RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
इधर रीति और काव्या दोनो अस्चर्य चकित थे. गर्ल्स हॉस्टिल मे ऐसा देखने को मिलेगा वो भी पहले दिन, समझ से परे था. सैली और गौरव की हालत देख कर जो विचार आ रहे थे, उसका सोच रीति तो फ़ैसला कर चुकी थी वो अब अपनी मासी के पास ही रहेगी.
गौरव धीरे से उठा बिस्तर से, खुद को चादर मे समेटे, और अपना बॅग उठा कर भाग गया बाथरूम मे.
सैली.... अर्रे आप लोग प्लीज़ ऐसे घुरिये मत, जो भी सोच रही हैं ऐसा कुछ नही है.
काव्या.... तुम ये सब करने आई हो यहाँ. तुम्हारे मोम-डॅड ने इसी दिन के लिए यहाँ भेजा था.
सैली.... आप बेवजह कुछ भी बोल रही हैं. हम दोनो एक ही सहर के हैं, बहुत थक गये थे, 48 घंटे का सफ़र, भूखे प्यासे जब पहुँचे तो खाने के बाद होश ही नही रहा और हमे पता नही कब नींद आ गयी.
रीति.... दीदी चलो यहाँ से, इन दोनो को रहने दो. आप पुच्छने वाली कौन हो. मैं तुम्हारे साथ ही रहूंगी. मुझे नही रहना कोई हॉस्टिल वॉस्टिल मे.
इतने मे गौरव अपने कपड़े पहन कर वापस आया. वो उन दोनो के मन के अंदर उठ रहे सवालों को समझ रहा था, इसलिए अपनी प्रियासी की सफाई को आगे बढ़ाते गौरव ने एमोशनल अत्याचार कर दिया....
"देखिए, मेरी वजह से आप ऐसा ना कहिए, प्लीज़. आप मेरी बहन की तरह हैं, और मैं झूट नही कहूँगा. हम दोनो एक दूसरे से प्यार करते हैं, और एक ही सहर के रहने वाले हैं. रही बात सैली के मोम डॅड की. तो उन्होने ही मुझे इसकी ज़िम्मेदारी सौंपी है. अब आप ही बताइए जब एक लड़की के मोम-डॅड मुझ पर भरोसा कर सकते है, तो कुछ तो यकीन होगा उनको मुझ पर. सैली सच बोल रही गई. हमे तो इतना होश तक नही था कि हम दरवाजा बंद कर सके. बाकी फ़ैसला आप का. चलता हूँ सैली, कल मिलता हूँ कॉलेज मे".
इतना कह कर गौरव चला गया. रीति भी सहमत हो गयी गौरव की बात से. काव्या को भी लगा "नही सच ही कह रहे हैं दोनो". और रीति को गले लगाती काव्या वहाँ से चली गयी.
सैली, रीति की ओर हाथ आगे बढ़ाती हुई ... अपना इंट्रो देने लगी .... "हाई मैं हूँ श्रयलन, और ईन्दोर से आई हूँ"
रीति एक बुझी सी मुस्कान देती हाथ मिलाई और कहने लगी... मैं हूँ रीति, और मैं नहन की रहने वाली हूँ. फिर कोई बात नही हुई.
अजीब सी मूलककत थी चारों की .... इंदु जब वैसवी से मिली तो बदहाल थी, और रीति जब सैली से मिली तो बहाल थी. दो दो की जोडियों मे मुलाकात हुई थी और चारों एक दूसरे के पड़ोसी. रीति रात को कुछ पढ़ कर 12 बजे तक सोने की आदि थी, वहीं सैली फेसबुक पर रात को बात करती थी और कभी 2 तो कभी 3 बजे तक सोती थी.
ऐसा ही कुछ इधर भी था... वैसवी, नॉवेल पढ़ते और अपनी फसेफूक की फेक आइडी उसे करते रात को 2,3 बजे तक सोती थी, तो इंदु को रात की कोई आदत नही थी, अपने घर के सख़्त नियम की वजह से, इसलिए वो तो 10 बजे ही सो जाया करती थी.
जोड़ियाँ काफ़ी मिसमॅच सी हो गयी थी, और चारों की कोई आदतों का मेल मुश्किल था. पहले दिन थोड़े बात के बाद सब अपने कामो मे लग गये.
सुबह कॉलेज का पहला दिन था, जिसने सपने पिरोए थे, उनकी दिल मे काफ़ी उत्सुकता थी कल के लिए, और जो बस एक कॉलेज समझ कर आई थी, वो बस अपने रूटीन मे काम कर रही थी.
लेकिन कॉलेज का पहला दिन सर्प्राइज़िंग था, एक उम्मीद से परे जिसकी कल्पना चारो मे से किसी ने नही की हो......
पहला दिन, सैली और इंदु काफ़ी उत्साहित थी अपने पहले दिन को अटेंड करने के लिए, वहीं रीति और वैसवी को कोई बहुत ज़्यादा इंटरेस्ट नही था. सुबह से ही सैली और इंदु सजने-सवर्ने लगी थी वहीं वैसवी और रीति नॉर्मली तैयार होकर निकले.
संयोग ऐसा था कि चारो एक ही समय पर निकले. सब पड़ोसी ही थे. इसलिए आगे पिछे चल रहे थे....
इंदु.... वैसवी, आइ आम टू एग्ज़ाइटेड, मैं ग्लॅमर वर्ल्ड से जुड़ने जा रही हूँ.
वैसवी.... कपड़े सीलने के लिए इतनी बेकरारी, देख कर अच्छा लगा.
इन दोनो के पिछे सैली और रीति चल रही थी. रीति, वैसवी की बात सुन कर ज़ोर से हंस दी. इंदु और वासू दोनो पिछे मूड कर एक बार देखे. दोनो जब पिछे मुड़े तो रीति को लगा कि शायद कोई ग़लती तो नही कर दी हंस कर .... वो हाथ दिखा कर हाई करने लगी दोनो को.
रीति का हसना शायद इंदु को अपनी कही बात का समर्थन लगा. वासू की कम अकल पर रीति हँसी, यही बात सोच कर इंदु, वासू को टॉंट करने लगी...
"देखी, तुम्हारी बच्चों जैसी बातें सुन कर ये भी हंस दी, अर्रे हम कोई ऐसी वैसी नही फैशन डेज़ाइनिंग का कोर्स करने जा रहे हैं"
रीति.... नही, नही मैं उनकी बात के समर्थन मे हँसी हूँ. क्या व्यू दिया उन्होने, एकदम करेक्ट. हाई, मैं रीति हूँ, आप के पड़ोस 201 मे हूँ, और ये हैं मेरी रूम मेट श्रयलन.
वैसवी... थॅंक्स रीति. मैं वैसवी हूँ, और ये है मेरी रूम मेट इंदु. तुम कहाँ से हो.
रीति.... मैं नहन से हूँ, पर दो सालों से अपनी मासी के पास देल्ही मे ही रह रही थी.
रीति बहुत दिन बाद सब भूल कर किसी अंजाने से बात कर रही थी, सैली और इंदु दोनो मे से किसी को अभी बात करने मे कोई इंटरेस्ट नही था इसलिए वो दोनो आगे-आगे और ये दोनो बातें करते पिछे-पिछे, पहुँचे कॉलेज ऑडिटोरियम मे.
ऑडिटोरियम तो जैसे मानो किसी रंगारंग कार्यक्रम की जगह हो और वहाँ की सज़ावट देखते बनती थी.
वैसवी.... यहाँ क्या सामूहिक विवाह का आयोजन करवा रहे हैं, जो इतना सज़ा धज़ा कर रखा है इस जगह को.
रीति.... ये गालमौर वर्ल्ड है, कुछ हो कि नही हो दिखावा ज़रूर करते हैं.
वैसवी.... हां सच कही, वो देखो मेरे रूम मेट को, कैसे तैयार होकर आई है, लगता है पढ़ने नही कॅट-वॉक करने आई है.
रीति.... यहाँ भी कोई कम नही है. मेरी रूम मेट सुबह 6 बजे से ही तैयार हो रही थी, और 8 बजे तक उसका शृंगार चला.
वैसवी... सुबह 6 बजे से. वैसे एक बात बताओ ऐसा क्या कर रही थी तैयारियों मे बाहर से तो नॉर्मल ही दिख रही है, और वहाँ की सज़ावट का क्या फ़ायदा जो प्राइवेट हो.
रीति.... हे हे, आप भी ना...
वैसवी.... देखो रीति, तुम्हारी रूम मेट, लगता है आते ही बाय्फ्रेंड बना रही है.
रीति.... नही, सैली पहले से बाय्फ्रेंड बना कर लाई है. वो दोनो एक ही सहर के हैं और साथ आए हैं.
वैसवी... ओह हो, ये तो काफ़ी फास्ट है. वैसे उसे देखो, लास्ट के रॉ मे जो लड़का है, कैसे घूर रहा है इंदु को, लगता है मौका मिले तो कच्चा चबा जाए.
रीति.... मॅग्ज़िमम ऐसे ही हैं, विस्वास ना हो तो मौका दो इन लड़को को, सच मे कच्चा चबा जाएँगे. हे हे हे...
वैसवी.... कमाल का सेन्स ऑफ ह्यूमर रीति, वैसे केवल लड़के ही कच्चा चबाते हैं ... हुन्न्ं !
अटेन्षन स्टूडेंट्स....
ऑडिटोरियम के स्टेज से एक अनाउन्स्मेंट हुई और सारे स्टूडेंट की मुंब्रिंग चुप्पी मे बदल गयी और सब आगे मूड गये. स्टेज पर एक ओल्ड लेडी अनाउन्स कर रही थी, जो कि कॉलेज किडाइरेक्टर थी. काफ़ी लंबा चला उसका भाषण, आने वाला साल ऐसा होगा, वैसा होगा ... ब्ला ब्ला.
हर होनहार स्टूडेंट की तरह यहाँ भी डाइरेक्टर की बात सुन कर लगभग सभी स्टूडेंट जमहाई ले रहे थे... तभी उस डाइरेक्टर ने अपने पहले गेस्ट का अनाउन्स की जो फैशन डिजाइनिंग क्या है और उसका क्या महत्व है .... वो समझने आई थी...
और जो गेस्ट आई, उसे देख कर सब चिल्ला दिए ... और हूटिंग भी हुई ... ये थी सेलेब्रिटी प्रियंका चोपड़ा. सब देखे तो देखते रह गये. तकरीबन 2 मिनट वो बोली स्टेज पर और वहाँ से चली गयी. पर ये 2 मिनट सभी स्टूडेंट का ध्यान खींचने के लिए काफ़ी था.
सब को लगने लगा कि ये दुनिया कितनी आसान इन जैसे बड़े सेलेब्रिटी से मिलने का. आज जब कुछ सीखा नही तो ये हाल है, पूरा कोर्स कंप्लीट होने के बाद पता नही हम किस स्टार के डेज़ाइनर बनेगे और हमारे डिजाइन वर्ल्ड फेमस होंगे.
प्रियंका चोपड़ा के बाद शाहिद कपूर ने भी अपना विचार दिया, उसके बाद मोहित चौहान और श्रेया घोसाल ने सबके लिए एक डुयेट गाना भी गाया. सब के होश उड़े थे. कॉलेज प्रबंधन ने पहले दिन ही पूरा ग्लॅमर दिखा दिया.
आखरी के सबमिज़न मे डाइरेक्टर बस इतना ही बोली .... ये ग्लॅमर वर्ल्ड अपने कपड़ों पर टीके हैं जिनके डिजाइन हम देते हैं, सो स्टूडेंट ये पूरा ग्लॅमर वर्ल्ड आप का इंतज़ार कर रहा है, आने वाले साल मे आप की मेहनत आप को वो एक मुकाम देगी जिसकी कल्पना आप सब ने कभी नही की होगी. कल से आप सब के क्लास शुरू हो जाएँगे.
मुंब्रिंग करते सारे स्टूडेंट बाहर निकले. सब जैसे शॉक्ड थे कि कॉलेज के पहले दिन इतनी महान हस्तियों से मुलाकात भी हो जाएगी. सब की अपनी अलग ही मनोदसा थी इन सब स्टार्स को देखने के बाद.
रीति और वासू साथ मे थे, गौरव और सैली वहाँ से निकलने के बाद देल्ही भ्रमण को निकले थे और इंदु लगी थी कॉलेज मे अपनी पहचान बनाने मे.
रीति और वासू ......
ऑडिटोरियम से निकलने के बाद रीति बहुत ही खुश थी, उसका फेव. मोहित आज उसके सामने था. रीति को खोए देख कर वासू उसकी हालत पर चुटकी लेते बोली....
"पहले दिन ही हवा लग गयी, मुझे लगा तुम इन स्टार्स मे इंटरेस्टेफ नही होगी"
रीति.... सब की अपनी चाहतें होती हैं, वॉववव ! मोहित चौहान आए थे कॉलेज पहले से पता होता तो मैं भी तैयार होकर आती.
वासू.... ओह हो ! मेडम रीति तैयार होकर आती और मोहित चौहान पर बिजलियाँ गिरा देती, वो क्या तुम्हे देखने आया था.
रीति.... कुछ फेवर मे ही बोल दो मेरा दिल रखने के लिए. यू नो मैं उसकी फॅन हूँ. वैसे आँखें फाड़ कर आप भी तो सबको देख रही थी, और यहाँ का दिखावा की. मुझे किसी से कोई मतलब नही है.
वासू.... रीति .. सब की अपनी चाहतें होती है. हे हे हे. अर्रे बाबा सच कहूँ तो मुझे लगा ये कोई सपना तो नही, ये कॉलेज वाले तो दिल मे अरमान जगा गये. क्या सच मे एक फैशन डेज़ाइनर की इतनी इंपॉर्टेन्स है.
रीति... हो सकता है हो, टीवी मे भी तो कई बार ये लोग बड़े प्राउड से नाम लेते हैं मैं इस डेज़ाइनर के कपड़े पहनती हूँ.
वासू... हां पर हम कभी ध्यान नही देते. हे हे हे..
रीति... हे हे हे .. हां सच है ये, मतलब हम वो फालतू लोग है जिसका नाम बस लिया जाता है.
वासू... चल हॉस्टिल चल कर गप्पे लड़ाते हैं. वैसे तुम से मिलकर अच्छा लगा.
रीति.... मुझे तो बिल्कुल बुरा लगा है.
दोनो हस्ती हुई चल दी हॉस्टिल के तरफ़. आज बहुत दिन के बाद रीति काफ़ी खुश नज़र आ रही थी, वहीं वासू को एक नयी दोस्त मिल गयी थी. दोनो अभी रास्ते मे ही होंगे की वासू को अचानक ख्याल आया नीमा भी देल्ही मे ही है क्यों ना उस से मिल आया जाए.
वासू.... रीति देल्ही मे हूँ, मुझे देल्ही नही घूमाओगी.
रीति.... देल्ही घूमना, नही होस्टल हे चलते हैं.
वासू.... प्ल्ज़ चलो ना, देखो आज के बाद वैसे भी हम पढ़ाई मे बिज़ी हो जाएँगे फिर पता नही कब समय मिले.
रीति.... नही, मुझे समय भी मिलता है तो मैं घूम कर नही बिताती.
वासू... कितनी नीरस हो, अब चलो भी.
रीति.... एक बात कहूँ वासू, मैं सच मे बोरिंग हूँ, आप चली जाओ नही तो बोर हो जाओगी. मुझे किसी चीज़ मे कोई इंटरेस्ट नही.
वासू जैसे रीति की कही बातों की गहराई मे झाँकने की कोशिस कर रही हो, उसे लग गया कि हो ना हो इसके साथ ज़रूर कुछ ऐसा हुआ है जिस से ये टूट गयी है. हो सकता है प्यार मे धोके का चक्कर हो, ये सोच कर वासू इस बात को ना आगे बढ़ाते हुए एमोशनल ड्रामा शुरू कर दी.
वासू.... ठीक है मत जाओ, मैं भी अकेली जाकर क्या करूँगी. वैसे मेरी एक दोस्त यहीं है, दोस्त क्या मेरे लिए वो सब कुछ है, उस से सोच रही थी मिलने की, अब तुम मना कर दी तो मैं भी नही जाती.
रीति.... अर्रे मेरा मन नही है, आप जाओ ना.
वासू.... नही, मैं तुम्हे अकेले छोड़ कर नही जा सकती, वैसे भी आने वाले साल तुम्हारे साथ ही गुजरेंगे, तो मुझे भी तुम्हारी आदतों को समझना होगा.
रीति.... हद है ये तो, आप के अकेले जाने से हमारे साथ का क्या संबंध.
वासू... इतना लॉजिक नही जानती मैं, बस तुम नही जाओगी तो मैं अकेले देल्ही घूम कर क्या करूँगी.
रीति... बहुत जिद्दी हैं आप, चलिए कहाँ चलना है...
रीति के हामी भरते ही वासू ने नीमा को कॉल लगा दी और दोनो निकल गये उस से मिलने.
इधर सैली और गौरव दोनो साथ मे निकले ऑडिटोरियम से. गौरव और सैली दोनो बहुत खुश लग रहे थे.
गौरव.... थॅंक्स सैली, मुझे उस बोरिंग इंजिनियरिंग से छुटकारा दिलाने के लिए. यहाँ तो ऐसा लगा जैसे सपनो की दुनिया मे आ गये हैं.
सैली.... क्रेज़ीबॉय, मुझे भी कुछ ऐसा ही लगा. इसी बात पर कहीं घूम कर आया जाए.
गौरव... तुम्हे तो हर बात के अंत मे घूमना ही नज़र आता है. ओ' मेडम अभी जो देखी ना वो घूम कर नही मेहनत से आता है. अब देखो एनगनीरिंग कर के लोग डॉलर मे पैसे कमाते हैं, इसका ये मतलब तो नही कि सारे इज़ीनियर उसी मुकाम पर आहुँचते हैं. सच तो ये है कि 60% इंजीनिया तो बेरोज़गार होते हैं और 10% ही ऐसे होते हैं जिन्हे अपना मुकाम मिलता है.
सैली.... क्रेज़ीबॉय, पहले दिन मैं कोई झगड़ा नही करना चाहती. मुझे नही सुन'ना कि कौन क्या होता है. प्रवचन बंद और देल्ही घूमना शुरू.
गौरव... अब ना कहूँगा तो तुम थोड़े ना मान'ने वाली हो. चलो चलते हैं...
गौरव और सैली हाथों मे हाथ थाम निकले देल्ही घूमने के लिए. सबसे पहले पहुँचे माल और दोनो मल्टिपलेक्स मे पिक्चर देखने चले गये. लाइट बंद हुई और पिक्चर शुरू. जैसे ही पिक्चर शुरू हुई, गौरव ने एक झटके वाला किस सैली के गालों पर कर दिया.
सैली फुसफुसाती कहने लगी.... क्या कर रहे हो, पागल तो नही हो गये.
गौरव.... मैं तो हूँ ही क्रेज़ीबॉय, तुम्हारा क्रेज़ीबॉय.
सैली, गौरव की बात सुन कर मुस्कुरा दी, और अपनी ओर मुड़ा गौरव के चेहरे को सामने के पर्दे की ओर करती हुई कहने लगी... मेरे पास तुम्हारे लिए एक फॅंटॅस्टिक ऑफर है...
गौरव.... ऑफर को मारो गोली, वो बाद मे देखेंगे, अभी तो बस एक पप्पी दे दो, आज मूड बड़ा रोमॅंटिक रोमॅंटिक हुआ जा रहा है.
सैली..... हुन्न्ञन् ! तो जाओ रोमॅन्स कहीं और दिखाओ, मैं जा रही हूँ हॉस्टिल.
गौरव.... जब देखो तब धमकी, बताओ क्या ऑफर है.
गौरव थोड़ा उखड़ा सा चेहरा बना कर शांत बैठ गया. सैली, गौरव के चेहरे पर हाथ फेरती .... "ओ' मेरा क्रेज़ीबॉय, गुस्सा हो गया. वैसे ऑफर तुम्हारे फेवर मे ही था, और वो ये था कि रोमॅंटिक सीन पर हेरोइन के साथ हीरो जो भी करेगा वो तुम कर सकते हो"
गौरव एक्सिटमेंट मे थोड़ा ज़ोर से कहता ... सच !
सारे बैठे आस पास के लोग, एक दम से पिछे मुड़े, सैली फुसफुसाते बोली ... हद है थोड़ा तो भावनाओ को कॉंट्रोल किया करो.
गौरव.... अब ऐसे ऑफर कभी रूम मे पिक्चर देखते समय तो नही दी, जो खुल कर एक्सप्रेस कर पाता. जहाँ दी वहीं एक्सप्रेस हो गया.
सैली.... हुहह ! मैं सब समझती हूँ, अब पिक्चर देखो, वैसे भी तुम्हारा एक सीन तो निकल ही गया.
गौरव.... बात मे उलझा कर एक मौका गवाँ दिया मैने.
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