non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्रेम कहानी )
12-27-2018, 01:42 AM,
#16
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
सब कुछ अपनी जगह पर सही चल रहा था, नेनू के प्लान का हर स्टेप उसके मुताबिक था, और अमित के वादे ने पूरी कहानी को सॉफ कर दिया, अब तो बस इंतज़ार था उस रात का जब दिल की आग ठंडी हो.


अगले दिन सुबह कॉलेज के टाइम पर अमित ने सुबह सुबह अंकित को कॉल लगाया....


अंकित.... कैसे हैं अमित भाई सुबह सुबह कॉल किए, सब ठीक तो है ना


अमित.... हां सब ठीक ही है, बस सोचा थोड़ा बात कर लूँ आप से इसलिए कॉल किया. डिस्ट्रब तो नही किया.


अंकित .... नही सर बिल्कुल नही, पर आप इतने उदास क्यों हैं, गर्लफ्रेंड छोड़ कर भाग गयी क्या.


अमित..... हहे, क्या अंकित भाई एक तो पहले से उलझा पड़ा हूँ उपर से सुबह सुबह आप भी कहाँ गर्लफ्रेंड की चर्चाओं मे लगे हैं. भाई यहाँ कोई फ्रेंड नही गर्लफ्रेंड तो दूर की बात है.


अंकित.... क्या हो गया इतने परेशान, बात क्या है वो तो बताइए.


अमित... कुछ खास नही रहने दीजिए ये समस्या कुछ हट कर है, मुझे ही कुछ सोचना होगा.


अंकित... अर्रे कैसी बातें करते हैं, आप हमारे दोस्त हैं आप की समस्या हमारी समस्या, अब चुपचाप बताते हैं या धरना दूं मैं आप के हॉस्टिल.


अमित.... नही भाई. शाम को मिलते हैं आप की कॉलोनी के पार्क मे और वहीं बैठ कर बातें करते हैं.


अंकित ..... ठीक है मिलते हैं शाम को अमित भाई. 


जाल बिच्छा दिया अमित ने, तीर निशाने पर था और अंकित तैयार होने वाला था काम करने के लिए. शाम को दोनो वहीं कॉलोनी पार्क मे मिले जहाँ अंकित के साथ सैली भी थी. अमित के आने के बाद सब ने एक दूसरे को गुड ईव्निंग विश करते हुए समस्या पर बातें करनी शुरू की...


अंकित ..... अमित भाई, क्या परेशानी हो गयी बताइए हमे, हम मिलकर सॉल्व करेंगे.


सैली.... हां अमित जी, बताएए तो


अमित.... बात कुछ सीरीयस जैसा नही है. दरअसल कल एक फंक्षन होने वाला है हम लोगों का. और वहाँ एक स्टेज परफॉर्म करना है, और मेरे पास कोई ग्रूप नही.


सैली .... वॉववववववव ! आप स्टेज पार्फमेन्स भी करते हैं. इंप्रेस्सिव अमित जी. तो इसमे समस्या क्या है. और टीम तो कॉलेज से ही मिल जाएगी ना.


स्टेज शो के प्रति सैली की रूचि देख अमित खुश हो गया क्योंकि टारगेट ऑडियेन्स तो वही थी, अमित को विस्वास हो गया कि उसका काम बन गया.


अमित... वही तो समस्या है, स्टेज पर हमारा काम ही कितना था, मेरी लिखी कुछ कविता थी जिसे स्टेज पर पढ़ना था. एक मेल पार्ट था और एक फीमेल पार्ट. पहली एक कविता फीमेल की और उसके ख़तम होते ही मेल की ... और इसी क्रम मे 5 कविता दोनो पढ़ते. 

"वहाँ दिखाना ऐसा था कि उन दोनो मे कविता का द्वंद चल रहा हो. लेकिन मेरे दोनो साथी गायब हो गये. पता नही अचानक से दोनो को काम आ गया, या मेरा पार्फमेन्स ना हो इसलिए दोनो ने इनडाइरेक्ट्ली मना कर दिया. जितनो को जानता हूँ सब ने मना कर दिया ये करने से, कहते हैं स्टेज पर जाते ही उनकी आवाज़ नही निकलती. अब बताइए मैं क्या करूँ. फसा दिया सबने"....


अंकित.... अर्रे इतनी सी बात, इसका सल्यूशन है ना हमारे पास. आप वो कविताएँ दे दो हम दोनो तैयार कर लेंगे टेन्षन क्यों लेते हो आप.


सैली.... हां बस इतना ही ना, मुझे लगा कोई डॅन्स शो होगा, पर कविताएँ पढ़ने मे क्या परेशानी है.


अमित... हा हा हा हा, स्टेज शो किसी का भी हो शायद आप दोनो को पता नही कि एक ही समस्या होती है हेसिटेशन. जब स्टेज पर लोग पहली बार जाते हैं तो कितना भी परफ़ेक्ट क्यों ना रहे डगमगा ज़रूर जाता है.


अंकित... हां आप सही कह रहे हैं, पर हम कौन सा पहली बार स्टेज पर होंगे. हम तो पहले भी परफॉर्म कर चुके हैं.


सारी बातें अमित के अनुसार ही मुड़ती चली गयी. अमित ने कहीं से जाहिर नही होने दिया कि वो जान बुझ कर इन दोनो से करवाना चाहता है. सैली और अंकित भी काफ़ी खुश थे, क्योंकि स्टेज पॅर्फॉर्मेन्स .... दोनो सोच कर ही एग्ज़ाइटेड थे.


एक बदले की इतनी लंबी प्लॅनिंग, अमित ने सारा तय समय बता दिया कि कब प्रोग्राम शुरू होना है, और जो मेटीरियल है वो कल रास्ते से विजयनगर चौराहे से कलेक्ट करता चला जाए.


सब कुछ प्लान के हिसाब से ही था. इधर नेनू आंड कंपनी .. अपने दोस्त गौरव के साथ हुए इस वाकये का बदला लेने को तैयार थे और उनकी तैयारी पूरी हो चुकी थी. अमित के पास बस अब इस ड्रामे के दो काम बचे थे. 


एक तो वो मेटीरियल देना और दूसरा शाम को को-ऑर्डिनेट कर के दोनो को पार्टी हॉल तक लाना .. जहाँ के स्टेज पर उन्हे ये परफॉर्म करना था. सुबह होते ही अमित ने उन्हे सारी कविताएँ दे दी और वापस अपने हॉस्टिल लौट आया.


अमित किसी मोहरे की तरह हुकुम की तामील कर रहा था, पर ना जाने क्यों अंदर उसे एक संकोच सा था कि कहीं कुछ ग़लत ना हो जाए इस बदले के चक्कर मे. 


वापस हॉस्टिल लौटा तो सारे दोस्त एक साथ बैठे थे और सब आज शाम की ही चर्चा कर रहे थे. सारे दोस्त बस ये जान'ना चाह रहे थे कि आख़िर हमारा बदला किस तरह का होगा, और अमित से ज़िद कर रहे थे वो ये राज खोल दे.


अमित... पता नही यार ये नेनू के मन मे क्या चल रहा है. सच मे मुझे भी पता नही पर डर लग रहा है कहीं कुछ.....


तभी उनके बीच से एक बोला....

"अब्बे खुल कर बोल, कि कहीं कुछ डिंग-डॉंग ना कर दे नेनू उस लड़की के साथ और जो तू इतना लट्तू हुआ जा रहा है हाथ मल्ता रह जाए"


दूसरा इसी बात पर और मज़े लेते...

"हां अच्छा प्लान है नेनू का, वैसे बदले के नाम पर अपने मज़े का पूरा बंदोबस्त किया है. ऐसा ना हो कि 9 महीने बाद हम सब चाचा बन जाए और ये अमित मामू".


तीसरे ने अब अमित पर हमला बोलते हुए कहा ...

बेचारा अमित, पूरा खाना पकाया इसने और खा कोई और रहा है. तुम्हारी दोस्ती को सलाम दोस्त. हम इस दोस्ती की मिसाल को इस कॉलेज के इतिहास मे दर्ज करवाएँगे .. ताकि आने वाली पीढ़ी ये जान सके ..... एक था घोनचू..... अमित


सारे लड़के एक साथ फिर से हूटिंग शुरू किए .... ईईए ईईई .. अमित की .. ज़य हो ... अमित की .. ज़य हो

उसने सोच भी लिया कि फोन करूँ फिर दूसरे मॅन ख्याल सा आया कि "यार इतनी मेहनत से नेनू ने प्लाननिग किया है, वादा भी किया कि कुछ भी ग़लत नही करेगा, क्या करूँ, करूँ कि ना करूँ बात"


हां ... ना .... सोचते सोचते अंत मे अमित ने सब सच बताने का फ़ैसला कर लिया. रूम मे जहाँ वो फोन चार्ज पर रखा था वहाँ से फोन लेने गया, पर ये क्या फोन की जगह स्लिप था ... एक संदेश नेनू का ..... 


"जब तू भीड़ मे बैठा था और लोग उकसा रहे थे, तभी तेरा मोबाइल गायब कर दिया. डफर अब ज़्यादा सोचना मत, यदि तू नही सोच रहा तो गुड, और यदि तू सोच भी रहा है, कि सब सच बड़ा दूं, तो भी गुड" 

"तू चाह कर भी नही कर सकता क्योंकि तेरा फोन मेरे पास है, और बेड पर एक लड़का बैठा है, जो आज की पार्टी तक तुम्हारे साथ रहेगा. क्या कहता है .. देखा ज़्यादा पिक्चर देखने का फ़ायदा ... अब तुम आराम करो बस"


अमित तो फडफडा गया.. नेनू को कोसते हुए ... "कमीना कहीं का, किसी को नही छोड़ता, यदि तुमने कुछ उल्टा किया तो मैं तुम्हरा वो हाल करूँगा की देखना"


"क्या बड़बड़ा रहे हो अमित भाई, नेनू को गालियाँ" ... अमित के रूम मे निगरानी रख रहे लड़के ने हँसते हुए पुछा.


अमित..... चुप कर चम्चे, यदि आज कुछ उल्टा हुआ तो सबको उल्टा टाँग कर पिच्छवाड़े मे डंडा घुसेड दूँगा.


लड़का... पागल है तू अमित, यदि कुछ हुआ तो तू भी हाथ सॉफ कर लेना.


अमित चिढ़ कर दौड़ा उसे मारने और वो लड़का बचता रहा. आलम ये था कि पूरा दिन अमित के साथ छेड़-छाड़ होती रही, और वो इतना चिड गया कि एक बार तो सुसाइड तक की कोशिस कर डाली.


पर आज हॉस्टिल से नेनू कहाँ गायब था, ये किसी को समझ मे नही आ रहा था. दिन ढलने को आया था, ना तो गौरव नज़र आया ना नेनू. सबको आसंका होने लगी कि ज़रूर कुछ खिचड़ी पक रही है, जिसकी खुसबू तो लोग महसूस कर रहे थे पर खाना नसीब हो कि नही हो.


खैर शाम ढली, और वक़्त भी आ गया. पार्टी के अर्रेज्मेंट की कोई परेशानी ही नही थी, क्योंकि इंजीनियरिंग पढ़ने वाले कुछ लोकल लड़के टाइम पास के लिए थे और पार्टियों के किए तो उनके पास पैसा ही पैसा था.


होटेल सयाजी के एक हॉल मे पार्टी और स्टेज की बुकिंग की गयी. स्टेज का पूरा काम और बॅक डोर से स्टेज तक लाने आ अरेंज्मेंट सब आदिल का था. जो जानते थे उनके लिए प्लॅनिंग और बाकियों के लिए सिर्फ़ पार्टी थी, जिसे वो एंजाय करने आए थे.


स्टेज पर म्यूज़िक ड्ज लगा था, लड़के-लड़कियों के नाचने के लिए, और जिसे जो परफॉर्म करना है वो करे कोई परेशानी नही थी. 


8पीएम बजे से सबने आना शुरू कर दिया, अमित को भी आना पड़ा, लेकिन उसे बस ये चिंता थी कि कहीं कुछ ग़लत ना हो, और वो बस नज़र देने आया था.


सारे लड़के लड़कियाँ पहुँच रहे थे, अंकित और सैली को 8.30पीयेम का समय दिया गया था, और तय समय पर बिना कोई रिमाइंडर के वो दोनो पहुँचे.


क्या रियेक्शन था लड़कों का सैली को देख कर, सिल्वर कलर की सिंगल ड्रेस जो डीप नेक की थी बॅक भी काफ़ी खुला और नीचे घुटनों से थोड़ा उपर. सारे लड़कों का मुँह खुला का खुला रह गया. कुछ तो ये सोचने लगे कि इतनी खूबसूरत हसीना ने उनकी बेज़्जती क्यों नही की.


सैली और अंकित, अमित से मिले .. अमित खिंचा सा चेहरा लेकर मानो जबरसती की हसी हंस रहा हो, ठीक वैसे ही दोनो का स्वागत किया. अमित कहीं भावनाओ मे बह कर कोई राज ना खोल दे इसलिए लड़के पहले से उसके आस पास मौजूद थे. 


अमित ... सैली से .... काफ़ी सुंदर दिख रही हैं आप.


सैली (हँसती हुई) .... सिर्फ़ सुन्दर, जाइए अमित जी आप तो बेज़्जती कर रहे हैं, इस मोटू से पुछो कैसी दिख रही हूँ.


अंकित धीमे स्वर मे कहते हुए ... अब यहाँ तो ना कहो प्लीज़, भरी महफ़िल मे मुझे बेबज़्जत तो ना करवाओ.


अमित... हा हा हा, अर्रे कहाँ डरने लगे, सब दोस्तों की पार्टी है और यहाँ के निक नेम इस से कहीं ज़्यादा फन्नी है, सो चिल.


अंकित ... अमित भाईईइ ! हा ! ये मेरा निक नेम नही.


खड़े बात ही कर रहे थे कि स्टेज से अनाउसमेंट शुरू हो गयी.....

"हेलो फ्रेंड्स, सारे दोस्त लोग इधर ध्यान दे. कविता का नया नज़राना अब हमारे अमित के नेतृत्व मे उनके कुछ साथी पेश करेंगे अगले कुछ हे देर मे. पार्टी का आगाज़ कुछ आज सायराना अंदाज़ मे हो जाए".

लोगों के चिल्लाने की आवाज़ ....... जल्दी शुरू किया जाए, वूऊ हूऊ, ओूऊऊ , ईईई, 


अमित ने सारी बातों पर विराम देते हुए कहा ... ह्म्‍म्म ! जाइए आख़िर वो घड़ी आ ही गयी. बेस्ट ऑफ लक (अपने लिए मत सोचना ये तो मेरे लिए था)


इतना कह कर बॅक डोर की ओर चला गया, जहाँ के गेट पर आदिल खड़ा था. आदिल ने दोनो को रिसीव किया और अमित को चलता कर दिया. अमित की धड़कने बढ़ गयी थी ये सोच सोच कर कि अब इस लड़की के साथ क्या होगा.



जितने भी उनके साथी खड़े थे सब से पूछ लिया कि क्रेजी बॉय और नेनू कहाँ है, पर किसी को पता नही था. आज दिन से दोनो नही दिखे. ये खबर सुन कर तो अमित के पसीने निकल आए. 


अमित भाग कर हॉल मे आया, और अपनी कोशिस जारी रखते हुए ज़ोर से चिल्लाया ..... "प्रोग्राम शुरू किया जाए". अमित की हूटिंग सुन कर दूसरे लड़के लड़कियाँ भी चिल्लाने लगे. इधर इतनी तेज आवाज़ सुनकर, और अपने इस वॉर्म वेलकम को देख अमित और सैली दोनो स्टेज एंट्री गेट के पास खड़े खुश हो रहे थे.


लाइट ऑफ पूरे हाल की, लोग चिल्लाने लगे, हल्की धीमी लाइट पूरे हॉल मे जली, एक स्पॉट लाइट स्टेज के एंट्री गेट पर. तालियों की गड़गड़ाहट और लोगों का चिल्लाना शुरू.


अब बारी थी सैली और अंकित के स्टेज पर आने की, जैसे ही पहला कदम चले सैली और अंकित की दोनो ज़ोर से चीन्खे. ऐसा लगा दोनो को जैसे कोई स्प्रे कर रहा हो, शायद स्टेज डेकोरेशन मे हो ऐसा सोचते दोनो आगे बढ़ गये.

दो डिस थी और अपने पेपर समेटे दोनो अपनी जगह पकड़ लिए. पर जब से आए थे दोनो स्टेज पर सब उनको देख कर हंस रहे थे. खूब ज़ोर ज़ोर से पागलों की तरह. 


अमित ने जब दोनो को देखा तो अपना सिर पीट लिया और तेज़ी से स्टेज की ओर बढ़ा .. पर स्टेज तक पहुँचना उसका मुमकिन ना हो सका क्योंकि लड़कों ने उसे पकड़ कर कोने मे चुप चाप बैठे रहने की हिदायत दिया.


अंधेरी स्टेज से फिर एक अनाउन्स्मेंट की गूँज हुई .... शांति मित्रों, अब आप इनकी कविता का लुफ्त उठाइए.


पहली बार इस हॉल मे पार्टी ऑर्गनाइज़र यानी कि नेनू की आवाज़ गूँजी, और इस आवाज़ को सुन ने के बाद हॉल मे शांति छा गयी.


अंकित और सैली ने थोड़ी राहत की सांस ली वरना दोनो नर्वस ही हो गये थे, कि अब वो अपनी कविता कैसे पढ़े. स्पॉटलाइट अब फोकस हुई सैली पर और शांति से इस हाल मे धीमे धीमे हँसने की आवाज़ सॉफ सुनी जा सकती थी....


सैली...... आप सब श्रोतागन का स्वागत है इस शाम मे. मैं श्रयलीन .....


इतना ही बोली थी कि, तेज़ सी आवाज़ मे एक कॉमेंट आई ... "और श्रयलीन ने अपना मुँह काला करवा लिया". 


ये आवाज़ गौरव की थी और ये कॉमेंट गौरव ने किया. गौरव के इस कॉमेंट के बाद तो जैसे हँसने की किलकरियाँ शुरू हो गयी हो उस हॉल मे.


हर कोई हंस रहा था. अचानक से हॉल के चारो ओर लगे पर्दों पर अंकित और सैली लाइव आने लगे. उनका हँसना वाकई दोनो के अपमान की हँसी ही थी. क्योंकि स्टेज एंट्री की जो छीक थी वो उनके चेहरे पर काला स्प्रे किया गया था, और लोग उसे देख-देख हंस रहे थे.


जब सैली ने अपना खुद का ऐसा चेहरा देखा तो रोती हुई स्टेज से भाग गयी, जाते जाते भी लोग कह रहे थे... मुँह काला करा कर भागी सैली. अमित बेचारा, उसकी तो इज़्ज़त ही चली गयी क्योंकि आख़िर इस पूरे कांड मे सबसे अहम रोल तो उसी का था.


अंकित और सैली के जाते ही लाइट ऑन हो गयी, ड्ज की बीट पर डॅन्स होना शुरू हो गया. शराब की बोतलें खुल गयी और पार्टी शुरू.


गौरव.... नेनू मेरे भाई दिल खुश हो गया आज ... यएह ले पी मेरे भाई. दिल को सुकून मिला है.


नेनू.... क्यों नही क्रेज़ी बॉय ... मिलाओ हाथ और उठाओ जाम ... 


सब झूम रहे थे नाच गा रहे थे. पार्टी करते करते 11 बज गये थे, धीरे धीरे सारे लोग जाने लगे. फिर भी पार्टी अपने सबाब पर थी और जिनकी बेज़्जती सैली ने की, वो सबसे ज़्यादा नाच गा रहे थे और लोगों को इनकोवरेज कर रहे थे.


तकरीबन 11.15 पीएम पर सैली के दोस्त और उनके इकट्ठा कयि लड़के पहुँचे पार्टी की जगह पर, अपने दोस्त की बेज़्जती का बदला लेने के लिए.
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