RE: Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
Contd.......सारी रात हमारी है....
उसकी योनि में इतनी ज़ोर से संकुचन हुए कि मेरा लण्ड दब गया, आते जाते लण्ड की टोपी ऊपर नीचे होती चली और मटका और तन कर फूल गया। मेरे से अब ज़्यादा बरदाश्त नहीं हो सका। चूत की गहराई में लण्ड दबाए हुए मैं ज़ोर से झड़ गया। वीर्य की चार-पाँच पिचकारियाँ छुटी और मेरे सारे बदन में झुरझुरी फैल गई। मैं ढल गया।
आगे क्या बताऊँ ? उस रात के बाद रोज़ बसंती चली आती थी। हमें आधा एक घंटा समय मिलता था जब हम जम कर चुदाई करते थे। उसने मुझे कई तरीके सिखाए और आसन सिखाए। मैंने सोचा था कि कम से कम एक महीना तक बसंती को चोदने का लुत्फ़ मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। एक हफ़्ते में ही वो ससुराल वापस चली गई।
बसंती के जाने के बाद तीन दिन तक कुछ नहीं हुआ। मैं हर रोज़ उसकी चूत याद करके मुठ मारता रहा। चौथे दिन मैं अपने कमरे में पढ़ रहा था। लेकिन एक हाथ में लण्ड पकड़े हुए ! और तभी सुमन भाभी वहाँ आ पहुंची। झटपट मैंने लण्ड छोड़ कपड़े ठीक किए और सीधा बैठ गया।
वो सब कुछ समझती थी इसलिए मुस्कुराती हुई बोली- कैसी चल रही है पढ़ाई देवरजी ? मैं कुछ मदद कर सकती हूँ ?
भाभी, सब ठीक है ! मैंने कहा।
आँखों में शरारत भर कर भाभी बोली- पढ़ते समय हाथ में क्या पकड़ रखा था जो मेरे आते ही तुमने छोड़ दिया ?
नहीं, कुछ नहीं, ये तो ! ये ! मैं आगे बोल ना सका।
तो मेरा लण्ड था, यही ना ? उसने पूछा।
वैसे भी सुमन मुझे अच्छी लगती थी और अब उसके मुँह से लण्ड सुन कर मैं उत्तेजित होने लगा पर शर्म से उनसे नज़र नहीं मिला सका, कुछ बोला नहीं।
उसने धीरे से कहा- कोई बात नहीं ! मैं समझती हूँ ! लेकिन यह बता कि बसंती को चोदना कैसा रहा? पसंद आई उसकी काली चूत ? याद आती होगी ना ?
सुन कर मेरे होश उड़ गए कि सुमन को कैसे पता चला होगा ? बसंती ने बता दिया होगा ?
मैंने इन्कार करते हुए कहा- क्या बात करती हो ? मैंने ऐसा वैसा कुछ नहीं किया है।
अच्छा? वो मुस्कराती हुई बोली- क्या वो यहाँ भजन करने आती थी ?
वो यहाँ आई ही नहीं ! मैंने डरते डरते कहा।
सुमन मुस्कुराती रही।
तो यह बताओ कि उसने सूखे वीर्य से अकड़ी हुई निक्कर दिखा कर पूछा- यह निक्कर किसकी है, तेरे पलंग से मिली है ?
मैं ज़रा जोश में आ गया और बोला- ऐसा हो ही नहीं सकता, उसने कभी निक्कर पहनी ही नहीं !
मैं रंगे हाथ पकड़ा गया।
मैंने कहा- भाभी, क्या बात है? मैंने कुछ ग़लत किया है?
उसने कहा- वो तो तेरे भैया फ़ैसला करेंगे।
भैया का नाम आते ही मैं डर गया। मैंने सुमन को गिड़गिड़ा कर विनती की कि भैया को यह बात ना बताएँ।
असली खेल अब शुरू हुआ।
मुझे क्या पता कि इसके पीछे सुमन भाभी का हाथ था !
तब उसने शर्त रखी और सारा भेद खोल दिया।
सुमन ने बताया कि भैया के वीर्य में शुक्राणु नहीं थे, भैया इससे अनजान थे। भैया तीनों भाभियों को अच्छी तरह चोदते थे और हर वक़्त ढेर सारा वीर्य भी छोड़ जाते थे। लेकिन शुक्राणु बिना बच्चा हो नहीं सकता। सुमन चाहती थी कि भैया चौथी शादी ना करें। वो किसी भी तरह बच्चा पैदा करने को तुली थी। इसके वास्ते दूर जाने की ज़रूर कहाँ थी, मैं जो मौज़ूद था !
सुमन ने तय किया कि वो मुझसे चुदवाएगी और माँ बनेगी।
अब सवाल उठा मेरी मंज़ूरी का।
मैं कहीं ना बोल दूं तो ? भैया को बता दूं तो ? मुझे इसी लिए बसंती के जाल में फंसाया गया था।
सारा बखान सुन कर मैंने हंस कर कहा- भाभी, तुझे इतना कष्ट लेने की क्या ज़रूरत थी ? तूने कहीं भी, कभी भी कहा होता तो मैं तुझे चोदने से इनकार ना करता, तू चीज़ ऐसी मस्त है।
उसका चहेरा लाल हो गया, वो बोली- रहने भी दो ! झूठे कहीं के। आए बड़े चोदने वाले। चोदने के वास्ते लण्ड चाहिए और बसंती तो कहती थी कि अभी तो तुम्हारी नुन्नी है, उसको चूत का रास्ता मालूम नहीं था। सच्ची बात ना ?'
मैंने कहा- दिखा दूं अभी कि नुन्नी है या लण्ड ?
ना बाबा, ना। अभी नहीं। मुझे सब सावधानी से करना होगा। अब तू चुप रहना ! मैं ही मौक़ा मिलने पर आ जाऊँगी और हम तय करेंगे कि तेरी नुन्नी है या लण्ड !
दो दिन बाद भैया दूसरे गाँव गए तीन दिन के लिए। उनके जाने के बाद दोपहर को वो मेरे कमरे में चली आई। मैं कुछ पूछूँ इससे पहले वो बोली- कल रात तुम्हारे भैया ने मुझे तीन बार चोदा है। सो आज मैं तुम से गर्भवती हो जाऊँ तो किसी को शक नहीं पड़ेगा और दिन में आने की वजह भी यही है कि कोई शक ना करे।
वो मुझसे चिपक गई और मुँह से मुँह लगा कर चूमने लगी। मैंने उसकी पतली कमर पर हाथ रख दिए, मुँह खोल कर हमने जीभ लड़ाई। मेरी जीभ होठों बीच लेकर वो चूसने लगी। मेरे हाथ सरकते हुए उसके नितंब पर पहुँचे। भारी नितंब को सहलाते सहलाते में उसकी साड़ी और घाघरी ऊपर उठाने लगा। एक हाथ से वो मेरा लण्ड सहलाती रही। कुछ देर में मेरे हाथ उसके नंगे नितंब पर फिसलने लगे तो पाजामा का नाड़ा खोल उसने नंगा लण्ड मुट्ठी में ले लिया।
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