RE: Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
Contd.....*** मौजा ही मौजा ***
अरे बस यूं ही ! नाटक करना है।"
मुझे कुछ कहते नहीं बन पड़ा, साला ये तो मुझसे भी तेज निकला और फिर उसने जैसा कहा था वैसा करने लगी, मेरे दिल में भी तो उसका लौड़ा खाने की थी। उसने बस होंठ से होंठ मिला दिये। सभी ने यह देखा और हाथ हिलाया। मेरा मन विचलित हो रहा था। मुझे तो सब कुछ करने की इच्छा होने लगी थी। मैंने नीचे से अपनी चूत हिला कर उसे हल्का सा इशारा भी दिया।
अब गले से लग जाओ, थोड़ी सी बदतमीजी सह लेना।
जी !
ओह साला भड़वा, भेन चोद, ये तो मुझे तड़पाने लगा है।
उसने मुझे गले से लगा लिया और मेरे कोमल चूतड़ दबाने लगा। मेरा जिस्म पिघलने लगा। फिर उसने मुझे छोड़ दिया। मैं उसे देख कर और उत्तेजित होने लगी थी। मेरी चूत गीली होने लगी थी। मुझ जैसी रण्डी भी कुछ नहीं कर पा रही थी। हाय, कैसे लूँ इस गाण्डू का लौड़ा।
"बानो, इतना क्यूँ शरमाती हो, यह तो आजकल का दस्तूर है, ये शारीरिक सम्बन्ध तो अब जरूरत की श्रेणी में आता है, ये तो अब एक एन्जोयमेन्ट है।"
उसका गोरा लण्ड मेरी चूत के आस पास गुदगुदी मचाने लगा था। तेरी भेन की चूत, साला, मादरचोद, तो लण्ड घुसेड़ क्यों नहीं देता !
"बानो, देखो तुम्हारे अलावा सभी लड़किया पूरी नंगी हैं, तुम्हीं एक अलग सी लग रही हो, प्लीज ये ऊपरी कपड़े तो उतार ही दो !"
"मैं तो मर ही जाऊंगी, रोहित ! " मेरे मन में जैसे फ़ुलझड़िया छूट पड़ी। अब आया ना रास्ते पर।
"ऐसा कुछ नहीं होगा, वो सारी लड़किया शरमा रही हैं क्या, किसी को भी नंगेपन की परवाह नहीं है।"
मुझे लगा कि रोहित ठीक ही कह रहा है। मुझे भी तो चुदाने का अधिकार है ना। मैंने इधर उधर देखा और रोहित से आँखें चुरा कर अपने कपड़े उतारने लगी, अरे सच में, मुझे तो किसी ने भी नोटिस नहीं किया। मैं तो यूं ही घबरा रही थी। मेरी नीली छोटी सी पैंटी और पतली सी नीली ब्रा में मैं तो पटाखा सी लगने लगी थी।
"बानो, तुम तो गजब की हो, तुम्हारा शरीर तो मिस इण्डिया से भी खूबसूरत है, यहां तो देखो, कोई है तुमसा?"
रोहित ने तो अब अपनी वो छोटी सी अण्डरवियर भी उतार दी थी। अब उसका लण्ड फ़्री स्टाइल में सीधा खड़ा हुआ लहरा रहा था। इह्ह्ह, मस्त है साला, मजा आ जायेगा चुदवाने का।
"बानो पकड़ लो मेरा लण्ड और घूमो मेरे साथ !"
हाँ, यह हुई ना बात, मुझे भी अब बेशर्मी दिखाने का मौका मिला। मेरे दिल की रण्डी अब तड़प कर बाहर लगी थी। अब मेरी शरम कम होती जा रही थी। उसका कोमल पर कड़क लण्ड मैंने थाम लिया। मेरे दिल में कई सूईयाँ चुभने लगी। मैंने भी अपने सीने को उभारा और मैं इतरा कर उसके साथ साथ चलने लगी। वो भी अपना लण्ड पकड़ाये हुए आराम से पूल के किनारे किनारे चलने लगा। जाने कब मैंने भी उसके लण्ड को धीरे धीरे आगे पीछे करना शुरू कर दिया था। रोहित भी उत्तेजना में घिरने लगा था। सभी लड़कियों को चोदने में व्यस्त थे। आखिर मेरी सहन शक्ति जवाब दे ही गई।
"रोहित, अब बस करो, नहीं रहा जाता है !" मैं उतावली होकर कह उठी और उससे जोर से लिपट गई।
अब मैं उसके कठोर चूतड़ों को दबाते हुए नीचे बैठने लगी। कुछ ही क्षणों में उसका सुन्दर सा लण्ड मेरी आंखों के सामने था।
"ओह रोहित … रोहित, मुझे अपना लो, हाय अल्लाह मुझे ये क्या हो गया है !"
उसका लहराते हुए लण्ड को चूसने का लालच मैं नहीं छोड़ सकी। उसके मस्त कड़क लण्ड को मैंने अपने मुख में भर लिया। उसका नरम सुपाड़ा मुख में गुदगुदा रहा था। मैं उसे जोर जोर से चूसने लगी, यहां तक कि चप चप की आवाज भी आने लगी थी। रोहित मस्ती में झूम उठा। फिर जब बहुत चूस लिया तो उसने मुझे खड़ी कर दिया और खुद नीचे झुक गया। मेरी चूत के बराबर में आकर उसने मेरी पैंटी उतार दी। मेरी भीग़ी हुई चूत का रस उसने चाट लिया और मेरी यौवन कलिका को अपनी जीभ से हिला हिला कर मुझे मस्त करने लगा। मैं एक मस्त चुदैल रण्डी की तरह उसका सर पकड़ कर अपनी भोसड़ी हिला हिला कर उसे चटवा रही थी। मैं मदहोश सी हो कर झूम रही थी। बीच बीच में इधर उधर देख कर संतुष्ट हो जाती थी कि अधिकतर लड़के मेरी चूत चटाई को ध्यान से देख रहे थे। उनके मुझे इस तरह से देखने से मैं अपने आप को हिरोईन जैसा महसूस करने लगी थी। मेरी उत्तेजना तेज होती जा रही थी।
तभी पास पड़े गद्दे पर रोहित ने मुझे कमर से उठा कर लेटा दिया और मेरे ऊपर चढ़ गया।
"रोहित, क्या कर रहे हो?"
"कुछ नहीं बानो, अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें बहुत प्यार से चोद दूँ, बोलो?"
साला चोदेगा भी मुझे पूछ पूछ कर। मैं भला उस चोदू को क्या कहती। मैंने कुछ नहीं कहा, बस अपनी आँखें बन्द ली और आने वाले सुखदायी पलों का इन्तज़ार करने लगी। रोहित मेरे से लिपट गया। उसका भार मुझ पर बढ़ने लगा। तभी मुझे चूत में खूबसूरत सी, मीठी सी गुदगुदी हुई। मैं तड़प उठी। उसका मस्त लण्ड मेरी योनि में प्रवेश कर रहा था। मैंने अपनी दोनों टांगें चुदवाने के लिये ऊपर उठा ली और उसकी कमर से लिपटा दी। उसके भीगे होंठ मेरे नाजुक लबों पर आ गए और उसकी जीभ मेरे मुख में आकर कुछ तलाशने लगी।
मेरी चूत ने भी ऊपर उठ कर लण्ड लेने की भरपूर कोशिश की । नतीजा लण्ड की एक मधुर ठोकर पड़ी मेरी बच्चेदानी पर । अब रोहित मेरी चूत पर आगे पीछे घर्षण करने लगा था। मेरा तन पसीजने लगा था। उसके मनोहर धक्कों ने मुझे मदमस्त कर दिया और मैं अपना होश खो बैठी। मुझे होश जब आया जब मैं झड़ी थी। रोहित ने भी तभी अपना वीर्य त्याग दिया था। रोहित अब खड़ा हो गया था। मैं भी खड़ी हो गई थी।
मैंने देखा कि सभी मुझे देख रहे थे, कुछ तो हाथ से लण्ड की शेप बना बना कर उसे हिला हिला कर मुझे चुदाने की दावत दे रहे थे। मुझे यह देख कर मन में उत्साह की तरंगें उठने लगी। मैं वैसे ही नंगी पूल में उतर गई। अन्य लड़कियों की तरह नंगी होकर मैं भी तैरने लगी। बहुत सुहाना सा लग रहा था। कहाँ मैं अपनी वासना तृप्ति के लिये भीड़ में अपने तन को घिसवाती थी। यहां तो कोई बन्धन नही, सभी कितने अच्छे हैं।
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