RE: non veg story अंजानी राहें ( एक गहरी प्र�...
आज पहला दिन ही ऐक्शन का सीन देख कर वैसवी खुश हो गयी. उसे विस्वास हो चला कि आने वाले दिन कॉलेज के काफ़ी रोमांचक होगे. पर उसके लिए और भी रोमांचक था उस लड़की नीमा का रूतवा.
उसने कपड़े ऐसे सेक्सी अंदाज मे पहने थे कि लोग मूड मूड कर देख रहे थे. हाइ हिल्स, शॉर्ट स्कर्ट और उपर वी शेप की टी-शर्ट जिसमे उसके क्लीवेज़ की स्टार्टिंग लाइन दिख रही थी और हाई-हिल्स पर उसके कमर मटका कर चलना. इतना काफ़ी था किसी के भी होश उड़ाने के लिए.
नीमा जैसे ही क्लास के गेट पर पहुँची वैसवी उसका रास्ता रोकती हुई.....
"हाई आइ म वैसवी" ......
नीमा .... तो मैं क्या करूँ...
वैसवी..... आप समझी नही हम दोनो एक ही क्लास मे है. मैं भी हिस्टरी फर्स्ट एअर स्टूडेंट हूँ. इतना बोल वैसवी ने अपना हाथ उसके आगे बढ़ा दिया.
नीमा उस से हाथ मिलाती हुई....... आइ म नीमा डॉटर ऑफ आमोद पांडे. डू यू नो माइ डॅड ?
वैसवी.... अरे कैसी बातें कर रही है आप. आप के पापा को कौन नही जानता
नीमा..... लिसन मैं यहाँ कचरे मे नही पढ़ने आई पर पापा की ज़िद की वजह से मुझे वाराणसी मे रुकना पड़ा. अब हटो मेरे पास से मुझे यहाँ दोस्त बनाने मे कोई इंटरेस्ट नही.
नीमा बिना कोई उसे रेस्पॉंड दिए निकल गयी और जाकर एक चेयर पर बैठ गयी. वैसवी भी नीमा के पीछे वाली चेयर पर बैठ गयी और नीमा के मॉडर्न स्टाइल को जड्ज करने लगी. वैसवी को नीमा के बोल्ड करेक्टर ने काफ़ी इंप्रेस किया और वो अब किसी भी तरह से उसे दोस्ती करना चाहती थी और उसके जैसी बन ना चाहती थी.
फर्स्ट डे क्लास इंट्रो मे चला गया. फाइनल पीरियड से पहले वैसवी ने राकेश को कॉल कर दी राकेश का भी पीरियड उसी टाइम ख़तम होना था जिस टाइम वैसवी का. इसलिए राकेश ने उसे 15/20 मिनट इंतज़ार करने को बोला.
क्लास ओवर होने के बाद वैसवी गर्ल्स कॉमन रूम मे चली गयी और राकेश का इंतज़ार करने लगी. कुछ ही पल बीते होंगे कि नीमा भी कॉमन रूम मे पहुँची और वैसवी के पास जाते हुए...... "सुनो तुम इसी सहर की हो ना"
वैसवी....... हां इसी सहर की हूँ बचपन से. क्या आप यहाँ नही रहती.
नीमा.... नही स्टुपिड यदि मैं वाराणसी मे रहती तो क्या ऐसा पूछती. मैं यहाँ किसी को नही जानती. क्या तुम मेरे साथ मार्केट चलो गी. मुझे कुछ शॉपिंग करनी है.
वैसवी भी कुछ ऐसा ही चाहती थी इसलिए वो ख़ुसी-ख़ुसी राज़ी हो गयी चलने के लिए बिना इसका ख्याल किए कि उसने राकेश को पिक-अप करने यहाँ अपने कॉलेज बुलाया है.
वैसवी, नीमा के साथ मार्केट के लिए निकल गयी. कार की पिच्छली सीट पर बैठ कर वैसवी केवल कार और नीमा की ओर ही देखे जा रही थी. उन आँखों ने आज सपनो पिरोने शुरू कर दिए थे, जो रंग नीमा का था उसी रंग मे अब वैसवी भी रंगना चाहती थी. पर ये तो बस चाहत ही थी.
दोनो मार्केट पहुँचे समान लेने. एक-एक कर के नीमा ने अपनी लिस्ट बताई, और वैसवी उसी के अनुसार आगे प्लान करने लगी. अभी दोनो एक दुकान मे गयी ही थी, कि राकेश का फोन वैसवी के पास आया.... लेकिन वैसवी उसे इग्नोर करती हुई नीमा के साथ मार्केटिंग करने लगी.
केयी बार कॉल आए वैसवी के पास, लेकिन वैसवी ने लगातार उसे इग्नोर किया. शाम 5पीएम बजे तक पूरा मार्केटिंग करने के बाद नीमा वैसवी को उसके घर के नज़दीक ड्रॉप करती हुई, अपने घर चली गयी.
रात भर बस वैसवी को नीमा का स्टाइल और उसका रुतबा ही दिखता रहा, अगली सुबह फिर वैसवी उसी रंग मे निकली, बिल्कुल बोल्ड आंड ब्यूटिफुल.
राकेश के घर के पास से जब गुज़री तो राकेश जैसे उसी के आने का इंतज़ार कर रहा हो...
राकेश.... हद है यार, मुझे बुला कर फोन तक पिक नही किया.
यूँ तो राकेश कल की बातों से बहुत चिड़ा था, लेकिन वो वैसवी को नाराज़ नही करना चाहता था इसलिए अपनी चिढ़ को काबू मे रखते हुए बड़े ही शांत लहजे मे पुछ दिया.
वैसवी... मुझे कल काम था इसलिए अचानक निकलना पड़ा, और ये तुम बार बार फोन कर के परेशान क्यों कर रहे थे.
राकेश... वैसवी, मैं परेशान कर रहा था या तुम मुझे बुला कर खुद कहीं गायब हो गयी. एक बार इनफॉर्म भी नही कर सकी कि तुम कहीं जा रही हो. एक घंटे तक पागलों की तरह कॉलेज के गेट के बाहर खड़ा रहा, और लगातार फोन लगाता रहा.
वैसवी... अच्छा चल सॉरी, इतना गुस्सा क्यों होता है.
राकेश के जले दिल पर जैसे ये सॉरी किसी मलम की तरह काम कर गयी हो, उसका सारा गीला शिकवा पल मे दूर हो गया और वो वैसवी को कॉलेज तक छोड़ने की बात पुच्छने लगा. वैसवी को भी एक मुर्गा चाहिए था तो भला उसे क्यों इनकार हो.
दोनो साथ फिर से निकले कॉलेज, राकेश, वैसवी को ड्रॉप करता हुआ अपने कॉलेज वापस चला गया. वैसवी आज किसी तरह बचते बचाते क्लास पहुँची, हालाँकि सीनियर्स रगिन्ग गॅंग कहीं भी दिख नही रही थी पर वैसवी कोई रिस्क नही उठाना चाहती थी.
कुछ देर बाद नीमा भी क्लास मे पहुँची और आज वो सीधे वैसवी के पास आकर बैठ गयी. देखने वाला हर लड़का या लड़की ने जब नीमा के परिधान को देखा तो खुद को उससे घूर्ने से नही रोक पाए.
फैशन के नाम पर जो खुद को संवारा था नीमा ने वो काफ़ी वल्गर था, मात्र अंग प्रदर्शन था और कुछ नही. पूरे दिन क्लास मे वैसवी बस नीमा के फैशन को देख कर आकर्षित होती रही और मन ही मन अपना आदर्श मान चुकी नीमा को, अब वैसवी बी बिल्कुल उसी के रंग मे रंगना चाहती थी.
क्लास की दो सबसे हॉट गर्ल हमेशा एक साथ, देखने वाले लड़के दिल मे कयि तमन्ना लिए बस दोनो को देखते थे. दोनो लेकिन किसी भी कॉलेज के लड़को को घास तक नही डालती थी. कइयों ने कई बार कोशिस भी की दोनो मे से किसी से दोस्ती हो जाए, लेकिन दो से ये तीन नही हुए कभी.
दोनो लड़कियों की चर्चा पूरे कॉलेज मे थी. ऐसा नही था कि उस कॉलेज मे बोल्ड & ब्यूटिफुल लड़कियों की कमी थी. पर ये दोनो सबसे अलग इसलिए थे क्योंकि ये दोनो एक राज की तरह थी, किसी से कोई लेना देना नही, यही एक कारण था कि दोनो के बारे मे हर कोई जान ना चाहता था.
हर जगह दोनो अब साथ मे ही होती थी. वैसवी का नीमा की हर बात मे समर्थन करना उनके रिश्तों मे काफ़ी जुड़ाव लाया और कॉलेज के बाद भी दोनो हर जगह साथ ही दिखती थी.
इधर राकेश के लिए भी रोज जैसे वैसवी को कॉलेज छोड़ना रूटीन सा हो गया था. अंदर ही अंदर राकेश के भी कयि अरमान थे वैसवी को लेकर, पर शायद उसके हाव भाव को देख कर खुद के कदम पिछे कर लेता था.
कॉलेज के 6 महीने बीतने को हो चले थे, इस बीच वैसवी ने खुद मे काफ़ी बदलाव कर लिया था, लेकिन कहीं ना कहीं नीमा अब एक पीरियाडिक लाइफ से उब चुकी थी. हर दिन एक प्रिडिक्टबल जैसा रूटीन काम.... दोनो एक दिन मार्केट से कुछ शॉपिंग कर रही थी..
नीमा... वासू, यार उब गयी यहाँ से
वैसवी.... समझी नही मैं, तुम कहना क्या चाहती हो नीमा
नीमा..... वासू, तुझ मे तो अकल की ही कमी है, तू काहे समझने लगी. यार लाइफ बिल्कुल बोरिंग हो गयी है, सुबह से क्लास, फिर ईव्निंग मे घूमना तेरे साथ आंड दा ओवर.
वैसवी.... ह्म्म्मह, कह तो सही रही हो पर किया भी क्या जाए.
नीमा.... ओके कल रेडी रहना एक नये ट्विस्ट के लिए.
वैसवी.... लेकिन क्या वो तो बता दे, रात भर मुझे अब नींद नही आएगी.
नीमा.... सर्प्राइज़ डार्लिंग, थोड़ा तो इंतज़ार कर ले.
इतनी बात के बाद नीमा ने कुछ नही बताया, लाख पुच्छने पर भी वो बस कल का इंतज़ार करने के लिए बोलने लगी. नीमा के पास आने वाले कल के लिए कुछ नया सा प्लान था जो वैसवी को रोमांचित कर रहा था. घर पहुँचने के बाद भी वैसवी बस उसी के बारे मे सोचती रही .... और खुद से ही बातें करती हुई जागने लगी ...
"चल देखती हूँ कल कौन सा नया रंग तू मुझे दिखाती है ... रियली एग्ज़ाइटेड आंड वेटिंग"
अगली सुबह वैसवी काफ़ी उत्साह से उठी और, आज के आने वाले सर्प्राइज़ को सोचती वो तैयार होने चली गयी. तकरीबन तैयार हो ही गयी थी कि नीमा का कॉल आया...
नीमा.... कितनी देर से निकल रही है
वैसवी.... बस 10 मिनट मे
नीमा.... सुन बॅग मे अलग से कुछ पार्टी वेअर रख लेना
वैसवी.... और वो क्यों भला
नीमा.... उनह ! जितना बोली उतना कर
वैसवी.... पर तू करना क्या चाहती है
नीमा.... अभी 8.15एएम हुए हैं, मैं 8.30एएम पर तुझे वहीं से पिक करूँगी जहाँ छोड़ती हूँ. बी ऑन टाइम बेबी...
इतना बोल नीमा ने कॉल कट कर दी. कुछ देर नीमा की बातों पर वैसवी गौर की, उसे कुछ समझ मे नही आ रहा था कि नीमा करने क्या जा रही थी. अंदर से उसे अब थोड़ा डर भी लग रहा था, पर सारी सोच पर विराम लगाती वैसवी ने आख़िर वही किया जैसा नीमा ने उससे कहा.
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