RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
गौरव..... इतनी तेज क्यों चला रही हो, धीमे चलाओ, और हम जा कहाँ रहे हैं
सैली.... क्या ?
गौरव..... अर्रीयी मेडम स्कूटी तो धीमे करो, तब तो आवाज़ सुनाई देगी.
सैली स्कूटी रोकती हुई ... क्या है, क्यों चिल्ला रहे पिछे से.
गौरव दोनो हाथ जोड़ते .... देवी जी कृपा कर आप अपनी वहाँ की गति धीमे रखिए, मेरे हृदय-पटल पर डर की अजीब सी कंपन होती है.
सैली.... प्लीज़, कवि सम्मेलन वाली भाषा मे बोलना बंद करो क्रेज़ीबॉय, नही तो अगली बार बोले तो सिर फोड़ दूँगी, अब बैठो चुपचाप, नो आवाज़ अब एक भी, जो भी कहना-सुन'ना है वो पहुँच कर.
गौरव.... लेकिन हम जा कहाँ रहे हैं ?
सैलीय.... सीईईईईई, एक दम साइलेंट, और बैठो चुप-चाप.
गौरव बेचारा शांति से बैठ गया. इश्स बार जब स्कूटी स्ट्रॅट हुई तो पहले से ज़्यादा तेज थी. इतना डर गया गौरव की पिछे के गार्ड को मजबूती से थामे बस "हे भगवान, हे भगवान" कर रहा था.
दोनो एक पार्क मे पहुँचे, शाम ढाल रही थी, और पार्क की सुनहेरी रौशनी जल रही थी. गौरव और सैली एक कोने की बेंच पर जाकर बैठे.
गौरव.... मेरा हार्ट-बीट अब भी बढ़ा हुआ है, लड़की होकर इतनी तेज स्कूटी क्यों चलाती हो ?
सैली... क्या तेज ड्राइव करना लड़कों का ही ट्रेडमार्क है. प्रियंका की चेली हूँ, वाइ शुड ओन्ली बाय्स हॅव फन.
सैली इतना बोलकर ज़ोर से हँसने लगी, और गौरव उसकी इस अदा पर एक बार फिर जैसे घायल हो गया. बस एक टक उसका हसना ही देख रहा था.
सैली.... ह्म्म्म ! सो मिस्टर. क्रेज़ीबॉय बहुत हसी मज़ाक हो गयी, अब आप क्या बताएँगे अपने इस खूबसूरत हुलिए का राज. आख़िर हुआ क्या था जो सुबह से भूखे प्यासे भटक रहे थे सड़कों पर.
गौरव... लेकिन तुम्हे कैसे पता सुबह से मैं भटक रहा था ?
सैली.... मुझे अंकित ने सब बताया, अब बोलॉगे भी......
सैली गुर्राती हुई उस से पुच्छने लगी, गौरव थोड़ा संजीदा होते हुए अपने अंदर हो रहे हाल को बयान करने लगा .....
गौरव.... अब जाने दो ना, अभी तो हॅपी हूँ ना, अब क्या बीती बातें याद करना.
सैली.... बताते हो या मैं जाउ, कब से देख रही हूँ, बस मेरे सवाल को टाल कर इधर उधर की बातें कर रहे हो.
गौरव मन मे कहता हुआ..... "यार, मैने अपना दिल रख दिया इसके सामने, पर जिद्दी लड़की, इसे तो बस मेरी बेबसी की कहानी मे इंटरेस्ट है, बता दे क्रेज़ीबॉय, नही तो रूठ कर भाग गयी तो फिर आज जागना पर सकता है"
गौरव, फिर बोलना शुरू किया..........
"सैली, जब तुम कल परेशान सी मेरे पास रो रही थी, तो मुझे अंदर से दर्द हो रहा था, पता नही क्या हो गया मुझे पर तुम्हे उदास देख कुछ भी अच्छा नही लग रहा था. मैं रूम पर आ कर बस लेटा था".
"शाम मे नेनू आया, और इस तरह से लेटे होने का कारण पुच्छने लगा, मैने बात को टाल दिया, तब उसने सीधे शब्दों मे कहा, कि ये सब तुम्हारी वजह से हो रहा है".
"मैने कारण पिच्छा तो उसने फिर कल के सुबह की घटना बताई, वो जैसे ही बताया मुझे लग गया कि तुम नेनू की बातों को दिल से लगाई हो, और इसी वजह से उदास भी हो. झूठ नही कहूँगा लेकिन इस बात के लिए मैने नेनू से नाराज़गी भी जताई, कि उसे तुम पर चिल्लाना नही चाहिए था".
"मैं उसके तरफ से माफी माँगता हूँ. कल सुबह वाली घटा का भी ज़िम्मेदार शायद मैं ही हूँ, क्योंकि दो दिनो से मैं नेनू के साथ कहीं नही जा रहा और तो और यदि कल सुबह मैं वहाँ होता तो इतनी बातें भी नही होती".
"हम दोनो एक दूसरे से काफ़ी जुड़े हैं, और सच तो ये है कि दो तीन दिनो से मुझे वो खोया-खोया देख कर, उसे लगा मैं उस आए दूर जा रहा हूँ और फिर तुम्हे इन सब का कारण मानते हुए, जो उसके मन मे आया वो कह दिया. मुझ से बहुत प्यार करता है ना, और उसका हक़ पहला है, पर शायद मैने ही उस से अलग हो रहा हूँ"
"और हां सुबह मैने नेनू को सज़ा भी दे दिया, वो अब दोबारा नही कुछ कहेगा तुम्हे, सुबह मैं बस तुम दोनो का कोल्ड-वॉर ख़तम करना चाह रहा था इसलिए वहाँ गया था, पर जब तुम नही आई तो मुझे लगा अब भी बात को शायद दिल से लगाई हो... और मैं .........
सैली बड़े गौर से सुन रही थी गौरव को, बस जो सैली को समझ मे आया वो उसके लिए काफ़ी था. थोड़ा उलझा था दोस्त को लेकर, और दोनो को चाहता था इसलिए दोनो से शायद दूर नही जाना चाहता था. पर दो बातें क्लियर थी... एक वो सैली को चाहता था और दूसरी कि नेनू सिर्फ़ दोस्त नही उस से बढ़ कर था.
सैली.... पागल, दो लोगों के बीच तो झगड़े होते रहते हैं, तुम्हारा सुलह करना भी जायज़ है ये भी मानती हूँ, पर ऐसे भिकारियों की तरह भूखे प्यासे दिन भर घूमने से क्या सल्यूशन मिलेगा. जल्दी बताओ ये पागलपन क्या सोच कर किए ....
"सैली तुम इसे पागलपन कहती हो पर ये मेरे दिल को सुकून दे रहा था. मैं तुम्हे रोता देख बर्दास्त नही कर पाया".
"क्या तुम्हे पता है, जब भी मैं तुम्हे देखता हूँ, ये यहाँ, मिड्ल ऑफ हार्ट एक अजीब सा फ्लो पैदा होता है. ये क्या है पता नही, पर जब भी तुम पास होती हो कुछ-कुछ होता है".
"हर समय बस तुम्हारा हे चेहरा आँखों के सामने होता है, मैं समझा नही पा रहा अब भी की आक्च्युयली अंदर से क्या होता है, बस इतना कहना चाहूँगा तुम जब साथ होती हो तो सब हॅपी-हॅपी हो जाता है, मेरा मॅन झूमने को करने लगता है, नाचने को करने लगता है. तुम्हे बाहों मे भरने का दिल करता है".
इतना बोलने मे मगन था क्रेज़ीबॉय, कि जो दिल मे आया बोल दिया. सैली चकित नज़रों से देखती बस उसके मुँह से निकला .... "किययाया"
गौरव को जब ध्यान आया तो बड़ी प्यारी मुस्कान देते मुँह से धीमे निकल गया "आररीए", क्या जवाब देता वो, इसलिए चुप रहने मे ही अपनी भलाई समझा, और शांत होकर बैठा रहा...
सैली...... फ्लीर्टिन हुन्न्ं ! मुझे पटा रहे हो मिस्टर क्रेज़ीबॉय, आख़िर तुम जानते ही कितना हो मुझे, मैं जैसी दिखती हूँ वैसी बिल्कुल नही, पहले मेरे साथ कुछ समय तो बिता लो... ख़तनाक हूँ मैं.
गौरव..... मेडम, कयि सालों की मुलाकात नही, प्यार की बस एक नज़र चाहिए दिल मे उतरने के लिए. रही बात तुम्हे जान'ने की, तो दिल जिसे चाहता है उसे अपना बना लेता है, इसमे अफीशियल जान पहचाहन की क्या ज़रूरत. और रही बात आप के खरनाक होने की तो आइ फील रियली आवेसम ... जब तुम खरनाक सा रूप दिखओगि.
सैली.... अच्छा सीरियस्ली बताओ, कितने दिन हुए मिले और कितनी मुलाक़ातें हुई हैं ?
गौरव.... रूको जोड़ने दो.... उम्म्म्मम, 1,2, 3, 4, 5 .... हां पाँच बार मिले हैं, और फोन कॉल मेसेज इंक्लूड कर दो तो 8 बार.
सैली.... ब्रावो, आप को तो ऑडिटर होना चाहिए. शांत रहो, और ये बताओ, कि क्या इतने मुलाक़ातों मे किसी का भरोसा किया जा सकता है ?
गौरव के पास कोई जवाब नही था, वो बस इस सवाल का जबाव ढूँढने की कोशिस कर रहा था, प्रॅक्टिकली "नही" जवाब था, और दिल अंदर से चींख-चींख कर कह रहा था, "क्यों नही विस्वास किया जा सकता, हां बिल्कुल, तुम सोच भी नही सकती कि मैं तुम पर कितना विस्वास करता हूँ"
गौरव को शांत देख सैली एक बार फिर बोल पड़ी.... "अच्छा बहुत हुई इधर उधर की बातें, मैं डाइरेक्ट पॉइंट पर आती हूँ ... क्या तुम मुझे चाहते हो, क्या तुम मुझ से प्यार करते हो" ?
गौरव कुछ देर बस शांत रहा, सैली की बातों को सोचता रहा और थोड़ा स्पेस लेने के बाद कहने लगा ....
यदि इसी को चाहत कहते हैं तो .... हाआंणन्न् ! यदि इसी को प्यार कहते हैं तो .... हान्णन्न् ! ... .. आइ आम इन लव .. और दिल के मामले मे दिमाग़ नही निपटा'ते, फिर क्या हुआ जो मैं तुम्हारे बारे मे नही जानता, या तुम से मुलाक़ातें नही हुई, पर एक अटूट विस्वास मुझे पहली मूलककत से थी"
"और मेरा क्या" ..... इतना कह कर सैली बिकुल शांत हो गयी. इतनी शांत बैठी थी की गौरव के दिल मे एक दर्द पैदा करने के लिए काफ़ी था, उसे लगा "कहीं अपने बारे मे हे तो केवल नही सोच लिया..... सैली का ख्याल क्यों नही रहा,..... क्या कोई और है उसकी जिंदगी मे........ मैं कोई ज़बरदस्ती तो नही कर रहा"....
पल मे आए मॅन मे इतने सारे सवालों ने गौरव को बिल्कुल हिला दिया, उसे फिर सैली दूर नज़र आने लगी. अजीब हाय्यी रे इश्क़, बोलने से ज़्यादा शांत रहना दिल मे दर्द का एहसास करा जाता है.....
गौरव.... आइ आम सॉरी सैली, पर क्या करूँ जब भी तुम्हे देखता हूँ खुद पर काबू नही रहता. यदि तुम्हे मैं पसंद नही तो कोई बात नही, मैं वादा करता हूँ कि तुम्हे कभी परेशान नही करूँगा .... बस जैसा तुमने पुछा मैं भी एक बार जान'ना चाहता हूँ...... क्या तुम्हारे दिल मे भी मेरे लिए फीलिंग्स है ?
दिल की धड़कनो को सुन'ना था "हां", मन कह रहा था कहीं "ना" ना कहे. कह तो दिया गौरव की दूर हो जाएगा, पर दूर होकर रहेगा कैसे ... मॅन ऐसा विचलित हुआ कि पिस कर रह गया हाँ-ना मे.
सैली भी शांत, बिल्कुल मौन थी, चेहरे पर बिना कोई भाव के, जिस से गौरव और दुविधा मे चला जा रहा था ... हर पल बीत'ता, और हर पल मे जैसे गौरव की घुटन बढ़'ती जा रही हो........
गौरव के दिल की धड़कन जैसे धक-धक कर रही हो, और नज़रें बस सैली पर टिकी जवाब के इंतज़ार मे. सैली शांत बिल्कुल नज़रें ज़मीन पर गढ़ाए बैठी थी.
गौरव से आख़िर बेचैनी बर्दास्त नही हुई, और बोझिल से आवाज़ मे कहने लगा .... "ठीक है सैली, तुम्हारी चुप्पी ने सब कह दिया. तुम्हे परेशान किया उसके लिए माफ़ कर देना".
इतना कहने के बाद गौरव पिछे मुड़ा और दो कदम चला ही होगा कि पिछे से सैली की आवाज़ आई ... "सुनो, साथ तो लिए चलो बुद्धू"
गौरव रुआंसी आँखों से जब मूड कर सैली को देखा, तो वो मुस्कुराती हुई खड़ी थी. फिर कुछ कहने की ज़रूरत नही पड़ी, गौरव तेज़ी से उसके पास पहुँचा और ज़ोर से गले लगाते हुए .. "तुम्हारी चुप्पी जान निकालने वाली थी, मैं तुम से दूरी बर्दास्त नही कर सकता"
सैली .... मैं भी मिस्टर. क्रेज़ीबॉय, तुम्हे क्या लगा जो मुझे छोड़ कर जा रहे थे.
गौरव... कुछ नही माइ लव, आइ लव युयुयूवयू, आइ लव यू सूओ मच.
सलिली..... हो गया बाबा बससस्स, हम पब्लिक प्लेस पर हैं, अब छोड़ो भी.
गौरव.... नई नई, अभी तो पकड़ा हूँ, अभी तो अच्छा लग रहा. आहह ! कितनी सुकून है. प्लीज़ कुछ देर.
सैली मुस्कुराती हुई यूँ ही गौरव से लिपटी रही, कुछ देर बाद दोनो अलग हुए एक दूसरे से, और दोनो लव बर्ड्स उड़ने को रेडी थे.
लेकिन उड़ने से पहले एक को बुखार चढ़ने लगा था, गौरव ने स्कूटी और सैली को देख कर सिर पीट लिया. गौरव बैठ तो गया पिछे, पर मिन्नते भी करने लगा.. "सैली प्लीज़, धीरे ड्राइव करना".
लेकिन सुनता कौन है, सैली की स्पीड उतनी ही बढ़'ती जाती जितना गौरव पिछे से आवाज़ देता. गौरव का मुँह तो डर से सुख गया था और सैली ज़ोर-ज़ोर से हंस रही थी....
गौरव ज़ोर से चिल्लाते हुए ... सैली स्कूटी धीमे करो, नही तो मैं कूद जाउन्गा.
सैली ने दोनो ब्रेक एक साथ लगाया, इतनी तेज ब्रेक लगी कि गौरव पूरा लड़ गया सैली के उपर, सैली गाड़ी रोक कर उतरती हुई बरस पड़ी .....
"क्या है चिल्ला क्यों रहे हो, मैं डिस्ट्रब हो रही हूँ, आक्सिडेंट भी हो सकता है"
गौरव.... पर तुम इतनी तेज क्यों चला रही हो, धीमे भी तो चला सकती हो.
सैली... मुझे लग रहा है मैं अकेली बैठी हूँ, इसलिए ऐसे चला रही हूँ.
गौरव.... क्या मैं समझा नही.
सैली .... आनन्नह ! कुछ नही बैठ जाओ, समझ जाते पहले तो पार्क मे मुझ से सवाल ही क्यों करते.
सैली चिढ़'ती हुई बैठी स्कूटी पर, और गौरव इस बार मुस्कुराता बैठा, स्कूटी स्पीड पकड़ते गयी, और गौरव बिल्कुल शांत बैठा था. अचानक से सैली की कमर के चारो ओर गौरव की बाहें लिपटी महसूस होने लगी, सैली के चेहरे पर प्यारी सी मुस्कान आ गयी.
उसके कंधे पर अपना चेहरा गौरव टिकाते हुए..... तो मैने, मेडम को नही पकड़ के गार्ड को पकड़ा इसलिए पार्क मे मुझे आप सज़ा दे रही थी.
इस बार कुछ कहने की ज़रूरत नही थी, सैली ने खुद गाड़ी की स्पीड धीमी कर दी, धीमी भी नही कह सकते, साइकल से थोड़ी हे ज़्यादा होगी .. 15/20 के स्पीड मे. सैली अपना चेहरा थोड़ा राइट घूमती गौरव के गालों को चूमती हुई .... "यस, स्कूटी पर पहले तुमने मुझे सताया था, इसलिए पार्क मे मेरी बरी थी".
गौरव.... ओ' मेडम मैं तो नही साँझ पाया था, और तुम ने जान बुझ कर किया, ये तो चीटिंग है.
सैली..... तो सज़ा दे दो कोई भी प्यारी सी क्रेज़ीबॉय, मैं बिल्कुल बुरा नही मानूँगी.
गौरव एक बार सैली के गाल को चूमते हुए ... ह्म्म्म ! दे दिया सज़ा. इतनी सज़ा ठीक है आज के लिए.
सैली.... हाय्यी ! ऐसी सज़ा मिले तो, हम तो रोज खट्टा करने को तैयार हैं.
गौरव..... अच्छा, ऐसी बात है, एक काम करता हूँ, कुछ सज़ा अड्वान्स खाते मे जमा कर देता हूँ, तुम बाद मे खट्टा करती रहना.
"मुऊऊउ .... धम्म्म" .....
गौरव राइट कंधे से खुद को लेफ्ट पर लाया था, और कान के बगल से एक किस की पोज़िशन बनाई था, साँसों के गरम हवा जब टकराई कानो और गालों पर तब सैली की आँखें हल्की बंद हुई .... और... और .. स्कूटी फूतपाथ पर लगे एक ठेले मे जाकर घुस गयी.
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