RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
इधर अंकित और सैली वापस लौट'ते वक़्त कॉलेज से अपनी जब बहस कर रहे थे तो अंकित की चर्चाओं मे बस गौरव ही था, और वो सैली को छेड़ते हुए ...
"क्यों जंगली, लगता है तेरे बाय्फ्रेंड की तलाश ख़तम हो गयी."
सैली....... ज़्यादा बोला तो तेरे बाप को तेरी और अर्चना की कहानी बता दूँगी. मोटे तू क्या सोच कर बोला ये.
अंकित ..... अर्रे सोचना क्या है, तू भी पागल और वो तेरा नया पोवेट दोस्त, उसका तो नाम ही क्रेज़ी बॉय है. दोनो पागल, कुंडली तो भगवान ने ही उपर से बना कर भेजी है.
सैली.... चुप कर ज़्यादा उल्टा बोला तो, मुँह तोड़ दूँगी.
शाम के 7.30पीयेम के करीब नेनू, गौरव को साथ लेने पहुँचा उसके कमरे, दोनो शाम के इस वक़्त साथ घुमा करते थे, पर आज गौरव ने असाइनमेंट पूरा करने की दुहाई देकर घूमना टाल दिया.
रात भर का जगा हुआ और उसके बाद पढ़ाई करना काफ़ी मुश्किल काम था, गौरव ना तो सो पा रहा था और ना ही असाइनमेंट पूरी कर पा रहा था, 8पीयेम बजते-बजते गौरव ने घड़ी का आलराम 1आम बजे का सेट किया और फाइनली सोने की तैयारी मे लग गया.
अभी बिस्तर पर लेटा ही था कि गौरव के मोबाइल की घंटी बजी, चार गालियाँ देता फोन को लिया हाथ मे, और डिसप्ले पर नाम देख कर तेज़ी के उठ कर बैठ गया और दो बार आँखे मीजते फिर से देखा डिस्ले ह ......
डिसप्ले भी सही था और नाम भी, मगर कुछ जो नही सही था वो था वो गौरव के दिल का आलम. जिसकी उम्मीद उसके जहन मे भी नही थी वही हो रहा था, सैली का फोन.... गौरव फोन पिक करते हुए ....
"मैं क्या सपना देख रहा हूँ, या आप वही खूबसूरत मोह्तर्मा हैं, जिसका नाम श्रयलीन है"
सैली.... हे हे हे हे, जी बिल्कुल मिस्टर. क्रेज़ी बॉय.
गौरव.... उम्मीद से परे है आप का कॉल, मेरे ख़यालों के भी कभी ऐसा नही था कि आप का कॉल आने वाला है.
सैली.... ठीक है, मैं कॉल डिसकनेक्ट कर रही हूँ.
गौरव... क्या कोई भूल हो गयी, जो आप नाराज़ हो गयी.
सैली.... नही ऐसी कोई बात नही, लेकिन जब से कॉल पिक किए हैं, एक ही सवाल पर बात किए जा रहे है, कि कॉल कैसे आ गया. मॅटर ये नही कि कॉल कैसे आया मॅटर ये है कि कॉल क्यों आया, और आप है कि मुख्य मुद्दे को छोड़ कर ग़लत मुद्दे उठाए हुए है.
गौरव.... ऊप्सस्स ! डफर ही हूँ मैं. सूओ सॉरी मिस. बताइए बंदा आप की क्या खिदमत करे.
सैली.... ट्रेषर आइलॅंड (शॉपिंग माल) आई थी, और मेरा बॅग उठाने वाला कोई नही. फीलिंग लोंलिनएस्स, सोचा क्यों ना क्रेज़ी बॉय को याद कर लिया जाए.
गौरव.... वू हूओ ! बिल्कुल सही नंबर डाइयल की हैं आप. अट युवर सर्विस मिस. अभी आयाअ....
सैली हस्ती हुई फोन रखी और अकेली माल के गेट पर फुल्की का आनंद लेने लगी. बाहर खड़ी आते जाते कपल्स को देख रही थी और कुछ खोई थी. पीछे से ऐसा लगा जैसे उसके गर्दन पर कोई फूँक रहा हो. सैली पलटी ... और गौरव को देख कर मुस्कुराती हुई ...
"थॅंक्स, थोड़ा अकेली फील रही थी. सॉरी यदि आप को डिस्ट्रब किया हो तो"
गौरव..... मेरे होते हुए आप अकेली फील कैसे कर सकती हैं, बुरा तो तब लगता जब आप ये खुद को अकेली फील करती. मेरे होते हुए खबरदार जो कभी अकेली फील किया तो.
ना जाने गौरव की बात सुन कर क्या हुआ सैली को, जैसे लगा कि इसी तरह की बातों की नज़ाने कब से तलाश थी. कोई हो उसका भी, जो उसकी केयर करे. उसे पता नही क्या हुआ गौरव की इस एक बात से. आँखों मे दो बूँद आँसू आ गये और सीने से लग गयी गौरव के.
गौरव को तो ना जाने क्या हुआ, उसके लिए ये अद्भुत क्षण था, शायद दिल के हाल ने इतनी भी शिद्दत नही दिखाई थी कि चन्द मुलाक़ातों मे उसकी हुस्न की मल्लिका उसके सीने से लग जाए. जैसे कोई चमत्कार हो रहा हो या फिर कुछ चाहतें सैली की भी थी.
गौरव खो सा गया इस पल मे, पर कुछ ही देर मे एहसास हुआ कि वो दोनो किसी पब्लिक प्लेस पर है, और लोग उन्हे देख रहे हैं, कंधे को सहलाते हुए एक खुमारी भरे स्वर मे गौरव ने सैली को वास्तविकता से अवगत कराया.
खामोश सैली अलग हुई, पलकें उपर कर के एक बार गौरव को देखी, और नज़रें झुकाते हुए शांति के भाव से सिर्फ़ सॉरी बोल कर दोनो खामोश एक दूसरे को देखते रहे.
गौरव.... अर्ररी, हम यहाँ बाहर खंबे की तरह क्यों खड़े हैं.
सैली..... मतलब...
गौरव... मतलब ये मिस कि मुझे लगा आप कुछ शॉपिंग करेगी, और मैं बॅग उठा कर आप के पिछे-पिछे चलूँगा, पर आप हैं कि बाहर खड़ी हैं.
सैली प्यारी सी एक मुस्कान अपने चेहरे पर बिखेरती हुई.... ऊ, भूल ही गयी, चलें शॉपिंग पर.
दोनो ने 10पीयेम बजे तक शॉपिंग किया. गौरव की बातों पर पूरे समय सैली हँसती ही रही, और पूरे शॉपिंग के दौरान सैली को एंटरटेन करता रहा गौरव.
सैली को उसके घर के पास छोड़ कर गौरव वापस हॉस्टिल जाने के लिए निकला, दो कदम आगे जाकर एक बार पिछे मूड कर देखा, सैली अपने दरवाजे पर खड़ी उसे ही जाते देख रही थी.
गौरव जब ये देखा कि सैली अब भी दरवाजे पर खड़ी उसे ही जाते देख रही है, तो उसने अपने बालों पर हाथ फेरते चेहरे पर एक क्यूट सा एक्सप्रेशन दिया, और हाथ हिला कर बाइ बोलते फिर मूड गया.
कुछ दूर फिर आगे गया, और फिर एक बार पिछे मुड़ा. दोनो ही मुस्कुरा रहे थे एक दूसरे को देख कर, और दोनो के दिल के हाल का अंदाज-ए-बयाँ उसनकी प्यारी सी मुस्कान कर रही थी.
हाल क्या जाने दिलों का, जो इश्क की कसक पैदा हो गयी इस दिल मे. अब तो किसी के ना होने पर भी गौरव मुस्कुराते चला जा रहा था. जब जब याद करता कि सैली उसके सीने से लिपटी रोई थी, अंदर के भाव ऐसे उमड़ते कि सड़क पर ही खड़ा नाचने लगता.
आज तो गौरव के लिए सारा जहाँ झूम रहा था, और मस्ती मे नाचता गौरव हॉस्टिल पहुँचा.
ख्यालों मे ही डूबा रहा वो सैली के, अपने कमरे मे पहुच कर भी. बीती रात भर का जागा था, शाम को हालत ऐसी ना थी कि वो जाग सके, और ज़ज़्बा ये भी कमाल था जबसे वो सैली से मिल आया था, फिर आज रात आँखों मे काट रहा था. रात के 12 बजे होंगे जब उसके मोबाइल पर सैली का मेसेज आया... "जाग रहे हैं क्या"
गौरव ने जब मेसेज पढ़ा तो फोन उठाकर चूम लिया, और जितनी जल्दी टाइप कर सकता था किया.... ह्म्म्मो, नींद नही आ रही.
सैली एसएमएस .... आप फेसेबूक पर है क्या
गौरव रिप्लाइ .... हां, अकाउंट है पर ऑनलाइन नही आ पवँगा. डब्बा मोबाइल
सैली .... कोई बात नही, क्या कर रहे थे
गौरव रिप्लाइ ..... क्या कर सकता हूँ आप बताएए
सैली..... रात को वैसे आप जाग कर, कर भी क्या सकते हैं
मसेज पढ़ कर गौरव हँसते हुए....... आररी, रात मे मैं वही कर रहा था जो इंडिया के ऑलमोस्ट सभी यूत करते हैं...
सैली .... :ओ क्या :ओ
गौरव.... पढ़ाई और क्या, पर ये शॉकिंग एक्सप्रेशन, 8)
सैली.... हहे, मुझे लगा अपनी गर्लफ्रेंड के ख़यालों मे खोए होंगे, लॉल
गौरव.... हां, कुछ ऐसा ही था, पर 50% सिर्फ़ मेरी तरफ से, उसके दिल का हाल पता नही.
सैली.... शायद उसका भी 50% हो, पर आप ने पुछ्ने की कोशिस नही किए हो.
गौरव...... कसम से कोई ब्लड प्रेशर की रीडिंग ले तो अभी 1200/900 हो, और धड़कनें 72/मिनट के बदले इन्फिनिट काउंट से धड़क रही हो.
सैली.... ऐसा क्यों भला :ओ
गौरव.... कुछ कुछ होता है सैली तुम नही समझोगी :'(
सैली..... किसी को समझने के लिए मुलाक़ातों की नही एहसासों की ज़रूरत होती है, तुम नही समझोगे क्रेज़ीबॉय ..... :'( . कल मिलती हूँ
गौरव.... गुड नाइट
ये उम्र, और लव अट फर्स्ट साइट, और आग दोनो तरफ बराबर. गौरव फोन को चूमते हुए सीने से लगाए खोया ही रहा. ख्वाब एक प्यारा सा जिसे खुली आँखों से देखते, कब गौरव नींद की आगोश मे गया पता ही नही चला.
सुबह जब सैली तैयार हुई, तो आज बिल्कुल अलग ही दिख रही थी. हां ! था तो परिधान रोज के ही जैसा पर आज उसके उपर जो मेक-अप किया था उस से इरादे सॉफ जाहिर हो रहे थे कि, किसी को अपने रूप से घायल करने निकली है.
यही होता है अक्सर जब प्यार होता है, आईने के पास घंटो बैठ कर लड़किया खुद को निहारते हुए ये सोचती हैं, आज इस रूप को वो पसंद तो करेंगे ना. पर उन्हे क्या पता वो सँवर्ती एक के लिए हैं और घायल पूरा जहाँ होता है.
अंकित जब कॉलेज ले जाने के लिए सैली के यहाँ पहुँचा तो उसे देख कर देखता ही रह गया.
सैली.... क्या हुआ मोटू, ऐसे क्यों रिएक्ट कर रहा है जैसे पहली बार देखा है.
अंकित.... सैली, तू पागल हो गयी है क्या, जा मुँह धो कर आ.
सैली बिल्कुल चौुक्ते हुए .... क्या हुआ चेहरे पर कुछ लगा है क्या ?
अंकित थोड़े गुस्से मे झुँझलाकर बोलते हुए .... क्यों तू आईना नही देखती क्या ? क्या हम कोई पार्टी मे जा रहे हैं, या शादी मे जो ऐसे मेक-अप कर के निकली है.
सैली मुस्कुराती हुई.... हहे, खूबसूरत दिख रही हूँ ना.
अंकित.... तू पागल दिख रही है, ऐसे तैयार होकर क्या कोई कॉलेज जाता है ?
अंकित का कहना अपनी जगह बिल्कुल सही था, सैली का इस तरह से तैयार होकर निकलना उसे अच्छा नही लग रहा था, पर सैली ने काफ़ी गुस्सा जाहिर किया उसकी फालतू की मेनटॅलिटी पर और मुँह चढ़ाते बस इतना कह दी ... तुझे चलना है तो चल वरना मैने भी कॉलेज का रास्ता देखा है.
अंकित भी बिना कुछ बोले चुप-चाप उसे लेकर कॉलेज के रास्ते चल पड़ा. अंकित को ज़िद कर के सैली विजयनगर चौराहे पर रुकी, और बड़ी ही बेवाक अदा से वो चाय की तपरी मे गयी......
एक तो रूप लुभावन उपर से ये रिझाने का मेक-अप, ऐसा लग रहा था जैसे आज चाय की तपरी मे दो चार लड़कों का कतल हो जाए. मुस्कुराती वो एक नज़र सबको देखी, और गौरव को वहाँ ना देख कर खिला सा चेहरा मुरझा गया.
इधर चाय की तपरी मे सारे लड़के सैली को ही देख रहे थे, देख क्या रहे थे आए मिनिट भर भी नही हुआ होगा सैली को और सबने ना जाने कैसे-कैसे ख्वाब भी देख लिए थे.
नेनू अपने चाय का ग्लास टेबल पर रखते हुए... क्या हुआ सैली, क्या बात है, बिल्कुल कतल के इरादे से आज.
सैली..... हहे, नेनू ये टॉंट था या कॉंप्लिमेंट.
नानउ.... अब जो समझिए मेडम. वैसे यहाँ किसी खास वजह से आई हैं क्या ?
सैली को ना जाने क्यों, पर नेनू की बातें टॉंट ही लग रही थी, और जब ऐसा लगा तो चिड़ी सी आवाज़ मे कहने लगी..... कुछ नही नेनू, क्रेज़ीबॉय आज नही आया क्या ?
नेनू.... क्या बात है सैली, गौरव को ढूंड रही हो, बस चन्द मुलाक़ातों मे ही बात क्या है, वो भी ऐसे मेक-अप के साथ. उसपर बिजली गिराने का इरादा तो नही.
ना जाने क्या हुआ सैली को, इस तरह से बात सुनकर बिल्कुल जैसे चिढ़ गयी हो .... माइंड युवर ओन बिज़्नेस नेनू, तुम होते कौन हो इस तरह से मुझे कहने वाले.
नेनू.... ऊप्स ! लगता है भड़क गयी मिस, सो सॉरी मैं तो ऐसे ही पुच्छ रहा था.
सैली.... मैं सब समझती हूँ कैसे पुच्छ रहे थे. सॅडू सी सोच है ना तुम्हारी, तो ख्यालात गंदे ही होंगे ना.
नेनू.... सुनो सैली, जो मुँह मे आया बक रही हो, इतना भी नादान नही जो मैं इशारे नही समझता. दूर ही रहो मुझसे तो बेहतर होगा. और एक बात याद रखना गौरव मेरा दोस्त है, और मैं जो कहूँगा वो वही करेगा.
सैली चिढ़ती हुई उस चाय की तपरी से निकली, गुस्सा जैसे अंदर का बाहर तक फुट रहा हो, कॉलेज भी नही गयी और गुस्से मे लाल होकर वापस घर लौट आई.
4पीयेम बजे के करीब गौरव ने सैली को कॉल किया, और पुछ्ने लगा कॉलेज से वापस आई कि नही. सैली ने अनमने ढंग से सिर्फ़ इतना कही आज घर पर काम था इसलिए कॉलेज नही जा सकी.
आज की बातों मे गौरव को वो हलचल मचाने वाली सैली नही मिली, बल्कि एक शांत और खामोश अपने स्वाभाव के विपरीत वाली सैली दिखी. उसे जब ये एहसास हुआ कि सैली कुछ परेशान सी दिख रही है तब उसने मिलने की ज़िद किया.
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