Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
12-26-2018, 11:12 PM,
#96
RE: Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
Contd.......सारी रात हमारी है....




मैं उसको पलंग पर ले गया और गोद में बिठा लिया। लण्ड मुट्ठी में पकड़े हुए उसने चूमना चालू रखा। मैंने ब्लाऊज़ के हुक खोले और ब्रा ऊपर से स्तन दबाए। लण्ड छोड़ उसने अपने आप ब्रा का हुक खोल कर ब्रा उतार फेंकी। उसके नंगे स्तन मेरी हथेलियों में समा गए। शंकु के आकार के सुमन के स्तन चौदह साल की लड़की के स्तन जैसे छोटे और कड़े थे। एरेयोला भी छोटा सा था जिसके बीच नोकदार चुचूक था।


मैंने चुचूक को चुटकी में लिया तो सुमन बोल उठी- ज़रा होले से ! मेरे चुचूक और भग बहुत नाजुक हैं, उंगली का स्पर्श सहन नहीं कर सकती।


उसके बाद मैंने चुचूक मुँह में लिया और चूसने लगा।


मैं आपको बता दूँ कि सुमन भाभी कैसी थी। पाँच फ़ीट पाँच इंच की लंबाई के साथ वज़न था साठ किलो, बदन पतला और गोरा था, चहेरा लम्बा-गोल थोड़ा सा नरगिस जैसा, आँखें बड़ी बड़ी और काली, बाल काले, रेशमी और लंबे, सीने पर छोटे-छोटे दो स्तन जिसे वो हमेशा ब्रा से ढके रखती थी, पेट बिल्कुल सपाट था, हाथ पाँव सुडौल थे, नितंब गोल और भारी थे, कमर पतली थी। वो जब हंसती थी तब गालों में गड्ढे पड़ते थे।


मैंने स्तन पकड़े तो उसने लण्ड थाम लिया और बोली- देवर जी, तुम तो अपने भैया जैसे बड़े हो गए हो। वाकई यह तेरी नुन्नी नहीं बल्कि लण्ड है और वो भी कितना तगड़ा ! हाय राम, अब ना तड़पाओ, जल्दी करो।


मैंने उसे लेटा दिया। ख़ुद उसने घाघरा ऊपर उठाया, जांघें चौड़ी की और पाँव उठा लिए। मैं उसकी भोंस देख कर दंग रह गया। स्तन के माफ़िक सुमन की भोंस भी चौदह साल की लड़की की भोंस जितनी छोटी थी। फ़र्क इतना था कि सुमन की भोंस पर काली झांटें थी और भग लंबी और मोटी थी। भैया का लण्ड वो कैसे ले पाती थी, यह मेरी समझ में आ ना सका।


मैं उसकी जांघों के बीच आ गया। उसने अपने हाथों से भोंस के होंठ चौड़े करके पकड़ लिए तो मैंने लण्ड पकड़ कर भोंस पर रग़ड़ा। उसके नितंब हिलने लगे। अब की बार मुझे पता था कि क्या करना है। मैंने लण्ड का अग्र भाग चूत के मुँह में घुसाया और लण्ड हाथ से छोड़ दिया। चूत ने लण्ड पकड़े रखा। हाथों के बल आगे झुक कर मैंने मेरे कूल्हों से ऐसा धक्का लगाया कि सारा लण्ड चूत में उतर गया। जांघों से जांघें टकराई, लण्ड ठुमक-ठुमक करने लगा और चूत में फटक-फटक होने लगा।


मैं काफ़ी उत्तेजित था इसलिए रुक नहीं सका। पूरा लण्ड खींच कर ज़ोरदार धक्के से मैंने सुमन को चोदना शुरू किया। अपने चूतड़ उठा-उठा कर वो सहयोग देने लगी, चूत में से और लण्ड में से चिकना पानी बहने लगा। उसके मुँह से निकलती आह-आह की आवाज़ और चूत की पच्च पच्च सी आवाज़ से कमरा भर गया।


पूरे बीस मिनट तक मैंने सुमन भाभी की चूत मारी। इस दरमियान वो दो बार झड़ी। आख़िर उसने चूत ऐसी सिकौडी कि अंदर-बाहर आते-जाते लण्ड की टोपी उतर-चढ़ करने लगी, मानो कि चूत मुठ मार रही हो।


यह हरकत मैं बरदाश्त नहीं कर सका, मैं ज़ोर से झड़ गया। झड़ते वक़्त मैंने लण्ड को चूत की गहराई में ज़ोर से दबा रखा था और टोपी इतना ज़ोर से खिंच गई थी कि दो दिन तक लौड़े में दर्द रहा। वीर्य को भाभी की योनि में छोड़ कर मैंने लण्ड निकाला, हालांकि वो अभी भी तना हुआ था। सुमन टाँगें उठाए लेटी रही, कोई दस मिनट तक उसने चूत से वीर्य निकलने ना दिया।


उस दिन के बाद भैया आने तक हर रोज़ सुमन मेरे से चुदवाती रही। नसीब का करना था कि वो गर्भ से हो गई परिवार में आनंद ही आनंद हो गया। सबने सुमन भाभी को बधाई दी। भैया सीना तान कर मूंछ मरोड़ते रहे। सविता भाभी और चम्पा भाभी की हालत औरर बिगड़ गई। इतना अच्छा था कि गर्भ के बहाने सुमन ने भैया से चुदवाने से मना कर दिया था, भैया के पास दूसरी दोनों को चोदने दे सिवा कोई चारा ना था।

जिस दिन भैया सुमन भाभी को डॉक्टर के पास ले गए उसी दिन शाम वो मेरे पास आई, घबराती हुई वो बोली- मंगल, मुझे डर है कि सविता और चम्पा को शक पड़ता है हमारे बारे में।

सुन कर मुझे पसीना आ गया। भैया जान जाएँ तो अवश्य हम दोनों को जान से मार डालें !

मैंने पूछा- क्या करेंगे अब ?

एक ही रास्ता है ! वो सोच कर बोली।

रास्ता है ?

तुझे उन दोनों को भी चोदना पड़ेगा। चोदेगा ?

भाभी, तुझे चोदने के बाद दूसरी को चोदने का दिल नहीं होता। लेकिन क्या करें? तू जो कहे, वैसा मैं करूँगा। मैंने बाज़ी सुमन के हाथों छोड़ दी।

सुमन ने योजना बनाई। रात को जिस भाभी को भैया चोदें, वो दूसरे दिन मेरे पास चली आए। किसी को शक ना पड़े इसलिए तीनो एक साथ मेरे वाले घर आएँ लेकिन मैं चोदूँ एक को ही।

थोड़े दिन बाद चम्पा भाभी की बारी आई। माहवारी आए तेरह दिन हुए थे। सुमन और सविता दूसरे कमरे में बैठी और चम्पा मेरे कमरे में चली आई।

आते ही उसने कपड़े उतारने शुरू किए।

मैंने कहा- भाभी, यह मुझे करने दे।

आलिंगन में लेकर मैंने भाभी को चूमा तो वो तड़प उठी। समय की परवाह किए बिना मैंने उसे ख़ूब चूमा। उसका बदन ढीला पड़ गया। मैंने उसे पलंग पर लेटा दिया और होले होले सब कपड़े उतार दिए। मेरा मुँह उसके एक चुचूक पर टिक गया, एक हाथ स्तन दबाने लगा, दूसरा भग के साथ खेलने लगा।

थोड़ी ही देर में वो गर्म हो गई, उसने ख़ुद टांगें उठाई और चौड़ी करके अपने हाथों से पकड़ ली।

मैं बीच में आ गया। एक दो बार भोंस की दरार में लण्ड का मटका रग़ड़ा तो चम्पा भाभी के नितंब डोलने लगे। इतना होने पर भी उसने शर्म से अपनी आँखें बन्द की हुई थी। ज़्यादा देर किए बिना मैंने लण्ड पकड़ कर चूत पर टिकाया और होले से अंदर डाला। चम्पा की चूत सुमन की चूत जितनी सिकुड़ी हुई ना थी लेकिन काफ़ी कसी थी और लण्ड पर उसकी अच्छी पकड़ थी।

मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाते हुए चम्पा को आधे घंटे तक चोदा। इस दौरान वो दो बार झड़ी। मैंने धक्कों की रफ़्तार बढ़ाई तो चम्पा भाभी मुझसे लिपट गई और मेरे साथ साथ ज़ोर से झड़ी।थकी हुई वो पलंग पर लेटी रही, मैं कपड़े पहन कर खेतों में चला गया।

दूसरे दिन सुमन अकेली आई, कहने लगी- कल की तेरी चुदाई से चम्पा बहुत ख़ुश है ! उसने कहा है कि जब चाहे !

मैं समझ गया।

अपनी बारी के लिए सविता को पंद्रह दिन इन्तज़ार करनी पड़ी।

आख़िर वो दिन आ भी गया। सविता को मैंने हमेशा माँ के रूप में देखा था इसलिए उसकी चुदाई का ख्याल मुझे अच्छा नहीं लगता था। लेकिन दूसरा चारा कहाँ था ?



सुमन और चम्पा मिल कर सविता भाभी को मेरे कमरे में लाई और छोड़ कर चली गई। अकेले होते ही सविता ने आँखें मूँद ली। मैंने भाभी को नंगा किया और मैं भाभी की चूचियाँ चूसने लगा। मुझे बाद में पता चला कि सविता की चाबी उसके स्तन थे। इस तरफ़ मैंने स्तन चूसना शुरू किया तो उस तरफ़ उसकी भोंस ने कामरस का फ़व्वारा छोड़ दिया। मेरा लण्ड कुछ आधा तना था और ज़्यादा अकड़ने की गुंजाइश ना थी। लण्ड चूत में आसानी से घुस ना सका। हाथ से पकड़ कर धकेल कर मटका चूत में सरकाया कि सविता ने चूत सिकोड़ी। ठुमका लगा कर लण्ड ने जवाब दिया। इस तरह का प्रेमालाप लण्ड और चूत के बीच होता रहा और लण्ड ज़्यादा से ज़्यादा अकड़ता रहा।



आख़िर जब वो पूरा तन गया तब मैंने सविता भाभी के पाँव अपने कंधों पर लिए और तल्लीनता से उसे चोदने लगा। सविता की चूत इतनी कसी नहीं थी लेकिन संकोचन करके लण्ड को दबाने की कला सविता अच्छी तरह जानती थी। बीस मिनट की चुदाई में वो दो बार झड़ी। मैंने भी पिचकारी छोड़ दी और भाभी के बदन से नीचे उतर गया।


अगले दिन सुमन वही संदेशा लाई जो चम्पा ने भेजा था। तीनो भाभियों ने मुझे चोदने का इशारा दे दिया था।


अब तीन भाभियाँ और चौथा मैं !



हम चारों में एक समझौता हुआ कि कोई यह राज़ खोलेगा नहीं। सुमन ने भैया से चुदवाना बंद कर दिया था लेकिन मुझसे नहीं।



एक के बाद एक ऐसे मैं अपनी तीनों भाभियों को चोदता रहा। भगवान की कृपा से बाकी दोनों भाभियाँ भी गर्भवती हो गई। भैया के आनंद की सीमा ना रही।



समय आने पर सुमन और सविता ने लड़कों को जन्म दिया तो चम्पा ने लड़की को। भैया ने बड़ी दावत दी और सारे गाँव में मिठाई बाँटी। अच्छा था कि कोई मुझे याद करता नहीं था।



भाभियों की सेवा में बसंती भी आ गई थी और हमारी नियमित चुदाई चल रही थी। मैंने शादी ना करने का निश्चय कर लिया।




***SAMAPT***
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