RE: Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
पापा ने चोद दिया--1
जैसे की मैने आपको बताया कि मैने बचपन से ही अपने मोम पापा का लंड-चूत का खेल चुप-चुपके से देखती थी जिसका कि मम्मी को नही पता था कि जब वो रोज़ पापा से चुदवाने जाती है और मैं देखती हू. जब में 16 साल की थी, तब मेरी चुचियो का साइज़ 32 था, लेकिन ग़रीबी की वजह से मैं ब्रा नही डाल सकती थी. मम्मी के पास भी सिर्फ़ 2 ब्रा थी जो की वो बाहर जाते वक़्त ही डालती
थी. नही तो घर आते ही वो पहला काम यही करती थी की बाथरूम में
जाकर वो अपनी ब्रा उतारती और सिर्फ़ सलवार कमीज़ मैं रहती थी या सिर्फ़ मॅक्सी
(गाउन) ही डालती थी. घर पर डालने के लिए उन्होने पतला सा सूट रखा हुआ
था.
मेरी चूत मैं हमेशा ही खुजली होती रहती थी कि कोई पापा जैसे लंड मेरे
भी चूत मैं डाल कर पूरी तरह अंदर बाहर करे जैसे मम्मी की चूत मैं
मेरे पपाजी करते थे. मैं सोचने लगी कि क्यों ना पापा को ही अपनी ओर आकर्षित
करूँ. मम्मी जब लोगों के घर में काम करने के लिए चली जाती , मतलब
कि वो पापा को अपने काम पे जाने से पहले ही उठा जाती थी (मीन उनसे अपनी
चूत की प्यास बुझा जाती थी) तो पापा जी उठकर नहा धो कर मेर हाथ से
नाश्ता पानी करते थे. मैं सोचा कि पापा को मैं किस तरह से आकर्षित करूँ.
उस दिन भी जब पापा को मम्मी उठाकर (सेक्स करके) गयी तो पापा सिर्फ़ लूँगी डाल कर
ही उठ जाते थे, क्योंकि मम्मी सारे कपड़े उनके उतार देती थी, और नहाने के
लिए फिर कपड़े उतारने पड़ते, इसलिया पापा सिर्फ़ लूँगी लाते थे, यह मैं पहले
भी देख चुकी थी. लूँगी डालते हुए भी पापा का लंड किसी गधे या घोरे के
लंड जैसे लटक जाता था, जैसे गधे या घोरा किसी गधि या घोरी से सेक्स
करके फ्री हुआ हो.
मेरे दिल में हुलचल होने लगी. मेने एक प्लान सोच लिया था. पापा जब अपने
कमरे से बाहर आए तो मुझसे पूछा..सीमा बेटी, नहाने के लिया पानी तैय्यर
है?
में…. हा पापा, मैं पानी रख दिया है
पापा… ठीक है, सीमा बेटे.
मैने उस टाइम एक मम्मी का एक पुराना गाउन (मॅक्सी) डाली हुई थी, जो की कमर से
कुच्छ फॅटी हुई थी. वो मॅक्सी इतनी मुझे ढीली थी कि मेरे मम्मे उसमे से
साफ महसूस हो रहे थी. मॅक्सी इतनी ट्रॅन्स्परेंट थी कि मेरे मम्मे की अंगूर
(निपल) और काले –काले घेरे (ब्लॅक ब्लॅक राउंड) भी दिखाई दे रहे थे. मैं
जानबूझ कर गाउन के नीचे कोई पेंटी नही डाली थी. वैसे भी मेरे पास जो 1-2
पेंटी थी, वो पुरानी हो चुकी थी और मेरी चूत वाली जगह से फट
चुकी थी.
हमारा बाथरूम बिल्कुल छ्होटा था. बहुत मुश्किल से उसमे एक ही आदमी आ सकता था, वो सिर्फ़ नहाने के लिए पौडियों (स्टेर्स) के नीचे बनाया गया था. क्योंकि सर्दियों के दिन थे. मैने पानी गरम करके बाथरूम में एक बिग बर्तन में रख दिया था. पानी बहुत गरम था, जो कि मैने जान बूझ कर किया था. पापा जब नहाने के लिया बाथ रूम में गये तो देखा कि पानी से अभी भी भाप (धुआँ) निकल रहा है. पापा जब बाथरूम में आए. वो पानी से धुआँ (हीट) निकलती देख कर बोले .. पापा… सीमा बेटे… लगता है पानी बहुत गरम है, ज़रा बाहर से पानी लाकर इसमे मिला दो, ताकि यह थोड़ा ठंडा हो जाए.
में : अच्छा पापा में पानी लेकर आती हू.
मेरे दिल जोरो से धड़क रहा था. मैं बर्तन मैं बहुत सारा पानी लेकर
बाथरूम में चली गई. पापा ने अभी भी लूँगी पहनी हुई थी. में जब पानी
से भरा बर्तन लेकर अंदर बाथरूम में गई तो पाप थोड़ा सा पीछे हट
गये, ताकि मैं गरम पानी में ताज़ा पानी मिला सकू. में जानबूझ कर अपनी
चूचियो (ब्रेस्ट्स) को उँचा उठा कर चल रही थी, जिससे मेरे मम्मे मेरी
मम्मी के ढीले गाउन में से उभर कर दिखाई दे रहे थे और मेरे निपल भी अकड़ कर टाइट हो गये थे. मेरी नुकीली चूचियो (ब्रेस्ट्स) को देख कर पापा का लंड लूँगी में उपर नीचे होने लगा. मुझे पता था कि पापा कयी बार मम्मी को कह चुके थे की सीमा को भी ब्रा ले कर दो, उसकी भी छातियाँ
(चूंचियाँ) बड़ी होने लगी है.
पापा का पूरा ध्यान मेरी छातियो की तरफ था. मैने चोर नज़रों से देख लिया
था कि पापा का लंड उपर नीचे हो रहा था. और ठुमके लगा रहा था. मेरा
दिल भी धक धक कर रहा था…. क्योंकि में आज कुच्छ ख़ास करने वाली थी…
ताकि मेरी चूत की खारिश मिट जाए. पापा का ध्यान मेरे मम्मो की तरफ था,
जबकि मेरा ध्यान पापा के मोटे डंडे (रोड) की तरफ था जो कि उपर नीचे हो
रहा था… में नीचे झुक गयी और अपने चूतरो (हिप्स) उपर उठा दिया… और नीचे रखे बर्तन में पानी डालने लगी… मैने जानबूझ कर अपने चूटरो को पापा के लंड के पास टच कर दिया और ऐसे धीरे -2 से पानी डालने लगी, जैसे की मुझे महसूस ही ना हो रहा हो कि मेरे चूतर पापा के लंड को टच कर रहे हैं.
मेरे चूतरो से टच होते ही पापा का लंड और भी टाइट हो कर सीधा रोड की
तरह मेरे दोनो हिप्स के बीच की दरार में फिट हो गया. में बहुत धीरे-2 से
पानी डाल रही थी, आज बड़ी मुश्किल से मोका मिला था, कुछ करने का, पता
नही मेरे में कहाँ से इतनी हिम्मत आ गयी थी, जो मैं ऐसा करने की
हिम्मत कर रही थी, मुझे कुछ भी नही सूझ रहा था. पापा बे चुपचाप अपना लंड मेरे चूतरो में फसा कर खड़े हुए थे. उनके लंड की टोपी (सुपरा) मेरे हिप्स के बीच में ऐसे फिट था जैसे बोतल में ढक्कन लगा हो. में पानी
डालते –डालते थोड़ा सा और पीछे क तरफ हो गयी, जिससे पापा का लंड मेरे
चूतरो में और भी धँस गया और मेरी चूत को भी टच करने लगा था. मेरे
दिल की हालत का मुझे है पता था.. मैं पानी डालना बंद कर दिया और पापा से
पूछा.. पापा चेक कर लो कि अब पानी ज़्यादा गरम तो नही है. पापा मेरी तरफ
और ही नज़रों से देख रहे थे. उन्होने मुझे उपर से नीचे की तरफ गौर से
देखा. और बोले …
पापा … बेटी यह तुमने किसकी मेक्शी डाली हुई है.
मैं … पापा ये मम्मी की है… घर की सफाई करनी थी, इसलिए मैने सोचा कि में अभी यही डाल लेती हू.
पापा…. ठीक है बेटे… अब तुम जाओ, में नहा लेता हू.
में … ठीक है पापा.. आप नहा लो,…मैं नाश्ता बनाती हू.
पापा… अच्छा ठीक है.
मेरा दिल जोरों से धड़क रहा था. मैं पानी का बर्तन लेकर बाथरूम से बाहर
आ गयी और आगे का प्लान सोचने लगी.
मैं जल्दी से छत पर चढ़ गयी और स्टेर्स के बीच में से बाथरूम के
अंदर देखने लगी, जिसमे से थोड़ा सा पोर्शन रोशनी आने के लिए छोड़ा गया
था पापा नीचे बैठ थे और उनकी लूँगी कील (नेल्स ऑन दीवार) पर तंगी
हुए थी और पापा अपने पूरे बॉडी पर साबुन लगा चुके थे उनकी आँख बंद
थी. और उनके लंबे चौड़े लंड पर भी काफ़ी साबुन लगा हुआ था. वो अपने
दोनो हाथों को बाँध कर अपने लंड को हाथों के बीच मे लेकर आगे-पीछे कर रहे थे और कुच्छ कुच्छ बुदबुदा रहे थे.. मैने ध्यान से सुना तो वो कह रहे थी… हाई सीईएमा…. मेरईजाआअँ… लो और लो… तुम्हारी चूत मैं अपने प्प्प्प्पाआप्प्पाा का लंड लूऊ…आआहह मेरी जाआं… मेरी बेतट्टी… अपने पापा मा
मजेदार लंड लो…..;एयेए . यह कहते हुए वो अपने लंड को ज़ोर ज़ोर से आगे
पीछे करने लगे. पापा का लंड जितना हाथ के अंदर था उतना ही हाथ के
बाहर भी था.
मेरी चूत पानी छ्चोड़ने लगी. थी मैं अपनी चूत में एक उंगली डाल कर आगे
पीछे करने लगी.. मुझे बहुत मज़ा आ रहा थाअ. मैने सोचा , यह मोका
ठीक नही है.. में जल्दी से नीचे जाकर प्लान किया कि अब क्या करना चाहिए.
में कमरे मैं जाकर लेट गयी और जब मुझे अंदाज़ा हुआ कि पापा नहा कर
बाहर आने लगे है और उन्होने बाथरूम की कुण्डी (सांकल) बंद की में समझ गयी कि पापा अपना तौलिया रस्सी पर टंगा कर इस तरफ ही आएँगे. मैने
अचानक एक चीख मारी और फर्श पर गिर जाने की आक्टिंग की और अपनी मॅक्सी (गाउन)
को घुटनो (नीस) तक उपर कर के चीखने की आक्टिंग करने लगी. क्योंकि मैने
नीचे कछि (पॅंटी) नही डाली हुई थी, इसलिए मुझे ठंडी ठंडी हवा
अपनी चूत पर महसूस हो रही थी.
पापा मेरी चीख सुनकर जल्दी से कमरे मैं आए और देखा कि मैं ज़मीन पर
पड़ी हुई हू. पापा ने पूछा, सीमा बेटे क्या हुआ, चीख क्यों रही हो? मैने कहा, कुछ नही पापा, बस फिसल गयी और शरीर दर्द कर रहा है और पैर
में और कमर में शायद मोच आ गयी है. पापा ने उस समय लूँगी (धोती)
डाली हुई थी. गाउन मेरे मम्मो पर चिपका हुया था और मेरी टाँगे घुटनों तक दिखाई दे रही थी, मेरी टाँगो पर एक भी बॉल नही था. पाप का लंड धोती में धूँके मारने लगा. पापा ने जल्दी से मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे उठाया और बेड पर लिटा दिया. पापा जब मुझे बेड पर लिटा रहे थे तो पापा का लंड हाफ-टाइट था मुझे वो सीन याद आ गया जब पापा मम्मी को चोद कर डिसचार्ज होते है और उनकी चूत से लंड निकालते है और उनका लटकता हुया
लंड किसी गधे या घोड़े जैसे लगता है. मैने धीरे से पापा के लंड को टच
कर लिया, जो कि मेरी कई महीनो की तमन्ना थी.
जब पापा ने मुझे उठाया तो मैने टाँगे सीधी नही की थी, ताकि मेरी मॅक्सी
नीचे ना सरके और मेरी टाँगे नंगी रहे. मुझे जब पापा ने बिस्तर पर लिटा
दिया तो मैने जल्दी से अपने घुटने उपर की तरफ कर दिए और दोनो धुटनों को
थोड़ा सा खोल दिया ताकि मेरे पापा को मेरी चूत रानी के दर्शन हो सके.
पापा ने जब मुझे लिटा दिया तो पूछा … सीमा , अब बता कि कहाँ दर्द हो रहा
है. जल्दी बता. मैं तेल लगा देता हू, और मालिश भी कर देता हू…मैने
कहा… हा पापा बहुत ज़ोर से दर्द हो रहा है. … जल्दी से कुछ करो.. मैं मरी
जा रही हू.आआहह. ,…. बहुत दाअर्द हो राअहहााअ है..आआआअहह.
पापा बोले रूको सीमा, में जल्दी से तेल लेकर आता हू. पापा जल्दी से जाकर
पास रखे सरसों के तेल की शीशी को उठाकर ले आए. वो फिर से बोले, सीमा,
बता कहाँ दर्द हो रहा है. मैने कहा … क्या बताउ पापा पूरे शरीर में ही
दर्द हो रहा है… शरीर सुन्न हो रहा है.. अच्छा बेटी में मालिश कर देता
हू.
कह कर पापा ने अपने एक हाथ पर तेल ऊडेला और दोनो हाथ पर मसल कर मेरे
पैरो से शुरू किया. पहले एक टाँग पर घुटनो तक मालिश की और फिर तेल दोनो
हाथों में मसल कर दूसरी टाँग पर घुटनो तक मालिश कर दी, जब वो मालिश
कर रहे थे, तब मैने अपनी आँखें बंद कर रखी थी और मैं आँखों की
झिरी से देख रही थी कि वो क्या महसूस कर रहे है. मैने धीरे -2 अपने
दोनो घुटनों को ढीला छोड़ना शुरू कर दिया, ताकि दोनो के बीच मैं गॅप
ज़्यादा हो सके और पापा को मेरे अंदर का द्रिस्य दिख सके.
वही हुया, जो मैने सोचा था. पापा को दोनो पैरो के बीच में मॅक्सी के अंदर
का दृश दिख चुक्का था. क्योंकि मैने मॅक्सी के अंदर कछि (पॅंटी) नही डाली
हुई थी, मेरी गोरी गोरी टाँगों के बीच में से मुस्कराती हुई चूत पापा को
दिखाई दे गयी, जिसके चारो तरफ बाल उगने शुरू हो चुके थे, जो कहीं से
भूरे और कहीं से काले रंग के थे.
पापा का पूरा ध्यान मेरी चूत की तरफ था. मेरी साँस ज़ोर ज़ोर से चलने लगी
थी. मैं अपने प्लान में कामयाब हो चुकी थी. मैने अपने लिप्स से ज़ोर ज़ोर से
दर्द भरी आवाज़ें निकालने लगी ताकि वो जल्दी से मालिश कर सके… आआहह
पपप अभी भी दर्द हो रहा है….
पापा बोले : अच्छा बेटी , में और तेल लगाता हू, रूको.
यह कहकर पापा ने मेरी दोनो टाँगो के उपर जो मॅक्सी थी उसको थोरा मेरी कमर
की तरफ खिसका दिया. अब मेरी थिग्स दिखाई देने लगी थी. पापा ने मेरी तरफ
देखा .. मेने अपनी आँखे पहले ही बंद कर रखी थी ताकि पापा को शक ना हो
सके, के यह मेरा ही प्लान है.. मैं धीरे-2 से कराह रही थी.
पापा ने तेल से भरे हुए हाथो को मेरी रानों (थिग्स) पर मसलना शुरू किया.
मेरे शरीर में चींटियाँ दौड़ने लगी, जैसे करंट लग रहा हो. पापा का
हाथ धीरे -2 से मेरी चूत की तरफ जा रहा था वैसे-2 ही मेरे दिल की
धड़कन बदती जा रही थी. पापा ने चुपके से मॅक्सी को थोरा और मेरी कमर तक
कर दिया अब मेरी पूरी टाँगें और मेरी चूत पूरी तरह से नंगी थी… पापा ने
धीरे -2 से मेरी चूत को टच करना शुरू किया ... पापा ने पूछा …सीमा
क्या अभी भी दर्द हो रहा है.. मैने कहा… हाअ पापा अभी भी दर्द हो रहा है,
लेकिन पहले से कुछ कम है… ऐसे ही मालिश करने से आराम मिल रहा है.
क्रमशः..............
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