RE: Hindi Kamukta Kahani हिन्दी सेक्सी कहानियाँ
राजा का फ़रमान
मैं वृंदा पहली बार अपना एक स्वप्न प्रस्तुत कर रही हूँ, मुझे अक्सर इस तरह के स्वप्न आते हैं !
और मैंने आज तक किसी को इनके बारे में नहीं बताया है, आज पहली बार बहुत हिम्मत करके लिखने का प्रयास कर रही हूँ !
इस स्वप्न में मैं एक ऐसे देश में पहुँच गई हूँ जहाँ का राजा बहुत ही क्रूर और कामोत्तेजित है, उसके देश में लड़कियाँ जैसे ही जवान होती हैं, उन्हें राजा के पास एक महीने के लिए भेज दिया जाता है और वो उनका कामार्य भंग करता है, उन्हें भोगता है और एक महीने बाद उन्हें अपने घर वापिस भेज देता है।
यदि कोई लड़की उसके बाद माँ बनती है, तो उसकी महल में वापसी राजा की रखैल के रूप में होती है वो वहाँ बच्चे को जन्म देने और चालीस साल पार करने के बाद दासी बन कर रहती है, जो कोई परिवार अपनी बेटी को राजा से भोग लगवाने नहीं भेजता, उसकी बेटी उठवा ली जाती और उसकी बाज़ार में बोली लगवाई जाती, जो उसे खरीदता वो सबके सामने उसे चोदता, खसोटता और उसे अपनी नोकरानी बना कर रखता अपने ख़ास आदमियों से उसे चुदाता और जब मन भर जाता तो फिर किसी को बेच देता!!
इस तरह जब मैंने वहाँ कदम रखा तो बहुत से मर्द मुझे बेचैन निगाहों से देखने लगे मेरे आसपास मंडराने लगे कोई मेरी गाण्ड छूकर चला जाता तो कोई फबतियाँ कसता यह कहते हुए कि आज तुझे रखैल नहीं, अपनी रानी बनाऊँगा।
एक ने तो हद ही कर दी, पीछे से आते हुए मेरी अन्तःचोली कपड़ों के भीतर से ही खोल दी !!! वहाँ कहीं जाकर चोली फिर से बंद करने की जगह नहीं थी तो मैं कुछ आगे बढ़ी, चलने से मेरी चूचियाँ हिलने लगी, तो एक आदमी सामने से आया और कहने लगा- तुम से नहीं संभल रही तो मैं थाम लूँ !!
उस पर मैंने उस आदमी पर हाथ उठा दिया, उसने हाथ पकड़ लिया और मुझे अपनी और खींच कर दूसरे हाथ से मेरी चूचियाँ मसल दी।
तभी वहाँ खड़े भूखे मर्द मेरी और बढ़ने लगे और बोले- आओ, इसे राजा के पास ले जाते हैं ! खूब बड़ा इनाम मिलेगा !
और सभी मुझे पकड़ कर राजा के दरबार में ले गए, दरबार बहुत बड़ा था, वहाँ बहुत सी दासियाँ थी, सभी दासियाँ अधनंगी थी, आते जाते मंत्री, तंत्री, रक्षक उन दासियों को छेड़ रहे थे, उनका बदन मसल रहे थे, बहुत कामुक माहौल था।
राजा ने सुनवाई शुरू की तो एक रखैल राजा की गोद में आ बैठी। राजा ने उसके बदन से सारे कपड़े उतार दिए और सुनवाई करते करते अपना लण्ड चुसवाने लगा।
सभी मंत्री इतनी सारी नंगी औरतों को देख कर अपना लण्ड अपने हाथों से मसल रहे थे।
तभी मेरी सुनवाई की बारी आई, बाहर हुई घटना विस्तार में बताई गई।
सब कुछ सुनकर राजा ने पूछा- इतना गुरूर किस बात का तुझे लड़की...? आखिर ऐसा क्या है तेरे पास? ये चूचियाँ? यह गाण्ड? यह चूत? ये तो हर औरत के पास होती है और इस देश में औरतों की कमी नहीं ! मेरी एक आवाज़ पर यहाँ चूतों की कतार लग जाती है।
तभी वो अपनी रखैल को चूमने लगा और उसने अपनी रखैल को कुछ इशारा किया और ताली बजाई।
रखैल उसके पैरों के पास लेट गई और हवा में टांगें करके उसने अपनी टांगें खोल के चूत उसके सामने पेश कर दी। देखते ही देखते बीस-पच्चीस रखैलें आई और अपनी टांगें खोल कर हर मंत्री के सामने चूत पेश करने लगी !!
मंत्रियों के मसलते लण्ड फुफकारने लगे, और सभी ने रखैलो की चूतों में अपने अपने लण्ड घुसा दिए और चुदाई करने लगे।
राजा ने पूछा- अब बोल लड़की !
मैं शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी, मैंने राजा से जबान लड़ाई- आप यह सब क्यों कर रहे हैं...?
राजा बोला- ताकि तुझे तेरी औकात पता लगे कि तुम औरतें सिर्फ मर्दों से चुदने और चूसने-चुसवाने के लिए पैदा होती हो ! हाथ उठाने के लिए नहीं, और अगर हाथ उठ भी जाता है तो भी लण्ड के लिए उठना चाहिए...!!!
कहते हुए राजा ने फैसला सुनाया- आज से लेकर कल इसी समय तक तेरी लगातार चुदाई होगी और वो भी भरे महल में..!!!
राजा: सिपाहियो ले जाओ इस लड़की को और तैयार करो हमारे लिए ! इसकी अक्ल तो हम ठिकाने लगायेंगे, आजकल बहुत पर निकल आए हैं इन रांडों के !!
मुझे महल में ले जाया गया और स्नानघर में ले जाकर एक तालाब में कपड़ों समेत धकेल दिया गया। फिर सिपाही भी नंगे हो अन्दर उतर आए और मेरे बदन को धोने के बहाने मसलने लगे।
एक ने मेरी चूत में ऊँगली डाल दी, एक ने गाण्ड में अंगूठा घुसा दिया और हाथों की उंगलियों और हथेलियों से मेरी गोल-गोल गाण्ड को मसल कर मज़े लेने लगा।
एक ने मेरे चूचे दबोच लिए और एक मेरा दाना हिला हिला के मुझे तड़पाने लगा।
मेरे मुँह से आनन्द भरी आहें निकलने लगी।
तभी एक ने मेरे मुँह में दो उंगलियाँ डाल दी, कोई भी अपने औजार का प्रयोग नहीं कर रहा था, क्यूंकि सबको पता था कि मैं राजा का माल हूँ, और मुझ में मुँह मारना यानि जान से हाथ धोना !
तभी राजा अन्दर आया और मुझे 5-6 सिपाहियों के बीच कसमसाता देख मजे लेने लगा। मैं आँखें बंद कर आहें भर रही थी, मेरी अन्तर्वासना जाग चुकी थी, आँखों में कामवासना भर चुकी थी।
तभी जाने अनजाने मेरे हाथ एक सिपाही के लण्ड तक जा पहुँचे, सिपाही झेंपते हुए पीछे हो गया यह सोच कर कि राजा को पता लगा तो लण्ड कटवा देंगे!
मैं चुदने को तड़पने लगी।
तभी राजा ने सिपाहियों को जाने का इशारा किया और मेरी कामतन्द्रा टूट गई।
राजा पानी में उतर आया और उसने मेरे कंधे पर जोर से काट खाया, मेरा खून निकलने लगा और मुझे अपनी ओर खींचा...
राजा : मैं जानता हूँ कि तू अब खुद के काबू में भी नहीं है...
मैं : जा जा ! तुझ में इतनी हिम्मत नहीं कि किसी औरत का सतीत्व बिना उसकी मर्जी के तोड़ सके ! इतनी हिम्मत होती तो क्या औरतों पर जुल्म करता? उन्हें मजबूर करके अपनी रखैल बनाता? अपने फरमान से प्रजा को दुखी करता?? नहीं, तू तो एक नपुंसक है, जब तेरी कोई भी पत्नी माँ नहीं बन सकी तो तूने बाहरी औरतों का शोषण किया, तेरे जैसा बुज़दिल और बेगैरत इन्सान मैंने आज तक नहीं देखा..!!
राजा : मैं बेगैरत..? मैं बुज़्दिल..? तो तू क्या है? रण्डियो की रानी? जब सिपाही तुझे मसल कुचल रहे थे, तब कहाँ था तेरा सतीत्व..!!!
मैं : वो तेरे आदेश का पालन कर रहे थे और अगर मैं साथ न देती तो तू उनका क़त्ल करवा देता ! मेरी वजह से किसी बेक़सूर की जान जाये, यह पाप मैं अपने सर नहीं ले सकती..!!
राजा : अच्छा !!!
यह कहते ही राजा ने मेरी चूचियों पर से कपड़ा नीचे सरका दिया। मैंने बिन कंधे का टॉप पहना था और ब्रा तो रास्ते में ही खुल चुकी थी, सो चूचियाँ उसके सामने झूलने लगी और राजा की आँखों में लालच आने लगा...
उसने मेरी चूचियाँ थामने के लिए अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा दिए, मैं दो कदम पीछे हो गई, राजा भी देखते ही देखते आगे आ गया।
मेरे मन में एक तरकीब सूझी, राजा जैसे ही और आगे बढ़ा, मैंने पानी के अन्दर ही उसके लण्ड पर दबाव बनाया, राजा मन ही मन खुश हो रहा था, तभी उसकी शरारत भरी मुस्कान, दर्द भरी कराह में बदल गयी, मैंने उसका लण्ड जो मरोड़ दिया था।
राजा लण्ड पकडे वहीं खड़ा रहा और मैं वहाँ से भाग निकली।
राजा ने मेरे पीछे सैनिक लगा दिए, मैं एक शयनकक्ष में जा घुसी, शयन कक्ष खाली था, मैंने परदे उतार कर जल्दी से अपना बदन ढका, और एक मूरत के पीछे छिप गई।
तभी दरवाजे पे दस्तक हुई...
सिपाही: महारानी जी, यहाँ कोई स्त्री आई है..??
मुझे कुछ नहीं सूझ रहा था सो मैंने जवाब दिया.. अगर जवाब न देती तो वो सिपाही अन्दर चला आता .!!!
मैं कमरे के भीतर से : नहीं यहाँ कोई नहीं आया, तुम जाओ हम कुछ देर विश्राम करना चाहते हैं..!!
सिपाही: महारानी जी, क्षमा करें, महाराज का आदेश है...!!!
तब तक मैंने महारानी के वस्त्र पहन लिए थे और खिड़की की तरफ मुँह करके खड़ी हो गई और थोड़ा सा घूँघट भी निकाल लिया..
मैं : ठीक है, आ जाओ..
सिपाही कमरे में घुसा और कमरा तलाशने लगा, मेरे पास आया और सर झुका कर कहने लगा- क्षमा कीजिए महारानी जी ! यहाँ कोई नहीं है..!!
सिपाही के जाते ही मैं भी रानी के वेश में कमरे से बाहर निकली, ताज्जुब की बात तो यह थी कि कहीं पर भी कच्छी और ब्रा नाम की चीज़ नहीं थी, मैं महारानी के वस्त्रों में तो थी पर अन्दर से एकदम नंगी
! मेरे चूचे चलते-भागते हिल रहे थे, कि तभी मैं एक जगह जाकर छुपी..... और पकड़ ली गई।
जगह थी "वासना गृह"
वहाँ राजा नग्नावस्था में था, उसके आसपास उसकी बहुत सी रखैलें थी, एक की चूची एक हाथ में दूसरी की चूची दूसरे हाथ में, तीसरी छाती पर बैठी चूत चटवा रही थी, चौथी टट्टे चाट रही थी, पांचवी लण्ड
एक बार गाण्ड में लेती फिर उछल कर चूत में लेती।
परदे के पीछे से देख देख कर मैं अपना घाघरा उठा कर ऊँगली करने लगी, महारानी के कंगनों की आवाज़ से मैं पकड़ी गई।
राजा ने आपातकाल बैठक बुलाई, राज्य के सभी मर्दों को न्योता दिया गया, राजा नग्न अवस्था में ही बैठक में आया...
राजा ने फरमान सुनाया- इस लड़की ने मुझसे चुदने से इनकार किया है, इसलिए इसकी इसी दरबार में बोली लगेगी, ऐसी बोली जैसी आज तक किसी की नहीं हुई होगी। इस बोली के बाद इसका इसी सभा में चीरहरण होगा, उसके बाद यह रखैल तो क्या किसी की दासी बनने के लायक भी नहीं रह जाएगी, इसके चीर और यौवनहरण के बाद इसकी चूत और गांड सिल दी जाएगी, चूचे और जबान काट लिए जायेंगे। और हाँ, बोली लड़की की नहीं उसकी जवानी की लगेगी, चूचे, गाण्ड, गदराया बदन, जांघें, बाहें, होंठ, बगलें जिस्म के हर हिस्से की बोली लगेगी..!!!
यह सुन कर तो मेरे होश उड़ गए..
अब और क्या होना बाकी है मेरे साथ...?
मुझे मन ही मन डर लग रहा था..!!!
यह सुन सभा में ख़ुशी से शोरगुल होने लगा, लोग ठहाके लगाने लगे, फबतियाँ कसने लगे, भीड़ में से आवाज़ आई- आज मज़ा आयेगा ! मैं अभी घर से अशर्फ़ियाँ उठा लाता हूँ !
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