RE: Desi Sex Kahani हीरोइन बनने की कीमत
मेरे लंड में तो हलचल नहीं हुई पर गाँड़ खुजाने लगी । ललिता को सोते देख मैं धीरे से उठा और वेंकि के कमरे में दाख़िल हुआ , वो चादर ओढ़कर सो रहा था , मैंने चादर उठाई तो पूरा नंगा सो रहा था। उसका लंड आधा खड़ा था, मैंने उसे मुँह में ले लिया और चूसने लगा , वो जल्द ही पूरा तन गया और वेंकि की नींद खुल गयी । मुझे देखकर वो मुस्कार्या और बोला , पापा आज तो आपने मस्त मज़ा करा दिया माँ से थैंक्स । मैंने अपने कपड़े उतरे और उसकी तरफ़ पीठ कर लेट गया और बोला, चल अब पापा को भी मज़ा दे दे । वो उठा और उसने अपने लंड में क्रीम लगायी और मेरी गाँड़ मैं पहले एक बाद में दो ऊँगली क्रीम लगाकर डाली और अच्छी तरह से अंदर बाहर किया, फिर मेरे ऊपर एक जाँघ चढ़ाकर उसने अपना लिग मेरी गाँड़ में धीरे धीरे पेलना शुरू किया। मैं दर्द और मज़े से आहा कर उठा , फिर उसने पूरा लंड पेलकर मेरी गाँड़ मारनी शुरू की वी भी करवट के बल था और मेरी निपल्ज़ को दबा रहा था, उसने मेरे लंड को भी हिलाया पर उसने कोई हरकत माही हुइ । फिर ज़ोर ज़ोर से पेलकर वो मेरे अंदर झड़ गया । मैं उसे बाथरूम लेज़ाकर उसके लंड की सफ़ाई की और फिर अपनी गाँड़ साफ़ कर मैं उसके पास बैठा और बोला , बेटा , अब तुम्हें कल दिन भर अपनी माँ को छूना है ताकि उसकी प्यास बढ़े , उसको प्यार के बहाने चूमना , पीछे से उससे चिपकना , अपना लंड उसके चूतरों पर रगड़ना , उसके पेट और कमर को सहलाकर उसको मर्द के साथ होने का अहसास करना होगा, ताकि वो रात तक पूरी चुदासी हो जाए। इससे रात को तुमसे करवाने में आसानी होगी। वो बोला, पापा मैं कल स्कूल नहीं जाऊँगा और शाम तक उसको प्यासी कर दूँगा।मैंने उसे किस्स किया और अपने कमरे में आकर ललिता के साथ सो गया। दूसरे दिन मैं ऑफ़िस चला गया , दोपहर को वेंकि का फ़ोन आया , वो ख़ुश था बोला, पापा सब प्लान के हिसाब से चल रहा है।इससे रोज़ चुदवाओगी? वो बोली, हाँ जी। मैं बोला, फिर तो इसको अपने घर में रखना होगा। वो बोली, आह , वेंकि को क्या बोलेंगे की ये कौन है। मैं बोला, वो देखेंगे अपर इसे यहाँ रख लें, तुम्हें रोज़ ऐसा ही मज़ा देगा वो वेंकि के धक्कों का जवाब नीचे से कमर उछालते हुए बोली, आह , हाँ इसे रखेंगे और मैं रोज़ इससे करवाऊँगी । फिर वेंकि और वो दोनों झड़ने लगे और फिर वेंकि एक तरफ़ होकर लेट गया ।
वो phone पर बोला, सुबह माँ जब दूध देने आयी तो मैंने बिना चड्डी का लोअर पहना था, और चादर भी नहीं ओढ़ी थी। माँ अंदर आयी तो वो मेरे लोअर में तने तंबू को देखकर हैरान रह गयी। मैंने आँखों ओर हाथ रखकर सोने का नाटक किया। पर मैं उनको देख रहा था। उन्होंने मुझे आवाज़ दी , पर मैं चुप रहा , तब वो एक बार पास आकर मेरे लंड को ध्यान से देखीं, पर फिर शायद उनको कुछ गिल्ट हुआ और वो दूध रखकर मुझे हिलायी और जाने लगी। मैंने उनका हाथ पकड़कर उनको अपने ऊपर खिंच लिया और बोला, क्या माँ , दो मिनट भी मेरे पास बही बैठोगी क्या,
और उनके सामने मैंने अपने लंड को लोअर में adjust किया और अपनी जाँघ की लम्बाई में उसे रख दिया। माँ ने मुझे एसे करते देखा, मैं मन ही मन में बहुत ख़ुश था। फिर उनके कमर और पीठ को छूते हुए मैंने उनको अपनी छाती से भींच लिया , उनकी चूचियाँ मेरी छाती से चिपक गयीं। आपने जैसा कहा वैसे ही मैंने अपनी मर्दानी बाहों में भींच कर उन्हें वो सुख दिया , और उनकी आँखें मज़े से बन्द हो गयीं, फिर मैंने अपनी कमर उठा कर अपना लंड उनके कमर से सटा दिया। वो हड़बड़ा कर उठ गयी, और मुझे दूध पीने को बोलकर बाहर चली गयी। फिर मैंने उनको किचन में पकड़ा पीछे से और लाड़ करते हुए अपने लंड को उनके चूतरों पर चुभा दिया , थोड़ी देर तो वो आँख बंदकर मज़ा लीं फिर मुझे हटाया और बोलीं, बेटा तू अब बड़ा हो गया है , ऐसे माँ से नहीं चिपकते । मैंने ग़ुस्सा दिखाया की तुम मुझे प्यार नहीं करती और आकर सोफ़े में बैठाया तो वो मुझे मनाने आइ और सोफ़े में मेरे बग़ल में बैठ गयी। मैं झट से नीचे आकर उनके गोद में सर रख दिया और बोला , आप मुझे प्यार नहीं करती ना? उन्होंने मेरे गाल चूमे और बोलीं, तू मेरा इकलौता बेटा है रे, ऐसा क्यूँ बोलता है। फिर मैंने अपने चेहरे को उनके पेट पर मलना शुरू किया वो बोलीं, गुदगुदी हो रही है, तेरी दाढ़ी गड़ रही है , फिर हँसते हुए मैंने अपना मुँह उनके गाउन के ऊपर से उनकी छातियों पर रख दिया। उन्होंने भी लाड़ में आकर मेरा सर अपनी छातियों पर दबा दिया। मैंने सर उठाकर कहा, माँ दूध पिलाओ ना, जैसे बचपन में पिलाया था, वो शर्म से लाल होकर बोली, चल हट , तू कोई बच्चा है, इतना बड़ा हो गया है, ये भी नहीं मालूम माँ से कैसे बात करते हैं। मैं बोला, प्लीज़ माँ , उन्होंने उठते हुए कहा, तेरे पापा से शिकायत करनी होगी और हँसती हुई चली गयी। मेरी बात सुनकर पापा ख़ुश हो गए, बोले,, अरे तुम तो मैंने जो कहा था , उससे भी आगे जा रहे हो। अब खाने के बाद उनके साथ सोने का जुगाड़ बनाओ। मैंने फ़ोन बंद कर दिया।
शाम को फिर मैंने वेंकि को फ़ोन किया, वो बोला -- पापा मज़ा आ गया । मैंने खाना खाने के बाद माँ को t v पर एक मूवी देखने को बोला , वो मान गयी। मैं माँ की गोद में लेटकर फ़िल्म देख रहा था। मुझे उनकी ख़ुशबू पागल कर रही थी।फ़िल्म में कुछ बेडरूम सीन भी थे , मेरा लंड खड़ा हो गया , लोअर में तंबू बन गया था। मैंने धीरे से देखा माँ उस तंबू को ध्यान से देख रही थी, और उनका सीना फूलने लगा था। मैंने माँ के पेट की चुम्मी ले ली और बोला, माँ तुम्हारा पेट कितना चिकना है। वो चुप रही, फिर मैंने अपना हाथ उनके कमर में रख दिया और उसको सहलाने लगा । तभी माँ बोली, चल उठ , मुझे नींद आ रही है। मैं बोला, की एक शर्त पर अभी मैं आपके साथ सोऊँगा। तो वो बोली ठीक है आजा । हम आपके बेडरूम में गए और वहाँ माँ मेरी तरफ़ पीठ कर सो गयीं। मैं थोड़ी देर बाद माँ की तरफ़ करवट लेकर उनसे सट गया । उनकी तरफ़ से कोई प्रतिक्रिया ना देख कर मैंने अपना लंड उनकी गाँड़ से चिपका दिया । माँ चुप चाप पड़ी रही। फिर मैंने धीरे से अपनी कमर हिलाना चालू किया और लंड उनके चूतरों पर घिसने लगा। फिर भी वो शांत थीं, तो मैंने उनके चूतरों पर हाथ रख दिया फिर धीरे से सहलाने लगा , मेरी हिम्मत बढ़ गयी और मैंने गाउन के ऊपर से उनकी चूतरों की दरार में हाथ डाल दिया। फिर माँ सीधी हुई , और काँपती आवाज़ में बोली, उठो अपने कमरे में जाओ। मैं चुपचाप उठा और अपने कमरे में चला आया। पापा ने ख़ुश होकर कहा की शाबाश तुमने उसकी वासना को जगा दिया है, वो आज रात तुमसे खुलकर चुदवायेगी।ये कहकर पापा ने फ़ोन रख दिया। रात को जब मैं घर पहुँचा तो ललिता tv देख रही थी, पर उसका ध्यान कहीं और था। मैंने पूछा वेंकि कहाँ है, वो बोली, टेनिस खेलने गया है। फिर हम चाय पीने लगे, तभी वेंकि भी आ गया , वह आते ही माँ के पास आकर माँ को गाल में किस किया और माँ के गले में हाथ डालकर प्यार से चाय माँगा । वो मुस्कुराती हुई चाय देने लगी। वेंकि बोला, पापा माँ इतनी सुंदर है , और आप फ़िल्म बनाते हो तो आपने माँ को हेरोयन क्यूँ नहीं बनाया? मैं मन ही मन अपने बेटे की चालाकी समझ गया , पर बोला, पहले तुम्हारे माँ दुबली पतली थी पर अब वो भर गयी है और ज़्यादा हसीन और सेक्सी भी दिख रही है । वो हँसा और बोला, पापा . सच में माँ बहुत सेक्सी दिखती है। ललिता लाल होकर बोली, दोनों को शर्मा नहीं आती मुझे सेक्सी बोलते हुए। वेंकि बोला, माँ सच बोलने में कैसी शर्म। इस तरह हम दोनों उसको गरम करते रहे। फिर डिनर में भी यही सब हुआ और फिर हम सोने के लिए अपने अपने कमरे में चले गए। मैंने बेडरूम के पास रखे टेबल पर लैप्टॉप खोला और ऐसा दिखावा किया की बहुत काम है। मैंने देखा ललिता करवटें बदल रही थी, फिर वो बोली, क्या आज सोना नहींहै? मैंने कहा की बस थोड़ी देर । फिर अचानक वो उठी और बाथरूम गयी और वहाँ से आकर मेरे पास आकर खड़ी हो गयी। मैंने ललिता की ओर देखा, उसकी आँखें लाल हो रही थी, वो बोली, मुझे वो लड़का चाहिए अभी, आपने कहा था ना आप उसको आज भी बुलाओगे , बुलाओ अभी उसको, ऐसा कहते हुए उसका हाथ अपने गाउन के ऊपर से चूत पर चला गया और उसने वहाँ खुजाया । मैंने कहा, क्या बहुत इच्छा हो रही है, तो मैं चूस देता हूँ , कहते हुए मैंने उसकी चूत मसल दी। वो बोली, नहीं मुझे वो लड़का चाहिए। मैंने कहा चलो तुम नंगी होकर लेटो , मैं उसे बुलाता हूँ। पर तुम आँखों मैं पट्टी तो बाँध लो । वो बोली , नहीं आज मैं उसे देखना चाहती हूँ । मैंने कहा चलो ऐसा करो सिर्फ़ आँखों में पट्टी बाँध लो , हाथ खुले रखो , सो जब तुम्हारी इच्छा होगी पट्टी खोलकर उसे देख लेना। वो मान गयी।वो नंगी हो गयी और लेट गयी और मैंने उसकी आँखों में पट्टी बाँधकर वेंकि को नंगा आने का Sms किया। जब वेंकि अंदर आया तो वो चुपचाप लेटी थी, वेंकि उसकी चूचियाँ दबाने लगा और वो बहुत गरम हो गयी, फिर वेंकि ने उसकी चूत में दो ऊँगलियाँ डालीं और उसे गिला पाकर उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया। ललिता आह कर उठी। अब वेंकि ने समय ना नष्ट करते हुए करारे धक्के मारने शुरू किए। वो मज़े से आह आह करने लगी फिर वेंकि ने उसके होंठ चूसने शुरू किया , मैं उसकी चूचियाँ मसल रहा था । वो बहुत प्यार से मज़ा ले रही थी । तभी मज़े के बीच उसने अपनी पट्टी उतार दी। और हम सबके लिए जैसे समय ठहर गया । उसकी नज़र वेंकि पर पड़ी जो उसके होंठ चूस रहा था, मैं उसकी चूचियाँ दबा रहा था और वेंकि अपने लंड के धक्के उसकी चूत मैं लगाए जा रहा था। उसने कहा, वेंकि तुम? और तभी वेंकि ने एक करारा धक्का मारा और बोला, हाँ माँ में , तुम्हारा प्रेमी , तुम्हारा दीवाना , और फिर उसके होंठ चूसने लगा।वो उसे धक्का देने की कोशिश करने लगी, वो चिल्लायी, बेटा ये पाप है, हटो , हटो, उसने उसके होंठ चूसते हुए अपना लंड निकाल लिया और मैं चूचियाँ दबाते हुए बोला, देखो ये तुम्हारा बेटा भी एक मर्द है और तुम्हें अपने मस्त लंड से तुम्हें मज़ा दे रहा है, वो तुम्हें बहुत प्यार करता है। और वो तुम्हें रोज़ ये सुख देगा और घर की बात घर में ही रहेगी। फिर वो रोने लगी, और बोली, ये ग़लत है, थोड़ी देर में वो शांत हुई, तब वेंकि ने मेरे इशारे पर सिर्फ़ सुपारा अंदर कर दिया, वो आह कर उठी, फिर शायद उसकी चूत की आग ने उसे मज़बूत कर दिया और वो नीचे से कमर उठा कर पूरा लंड अंदर कर ली। तब वेंकि ने धक्के मारने शुरू किए , और वो वासना से भरकर चिल्लाने लगी, आह और ज़ोर से , आह चोदो , आह मर गयी, ओह बेटा फाड़ दे अपनी माँ की चूत । अब वेंकि भी जोश में चूदाँइ करने लगा , और जल्द ही दोनों आह करके झड़ने लगे । और वेंकि अपनी माँ पर जैसे गिर गया। थोड़ी देर बाद वो बोली, क्या रात भर ऐसे ही चढ़े रहेगा मेरे ऊपर, चल उतर। वेंकि साइड में लुढ़क गया और हाथ से अपनी माँ के अंगों पर हाथ फेरे जा रहा था। मैंने ललिता को चूमा और पूछा, कैसा है हमारा बेटा , चोदने में, वो शर्मा कर बोली, झकास । हम सब हंस पड़े। फिर वो करवट बदल कर वेंकि को अपने बाहों में भर ली और बोली, थैंक्स बेटा , अपनी बुढ़िया माँ का ध्यान रखने के लिए। वो हँसकर बोला, माँ तुमसे हसीन औरत दुनिया में नहीं है और तुम अपने आप बुढ़िया बोल रही हो। ऐसा कहते उसने अपनी माँ को चूमा और फिर १० मिनट के बाद फिर उसे चोदने लगा । ललिता और में दोनों उसके स्टैमिना से हैरान हो गए । और उसने ललिता को पूरी तरह शांत कर दिया ।
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