RE: Desi Sex Kahani हीरोइन बनने की कीमत
अब वो पूरी तरह से मेरे बस में थी , मैंने उसकी चुचि पर हाथ रखा और दबाने लगा वो आह कर उठी, मैंने अब उसका हाथ पकड़कर जाँघ के साथ लम्बे हो उठे लंड पर रख दिया । वो सिसकती हुई उसे दबाने लगी , मैंने उसकी पीठ पर हाथ सहलाते हुए उसके भरे हुए मस्त बड़े बड़े गोल गोल चूतरों तक हाथ ले आया और उनको दबाने लगा । आह क्या मद्दमस्त औरत थी , बहुत दिनों के बाद अपनी उम्र के आसपास की औरत से मज़ा लेने जा रहा था, वो भी इतनी हसीन और जवानी से भरी हुई। फिर मैंने उसको कहा की चलें बेडरूम में? वो शर्माकर बोली, हाँ अब तो मुझे ये चाहिए ऐसा बोलकर मेरे लंड को ज़ोर से दबा दिया । मैं खड़ा हो गया , फिर मुझे याद आया की कैमरा तो सिर्फ़ डॉली के बेडरूम में है नंदजी और लाली के बेडरूम में बही है। पर मेरा प्लान था की मैं चाहता था की नंदजी मेरी और अपनी बीवी की भी चूदाँयी देखें अपनी बेटी की चूदाँयी के साथ । हालाँकि वो मुझे सिर्फ़ बेटी के लिए बोले थे पर मैं तो उनकी बीवी पर भी फ़िदा हो गया था और उनको ये भी दिखाना चाहता था की कैसे मैंने आपकी बीवी से भी मज़ा लिया। मैंने लाली के भरे ज़ुरे बदन को अपनी बाहों में उठा लिया और उसकी बेटी के बेडरूम में ले गया । वो बोली यहाँ क्यूँ मेरे कमरे में क्यूँ नहीं, मैं बोला , तुम्हारे कमरे में मुझे नंदजी की याद आएगी और यहाँ कोई फ़र्क़ नहीं पड़ेगा । वो हंस पड़ी और मैंने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके बदन को चूमने लगा , वो भी चुम्बन का जवाब चुम्बन से दे रही थी । फिर मैंने उसका कुर्ता उतारा और ब्रा में क़ैद उसके बड़े कबूतरों को बहुत दबाया और फिर उसकी ब्रा खोल दी । आह क्या बड़ी बड़ी ठोस चूचियाँ थी मैं उन्हें दबा भी रहा था और चूम और चूस भी रहा था। वो आह आह कर रही थी । फिर मैंने उसकी सलवार खोलकर निकाल दी । बेटी की तरह उसकी पैंटी भी गुलाबी रंग की थी । पर यह चूत बहुत जियादा फूली हुई और मस्त गडराए जाँघों के बीच एक चीरा सा था जो बहुत लुभावना दिख रहा था। मैंने पैंटी के ऊपर से चूत को चूमा और उसकी फाँकों को चूमा और चाटा । वो सी सी कर उठी। फिर मैंने उनकी पैंटी भी उतार दी और उनकी चूत को पगलों की तरह चूमना और चाटना शुरू किया ।उसके चूत पर बाल सिर्फ़ पेड़ू पर थे , चूत पर कोई बाल नहीं था फिर मैंने उनकी चूतरों को ऊपर उठाया और उनकी गाँड़ के भरे छेद को भी चूम लिया , वो सिसकारियाँ भर रही थी । अब मैंने भी अपने कपड़े खोल दिए और पूरा नंगा होकर अपने लंड को उसके मुँह ke पास ले गया , उसने अपनी जीभ निकालकर मेरे सुपारे को चाटने लगी , फिर मैं उसके मुँह को चोदने लगा। फिर मैंने उसकी चूत में अपना लंड पेल दिया । वो आह कर उठी और आराम से चुदवा रही थी । उसके भरे बदन को चोदने में बहुत मज़ा आ रहा था और वो भी बराबर से साथ दे रही थी , नीचे से कमर उठा उठा कर मज़ा ले रही थी । उसका एक एक अंग चुदायी का मज़ा दे रहा था। फिर हम दोनों क्लाइमैक्स के क़रीब आ गए और ज़ोर से धक्का मारते हुए झड़ गए । फिर काफ़ी देर तक एक दूसरे से चिपके रहे और चूमा चाटी करते रहे । बाद में मैं बाथरूम से आया और कपड़े पहन कर वापस तुम्हारे पास आ गया ।
मैं बोली, अंकल आज तो एक ही दिन में माँ बेटी दोनों को थोक दिया आपने । वो हँसे और बोले, वो दोनों ही गरम माल है और चुदायी के लिए मरी जा रही थीं। मैंने तो बस फ़ायदा उठाया और कुछ नहीं । मैंने पूछा कि अब जब नंदजी को पता चलेगा की आपने उनकी पत्नी की भी बजा दी है तो वो कैसे रीऐक्ट करेंगे। वो मुस्कराए , यही तो मेरा प्लान है बेबी फिर उन्होंने अपना मोबाइल निकला और नंदजी को बोले, आपके लिए ख़ुशख़बरी है की मैंने डॉली की मस्त चुदायी कर दी है , पर आपको विडीओ में दो चुदायी देखने को मिलेंगे । हाँ हाँ दो दो , ज़रूर देखना और मुझसे बात किए बग़ैर आप डॉली से कोई बात नहीं करना । वो बोले ठीक है । फिर हमने आराम किया और शाम को डिनर पर नायडू के घर भी जाना था।
शाम ६ बजे जब हम नायडू के यहाँ जाने को तय्यार हो रहे थे तभी नंदजी का फ़ोन आया , अंकल ने मुझे आँख मारी और अपने फ़ोन को स्पीक मोड में रख दिया ताकि मैं भी सुन सकूँ। नंदजी बोले, यार रहमान मज़ा आ गया क्या मस्त ठुकाई की ही तुमने डॉली की, मैं तो मस्त हो गया हूँ और अभी उसको चोदना चाहता हूँ , अंकल बोले, नहीं नहीं ये ग़लती नहीं करना , आपने दूसरा विडीओ देखा ? तो वो बोले, नहीं अभी नहीं , इसी को दो तीन बार देख चुका हूँ, तुम्हें तो बहुत मज़ा आया होगा उसकी टाइट छेद फाड़ने मैं? अंकल बोले, वो तो है , साली मस्त टाइट माल है, इतनी छोटी लौड़िया मैंने पहली बार चोदी है, पर तुम बिना दूसरा विडीओ देखे बग़ैर डॉली को कुछ नहीं करना। वो बोले, चलो मैं अभी देखकर फ़ोन करता हूँ । अब हम तय्यार होने लगे । आज मैंने एक नयी सेक्सी टॉप और कसी हुई जींस पहनी थी जो मेरे हिप्स पर मस्त कसी हुई थी। जब मैं तय्यार होकर हॉल में आयी तो अंकल बाथरूम से नहाकर नंगे ही बदन पोछते बाहर निकले । मुझे देखते ही बोले , बेबी क्या माल लग रही हो, तुम्हारी चूचियाँ अब ज़्यादा ही बड़ी हो गयी हैं अब तुम्हें अपनी ब्रा और टॉप का साइज़ बढ़ना पड़ेगा और तुम्हारी जींस भी तुम्हारे चूतरों का क्या नज़ारा दिखा रहे हैं, आह , ऐसा कहते हुए उनका लंड मेरी आँखों के सामने ही खड़ा होने लगा , मैं बड़े प्यार से उसको अकड़ते हुए देख रही थी और आगे बढ़ कर उसको अपने हाथ में ले लिया और सहलाने लगी , मैंने अपना सर अंकल की चौड़ी छाती ओर रख दिया , अंकल ने मेरे गाल चूमे और मेरे चूतरों को दबाने लगे और बोले चलो अब मुझे भी तय्यार होना है , नहीं तो हम लेट हो जाएँगे । मैंने झुक कर उनके लंड को चूम लिया और उनको छोड़ दिया। क़रीब ७ बजे फिर नंदजी का फ़ोन आया और वो थोड़ा ग़ुस्से में बोले, ये क्या तुमने लाली को भी चोद दिया? ऐसी बात तो नहीं हुई थी , अंकल बोले, मैंने ये सब प्लान करके किया है ताकि तुम हमेशा खुलकर अपनी बेटी डॉली को चोद सको, वो पूछे , ये कैसे होगा? अंकल बोले, ध्यान से सुनो, प्लान ये है की मैं कल संडे को तुम्हारे घर आऊँगा और तुम डॉली और लाली को वीडीयो के बारे में बताना और उनको घर से निकल जाने को कहना , जब दोनो गिडगिदाएँगी तब तुम दोनो को एक ही बिस्तर पर मेरे साथ चोदने की शर्त रखना , इससे तुम्हें हमेशा के लिए डॉली को चोदने का लाइसेन्स मिल जाएगा और लाली का विरोध भी ख़त्म हो जाएगा और तुम्हें डॉली को छुप छुप कर नहीं बल्कि लाली के सहयोग से चोदने मिलेगा। अंकल की बात सुनकर नंदजी का ग़ुस्सा ग़ायब हो गया और वो बोले, अरे वाह यार क्या प्लान बनाया है, मैं तो तुम्हारा ग़ुलाम हो गया अब कल आओ और सब कुछ सेट कर दो । अंकल बोले हाँ मैं कल १० बजे तक आ जाऊँगा और फिर सब वैसे ही होगा जैसे मैंने कहा है। फिर नंदजी ने फ़ोन रख दिया । हम दोनो हँसने लगे और फिर नायडू के घर के लिए निकल गए।रात के ८ बजे थे जब हम नायडू के बड़े से शानदार फ़्लैट में पहुँचे , वहाँ हॉल में नायडू और उनकी पत्नी ललिता ने हमारा स्वागत किया और नायडू ने हमारा परिचय कराया । ललिता ने रहमान अंकल से हाथ मिलाया और मुझे गले लगाया । फिर वो मुझसे मेरे परिवार और फ़िल्मों की तय्यारी वगेरॉ के बारे में पूछतीं रहीं , तभी हाथ में एक टेनिस का रैकट लिए और एक बैग लटकाए क़रीब १८/१८ साल का युवक अंदर घुसा और मॉम की आवाज़ लागते हुए अपनी माँ के पास जाकर बैठ गया । तभी उसने हमको देखा और सकपका गया । उसकी माँ ने हँसते हुए उसका हमसे परिचय कराया , उसका नाम वेंकटेश्वर था पर सब प्यार से उसे वेंकि बोलते थे। वो १२ वीं में पढ़ता था। वेंकि थका हुआ लग रहा था और पसीने से भीगा हुआ भी था, वो बोला, मॉम मैं नहा कर आता हूँ और चला गया। फिर ललिता ने हमें वाइन सर्व की, मैंने कहा की मैं नहीं पीती तो वो बोली, बेबी थोड़ी सी ले लो, मैंने ले ली , थोड़ी देर में सबने ३ ग्लास पी ली पर मैंने सिर्फ़ १ ही लिया। फिर नायडू बोले, बेबी तुम्हें हैरानी तो हो रही होगी की कल मैंने तुम्हारे साथ स्वामी के सामने मज़ा क्यूँ नहीं लिया? मैं हैरान रह गयी , कि कैसे ये अपनी पत्नी के सामने ऐसी बातें कर रहें हैं , तो वो बोले, मेरी पत्नी से कुछ छिपा नहीं है। ललिता मुस्करायी और बोली, बेबी फ़िल्म इंडस्ट्री में ये सब आम बात है। अंकल ने पूछा , तो बताइए ना आपने बेबी को क्यूँ नहीं छुआ ? वो आह भर के बोले, ये एक लम्बी कहानी है , मैं बोली, मुझे सुनना है ।
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