non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्रेम कहानी )
12-27-2018, 01:45 AM,
#27
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
रोहित अब शांत होकर उसे उपर से नीचे तक देखने लगा ... और सोचने लगा .. इतनी बोल्ड तो मिनी-स्कर्ट वाली भी नही होगी. पता नही ये चीज़ क्या है, इसे दिमाग़ से डील करना होगा. अब जब जान ही गया हूँ तो क्यों ना ये मेरे भी बिस्तर गरम कर दे.


इंदु.... मेरे साथ सेक्स के बारे मे सोच रहा है हराम्खोर.


रोहित... एयेए, ब्ब्ब्ब, वूऊ.. नही तो, मैं बस सोच रहा था कि कितना कुछ राज है जो दुनिया नही जानती है तुम्हारे बारे मे.


इंदु.... मैं क्या सेलेब्रिटी हूँ, जिसके ब्रा का साइज़ भी न्यूज़ बनता है. दुनिया नही जानती और तुम बताने भी गया तो इस दुनिया को कोई इंटरेस्ट नही. मुझे तो ऐसा बन'ना है जिसकी एक कहानी के लिए, पेपर, मीडीया सब आँख गढ़ाए रहे. मुझे बस पेज थ्री का स्टार बन'ना है.


रोहित..... अच्छा तो ये बात है, इसलिए अभी से प्रॅक्टीस कर रही थी.


इंदु.... तू पागल है, ज़्यादा ना सोच मेरे बारे मे नही तो मेंटल हॉस्पिटल मे अड्मिट हो जाएगा. रही बात प्रॅक्टीस की तो वो तो मैं ना जाने कितने सालों से करती आ रही हूँ, काम का काम और मज़े के मज़े हो जाते हैं. वैसे तेरे लिए मुझे हमदर्दी है, मेरे कुछ काम है वो कर दे तो तेरे सपने भी पूरे हो जाएँगे.


रोहित अपनी आँखें फाड़ पुच्छने लगा .... क्य्ाआआ ????


इंदु.... उस आदमी को देखा ना, उसने मेरे अद्मीशन का काम कर दिया है फैशन डेज़ाइनिंग के टॉप कॉलेज मे, तुझे बस 2 काम करना है. एक तो ये कि मेरे घर वालों को राज़ी करना मुझे देल्ही भेज दे पढ़ने, और दूसरी की देल्ही मे एक स्कूटी का बंदोबस्त.


रोहित..... स्कूटी क्या मैं तो कार का इंतज़ाम भी कर दूं देल्ही मे, पर ये तुम्हारे घर से पर्मीशन लेने की बात समझ मे नही आई.


इंदु.... कार देगा तो क्या उसका पेट्रोल तेरा बाप भरवाएगा, स्कूटी ही ठीक है, वैसे भी टू वीलर जाम मे नही फँसती. और घर की बात पर शॉक क्यों है, वो मेरे घर वाले हैं, सब पुराने ख्यालातो वाले. मेरी पढ़ाई के बाद मेरी शादी करवा देंगे और पुछेन्गे भी नही. हालाँकि यदि ऐसा होता तो मैं घर छोड़ कर चली जाती, पर अभी की समस्या मे घर छोड़ कर भी नही जा सकती, इसलिए उनको राज़ी कर दे, और फिर...... 


रोहित.... पर कैसे...


इंदु.... तुम पहले ऐसे लड़के हो जिसे मेरा भाई घर तक लाया, अब भाई को पटा कर तुम्हारा काम तो नही बना, पर इस आर्ट से मेरे घर वालों को पटा लो, शायद तुम्हारा काम भी हो जाए.


रोहित के अकल से परदा हटा, उसे समझ मे आ गया क्या करना है, और जीत मे मिली थी इंदु का साथ. रोहित लग गया अपने काम मे. वैसे तो उसकी रूढ़िवादी परिवार को समझाना काफ़ी मुश्किल था, पर किसी तरह उसने पहले इंदु के भाई के दिमाग़ मे अपनी बात डाल दिया, और फिर वहाँ से उसका काम आसान हो गया.


फाइनली सब राज़ी हो गये और रोहित को अपने इस काम के बदले अपनी लस्टी डिज़ाइर पूरे करने का मौका भी मिल गया. इंदु को तो बस अपना काम होना चाहिए, फिर चाहे जैसी भी हो. इंदु भी उसी जगह के लिए निकली जहाँ वैसवी, श्रयलन, और रीति पहुँची थी...


सपनो से मुलाकात ::::: मीट वित फॅंटेसी



वैसवी, सैली, रीति और इंदु....... चारों अपने-अपने सहरों से रुख़ करती देल्ही पहुँची. सब के अंदर देल्ही आने को ले कर अपने ही सपने थे सिवाय रीति के, पर आज से पहले इन चारो ने ना तो कभी एक दूसरे को देखी और ना ही मिली थी.


कॉलेज की तरफ से ही लड़कियों को हॉस्टिल की सुविधा मिली थी. हॉस्टिल की सेकेंड बिल्डिंग के सेकेंड फ्लोर के फ्लॅट नंबर 202 मे रीति और सैली का कमरा था, वहीं ठीक बगल मे 201 मे इंदु और वैसवी को कमरा मिला था.


रीति को छोड़ने काव्या आई थी और सैली के साथ था उसका क्रेज़ीबॉय. वहीं वैसवी अपने पापा के साथ आई थी, और इंदु, उसको तो अपनी स्कूटी लेनी थी वो भी देल्ही पहुँचने के पहले दिन ही, इसलिए वो अकेली आई थी, और आते ही रोहित के पैसे का सही ईस्तमाल की.


ट्रेन के टाइम के हिसाब से सबसे पहले सैली हॉस्टिल पहुँची. कॉलेज की ओर से रहने की काफ़ी अच्छी व्यवस्था की गयी थी. कॅंपस के अंदर दो पार्ट मे चार बुल्ड़ींग थी. ए और बी ब्लॉक एक साथ थे. ए ब्लॉक कॉलेज के स्टाफ और प्रोफ़ेसर के लिए था. बी ब्लॉक गर्ल्स के लिए रिज़र्व था, और सी और डी ब्लॉक जो कॅंपस के दूसरे पार्ट मे थे, वो बाय्स हॉस्टिल था.


ट्रेन से थके सैली और गौरव दोनो कॅंपस मे इन किए. अपनी-अपनी आइडी बताई और उनको अल्टेड रूम का पता मिल गया. गौरव डी ब्लॉक मे था और सैली बी ब्लॉक मे.


सैली..... क्रेज़ीबॉय मैं तो पूरा थक गयी और भूख भी लगी है.

गौरव.... सैली तुम रूम मे चलो मैं खाने की व्यवस्था कर के आता हूँ.


गौरव वहीं से बाहर चला आया और कुछ खाने पीने का समान देखने लगा. सैली भी थकि थी, और जाकर सबसे पहले शावेर ही लेने लगी. थोड़ा टाइम बाद गौरव भी खाना लेकर आया और बी ब्लॉक मे जाने लगा, पर वॉचमन ने उसे वहीं रोक दिया.


गौरव फर्स्ट डे का नाम लेकर और सैली को छोड़ने आया है यहाँ ये कहकर एंट्री ले लिया बी ब्लॉक मे. गौरव सैली को खाना देकर वो भी बाथरूम मे चला गया....


सैली..... क्रेज़ीबॉय जल्दी करो, बहुत भूख लगी है.


गौरव.... आता हूँ सैली, वैसे ये तुम्हारे छोटे-छोटे अंतः वस्त्र मुझे काफ़ी परेशान कर रहे हैं, इसे तुम्हे बाथरूम मे ही सूखने का जगह मिला था. देहाती, बाथरूम मे ही रस्सी टाँग दी.


सैली.... मार डालूंगी क्रेज़ीबॉय, देख रही हूँ आज कल कुछ ज़्यादा ही बोलने लगे हो. अब आओ भी जल्दी.


गौरव भी जल्दी से बाहर आया, भूख उसे भी लगी थी, दोनो ने साथ खाना खाया, और दोनो इतने थके थे कि उसके बाद जागने की हिम्मत ही नही हुई, और बिच्छ गये दोनो वहीं पर खा कर.


वैसवी जब देल्ही पहुँची तो बस अनु को ही कोस रही थी. बस उसे रह रह कर यही ख्याल आता रहा कि, "इतने लोंग रीलेशन के बाद लोग शादी कर लेते हैं, और एक ये है, जिस काम से मैं भागती हूँ वही करने भेज दिया... पढ़ने"


अभी तो वो काफ़ी चिढ़ि हुई थी अनु पर, लेकिन कर भी क्या सकती थी, प्यार जो करती थी मना नही कर पाई और आ गयी देल्ही. वैसवी ने भी अपनी एंट्री कर अपने कमरे मे शिफ्ट हो गयी. उसके पापा जब उसे छोड़ने आए तो वो बहुत खुश थे ... "क्योंकि उसकी बेटी का अड्मीशन इंडिया के टॉप कॉलेज मे हुआ था".


सारा समान सेट करने के बाद, अपनी बेटी को खिला-पीला कर पापा जी वापस वाराणसी के लिए रवाना हो गये. अपने पापा के जाते ही वैसवी थोड़ी देर आराम की और फिर लग गयी अपनी नॉवेल रीडिंग मे.


सहर मे उतरते ही इंदु ने जो सबसे पहला काम किया था, वो जाकर पहले एक स्कूटी खरीदी, फिर वापस अपनी हॉस्टिल आई वो भी अपनी ही स्कूटी से. कभी कभी होशयार भी बेवकूफ्फ बनते है, कुछ ऐसी ही कहानी थी इंदु की.


स्कूटी ली न्यू देल्ही रेलवे स्टेशन के पास के एरिया से और जाना था गुरगाँव उसमे भी कहाँ था वो हॉस्टिल पता नही. पूरा दिन पुछ्ते पुछ्ते बेचारी घूमते फिरते पहुँची अपने हॉस्टिल.


स्कूटी खरीदने का जितना नशा उसे था, वो चन्द घंटो मे ही उतर गया, 11 बजे दिन मे पहुँची थी देल्ही, और स्कूटी के चक्कर मे वो हॉस्टिल शाम 4 बजे पहुँची. थकि हरी बेचारी, जब अपने कमरे मे पहुँची तो गेट पहले से खुला था. 


वैसवी और इंदु की ये पहली मुलाकात थी, वैसवी जब इंदु को देखी तो उसकी हँसी छूट गयी, इंदु ने जले बुझे भाव से कही .... दोस्त कभी भी देल्ही मे अपने जगह के नियर बाइ ही कोई समान खरीदना और खास कर गाड़ी, नही तो मुझ जैसा हाल हो जाएगा. हाई, मैं इंदु हूँ, नागपुर से.


वैसवी... ही ही, क्या हुआ जो तुम ऐसे बोल रही हो, कहीं तुमने भी तो कुछ ना खरीददारी कर ली और उसी का रोना है. वैसे मैं हूँ वैसवी और मैं वारणसी से हूँ.


इंदु... सच कही वैसवी, पापा ने स्कूटी लेने के लिए पैसे दिए थे, और मुझे इतनी जल्दी थी कि स्टेशन के पास ही पता कर के खदीद ली. सोचो खाना नही खाई, पहले जा कर स्कूटी खरीदी, बाद मे जब गुरगाँव का पता पुछि और रास्तों पर चली, तो मेरी नानी याद आ गयी.


वैसवी.... कुछ खाई की नही तुम.


इंदु.... हां, खा तो ली रास्ते मे पर भूख अब भी जोरों की लगी है, तुम्हारे पास है कुछ खाने के लिए.


वैसवी.... हां है, तुम फ्रेश हो जाओ मैं निकालती हूँ.


इंदु.... फ्रेश को मारो गोली, पहले कुछ खिला पिला दो नही तो भूखी मरी, तो पोलीस स्टेशन के चक्कर तुम्हे ही काटने पड़ेंगे.


वैसवी.... ही ही ही, जैसी तुम्हारी मर्ज़ी.


वैसवी ने घर का बना जो साथ लाई थी वो निकाल कर दे दी, और वापस से नॉवेल पढ़ने बैठ गयी. 


रीति भी अपनी मस्सी के घर से तकरीबन 3 बजे काव्या के साथ निकली. गुरगाँव पहुँच कर काव्या ने पहले रीति के लिए कुछ शॉपिंग की, हालाँकि रीति का ज़रा भी मन नही था इन सब चीज़ों का, पर काव्या के आगे उसकी एक नही चलती.


कुछ ड्रेस, थोड़े क्रीम पाउडर, नया बॅग और चल दी अपने हॉस्टिल की ओर. शाम हो चुकी थी, हल्का अंधेरा सा था, काव्या नॉक करने के लिए हाथ दरवाजे पर रखी थी कि दरवाजा खुल गया. अंधेरे मे कुछ देख पाना मुमकिन नही था, इसलिए दरवाजे के बगल मे कुछ स्विच ऑन किया काव्या ने...


रूम की लाइट जली, रीति और काव्या की आँखें खुली की खुली रह गयी, जो पहला सीन दोनो को नज़र आया वो कुछ यूँ था ....


गौरव केवल तौलिए मे चित लेता था, उसके हाथ के उपर सिर रखे, गौरव की ओर चेहरा किए सैली, और दोनो सो रहे थे.


लाइट ऑन होने से, गौरव की नींद खुल गयी, अपनी हालत देखा और खुद की इज़्ज़त बचाने के लिए अपने उपर चादर ओढ़ लिया, सैली अब भी बेसूध लेटी हुई थी. गौरव कंधे से हिला कर उसे जगाया... सैली आँखें मुंडे ही कहने लगी....


"क्या हुआ क्रेज़ीबॉय सो जाओ, मुझे बहुत नींद आ रही है"


गौरव बिल्कुल धीमी आवाज़ मे.... सैली आँखें तो खोलो, सैलययी...


इतना कह कर गौरव ने एक बार फिर सैली को हिलाया, बड़ी ज़ोर से हिलाया. आँखें मुन्दे ही योगा आसान मे सैली बैठ गयी बिस्तर पर और बड़बड़ाती कहने लगी ...


"सब के सब मेरे दुश्मन हूऊओ..... "


आगे भी कुछ कहने वाली थी पर आँखें जब खुली तो नज़रों के सामने दो लड़कियाँ थी, और वो बोलते-बोलते रह गयी. बगल मे देखा तो गौरव चादर से खुद को ढके सैली की ओर ही देख रहा था, और जब दोनो की नज़रें मिली तो मानो गौरव पुछ्ना चाह रहा हो, "ये कौन है, और यहाँ क्या कर रहे हैं"
Reply


Messages In This Thread
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�... - by sexstories - 12-27-2018, 01:45 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,527,159 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 547,281 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,243,166 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 939,734 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,668,952 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,093,994 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,973,300 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,129,124 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,059,457 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 287,409 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)