RE: Desi Sex Kahani हीरोइन बनने की कीमत
फिर दो दिन बाद मैंने ललिता को अपने और वेंकि के gay रिश्ते के बारे में बताया तो वो पहले तो दुखी हुई फिर सामान्य हो गयी।
अब वेंकि हमारे साथ बेडरूम में सोता था और पापा के २ और माँ के ३ छेद का मज़ा लेता था। वो हर रात हम मज़े करते थे , एक दिन वेंकि बोला, माँ स्कूल में कई लड़कियाँ मेरे को लाइन मारती हैं।पर मैं किसी को नहीं देखता हूँ , पर कई बार सोचता हूँ , की अपनी उम्र की कड़कियों से कैसा मज़ा आएगा । मैं सोच में पड़ गया की कहीं ये बाहरी लड़कियोंके चक्कर में पड़ गया तो बहुत गड़ बड़ हो जाएगी । तभी रहमान और बेबी तुम आए और मैंने सोचा की इस बहाने बेबी को वेंकि से मिलवा दूँ और रहमान ललिता से मज़े ले ले । यही सोच कर मैंने तुम दोनों को यहाँ बुलाया ।
अब तक मैंने देखा की रहमान अंकल ने अपना लंड बाहर निकाल लिया था और उसको सहला रहे थे . वहीं ललिता ने भी अपनी सलवार खोल रखी थी और उसमें हाथ डाल कर अपनी चूत सहला रही थी। मेरी चूत भी पूरी गीली थी और मैं पैंटी के ऊपर से उसे सहला रही थी। तभी कमरे का दरवाज़ा खुला और वेंकि अंदर आया और वो हम सबको इस तरह नंगे अपने में मस्त देख कर हैरान रह गया । नायडू ने कहा , बेटा हैरान मत हो , मैंने अभी इन सबको हमारी सेक्स सम्बन्धों के बारे में बताया तो ये सब बहुत उत्तेजित हो गए हैं। और एक बात ये जो बेबी है आज तुमसे मज़े लेगी और तेरी माँ रहमान के इस मस्त लंड से , उसने रहमान ke बड़े लंड की तरफ़ इशारा किया। ललिता अपनी होंठों परजीभ देर रही थी । फिर वेंकि ने मुझे देखा और उसकी आँखों में वासना चमक उठी । तभी नायडू बोला, चलो अब सब लोग बेडरूम में चलो और वहाँ एक राउंड का मज़ा ले लो। हम सब उठ कर बेडरूम की तरफ़ चल पड़े। वहाँ नायडू ने सबसे कपड़े उतारने को बोला , जब सब नंगे हो गए तो मैंने नायडू का लटकता हुआ लंड देखा । रहमान अंकल और वेंकि का लंड मस्त टाइट था। ललिता भी भरी हुई एक्स सेक्सी औरत थी, और अंकल ने उसे अपनी बाहों में खींच लिया और उसके होंठों पर अपने होंठ चिपका दिए।तभी वेंकि में मुझसे चिपट कर मेरे होंठ चूसे और मेरी छातियाँ दबाने लगा। नायडू ललिता की गाँड़ दबाते हुए बोले , चलो अब लेट जाओ, ललिता और मैं बिस्तर पर लेट गए , और अंकल ललिता पर और वेंकि मुझ पर चढ़ गया। फिर वेंकि ने मेरी चूचियाँ दबायीं और उनको मुँह में लेकर चूसने लगा , मेरी आह निकल गयी, वो बग़ल में लेती अपनी माँ से बोला, माँ देखो बेबी की चूचियाँ कितनी गोल और सख़्त हैं , इस पर अंकल बोले, बेटा तुम्हारी माँ की भी मस्त बड़ी और सॉफ़्ट हैं और देखो निपल्ज़ कितने लम्बे हैं और ऐसा बोलते हुए अंकल उनको चूसने लगे । तभी नायडू ने मेरी चूत में २ उँगलयान डाल दी , मैं सी सी कर उठी, तभी ललिता भी सी सी करने लगी , मैंने देखा नायडू ने २ उँगलियाँ उसकी चूत में भी डाल दी है। फिर वेंकि उठा और ६९ की position में आ गया । वो मेरी चूत चाट रहा था और मैं उसका लंड और आंद चूस रही थी। नायडू ने मेरी चूचियाँ दबानी शुरू की। मैंने मस्ती में बग़ल में देखा तो अंकल ललिता के मुँह में लंड डालकर उसकेवेंकि ने सर मेरी चूत से ऊपर उठाया और जब अपनी माँ को चुदते देखा तो मुझे लिटा कर मेरी टाँगे फैलाकर अपना लंड मेरे अंदर डाल दिया , और मीने मस्ती से चोदने लगा। अब जैसे पलंग में डबल चुदायी के कारण भूचाल आ गया । नायडू भी ललिता की लटकी हुई चूचियाँ दबा रहा था। और कमरे में फ़च फ़च की आवाज़ होने लगी क्यूँकि अब तक हम दोनों के चूत पनिया चुकी थीं। नायडू ने रहमान अंकल के कान में कुछ कहा जिसपर अंकल मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिलाए। थोड़ी देर में वेंकि और मैं झड़ गए । फिर ललिता चिल्लायी और झड़ने लगी। उसके झड़ने के बाद अंकल ने अपना खड़ा और पूरा गीला लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया और ललिता को हटा कर जगह बनायी , तब नायडू आकर अपनी बीवी की जगह doggie position में आ गया और अंकल ने पास रखी क्रीम अपने लंड में माली और कुछ उसकी गाँड़ में २ ऊँगली से डाल दी, फिर उन्होंने अपना लंड सेट किया और बोले, वेंकि डाल दूँ? वो बोला, जी अंकल डाल दीजिए , आख़िर पापा को भी तो कुछ मज़ा आना चाहिए , मैं और ललिता भी हंस पड़े । तब अंकल ने धीरे से अपना मोटा लंड पेलना शुरू किया, नायडू की दर्द से आँखें बाहर आने लगी , पर ५ मिनट में ही वो मस्त हो गए और ललिता की ही तरह कमर पीछे करके अंकल के मस्त लंड का मज़ा लेने लगे । फिर १० मिनट के बाद अंकल ने अपना रस उसकी गाँड़ में डाल दिया।और नायडू भी बिस्तर पर गिर गया और अंकल भी उसके ऊपर गिर गए। फिर वो दोनों अलग होकर लेट गए।हम सब झड़कर लेटे हुए थे, वेंकि ने अपनी माँ की चुचि दबाते हुए उसको चूसने लगा , रहमान अंकल भी ललिता के बड़े बड़े चूतरों पर हाथ फेर रहे थे। फिर उन्होंने उनकी गाँड़ के छेद में ऊँगली डाल दी, वो एकदम से आह भर उठी, तो अंकल ने उनके मस्त चूतरों पर एक ज़ोर का हाथ मारा और बोले, चलो बाथरूम चलो फिर खाना खाएँगे।हम सब एक साथ बड़े से बाथरूम में घुस गए , क्या सीन था, कोई पेशाब कर रहा था और कोई अपने शरीर को धो रहा था, वेंकि अपनी माँ की चूत धो रहा था , नायडू अंकल का लंड धो रहा था। और मैं सबको देखकर ख़ुश हो रही थी। फिर वेंकि मेरी चूत भी साफ़ किया तो उसकी माँ ने उसका लंड साफ़ किया । फिर हम सब नंगे ही टेबल पर खाना खाए । ललिता को मैंने खाना लगाने में मदद कर दी क्यूँकि सब नौकरों ki छुट्टी कर दी थी उसने पहले ही। मुँह को चोद रहे थे , और फिर उन्होंने ललिता को घोड़ी बनाकर पिच्छे से उनकी चूत में लंड पेल दिया, वो आह कर उठी, और मस्ती में अपनी गाँड़ पीछे करके चुदवाने लगी । ठप ठप की आवाज़ से कमरा गूँज उठा। ये आवाज़ सुनकर वेंकि ने सर मेरी चूत से ऊपर उठाया और जब अपनी माँ को चुदते देखा तो मुझे लिटा कर मेरी टाँगे फैलाकर अपना लंड मेरे अंदर डाल दिया , और मीने मस्ती से चोदने लगा। अब जैसे पलंग में डबल चुदायी के कारण भूचाल आ गया । नायडू भी ललिता की लटकी हुई चूचियाँ दबा रहा था। और कमरे में फ़च फ़च की आवाज़ होने लगी क्यूँकि अब तक हम दोनों के चूत पनिया चुकी थीं। नायडू ने रहमान अंकल के कान में कुछ कहा जिसपर अंकल मुस्कुराते हुए हाँ में सर हिलाए। थोड़ी देर में वेंकि और मैं झड़ गए । फिर ललिता चिल्लायी और झड़ने लगी। उसके झड़ने के बाद अंकल ने अपना खड़ा और पूरा गीला लंड उसकी चूत से बाहर निकाल लिया और ललिता को हटा कर जगह बनायी , तब नायडू आकर अपनी बीवी की जगह doggie position में आ गया और अंकल ने पास रखी क्रीम अपने लंड में माली और कुछ उसकी गाँड़ में २ ऊँगली से डाल दी, फिर उन्होंने अपना लंड सेट किया और बोले, वेंकि डाल दूँ? वो बोला, जी अंकल डाल दीजिए , आख़िर पापा को भी तो कुछ मज़ा आना चाहिए , मैं और ललिता भी हंस पड़े । तब अंकल ने धीरे से अपना मोटा लंड पेलना शुरू किया, नायडू की दर्द से आँखें बाहर आने लगी , पर ५ मिनट में ही वो मस्त हो गए और ललिता की ही तरह कमर पीछे करके अंकल के मस्त लंड का मज़ा लेने लगे । फिर १० मिनट के बाद अंकल ने अपना रस उसकी गाँड़ में डाल दिया।और नायडू भी बिस्तर पर गिर गया और अंकल भी उसके ऊपर गिर गए। फिर वो दोनों अलग होकर लेट गए।हम सब झड़कर लेटे हुए थे, वेंकि ने अपनी माँ की चुचि दबाते हुए उसको चूसने लगा , रहमान अंकल भी ललिता के बड़े बड़े चूतरों पर हाथ फेर रहे थे। फिर उन्होंने उनकी गाँड़ के छेद में ऊँगली डाल दी, वो एकदम से आह भर उठी, तो अंकल ने उनके मस्त चूतरों पर एक ज़ोर का हाथ मारा और बोले, चलो बाथरूम चलो फिर खाना खाएँगे।हम सब एक साथ बड़े से बाथरूम में घुस गए , क्या सीन था, कोई पेशाब कर रहा था और कोई अपने शरीर को धो रहा था, वेंकि अपनी माँ की चूत धो रहा था , नायडू अंकल का लंड धो रहा था। और मैं सबको देखकर ख़ुश हो रही थी। फिर वेंकि मेरी चूत भी साफ़ किया तो उसकी माँ ने उसका लंड साफ़ किया । फिर हम सब नंगे ही खाना खाने लगे और मैंने खाना खिलाने में ललिता की मदद की क्यूँकि नौकरों की छुट्टी कर दी थी उन्होंने।
खाना खाने के बाद नायडू ने अंकल से कहा , रहमान भाई तुम भी अपना कुछ सेक्सी अनुभव बताओ ताकि सबका चुदायी का मूड बन जाए । रहमान बोले, चलो में भी अपना पहला सेक्स अनुभव सुनाता हूँ। आगे की कहानी रहमान अंकल की ज़बानी---
रहमान बोले-- मैं एक गाँव में एक मामूली से परिवार में पाला और बड़ा हुआ। मेरे पिता रेल्वे मैं T C थे और अकसर टूर पर रहते थे। मैं और मेरी बड़ी बहन शक़िला जो मुझसे २ साल बड़ी थी माँ के साथ घर पर रहते थे। हमारे पड़ोस में अब्बा के दोस्त सलाम रहते थे अपने परिवार के साथ उनकी बीवी और २ बच्चे थे, बड़ा लड़का और ३ साल छोटी लड़की भी थी। दोनों परिवारों में काफ़ी मेल मिलाप था। बात उन दिनों की है जब मैं आठवीं में मेरी बहन यानी बाज़ी दसवीं कक्षा में थी । पड़ोस की आंटी का लड़का बाज़ी के साथ पढ़ता था और उसकी बहन मेरे साथ। जब भी अब्ब्बा टूर पर जाते तो सलाम अंकल हमारे घर आते और अम्मी से पूछते कि कोई काम हो तो बताना । और हम सबको भी प्यार करते थे। एक दिन मेरी स्कूल में तबियत ख़राब हो गयी, तो मैं जल्दी ही वापस आ गया और उस दिन अब्ब्बा टूर पर थे। जब मैं घर पहुँचा तो मुझे घर के सामने पान दुकान में दो लोगों की बात करने की आवाज़ सुनाई दे , उन्होंने मुझे अभी देखा नहीं था। मैं अपनी जगह पर रुक कर उनकी बातें सुनने लगा, वो पान दुकान वाला बोल रहा था, अरे ये तो रोज़ का तमाशा है, इधर TC साहब गए उधर सलाम भाई उनके घर के अंदर , और वो नग़मा (मेरी माँ ) है भी ऐसी माल , सलाम भाई की क्या ग़लती है? ऐसा बोलकर वो दोनों अपने लंड खुजाने लगे। मुझे बड़ा धक्का लगा उनकी बातों से। फिर वो दुकान बन्द करने लगा लंच ke लिए और वो चले गए। उनके जाने के बाद मैंने सोचा की क्या वो सच कह रहे थे, मुझे पता करना चाहिए। तब मैं घर के पीछे की तरफ़ गया और एक खुली खिड़की से कूद कर अंदर आ गया । फिर मैं माँ के कमरे की तरफ़ बढा , वहाँ से बातों की आवाज़ें आ रही थी । मैंने धीरे से बन्द दरवाज़े में कोई छेद खोजा , पुराने दरवाज़े में कई छेद थे, मैंने अंदर झाँका तो मेरे होश ही उड़ गए। अंदर सलाम अंकल बिस्तर पर बैठे थे और माँ उनकी गोद में बैठी थी। माँ की कुरति ऊपर उठी हुई थी और ब्रा भी खुली हुई थी और अंकल माँ की चुचि दबा रहे थे और उन दोनों के होंठ चिपके हुए थे । अंकल बोले, नग़मा तुम्हारी चूचियाँ सच में बड़ी मस्त हैं , नीलम ( उनकी बीवी , हमारी आंटी ) की तो अब नीचे की तरफ़ लटक सी गयी हैं। माँ हँसते हुए बोली, आपने खिंच कर भाभी की लटका दी होंगी। दोनों हँसने लगे। फिर वो झुके और माँ की चुचि मुँह में लेकर चूसने लगे। मेरी बुरी हालत हो रही थी, मुझे बहुत ग़ुस्सा आ रहा था पर देखने में मज़ा भी आ रहा था ।मेरा छोटा सा लंड भी तन गया था।
|