non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्रेम कहानी )
12-27-2018, 01:41 AM,
#10
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
आज गिफ्ट मे वाशु को लेट्स्ट मोबाइल मिला था. अनु, वाशु से पूछता हुआ......


"कैसा लगा सर्प्राइज़"


वाशु... वॉवव ! इट्स अवेसम 


अनु. ... वाशु ये गूगल नेक्सस है लेट्स्ट अनरॉइड, काफ़ी फीचर्स है इस फोन के और ईज़ी आक्सेस भी है.


वाशु..... क्या फ़ायदा, मुझे तो यूज़ करना भी नही आता.


अनु..... अर्रे मैं हूँ ना, कल रात तुम कह रही थी ना फ़ेसबुक अकाउन्त नही है, अब बिना आवाज़ के, और बिना कोई परेशानी के रात मे हम बात कर सकेंगे.


दोनो वहाँ से पहले बटॉनिकल गार्डेन गये वहाँ तकरीबन 2 घंटे तक अनु ने फोन यूज़ करना और अकाउंट बनाना सिखाया.


गार्डन से निकलने के बाद वाशु घर चली गयी. आज काफ़ी खुश थी वाशु. पूरी रात फोन मे लगी रही, सीखती समझती और एक्सपॅरिमेंट करती रही.

अनु से मिलते और सोशियल अप पर समय गुज़ारते वैसवी का दिन कैसे गुजर जाता पता ही नही चलता.


वैसवी अब पहले से ज़्यादा व्यस्त थी. कई फेक प्रोफाइल, अनु के साथ घूमना, राजशर्मास्टॉरीज पर कहानियाँ पढ़ना, अब वक़्त ही कहाँ था वासू के पास.


सॅटर्डे ईव्निंग जब वैसवी अपने सोशियल अप पर लगी थी .... तभी फ़ेसबुक मॅसेंजर किसी जीत सिंग की ..


जीत... हेलो ब्यूटिफुल 


रश्मि प्रधान (वासू की फेक प्रोफाइल) ... हू ईज़ दिस


जीत.... जस्ट आ फ्रेंड 


रश्मि.... लड़की की आइ'डी के 100 फ्रेंड्स ऐसे ही गिफ्ट मे मिलते हैं. कोई और देखो आंड गो टू हेल 


जीत.... ओह ! गॉड, मिस मुझे इतनी जल्दी क्यों हेल भेज रही हैं, वैसे करम कभी बुरे नही रहे !! हां आप को मेसेज करना इतना बुरा होगा पता नही था.


वासू ने कोई जबाव नही दिया और प्रोफाइल लोग आउट कर के निकल गयी और कहानी पढ़ने लगी.
तभी अनु का एक मेसेज आया वासू के मोबाइल पर....


"कल हम पिक्निक पर जाएँगे, सुबह 10 बजे से शाम के 6 बजे तक मॅनेज कर लेना घर पर"


वासू.....

"पागल हो क्या, सनडे 2घंटे ही बड़ी मुश्किल से मिलती है, पूरा दिन बाद प्लान"


अनु......

"जानू सब प्लान हो गया है, प्लीज़ मॅनेज कर लो. प्ल्ज़ प्ल्ज़ प्ल्ज़ प्ल्ज़"


वासू.....

"हद है ये पागलों की तरह ये ज़िद, इंतज़ार करो देखती हूँ आइडिया लगा कर"


अनु..... वेटिंग जानू, प्लीज़ हाँ ही कहना.


वाशु का दिल घूमने के नाम पर डोल गया, सोचना शुरू की, क्या करे, क्या करे, फाइनली दिमाग़ मे घंटी बजी और वाशु ने कॉल नीमा को लगा दी.....


नीमा..... कैसी है मेरी जान आज कैसे कैसे याद कर ली.


वासू... तेरी याद आई और कॉल लगा दिया. तू सुना कैसी है.


नीमा.... मैं तो अच्छी ही हूँ, पर तू झूठी बताएगी कॉल कैसे लगाई, और तेरे बाय्फ्रेंड के साथ कैसी चल रहा है.


वासू.... हहे, काफ़ी आगे पिछे करता है अनु मेरा. लव्ली बाय्फ्रेंड, अच्छा सुन ना आक्च्युयली मुझे ना अनु के साथ पिक्निक पर जाना है, और सुबह 10 से शाम 6 का प्लान है, घर से कैसे निकलूं.


नुहिता.... वॉवववव ! इत्ति देर क्या कुछ नॉटी इरादे हैं क्या, पूरा खा तो नही जाएगी उसे, देख निचोड़ मत लेना पहली बार मे ही.


वासू... हट पागल, कुछ भी कहती है, मेरा ऐसा कोई इरादा नही बस घूमना है. तू ना अपने दिमाग़ को ठिकाने रख हर समय एक ही बात करती है.


नीमा.... ओये, बोल तो ऐसे रही है जैसे इतनी देर साथ रहेगी तो भजन करेगी, सच बता मन तो तेरा भी कर रहा ही होगा, बिल्कुल नेक इरादे के साथ समय बिताने का.


वासू.... चुप कर नही तो खून कर दूँगी, मुझे तंग ना कर प्लीज़, आइडिया दे घर से निकलने का. और वैसे भी हम शायद ग्रूप मे होंगे.


नीमा..... वूऊ ! तो क्या ग्रूप मे एंजाय करेगी, अच्छा है बेबी पहले बार मे ही रॉकिंग.


वासू.... तुझ से ना बात ही करना बेकार है, अब कोई आइडिया देगी या फालतू की बकवास करेगी.


नीमा.... चिलाती क्यों है, एक काम कर तू जाने की तैयारी कर मैं सुबह फोन करूँगी और तेरे घर पर और बोल दूँगी आज तू पूरे दिन मेरे साथ रहेगी.


वासू.... ओ' नीमा, तूने तो मुश्किल आसान कर दी.


नीमा.... अच्छा सुन, एक चादर और एक एक्सट्रा पहन'ने के कपड़े रख लेना.


वासू.... पर ये सब क्यों, मैं समझी नही


नीमा..... वो तेरी सेफ्टी के लिए, कहीं रास्ते मे कुछ हुआ तो चादर पर आराम से मज़े करना और ड्रेस पर सिलवटें आ जाएँगी इसलिए दूसरे कपड़े, समझी.


वासू..... पागल कहीं की, रखती हूँ फोन चल बयी.


नीमा..... हां अब क्यों रुकेगी, तू प्लान कर अपने मज़े करने का, मैं भी चली घूमने.


कॉल कट हुआ फिर वासू ने मेसेज किया अनु को "ऑल डन, कल चलेंगे पिक्निक पर"


अनु रिप्लाइड.... वॉवववववव ! थॅंक यू, थॅंक यू, थॅंक यू, आइ आम सूओ हॅपी बेबी.


वासू.... अच्छा कितना हॅपी, ओये मिस्टर. इरादे तो नेक है ना


अनु, अंजान बनते हुए मेसेज रिप्लाइ किया ..... कैसे इरादे वासू


वासू.... अच्छा जी, तो आप को पता नही कैसे इरादे, ठीक है वो तो कल बताउन्गी यदि कोई गड़बड़ हुई तो.


अनु... जान ले लेना मिस, मैं भी आप का और ये जान भी, ग़लती की सज़ा सूली पर ही टाँग देना.


वासू.... कोई शक़ है क्या, सूली पर पक्का टाँग ही दूँगी. ओके बाइ कल मिलती हूँ कल. त्क


अनु.... ओके बाइ. लव यू 


कई तरह के सपने सज़ा वासू अपनी कहानी एंजाय करती सो गयी, इधर खुशी के मारे पता नही अनु कब तक जाग गया, और कब उसे नींद आई पता ही नही चला. सुबह सब प्लान के मुताबिक चलता रहा, वासू ने नीमा को कॉल लगा कर घर से निकलने को बोली, और नीमा ने भी वासू की मोम से बात कर के उसे घर से निकलने का पार्मिशन ले ली.


वासू पिंक जीन्स और ब्लॅक टी-शर्ट मे बिल्कुल हॉट बनकर अपने घर से निकली, गेट से बाहर निकलते ही अनु को कॉल लगा कर मीटिंग पॉइंट पहुँचने बोली, पर वासू को रिप्लाइ मिला अनु का, वो पहले से ही मीटिंग पॉइंट पर इंतज़ार कर रहा है. 


थोड़े ही समय मे दोनो साथ मे थे, वासू, अनु के साथ कार मे बैठी और चल दी अपने एक अंजाने सफ़र पर.

अनु, वासू की ओर चॉकलेट बढ़ाते हुए...... कुछ मीठा हो जाए बेबी


वासू... ओह्ह्ह ! नेकी और पुछ पुछ, वैसे किस खुशी मे मुँह मीठा कराया जा रहा है.


अनु..... खुशी, अर्रे मेरे पास पूरा खुशी का पिटारा है और तुम पुछ रही हो कि कौन सी खुशी.


वासू बड़ी अदा से अपने चेहरे पर एक हल्की मुस्कान लाती हुई .... अच्छा जी, पर गर्लफ्रेंड को चॉकलेट से मुँह मीठा करवा रहे हो, बड़ा ही ऑड है.


वासू की बात सुन कर अनु की आँखें बड़ी हो गयी, कार को तुरंत सड़क की साइड मे किया, और वासू की ओर लेफ्ट घूमते हुए ...


"वासू ये क्या था, तुम कहीं जान निकालने तो नही आई हो"


वासू.... आई हूँ तो, क्या कर लोगे, तुम भी मेरे और ये जान भी मिस्टर, और आज पूरे दिन तुम मेरी कस्टडी मे हो


अनु अपने खिले चेहरे के साथ अपनी बाहें वासू के गले मे डाल देता है, नाक से नाक को एक प्यारी सी छुअन देते हुए, "हम तो क़ैद होने ही आए हैं". इतना कह कर अपने होंठ वासू के होंठ से एक छोटी सी, प्यारी सी किस किया और सीधा हो कर गाड़ी की स्टेरिंग संभाल लिया.


वासू भी अनु मे खोती अपनी आँखें मूंद ली और और खुद को अनु से चिपक'कर उसके कंधे पर सिर रख खो सी गयी.


गाड़ी वाराणसी से मिर्जापुर की ओर हाइवे नंबर 57 पर दौड़ने लगी, और आधे घंटे बाद एक सब वे होती हुई एक छोटे से कस्बे मे रुकी.


गाड़ी के रुकते ही वासू अपनी खोई हुई मनोदासा से बाहर निकली और सामने देख कर पुच्छने लगी .... "अनु ये हम कहाँ आ गये"


अनु.... चलो साथ मे कुछ दिखाता हूँ.


अनु के साथ वासू उसके पिछे चली गयी, एक बड़े से मकान का गेट खोल कर अनु जैसे ही अंदर पहुँचा बहुत से बच्चों ने घेर लिया और जो जिस हाइट का था उस हाइट से लिपट गया, कोई अनु के पाँव से लिपटा था, तो कोई कमर से.


एक प्यारी सी बच्ची अपनी आवाज़ मे .... भैया, भैया आप इस बार लेट क्यों आए, यहाँ ना, यहाँ ना, हम सब ना बोर हो गये आप के बिना.


वासू बस आस पास क्या हो रहा है समझने की कोशिस मे जुटी थी, और सारे बच्चे अपनी अपनी कहे जा रहे थे, उनमे से एक ने पुच्छ दिया... भैया आप के साथ ये मेडम कौन आई हैं.


अनु मुस्कुराता हुआ वासू की ओर देखने लगा और उस बच्चे की बातों का जबाव देने को कहा...


अनु नीचे बैठी घुटनो के बल, उस बच्चे के सिर पर हाथ फेरा और कहने लगी ... भैया हैं तो भाभी भी होगी. तो मैं आप सब की होने वहली भाभी.


उस बच्चे ने दोनो बाहें फैलाई और गले लग गया, वाशु के गाल को चूमा और भागता हुआ धिंडोरा पीट'ते हुए, अंदर तक चिल्लाता गया .... अनु भैया भाभी के साथ आए हैं, अनु भैया भाभी के साथ आए हैं.


वासू ऐसा रियेक्शन देख कर हँसने लगी और अनु से सवाल करने लगी "ये सब क्या है, और ये बच्चे"


अनु.... ये अनाथालय है, मैं इनसे मिलने हर रविवार आता हूँ, मुझ से काफ़ी प्यार करते हैं और काफ़ी घुले मिले हैं. सोचा तुम्हे भी मिला दूं.


वासू ने अनु के गाल पर प्यार से एक किस की और गले लग गयी. वहाँ खड़े बच्चों मे एक बच्चे ने अपनी आँखें बड़ी करी, और वो भी भागता अंदर गया स्लोगन पढ़ते ..... "भाभी ने भैया के गाल पर पप्पी ले ली, भाभी ने भैया के गाल पर पप्पी ले ली"


इस बात को सुनते ही दोनो खिल-खिलाकर हँसने लगे. वहाँ से सारे बच्चों के साथ दोनो अंदर गये, अनु वहाँ के इंचार्ज से मिला और उसे 40000 रुपयेका एक चेक़ पकड़ा कर बातें करने लगा.


दोपहर तक अनु और वासू ने बच्चों के साथ समय बिताया, फिर दोनो वहाँ से निकले अपने सफ़र के दूसरे पड़ाव की ओर.


फिर से कंधा टिका कर वासू बैठ गयी अनु के साथ और यहाँ लाने के लिए धन्यवाद कहने लगी. अनु भी एक प्यारी सी स्माइल के साथ उसके बातों का स्वागत किया और सिर पर हाथ फिराता गाड़ी चलाने लगा.


कुछ दूर आगे चलने के बाद एक जंगल आया, खिली धूप थी पर जंगल के अंदर बिल्कुल शाम जैसा महॉल था. वासू, अनु का हाथ पकड़े जंगल की ओर बढ़ रही थी और थोड़ी डरी भी थी.


अनु... क्या हुआ बेबी तुम कुछ अनकंफर्टबल दिख रही हो


वासू.... अनु, हम जंगल मे क्यों आए हैं, बताओ ना


अनु.... कहावत नही सुनी हो, "जंगल मे मंगल" बस वही करने आया हूँ.


वासू गुस्से मे आँखें दिखाती अनु से कहने लगी ..... तुम्हारा मंगल कहीं शनी मे ना बदल जाए, या फिर बदल गया होता यदि बच्चों से ना मिलवाए होते. अभी मैं खुश हूँ इसलिए तुम्हारी इस गुस्ताख़ी को नज़र अंदाज करती हूँ, वर्नाआआ


अनु,ने वासू की बाहें थाम उसे रोक दिया, खुद एक कदम आगे होकर उसके ठीक सामने हुआ और खुदको घुटने के बल बिठा कर सिर नीचे करते हुए..... बंदा आप का गुलाम है, आप की जो मर्ज़ी आए कीजिए, हम उफ्फ तक नही करेंगे.


मुस्कान छा गयी वासू के चेहरे पर, दोनो हाथों को उसके गालों को थाम उपर उठाई, नज़रों को अनु की नज़रों से टकरा जाने दिया, और फिर प्यार के एक मधुर एहसास मे अनु के होंठों को चूम ली.


वासू... तो गुलाम जी, चलिए कहाँ ले जाना चाह रहे थे.


मुस्कुराता अनु भी आगे बढ़ा वासू को साथ लिए, तकरीबन आधा किमी आगे चलने के बाद, जंगलों के बीच तकरीबन एक किमी का हरी घास का मैदान था और जहाँ अभी वासू खड़ी थी उसके कुछ दूरी पर एक झील था.


नेचर का ऐसा दृश्य मन मोह लिया वासू का. उँचे पहाड़ से गिरता साफ पानी झर्र झर्र कर के, एक मधुर संगीत निकाल रहा था और पांच्छियों की चह-चाहट कानो मे मिशरी घोल रही थी.


वासू.... वॉववव !!!! अनु इट'स अमेज़िंग


अनु.... वासू, मैं तो पानी मे डुबकी लगाने जा रहा हूँ, चलो तुम भी साथ.


वासू थोड़ी मायूस होती .... मन तो मेरा भी यही है पर कपड़ों का क्या, भींग जाएँगे... और अपनी आवाज़ को थोड़ा सख़्त करते... कोई कहीं नही जाएगा, हम झील किनारे बैठ कर यहाँ का आनंद उठाएँगे


अनु.... ठीक है वासू तुम झील किनारे बैठ कर यहाँ का और मेरे पानी मे डुबकी लगाने का दोनो का आनंद उठाओ, मैं चला


इतना बोल कर अनु तेज़ी से अपना टी-शर्ट और बनियान एक साथ निकाला और वासू कुछ कहने या रिक्ट करे उस से पहले झील मे छलान्ग लगा दिया.


वासू ये देख कर थोड़ी गुस्सा हो गयी, और वासू का चेहरा देख कर अनु हँसने लगा. पर ये हँसी अनु की ज़्यादा देर कायम ना रह पाई.


तैरता झील के बीच मे पहुँचा था, कि तभी अनु की आँखें खुली की खुली रह गयी, और वहाँ कुछ ऐसा हुआ जो अनु की कल्पना मे नही था.......

वासू को अनु का जाना गुस्सा दिला रहा था, थोड़ी देर उसे देखी फिर दिमाग़ मे एक शरारती ख़याल लाती, वासू ने पहले चारो तरफ का मुयाएना किया, फिर ज़ोर से चिल्ला कर अनु का ध्यान अपनी ओर खींची.
Reply


Messages In This Thread
RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�... - by sexstories - 12-27-2018, 01:41 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,526,605 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 547,215 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,242,930 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 939,578 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,668,680 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,093,787 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,972,817 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,127,304 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,058,944 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 287,367 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)