RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
रीति को ऐसा लगा जैसे अभी भी वो लड़का उसके आस पास ही है, वो बैठ कर बड़ी अजीब नज़रों से चारो ओर देख रही रही थी, तभी उसके छोटे भाई ने उसके कंधे पर हाथ रखा, रीति को ऐसा लगा जैसे वही है. डर कर वो बिल्कुल पिछे खिसक गयी, और खुद को समेट ली.
थोड़ी हे देर मे पूरा परिवार उसके साथ था. सभी लोगों ने रीति को हौसला दिया, और कहने लगे .. वो अब नही आएगा, उसे पोलीस के हवाले कर दिया.
पर सच्चाई क्या थी ये उसका भाई सोनू ही जनता था. पोलीस स्टेशन से जो उसकी हिस्टरी की खबर निकाली गयी, उस से पता चला कि वो एक पागल था जिसकी दिमागी हालत कुछ ठीक नही थी.
कुछ दिन बीते होंगे, उस घटना की यादें रीति के जहाँ मे धुंधली सी होने लगी थी, लाइफ भी नॉर्मल हो गया था, लेकिन यदि कोई पागल है तो उस पागल से पिच्छा कैसे छूटे.
एक रात पूरी फॅमिली जब खाने के टेबल पर थी, तभी वो लड़का सीधा उस घर मे रीति-रीति कहता हुआ घुसा. आज तो सच मे किसी पागल की तरह ही लग रहा था, बाल बिखरे चेहरे पर दाढ़ी और गंदे फटे कपड़े, जो उस दिन पहना था, शायद जैल से छूटने के बाद सीधा यहीं आ रहा था.
उसे देख कर रीति एक बार फिर सहम गयी, उसके कानो मे बस उसके घर वालों के चिल्लाने की आवाज़, उस लड़के के मार खाने की आवाज़ आ रही थी. जो भी उनकी फॅमिली से बन पड़ा वो उस समय राजीव के साथ किए. मारा-पिटा और रिपोर्ट दर्ज करवा दिया.
पर इन सब का कोई असर नही हुआ. उसे जितना दबाया गया वो उतना ही खुल कर सामने आया. हालत रीति की बदतर होती जा रही थी. आए दिन कभी वो कॉलेज मे पहुँच जाता, तो कभी घर पर. ना पोलीस का कोई डर, ना मार की कोई परवाह, जैसे अंदर ठान लिया हो कि "कुछ भी हो जाए रीति को मैं पा कर रहूँगा".
जिसने जिंदगी मे कोई दुख ना देखे हो, वो जिंदगी के सबसे बड़े डर का सामना कर रही थी. अब तो जैसे हसना भूल गयी हो. अचानक यदि कोई आहट भी होती तो रीति डर कर चिल्ला देती, और रोती अपनी कमरे मे चली जाती.
जिंदगी दिन-प्रति दिन बद से बदतर होती जा रही थी. घर की लाडली का ऐसा हाल देख कर घर के लोगों ने भी हसना छोड़ दिया. वो सब भी क्या कर सकते थे, ना तो उस पागल को मार का डर था और ना ही किसी बातों का असर.
अंत मे यही फ़ैसला हुआ की रीति को नहन से दूर भेज दिया जाए, और रीति अपने कॉलेज के दूसरे एअर मे ही देल्ही अपनी मासी के पास शिफ्ट हो गयी. घर वालों के अलावा बाकी सभी लोगों को यही पता था कि रीति, पुणे मे है, अपने चाचा के पास.
उस सहर से तो दूर हो गयी रीति, पर दिल से डर नही दूर हुआ. किसी से बात नही कर पाती थी, बस सारा दिन अपने कमरे मे पड़ी रहना, यही काम था.
धीरे-धीरे उसकी मासी ने विस्वास दिलाना शुरू कर दिया की यहाँ अब कोई डर नही. उसे वहाँ भी वही फॅमिली सपोर्ट मिला जो उसे अपने घर मे मिला था, रीति को नॉर्मल होते-होते तकरीबन 3 महीने लग गये.
इस बीच उसके सेकेंड एअर का एग्ज़ॅम भी हो गया था, लेकिन उसका एक साल बर्बाद हो गया. अपनी मौसेरी बहन काव्या ने उसे फिर अलग-अलग आक्टिविटी मे लगाई. उसे बाहर ले जाना, घुमाना और ये अहसास कराना कि जिंदगी मे परेशानियों का सामना किया जाता है डरा नही जाता.
अब रीति का ज़्यादातर समय काव्या के साथ गुज़रता, वो उसके बुटीक सेंटर मे उसकी हेल्प करती और सारा दिन वहीं रहती. यूँ तो अब उसके जहाँ मे कॉलेज के नाम पर पुदाना दर्द उजागर हो जाता था, पर काव्या की ज़िद की वजह से रीति ने फैशन डेसिनिंग करने के लिए हामी भर दी.
रीति देल्ही मे थी, उसने अपनी मेहनत से एंट्रेन्स पास कर ली और इंडियन इन्स्टिट्यूट ऑफ फैशन डेज़ाइनिंग मे उसका अडमिज़न हो गया. रीति अपने मासी के यहाँ से ही कॉलेज करना चाहती थी, पर अकेले रहने और दुनिया को अपने नज़रिए से समझने के तर्ज पर काव्या ने उसे हॉस्टिल मे रहने का सजेस्ट की.
काव्या की सारी बात रीति ने मान ली, पर ये इकलौती ऐसी लड़की थी, जिसकी कोई चाहत नही थी, देल्ही आना और फैशन डेसिंग कभी उसका सपना नही था पर किस्मत ने शायद कुछ और ही सोच रखा था और रीति देल्ही मे थी.
जैसे किसी शायर ने एक खूबसूरत ग़ज़ल लिखी हो, इंदु बिल्कुल उसी शायर की कल्पनाओ जैसी थी. जैसे किसी ने खूबसूरती का उदाहरण की कल्पना की हो तो इंदु का चेहरा ही नज़र आए. खूबसूरती, जिसके कायल कोई भी हो जाए और जिसके लिए हंस कर लोग कत्ल हो जाए.
इसकी जिंदगी ने आज तक कोई उतार-चढ़ाव नही देखा. नागपुर की एक अत्यंत खूबसूरत बला थी, जो उपर मिड्ल क्लास से बिलॉंग करती थी. फॅमिली ऑर्तोडॉक्स थी इसलिए सादगी से रहना और फॅमिली रिस्ट्रिक्षन्स को मान ना इसका बस इतना ही काम था.
पहनावा बिल्कुल भारतीय लड़कियों की परिधान की तरह था, सलवार कुर्ता. किसी लड़के से बात ना करना और किसी को नज़र उठा कर भी नही देखना. पर देखने वाले जब इसे एक झलक देखते तो उनका खून करेंट की तरह दौड़ने लगता था.
इसके दीवानो की कमी नही थी, बिना इंदु की जानकारी के कितने ही लड़के आपस मे लड़ गये हो सिर्फ़ इस बात के लिए की उसके रास्ते की पहरेदारी सिर्फ़ मैं करूँगा, और यदि कोई दूसरा उसे पटाने की कोशिस किया तो गया.
इंदु के लिए ऐसे मार करने वालों की कमी नही थी. कइयों ने हिम्मत कर के उसे प्रपोज भी किया पर वो सबकी बात अनसुनी कर के चली जाती थी.
सॉफ सुथरी छवि ऐसी कि कयि मनचलों की पिटाई उसके जान ने वालों ने कर दी थी और कयि पोलीस के हवाले चले गये. उसके आशिकों मे रोहित सबसे बड़ा आशिक़ था. यूँ कह ले, तो दीवाना था उसका, और उसका बस एक ही लक्ष्य, किसी तरह इंदु उसकी बाहों मे आ जाए.
बाहर की लाइफ से लेकर घर के लोगों का पूरा बायो-डेटा रोहित के पास था. उसे पाने की कोशिस मे उसके भाई से भी दोस्ती किया, पर कोई फ़ायदा नही. केयी बार उसके घर जा चुका था, पर घर मे एक झलक तक नही मिली, यदि कोई अंजान आता तो वो अपने कमरे तक से बाहर नही निकलती थी.
अब हाल-ए-दिल रोहित का कौन समझे कि वो क्यों इंदु के घर जाता है. कोई भी चाल, कोई भी पैंतरा उसे कामयाब नही कर पा रही थी. पर उसे क्या पता था कि इस सादगी का सच कुछ और ही है, और जब पर्दे के पिछे की सच्चाई सामने आएगी तो रोहित के पाओं तले ज़मीन खिसक जाएगी.
सनडे के दिन किसी तरह की कोई उम्मीद ही नही होती कि इंदु अपने घर से बाहर आए. लेकिन इसे किस्मत कहे या रोहित का बॅड लक. सनडे रोहित होटेल ले मेर्दियन, नागपुर मे एक कमरा बुक करवा कर उसकी लॉबी मे एक लड़की का इंतज़ार कर रहा था.
दिन के करीब 11 बज रहे होंगे, तभी उस होटेल मे मुँह बाँधे एक लड़की ने एंट्री की सुर सीधा फर्स्ट फ्लोर की ओर चल दी. चल ढाल से रोहित को शक़ हुआ कि ये इंदु ही है, और वो उसके पिछे गया. रूम नंबर. 1106 के पास वो लड़की थोड़ा रुकी, लेफ्ट-राइट देखी, और उस कमरे मे घुस गयी.
उस लड़की के अंदर जाते ही रोहित भी रूम 1106 के पास गया, और की होल से अंदर झाँकने लगा. कुछ नज़र नही आ रहा था. होटेल के उस कमरे मे कोई नही था. थोड़ी देर ताका-झाँकी करी, फिर सोचा शायद ये उसका वहम हो सकता है.
जैसे ही रोहित ने मन बनाया कि अब उसे अपनी बुलाई लड़की पर ध्यान देना चाहिए, वैसे ही उसकी धड़कने बाहर आ गयी. नज़रों ने जो देखा वो विस्वास से परे था, और जिस लड़की के सपने वो तन्हा रातों मे देखता वो नंगी किसी की बाहों मे थी, जिसे वो आदमी शायद बाथरूम से ला रहा था और ला कर बिस्तर पर पटक दिया.
रोहित का खून जैसे खौल उठा हो... ना जाने कितनी फीलडिंग किया था, पर यहाँ मॅच का मैन प्लेयर कोई और. आगे जो उस कमरे मे हो रहा था वो रोहित की बर्दास्त से परे था, लेकिन कर भी क्या सकता था.
उसे कुछ नही सूझा और रूम का दरवाजा ज़ोर-ज़ोर से खत-खटाने लगा. खत-खाटाने के बाद जब अंदर झाँका, तो देखा इंदु अपने कपड़े समेट कर बाथरूम की ओर जा रही थी, और उस आदमी ने लोवर पहन कर दरवाजा खोला.
अंदर आते ही रोहित आग बाबूला होकर इंदु-इंदु चिल्लाने लगा. इस से पहले वो आदमी कुछ समझ पाता और कोई आक्षन ले पता, इंदु बाथरूम से बाहर आई. बदन चादर से ढका था, और आँखें बिल्कुल गुस्से मे लाल.
इंदु.... क्या है, क्यों गला फाड़ रहे हो.
रोहित ने पहली बार उसकी बात सुनी थी ... और सुन कर बिल्कुल दंग रह गया. वो आदमी इंदु को कुछ कहने ही वाला था उस से पहले ही इंदु बोल पड़ी ... सुनिए सिन्हा सर आप को घबराने की कोई ज़रूरत नही है, और सुनो तुम .... तुम यहाँ खड़े क्या देख रहे हो, क्या पूरा शो लाइव देखना है, निकलो यहाँ से, और नीचे इंतज़ार करो, मैं ज़रा काम निपटा कर तुम से बात करूँगी.
रोहित बिल्कुल गुस्से मे पागल होता.... तू समझती क्या है अपने आप को, मैं अभी पोलीस को कॉल करता हूँ, और तब ये अकड़ उसे दिखाना. तुम्हे तो मैं बर्बाद कर दूँगा. साला दिन रात पागलों की तरह पिछे पड़ा रहा मैं, और तुम यहाँ .... रुक तुझे तो मैं सबक सीखा कर रहूँगा.
इंदु.... तुझ से जो बन पड़े वो कर लेना, पर एक बात तय है फँसेगा तू, और मेरी इमेज अपनी जगह पर रहेगी, अब पुच्छ कैसे....
रोहित बस गुस्से से हुंकार भरते सवालिया नज़रों से देखता रहा ... तब इंदु ने उसकी बात क्लियर कर दी .... मुझे बस पोलीस से इतना कहना होगा, तुम मेरे भाई के दोस्त हो और मैं यहाँ काम से आई थी तब मुझे तुम यहाँ ज़बरदस्ती ले आए और मेरे साथ ज़बरदस्ती कर रहे थे, तब सिन्हा जी ने आकर मुझे बचा लिया. गधे हो .. लगता है फ़िल्मे नही देखते. अब भागता है या मैं खुद ही पोलीस बुला दूं.
रोहित जैसे पागलों की तरह करने लग गया हो. उसे तो यकीन ही नही हो रहा था कि एक निहायत ही सारीफ़ दिखने वाली लड़की ऐसा करेगी और इतने कॉन्फिडेन्स से उसे कहेगी भी. वक़्त उल्टा था, और रोहित इन सब मामलों की नज़ाकत समझता था, इसलिए उसने जाने मे ही अपनी भलाई समझी.
लॉबी मे तकरीबन 3 घंटे इंतज़ार के बाद इंदु नीचे आई, रोहित को इशारा की, और उसके साथ बाहर चल दी. दोनो बैठे कार मे ....
रोहित.... ये सब क्या था, और तुम ऐसे...
इंदु... तो तुम क्या मेरी आरती उतारने वाले थे या तुम भी मुझ से वही सब चाहते थे जो अभी मैं कर के आई.
इंदु के द्वारा ये एक और झटका था रोहित को. इतनी तेज-तर्रार भी हो सकती है इस बात की कभी कल्पना भी रोहित ने नही किया था.
रोहित.... तुम ऐसा कैसे कह सकती हो, आख़िर जानती ही क्या हो मेरे बारे मे.
इंदु... तुम एक थर्ड क्लास आवरा हो, जो यहाँ के एफजी माल के ओनर सुरेश नकतोड़े का लड़का है. अब तक मेरे लिए कइयों को मार चुके हो, और तुम्हारे बिस्तर तक मैं कैसे पहुँचू इस बात के ख्वाब देखते रहते हो.
रोहित... नही मैं ऐसा नही हूँ
इंदु.... चल बे, ये सराफ़त का पाठ उनको पढ़ाना जो अली बाग से आए हैं. इंदु हूँ मैं इंदु. मेरे आगे पिछे दोनो आँखें हैं.
रोहित..... ह्म्म्म ! तू तो बहुत चालू निकली, मैं खा-म-खा इतना परेशान हो रहा था तेरे लिए. पहले पता होता तू ऐसी है तो अब तक मज़े लूट चुका होता.
इंदु.... दोबारा ऐसे बात की ना तो कहाँ गायब करवा दूँगी तुझे पता भी नही चलेगा. तुमने क्या मुझे कॉल गर्ल समझ रखा है. वो उपर जो आदमी था ना वो सेंट्रल मिनिस्ट्री से था, मैं ना आती बीच मे तो आज ही गायब हो जाता.
रोहित.... पागल हो रहा हूँ मैं तुम्हे सुन कर, तुम हो क्या आख़िर, और ये सब क्यों करती हो.
इंदु... तुझे मेरे बारे मे ज़्यादा जान ने की ज़रूरत नही है, और ये सब मैं अपने मज़े और अपना काम आसानी से हो जाए इसलिए करती हूँ.
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