिए भी कर ले, बाकी मैं कभी फोर्स नही करूँगी. क्योंकि हो सकता है तुम्हारे हिसाब से ग़लत हो, पर मेरे हिसाब से ये बस एक अपनी इच्छा को पंख देना है, बिना किसी को चोट पहुँचाए और मुझे नही लगता इसमे कोई बुराई है. आख़िर हमे भी हक़ है हॉट बातें करने का.


रीति.... क्या मैं भी ट्राइ करूँ.


वासू.... आररीई, तो मेडम की भी इच्छाए जाग रही हैं.


"कौन सी इच्छाए जाग रही है, कोई नॉटी इच्छा तो नही जाग गयी".... इंदु गेट से आती हुई दोनो के बात-चीत के बीच मे शामिल होती हुई.
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RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�... - by sexstories - 12-27-2018, 01:46 AM

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