RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
वैसवी की तो आँखें बड़ी हो गयी और दिल मे हज़ार तरंगे नाच गयी. डब्बे के अंदर वही ड्रेस थी जिसपर वैसवी का दिल आ गया था. ड्रेस निकाल कर सीने से लगाए वैसवी झूमती रही. कुछ देर खुशियाँ मनाने के बाद वैसवी का ध्यान उस चिट्ठि पर गया और उसे लेकर पढ़ने लगी.......
कुछ इस तरह से उन से मिली नज़र
कि दीवाने से हुए जा रहे हैं
नाम जिंदगी का होता है प्यार पता ना था
और आज उसी प्यार के हुए जा रहे हैं
नाचीज़ को वमिश कहते हैं, प्यार से लोग अनु पुकारते हैं, और गुस्से से जो आप पुकार लें सब कबूल है. माफ़ कीजिएगा बड़ी हिम्मत कर के तोहफा दिया है आप को, पता नही कैसा लगा हो, पर दिल मे कोई दूसरी भावना नही थी बस इतना था कि आप के चेहरे पर एक प्यारी सी मुस्कान आ जाए.
लोग मुझे बातूनी कहते हैं, इसलिए ज़्यादा नही लिखूंगा, यदि आप सच मे एक बार मुस्कुराइ हो तो, इसे पहन कर उसी जगह ज़रूर मिलिए जहाँ पर आप ने इस ड्रेस को देखा था. यदि ना पसंद आए तो भी आइए, इस तोहफे को मेरे मुँह पर मार कर चले जाइए, विस्वास मानिए उसके बाद ये बंदा आप को कभी परेशान नही करेगा.
आप के जबाव का इंतज़ार रहेगा. प्लीज़ दोनो ही सुर्तों मे आइए ज़रूर और आने से पहले क्षकशकशकशकशकशकश991 पर कॉल ज़रूर कर दे.
इसी के साथ इज़ाज़त चाहूँगा,
अनु
वैसवी खत को एक हाथ मे लिए चेयर पर बैठ गयी और अपने सिर को टिकाती हुई, बस अनु और उसके खत के बारे मे सोचने लगी.
कुछ देर सोचने के बाद वैसवी वो लाल ड्रेस पहन कर रेडी हुई और निकल गयी अनु से मिलने के लिए. ये पहला ऐसा मौका था जब वैसवी किसी लड़के से यूँ मिलने जा रही थी. खुद मे थोड़ी खिल-खिलाती वैसवी वो गिफ्टेड ड्रेस पहनी और चल दी अनु से मिलने.
वाकई काफ़ी खूबसूरत ड्रेस सेलेक्ट की थी, लाल रंग के कपड़ों मे वैसवी का गोरा रंग खिलकर बाहर आ रहा था, उसपर से हल्का हल्का मेक-अप ग़ज़ब ढा रहा था. वैसवी माँ को प्रॉजेक्ट-रिपोर्ट का बहाना करती निकली उसी जगह के लिए और निकलते ही फोन लगा दी अनु को...
अनु.... हेलो कौन,
वैसवी... मैं आ रही हूँ 10 मिनट मे आप के पते पर
इतना बोल वैसवी ने फोन कट कर दिया और निकल गयी शॉपिंग माल की तरफ. इधर अनु ने एक बार फोन को देखा, खुशी से झूम गया और जल्दी से वो भी तैयार हुआ वैसवी से मिलने के लिए. थोड़े ही देर मे अनु उसी दुकान के पास खड़ा था जहाँ वैसवी उस से टकराई थी.
वैसवी ने दूर से ही अनु को देख लिया और वो थोड़ी सी शरमाती अनु के पास पहुँची.
वैसवी... हीईीई
अनु........
खुदा कयामत बख़्शे आज इस धरा को
क्योंकि कयामत तो खुद सिरकत कर रही है
वैसवी.... आप क्या नॉर्मल बातें नही करते, जब देखो तब यूँ शायराना अंदाज़
अनु.... मोहतार्मा, क्या करूँ आप को देख जो दिल से आवाज़ आती है वो मैं बोल देता हूँ.
वैसवी..... (अभी तुम्हे मज़ा चखती हूँ).... ओये, मिस्टर. पहली बात तो ये कि मुझे आप की थर्ड क्लास शायरी मे कोई इंटरेस्ट नही और दूसरी बात ये कि मैं यहाँ ये कहने आई थी कि आइन्दा ऐसे गिफ्ट नही दिया कीजिए.
अनु..... (अच्छा ऐसा था तो ये ड्रेस क्यों पहन कर आई, जान बुझ कर नखरे, चल बेटा उठा ले मेडम के थोड़े नखरे वैसे भी सुंदर लड़कियों के नखरे तो झेलने ही पड़ते हैं) ...... सॉरी मिस, मुझे लगा आप को ये ड्रेस पसंद है इसलिए गिफ्ट कर दिया आइन्दा ध्यान रखूँगा और आप से पूछ कर गिफ्ट किया करूँगा.
वैसवी... ह्म्म्म ! साउंड बेटर
अनु.... सो, कॅन वी फ्रेंड्स नाउ
वैसवी.... हँसती हुई.... ये फ्रेंडशिप क्या होती है, वो भी केवल दो मुलाकात मे
अनु.... दो मुलाक़ातें तो जीवन भर साथ रहने का डिसीजन कर देती हैं, ये तो फिर भी एक छोटा सा दोस्ती का प्रस्ताव है
वैसवी... हयंन्न ! दो मुलाकात से जीवन भर का साथ, ज़रा खुल कर समझाएँगे इस बात का मतलब
अनु... वो ऐसा है मेडम, कि दो अजनबी शादी के लिए एक बार मिलते हैं फॅमिली के साथ और दूसरी बार अकेले मिल कर हाँ ना का फ़ैसला कर देते हैं, तो हुआ ना दो मुलाकात मे जीवन भर का साथ का फ़ैसला.
वैसवी.... आप तो बातों के राजा लगते हैं, चलो मैं भी सोच रही हूँ कि एक बार दोस्ती कर के देख ही लूँ, कुछ नही तो कम से कम ऐसे गिफ्ट्स ही मिला करेंगे. अमीर दोस्त होने के अपने ही फ़ायदे होते हैं.
अनु.... हा हा हा, हां जी बिल्कुल, तो दोस्त क्या खाना पसंद करोगे आप.
वैसवी.... ना ना, आज की मुलाकात समाप्त हुई, आज के पहले दिन के लिए इतना ही काफ़ी है बाकी फिर कभी.
अनु... फिर कभी कब वासू
वैसवी... अब हम दोस्त हैं, तो वो फिर कभी जल्द ही आएगा
वैसवी ने अनु को अपनी बात बोल वहाँ से बड़ी अदा से निकल गयी, वैसवी को जाते देख अनु खुद मे खुश होते बस इतना ही बोल पाया ... वॉवववव ! लगता है अपनी भी गाड़ी पटरी पर है, जल्दी ही दोस्त से हम कुछ और भी होंगे.
इधर वैसवी जाते हुए बस इतना ही सोच रही थी, मैने थोड़े ना कुछ किया, जब बकरा हलाल होने खुद आ रहा है तो मुझे क्या पड़ी है होने दो हलाल साले को.
दोनो अपनी पहली छोटी सी मुलाकात को अपने हिसाब से भुनाने मे लगे हुए थे. वैसवी घर पहुँच कर बस अनु के पैसे और रुतबे के बारे मे ही सोचती रही, और रह रह कर खुद मे हँसती कि, कितने अरमान उसके अब अनु पूरा करेगा, लेकिन वो भूल रही थी कि हर चीज़ की एक कीमत चुकानी पड़ती है.
रात को खाने के बाद वैसवी अपना रूटीन अनुसार राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम पर कहानियाँ पढ़ रही थी और खुद मे ही काफ़ी उत्तेजित हुए पड़ी थी तभी उसके मोबाइल पर रिंग बजी...
वैसवी ने कॉल देखा तो अनु का था, उसने मोबाइल को तुरंत वाइब्रेशन मोड पर डाल दिया और फिर से कहानी पढ़ने लग गयी. तकरीबन 12/13 बार कॉल आए होंगे वैसवी के पास अनु के, पर उसने एक बार भी रेस्पॉंड नही किया.
सुबह अपने रूटीन के हिसाब से वो राकेश के साथ कॉलेज निकल गयी और कॉलेज पहुँच कर क्लास ना अटेंड कर के सीधा अनु को कॉल लगा दी...
अनु.... हेलो मेडम
वैसवी.... तुम पागल तो नही हो गये रात को कोई इतना कॉल करता है क्या, मम्मी पापा सब पास मे ही थे, वो तो शुक्र है फोन वाइब्रेशन मे था नही तो तुम्हारी वजह से डाँट पड़ने वाली थी.
अनु... आइ म रियली सॉरी, मुझे नही पता था कि तुम्हरे इतने फॅमिली रिस्ट्रिक्षन है, तुम्हे देख कर लगा नही.
वैसवी.... व्हाट डू यू मीन बाइ तुम्हे देख कर, तुम क्या विदेश से आए हो जो तुम्हे इंडियन फैमिली कल्चर पता नही. बाहर हम कैसे भी रहे घर मे लड़कों का आना तो दूर की बात फोन के नाम से ही क्लास लग जाती है.
अनु.... ओह्ह्ह ! आइ एम रियली वेरी सॉरी. मुझे बिल्कुल भी पता नही था, अब प्लीज़ गुस्सा ना करो, आइन्दा ऐसा नही होगा.
वैसवी.... हमम्म ! पहली बार था इसलिए जाने देती हूँ .... वैसे मरे क्यों जा रहे थे बात करने के लिए कल.
अनु.... कुछ नही बस बात करनी थी तुमसे, सोचा फ्री होगी तो बात कर लूँगा, पर यहाँ तो बात ही कुछ और हो गयी.
वैसवी.... ओह्ह्ह्ह तो अनु जी को बात करनी थी, वैसे क्या बात करनी थी ज़रा हम भी तो सुने
अनु.... हुन्न्ं ! बात तो है ढेर सारी करनी थी, पर दिमाग़ मे जो अभी एक ख्याल आ रहा है वो ये, कि क्या वासू मेडम अभी थोड़ा समय निकाल सकती हैं मेरे लिए ताकि आमने सामने बैठ कर बातें कर सके.
वैसवी.... अच्छा ! ख्याल तो नेक है पर यदि मैं ना मिलना चाहूं तो
अनु.... तो मैं बहुत ही तेज़ी से कार तुम्हारे कॉलेज के अंदर लाउन्गा और सीधा प्रिन्सिपल के रूम मे जाकर उसके अनाउन्स्मेंट वाले माइक से अनाउन्स कर दूँगा .... क्या वैसवी मेरे साथ घूमने चलोगि ?????
वैसवी.... हहे, रूको इतना करने की ज़रूरत नही है, मैं कॉलेज के गेट पर आ रही हूँ, 5 मिनट के अंदर यदि तुम पहुँच गये तो मैं चलूंगी नही तो भूल जाओ.
अनु... जैसी आप की मर्ज़ी, मुझे आप की हर शर्त मंजूर है.
फोन कटा और वैसवी मुस्कुराती हुई कॉलेज के गेट पर पहुँच गयी, पर मुस्कुराता चेहरा तब आश्चर्य मे बदल गया जब उसने अनु को पहले से कॉलेज के गेट पर देखा......
वैसवी आश्चर्य भरी निगाहों से उसे देखती हुई....... अनु यन्हि थे
अनु....... हां, यन्हि से फोन किया. दिल कह रहा था कि मेरे पास ऐसी ही कोई शर्त रखी जाएगी, इसलिए संभावनाओ को सोचते और तुम्हे मिस ना करूँ, इसलिए पहले यहाँ आया फिर कॉल किया.
वैसवी..... अच्छा जी ऐसी बातें, फ्लर्ट कर रहे हो क्या ?
अनु ....... लो जी सच बात बोला तो वासू मॅम को फ्लर्टिंग लग रही है, क्या करूँ मैं, सच ही मेरे दोस्त कहते हैं.....
वैसवी.... क्या कहते हैं दोस्त, ज़रा मुझे भी बताना
अनु ... ... क्या करोगी जान कर, रहने दो चलो चलते हैं
वैसवी ...... नहीं पहले बताओ कि क्या कहते हैं तुम्हारे दोस्त
अनु..... अजीब ज़बरदस्ती है, सुनो मेरे दोस्त सच ही कहते हैं, लड़कियों को पेट भर झूठ बोलो वो खुश रहेंगी, और सच बोलोगे तो फन्सोगे.
वैसवी....... फालतू की बातें और फालतू के दोस्त है तुम्हारे , सब बदल डालो.
अनु... . वही तो कर रहा हूँ, एक नये दोस्त से नाता जोड़ रहा हूँ, इस दोस्त का साथ रहा तो सारे फालतू के दोस्तों को भूल जाउन्गा.
वैसवी ..... बातें और गोल गोल बातें, कोई मौका चूकते नही. चलें अब या यन्हि रुक कर बातें करने का इरादा है.
दोनो फिर वहाँ से घूमने निकले. वैसवी का जैसे हर सपना सच हो रहा हो. महज चन्द मुलाकात ही हुई थी पर अनु उसके ख्वाब की तरह आया था, जो उसके सपने पूरे कर रहा था.
दोनो की मुलाक़ातें बढ़ती जा रही थी और साथ ही साथ प्यार भरी बातें भी. वैसवी को जब भी मौका मिलता, फुर्र हो जाती अनु के साथ. शायड वैसवी को थोड़ी हिचक राकेश और अनु की पहली मुलाकात से थी, इसलिए आज तक उसने राकेश को पता नही चलने दिया अनु और अपने बारे मे.
वैसवी के लिए सपनो के दिन जीना फिर शुरू हो चुका था. मंहगी गाड़ी मे घूमना, औकात से बड़े गिफ्ट खरीदना, सब काम वैसवी के मॅन के मुताबिक हो रहा था.
आख़िर वो दिन भी आया जब अनु ने वैसवी को गर्लफ्रेंड के लिए प्रपोज कर दिया. रविवार का दिन था जब शाम को वैसवी घूमने के बहाने निकली. दोनो एक माल मे ही घूम रहे थे, घूमते घूमते दोनो बैठे थे एक बेंच पर, जहाँ कई वराइटी की चीज़ों को वैसवी ललचाई नज़रों से देख रही थी, तभी अनु बिल्कुल उसके सामने खड़े होते हुए अपनी जेब से एक छोटा सी रिंग निकाली और वैसवी का हाथ अपने हाथो मे थाम'ता हुआ उसे कहने लगा......
"वासू, अब मैं खुद को रोक नही पाउन्गा, सच तो ये है कि मैं तुम्हे पहली मुलाकात से चाहता हूँ, यदि तुम्हे भी मैं पसंद हूँ तो ये रिंग पहन कर रुकी रहना नही तो चुप-चाप चली जाना, क्योंकि मैं तुम्हे जाते नही देख सकता"
इतना बोल अनु पिछे मूड गया और इंतज़ार करने लगा वैसवी के जबाव का. आँखें मुन्दे बढ़ी धड़कनो के साथ, अभी 1 मिनट से भी कम समय हुआ होगा कि वैसवी की आवाज़ आई......
"वैसे ये रिंग तुमने किस उंगली की नाप से लिया था, ये फिट नही हो रही"
अनु.... अर्रे उसे दाएँ हाथ की छोटी उंगली के बगल वाली मे ट्राइ करो
फिर अनु को कुछ ध्यान आया और वो वापस मूड कर वैसवी के पास पहुँचा, कुछ क्षण दोनो की नज़रें मिली, वैसवी धीमे मुस्कुरा रही थी. अनु गले लगाते खुशी से "वूहू" करने लगा.
अनु गले लगे ही...... वाशु सीधे नही हाँ बोल सकती थी, इतना नाटक क्यों ?
वैसवी...... ईश्ह्ह ! मैं तो वही कह रही थी जैसा तुम ने कहा था, "यदि हाँ हो तो रिंग पहन लेना". अब वही तो पहन रही थी..
अनु, वैसवी की बात सुन मुस्कुराते हुए और टाइट्ली उसे गले लग गया. दोनो के अफीशियली इस इज़हार के बाद एक दूसरे से गले लगे रहे, फिर वैसवी इस मुलाकात को विराम देती अपने घर चली गयी. रात के करीब 11:30 पर अनु का कॉल वैसवी के पास आया.
वैसवी अपनी कहानी मे लगी थी, फिर उसने कुछ सोचते हुए फोन कट कर तुरंत मेसेज टाइप किया....
"प्लीज़ रात मे कॉल मत करो, कोई जाग गया तो मुझे लेने के देने पड़ जाएँगे. कल मिलती हूँ ना बाबा"
अनु का रिप्लाइड मेसेज ...... फ़ेसबुक पर ऑनलाइन हो क्या ?
वैसवी.... नही मुझे नही पता कैसे यूज़ करते हैं, और प्लीज़ अब डिस्ट्रब मत करो मेसेज कर के, नही तो सज़ा के तौर पर कल तुमसे नही मिलूंगी.
फिर कोई रिप्लाइड मेसेज नही आया. सुबह वासू रोज की तरह राकेश के साथ निकली कॉलेज और कॉलेज पहुँच कर अनु को कॉल करने लगी, पर अनु ने कॉल का कोई रेस्पॉंड नही किया. तीन बार और वासू ने कॉल किया पर अनु ने कोई रेस्पॉंड नही किया.
बेमॅन आज चली क्लास, 2 क्लास अटेंड करने के बाद अनु का कॉल आया पर इस बार वाशु ने कॉल अटेंड नही किया. अनु समझ गया कि मेडम का गुस्सा सातवे आसमान पर है , इसलिए चुप चाप गेट पर इंतज़ार करता रहा.
वाशु भी इस बात को जानती थी इसलिए वो भी जान कर अगले 1 घंटे तक गेट पर नही गयी, बहुत देर हुए जब ना तो वाशु आई और ना ही उसका फोन तो अनु ने फिर एक बार कॉल लगाया...
"आ रही हूँ" एक चिढ़ा सा जबाव देती वाशु ने कॉल कट कर गेट तक पहुँची. पहले से इंतज़ार कर रहे अनु ने वाशु को देखते ही अपने दोनो कान पकड़ लिए पर वाशु बिना कुछ बोले सीधी कार मे जाकर बैठ गयी. अनु ने भी कार स्टार्ट कर दिया और वाशु को मनाते हुए..
"बेबी आइ एम सॉरी ना, कुछ कर रहा था इसलिए मैं कॉल पिक नही कर सका, प्लीज़ अब गुस्सा तो ना करो"
वाशु.... दिस ईज़ रेडिक्युलस अनु, एक मेसेज भी तो कर सकते थे मुझे कोई बात नही करनी. हुहह !
अनु.... पर बेबी एक सर्प्राइज़ था, इसलिए मेसेज भी नही कर सकता था.
इतना बोल कर अनु ने एक प्यारा सा छोटा सा गिफ्ट पॅक निकाला कर वाशु की जांघों पर रख दिया. कुछ देर पहले जो गुस्से मे थी वाशु , वो गिफ्ट पॅक खोलने के बाद चलती कार मे ही वाशु, अनु के गले लग गयी और उसके गालों को चूम ली.
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